हरियाणा विधानसभा चुनावों के परिणामों को लेकर कांग्रेस का दावा फेल साबित हो गया है. जहां कांग्रेस एग्जिट पोल के नतीजों में एकतरफा जीत हासिल कर रही थी. वहीं मंगलवार को आए रुझानों ने कांग्रेस के जोश को धूल धूसरित कर दिया है. एग्जिट पोलों के नतीजों में जहां कांग्रेस की सरकार बन रही थी. वही जनता का रुझान भाजपा के पाले में जा गिरा. वहीं अनुमान लगाया जा रहा है कि पार्टी का ओवर कॉन्फिडेंस और अदरूनी कलह ने कांग्रेस की लुटिया डुबो दी है.
जाटों के गुस्से को भुनाने की कोशिश कांग्रेस के नहीं आई काम
माना जा सकता है कि जिस तरह से कांग्रेस को भाजपा सरकार के खिलाफ जनता के गुस्से का जो फीडबैक मिला उसे लेकर पार्टी बहुत ओवर कॉन्फिडेंस में थी. कहीं ना कहीं यही ओवर कॉन्फिडेंस कांग्रेस पार्टी को भारी पड़ गया. हरियाणा में जाटों की आबादी लगभग 25 फीसदी है और करीब 40 सीटों पर जाटों का दबदबा है. कृषि कानूनों को लेकर किसानों का गुस्सा, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक जैसे खिलाड़ियों पर हुए अन्याय पर रोष, पिछली दो सरकारों में जाटों की उपेक्षा का दंश जैसी वजहों के चलते जाट भाजपा के खिलाफ थे. इन सभी बातों की वजह से कांग्रेस ने जाटों का गुस्सा अपने पक्ष में मान लिया और अनुमान लगाया कि जाटों का एकमुश्त वोट उसे ही मिलेगा. मगर कांग्रेस ये नहीं समझ पाई कि बीजेपी ने पिछली दो सरकारें इन्हीं जाटों के खिलाफ गैर जाट जातियों को एकजुट करके बनाई थीं. इन जातियों में बनिया-ब्राह्मण-राजपूत प्रमुख तौर पर आते हैं. इस बार भी ओबीसी जातियों को सीएम सैनी ने जाटों के खिलाफ गोलबंद किया. जैसे ही जाटों की एकजुटता के बारे में गैर जाट जातियों को अहसास हुआ वे काउंटर पोलराइज हो गईं. साथ ही इस बार भी जाट वोट बांटने के लिए जेजेपी, इनेलो जैसी पार्टियां जैसी पार्टियां भी मैदान में मौजूद थीं.
सीएम बदलने का फॉर्मूला रहा बीजेपी के लिए फायदेमंद
बीजेपी ने पूर्व सीएम खट्टर की अलोकप्रियता को भी समय रहते भांप लिया. जिसके बाद बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को सीएम बनाकर इस मुद्दे को खत्म करने की कोशिश की. गुजरात में पहले ही ये प्रयोग भाजपा कर चुकी थी. परिणाम बताते हैं ये दांव भी बीजेपी के पक्ष में काम आया. सैनी ने ना सिर्फ खट्टर सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी को कम किया बल्कि वे पिछड़ी जाति के वोट को भाजपा के पक्ष में लाने में भी सफल रहे. इसके साथ ही बीजेपी ने ये भी सावधानी बरती कि पूरे इलेक्शन के दौरान कहीं भी खट्टर नजर ना आएं. पूरे कैंपेन से खट्टर को दूर रखा गया. सैनी ने पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए कई योजनाएं शुरू कीं. जिनमें केंद्र सरकार की गरीब कल्याण और किसानों को फायदा पहुंचाने की योजनाओं से बहुत मदद मिली. ऐसा मानने में भी कोई गुरेज नहीं है कि डायरेक्ट बेनेफिट वाली इन योजनाओं ने हरियाणा की भाजपा सरकार की बहुत मदद की है.
