Loksabha Election 2024: भारतीय जनता पार्टी (BJP) लगातार अपने दम पर पिछले दो लोकसभा चुनाव में बहुतम का आंकड़ा छुआ है। साल 2014 में पहली बार बीजेपी ने अपने दम पर 282 सीटें हासिल की थी। इसके बाद साल 2019 में बीजेपी की सीटें 303 तक पहुंच गई। हालांकि साल 2024 में बीजेपी को लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा है। इस बार बीजेपी कुल 240 सीटों पर ही सिमट गई। कुल मिलाकर ना तो बीजेपी अपने दम पर बहुमत में आ पाई, ना ही उन लोकसभा सीटों को बचा पाई जहां के नाम पर पार्टी दम भरती है। फिर चाहे वो अयोध्या जिले की फैजाबाद लोकसभा सीट हो, या फिर इलाहाबाद लोकसभा सीट।
क्या ये बीजेपी की हार है?
बीजेपी ने सबसे पहले उस वक्त के भारतीय जनसंघ ने पहले लोकसभा चुनाव में तीन सीटें जीतीं थीं। इसमें दो सीट बंगाल से और एक सीट राजस्थान से भारतीय जनसंघ ने जीता था। जनसंघ ने सबसे अधिक 35 सीटें 1967 के चुनाव में हासिल कीं। उस समय दीनदयाल उपाध्याय पार्टी के अध्यक्ष थे। हालांकि इसके बाद जनसंघ कुछ खास नहीं कर पाया था, साल 1977 और उसके बाद साल 1980 में जनसंघ की सीटें शून्य थीं।
बहुमत के आंकड़े को क्यों नहीं छू पाई बीजेपी?
साल 2014 से पहले बीजेपी के नेतृत्व में राजग 1998 से 2004 तक छह वर्ष तक केंद्र में सत्ता में रहा। सरकार का नेतृत्व अटल बिहारी वाजपेयी ने किया। लेकिन साल 2014 से बीजेपी कभी भी पूर्ण बहुमत के साथ नहीं आई। सबसे बड़ा चमत्कार नरेंद्र मोदी की अगुवाई में साल 2014 में हुआ, जब बीजेपी अपने दम पर अकेले पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई। उसके बाद साल 2019 में ये क्रेज कम नहीं हुआ, साल 2014 के मुताबिक 19 में बीजेपी ने अकेले दम पर 300 का जादुई आंकड़ा भी पार किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में इस दौरान कई ऐतिहासिक काम भी हुए, जिसमें राम मंदिर निर्माण भी शामिल था। साल 2024 से पहले ऐसे लग रहा था कि बीजेपी इस बार भी 300 के आंकड़े को अकेले पार करेगी। बीजेपी ने साल 2024 के लोकसभा चुनाव में अबकी बार 400 पार का नारा भी दिया। जो ना सिर्फ टूटा, बल्कि बीजेपी बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाई।
बीजेपी की हार या फिर विफलता?
बात साल 1989 से 1997 की है, जब 40 प्रतिशत वोट शेयर के साथ कांग्रेस को विपक्ष में बैठना पड़ा था। साल 1991 कांग्रेस ने फिर से सत्ता में वापसी की। साल 1989 में 1997 सीटों और 40 प्रतिशत वोट शेयर के साथ कांग्रेस को विपक्ष में बैठना पड़ा। 1991 में कांग्रेस सत्ता में लौटी। 1991 की सरकार अल्पमत की सरकार थी। इस सरकार ने देश में बड़े आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया। 1996 के बाद संयुक्त मोर्चा और राजग गठबंधन ने कांग्रेस को करीब एक दशक तक सत्ता से बाहर रखा। संप्रग का कार्यकाल 10 वर्ष रहा। 2014 में भाजपा ने सत्ता में वापसी की और कांग्रेस इतिहास में सबसे कम सीटों पर सिमट गई।
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