सैलजा की चुप्पी ने की बीजेपी की काफी मदद
चुनाव के बाद से ही बीजेपी लगातार कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा के बहाने दलित उपेक्षा की बात कर रही थी. बीजेपी सैलजा को दलित आत्म सम्मान का मुद्दा बना रही थी. इस मुद्दे पर सैलजा भी चुप्पी साधकर अघोषित तौर पर भाजपा के कैंपेन को मदद ही कर रही थीं. हालांकि वोटिंग के पहले जरूर उन्होंने कुछ बयान पार्टी के फेवर में दिए लेकिन सैलजा को कांग्रेस वक्त पर साधने में कामयाब नहीं हो रही. चूंकि राज्य में दलित जातियां भी लगभग 19 फीसदी हैं. इनके लिए 17 सीटें रिजर्व हैं. पिछली बार भाजपा ने 4 सीटों पर ही जीत हासिल की थी जबकि इस बार पार्टी 7 सीटें जीतने में सफल हो गई है. ऐसा भी मान सकते हैं कि इनेलो, जेजेपी और बसपा, आजाद समाजवादी पार्टी जैसी पार्टियों के गठबंधन ने भी दलितों के वोट काटे. पिछले लोकसभा इलेक्शन में राज्य में कांग्रेस 5 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब हुई थी जिसके पीछे दलित वोटों का बड़ा हाथ माना गया था. इस बार ऐसा लगता है कि दलित, ओबीसी, सवर्ण गठजोड़ के माध्यम से भाजपा पिछली बार छिटके वोटबैंक को साधने में काफी हद तक सफल रही है.
आप से गठबंधन ना होना भी कांग्रेस की मात की एक वजह
हरियाणा में कांग्रेस और आप का अलायंस नहीं बन पाया. जिसकी वजह ये रही कि आप जितनी सीटें राज्य में मांग रही थी कांग्रेस उतनी देने को तैयार नहीं थी. जिसकी वजह से दोनों पार्टियों के बीच समझौता नहीं हो पाया. आप ने राज्य की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए. चूंकि आप और कांग्रेस का वोट तकरीबन एक ही तबके से आता है. इसलिए इन वोटों में कहीं न कहीं AAP ने सेंध लगा दी. कई सीटों पर हार-जीत में आप के पक्ष में गए वोटों ने भी बड़ी भूमिका निभाई है.
हरियाणा विधानसभा चुनाव के अब तक के रुझानों और नतीजों में बीजेपी पूर्ण बहुमत की ओर आगे बढ़ रही है. जिससे साफ है कि एक बार फिर विपक्षी पार्टी कांग्रेस को विपक्ष की भूमिका निभानी होगी. रुझानों में कांग्रेस 25 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है, जबकि 11 सीटों पर आगे चल रही है. दूसरी ओर बीजेपी 27 सीट जीत चुकी है और 22 सीटों पर आगे है. जिससे मतलब साफ है कि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सीएम बदलने की रणनीति रंग लाई है.
कांग्रेस की अंदरूनी कलह का बीजेपी को मिला फायदा
हरियाणा में एग्जिट पोल के सर्वे आने के बाद से कांग्रेस पूरे जोश में थी कि इस बार उसकी वापसी हो रही है. मगर इस चुनाव ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि फिलहाल बीजेपी से अकेले टक्कर लेना कांग्रेस के बस की बात नहीं है. हालांकि ये कहना भी गलत नहीं होगा कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अंदरूनी कलह का फायदा सीधे-सीधे बीजेपी को मिला है. टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार तक, कांग्रेस तीन हिस्सों में बंटी हुई दिखाई दी. एक खेमा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का था तो दूसरा कुमारी सैलजा और तीसरा रणदीप सुरजेवाला का.
चुनाव प्रचार के बीच शुरू हुई सीएम फेस की जंग
माना जा रहा है कि कांग्रेस हुड्डा-सैलजा और सुरजेवाला के बीच अदावत के कारण कमजोर पड़ गई. हुड्डा की गिनती हरियाणा में बड़े जाट राजनेताओं में होती है तो दूसरी ओर सैलजा बड़ी दलित नेता हैं. तीसरे नंबर पर सुरजेवाला रहे जो गाहे बगाहे सीएम पद को लेकर दावा ठोंकते हुए नजर आए थे. हरियाणा राज्य की 90 विधानसभा सीटों के लिए टिकट बंटवारे में भी इन्हीं तीनों नेताओं की चली जिसमें हुड्डा सबसे आगे थे. हरियाणा में विधानसभा चुनाव का प्रचार चल रहा था कि मुख्यमंत्री फेस को लेकर पार्टी में खींचतान शुरू हो गई थी. हुड्डा सीएम फेस पर फैसला हाईकमान पर छोड़ते नजर आए तो दूसरी ओर कुमारी सैलजा खुद को सीएम पद का दावेदार बोलने से पीछे नहीं हटीं. इसके साथ ही सुरजेवाला भी सीएम फेस को लेकर सियासी बैटिंग करते रहे. नौबत ये आ गई कि सैलजा और सुरजेवाला नाराज होकर दिल्ली पहुंच गए जबकि हुड्डा अकेले चुनाव प्रचार करते रहे और काफी मान मनौव्वल के बाद दोनों नेता हरियाणा वापस लौटे थे.
कांग्रेस नेताओं की खटपट बीजेपी के लिए बनी जीत की वजह
अनुमान लगाया जा रहा है कि हरियाणा कांग्रेस के 3 बड़े नेताओं के बीच खटपट से पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा है. इसका फायदा बीजेपी के साथ ही आम आदमी पार्टी और बसपा को भी हुआ और इनके वोट प्रतिशत बढ़ गए हैं. कांग्रेस के वोट प्रतिशत में नुकसान होता साफ दिख रहा है. इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की काफी कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी. इसके बाद कांग्रेस अकेले हरियाणा की 90 में से 89 सीटों पर मैदान में उतरी. बीजेपी भी 89 सीटों पर मैदान में थी. जेजेपी और आजाद समाज पार्टी के बीच गठबंधन था, जो सफल नहीं हुआ. आईएनएलडी भी कोई बड़ा उलटफेर नहीं कर सकी. वहीं चुनावी नतीजों के बीच कुमारी सैलजा ने कहा भी कि हाईकमान को हरियाणा पर ध्यान देना चाहिए था. चुनाव नतीजे निराश करने वाले हैं.
हरियाणा में एक बार फिर बीजेपी की हैट्रिक लगने जा रही है. देखा जाए तो हरियाणा में अब तक कोई भी पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज नहीं हुई है. ऐसे में ये बीजेपी की अपने आप में एक खास उपलब्धि है. वहीं इससे पहले बीजेपी कभी भी हरियाणा में 50 के आंकड़े तक को छू नहीं सकी है. माना जा रहा है कि इसकी सबसे बड़ी वजह हरियाणा में बीजेपी का 'मुख्यमंत्री बदलने का फॉर्मूला' है. साल 2024 मार्च में ही बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया था. पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर जहां पंजाबी थे, वहीं सीएम नायब सैनी ओबीसी समुदाय से आते हैं. खट्टर को हटाकर सैनी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला बीजेपी के लिए फायदे का सौदा रहा.
सैनी को सीएम बनाने का फैसला आया काम
हरियाणा की सियासत के लिए जाट काफी अहम फैक्टर माने जाते हैं. किसान आंदोलन और फिर पहलवानों के आंदोलन की वजह से बीजेपी से जाट वोटर्स नाराज माने जा रहे थे. इसके साथ ही ऐसा भी माना जा रहा था कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बूते कांग्रेस को ज्यादा जाट वोट मिल सकते हैं. ऐसे में भाजपा ने ओबीसी फैक्टर को साधने की कोशिश की. अनुमान है कि हरियाणा में 40 फीसदी ओबीसी, 25 फीसदी जाट, 20 फीसदी दलित, 5 फीसदी सिख और 7 फीसदी मुस्लिम हैं. वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी को जाटों की नाराजगी का नुकसान झेलना पड़ा. कांग्रेस ने यहां की 10 में से 5 सीटों पर जीत का परचम फहराया. इनमें से 2 अम्बाला और सिरसा एससी सीट थी. बाकी 3- सोनीपत, रोहतक और हिसार जाट बहुल सीटें थीं. वहीं बीजेपी ने करनाल, फरीदाबाद, गुड़गांव, भिवानी-महेंद्रगढ़ और कुरुक्षेत्र में जीत हासिल की थी. इन सभी 5 सीटों पर ओबीसी और ऊंची जातियों का दबदबा कायम है. मार्च में जब बीजेपी ने खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया उस वक्त इसे चुनावी दांव ही माना गया था. क्योंकि बीजेपी कई राज्यों में चुनावों से पहले मुख्यमंत्री बदल चुकी थी. इस चुनाव में भाजपा ने सीएम नायब सिंह सैनी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया था. माना जा रहा है कि सैनी के कारण बीजेपी ने ना सिर्फ एंटी-इन्कंबेंसी को कम किया, बल्कि ओबीसी वोटों पर भी साधा.
हिट हुआ बीजेपी का CM बदलने का फॉर्मूला
भारतीय जनता पार्टी ने 2021 के बाद से कई राज्यों में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदले हैं. ऐसा करके बीजेपी ने इन राज्यों में एंटी-इन्कंबेंसी को दूर किया है. हरियाणा पांचवां ऐसा राज्य था जहां पर बीजेपी ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा बदला और बीजेपी को इसका भरपूर फायदा मिलता भी दिख रहा है. इससे पहले बीजेपी ने जिन भी राज्यों में मुख्यमंत्री बदला है, उनमें से सिर्फ कर्नाटक को छोड़कर बाकी सभी में बीजेपी का ये फॉर्मूला हिट रहा है. बीजेपी ने कर्नाटक के अलावा गुजरात, उत्तराखंड और त्रिपुरा में ये फॉर्मूला आजमाया था.
ताजनगरी में एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां शादी के बाद पति ने पत्नी के साथ सुहारात मनाने से इंकार कर दिया। पति ने कहा कि मायके से कार और दो लाख रुपये लेकर आओ तब सुहागरात मनेगी। पत्नी 6 महीने तक संबंध बनाने की कोशिश करती रही लेकिन सफल नहीं हुई तो परिवार परामर्श केंद्र में शिकायत की। लेकिन जहां पर पति और पत्नी की काउंसिलिंग की गई, लेकिन सुलह नहीं हुई। वहीं, पत्नी ने जब डॉक्टर से उपचार कराने की बात कही तो पति ने इनकार कर दिया। इसके साथ ही धमकी दी कि डॉक्टरी जांच और इलाज का दवाब बनाया तो जान ले लूंगा या दे दूंगा। पत्नी ने जगदीशपुरा थाना पुलिस ने दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया है।
डॉक्टर को दिखाने पर जिंदा जलाने की धमकी दी
दरअसल, जगदीशपुरा क्षेत्र की युवती की शादी जनवरी 2023 में आवास विकास कॉलोनी निवासी युवक के साथ हुई थी। युवती का आरोप है कि उसके पिता ने शादी में दस लाख नगद समेत 25 लाख रुपए खर्च किए थे। जब वह ससुराल पहुंची तो दो लाख रुपए नगद और कार की पति और ससुरालीजनों ने मांग की। यही नहीं पति ने सुहागरात पर ही डिमांड पूरी करने का दबाव बनाया। पति ने कहा कि दो लाख रुपए और कार लाओ तो सुहागरात मनाउंगा। सुहागरात के दिन संबंध नहीं बनाए। युवती का कहना है कि उसने पति, सास, सससुर और ननद का दिल जीतने के लिए खूब सेवा भी की। कई बार पति से संबंध बनाने के लिए कहा तो उसने कुछ नहीं किया। पति को किसी चिकित्सक को दिखाने की बात कही तो जिंदा जलाने की धमकी दी। शादी के छह माह बाद ही 3 जून को पति और ससुरालीजनों ने मारपीट कर उसे घर से निकाल दिया।
पुलिस ने केस दर्ज जांच शुरू की
जगदीशपुरा थाना प्रभारी निरीक्षक आनंदवीर सिंह ने बताया कि युवती की शिकायत पर दहेज उत्पीड़न की धाराओं में मुकदमा दर्ज करके मामले की जांच की जा रही है। जो भी तथ्य आएंगे, उसके बाद ही आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में एक बार फिर कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। जबकि एग्जिट पोल और राजनीतिक पंडितों ने कांग्रेस को हरियाणा में अच्छे संकेत दिए थे। अभी तक आए रुझाने के अनुसार सत्ता विरोधी लहर के बाद भी कांग्रेस की सत्ता में वापसी नहीं दिख रही है। जबकि भाजपा के सिर ताज सजता नजर आ रहा है। बता दें कि सुबह 11 बजे तक हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) 47 सीटों पर आगे चल रही थी। जबकि कांग्रेस 36 सीटों पर आगे चल रही थी. कांग्रेस का वोट शेयर 40.57 प्रतिशत था, जबकि भाजपा का 38.80 फीसदी था। बता दें कि राज्य में बहुमत का आंकड़ा 46 सीटों का है। 90 सीटों पर 25 प्रतिशत वोटों की गिनती हो चुकी है।
बीजेपी ने गैर-जाट वोटरों को किया एकजुट
ऐसा लगता है कि कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर बहुत निर्भर थी। यह निर्भरता उसके लिए कारगर साबित नहीं हुई। कांग्रेस का मानना था कि जाट, दलित और मुस्लिम वोट मिलकर राज्य में जीत सुनिश्चित करेंगे, लेकिन ऐसा लगता है कि बीजेपी ने गैर-जाट और गैर-मुस्लिम वोटों के बीच अपने वोट को बेहतर तरीके से एकजुट कर लिया है। इसके अलावा, गैर-जाट अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटों को एकजुट करने की योजना भाजपा के लिए कारगर साबित हुई। बीजेपी ने पूर्वी और दक्षिणी हरियाणा के गैर-जाट इलाकों में अपना गढ़ बरकरार रखा है। जाट-बहुल पश्चिमी हरियाणा में उल्लेखनीय रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है। गैर-जाट वोट बड़ी संख्या में बीजेपी के पक्ष में मतदान किया है।
भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा में अंदरूनी कलह ने डुबाई नैया
बीजेपी के खिलाफ कथित सत्ता विरोधी लहर के बावजूद कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच अंदरूनी कलह को रोकने में सफल नहीं रही। दोनों के तनाव ने भी पार्टी की संभावनाओं पर पानी फेर दिया। जमीनी स्तर पर कांग्रेस ने बीजेपी की तरह एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ा। जिसकी वजह से कई बागी निर्दलीय चुनाव लड़े। हालांकि कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया था, लेकिन यह भी पक्ष में नहीं गया. हरियाणा में गैर-जाट वोटों के बीच 2004 से 2014 के बीच हुड्डा सरकार को भ्रष्ट माना जाता था और शासन के मापदंडों पर उसका प्रदर्शन खराब था। हुड्डा के शासन के दौरान, राज्य में कानून और व्यवस्था भी खराब बताई गई थी।
AYODHYA: रामनगरी अयोध्या में फिल्मों की तरह दो शातिर बदमाश सालों से साधु के वेश में रह रहे थे। ये दोनों गोंडा में महावीर सिंह हत्याकांड में शामिल थे, जिनकी 17 साल से तलाश चल रही थी, जिन्हें थाना रामजन्मभूमि पुलिस ने गिरफ्तार किया है। दोनों बिहार के लखीसराय बड़ईया निवासी संजय उर्फ विजय और उसका सहयोगी हनुमान कुटी निवासी सीताराम के रूप में हुई हैं। संजय गोविंददास बन कर लक्ष्माणकिला तथा सीताराम यहां राधेश्यामदास के नाम से रामकोट मोहल्ले के हनुमान कुटी में रह रह थे। दोनों की तलाश गोंडा पुलिस 17 वर्ष से कर रही थी।
रामकृपालदास के करीबी थे दोनों
सीताराम और संजय दोनों ही रामनगरी में कुख्यात रहे रामकृपालदास के करीबी भी बताए जा रहे हैं। बता दें कि रामकृपालदास की हत्या वर्ष 1996 में हुई थी, जिसमें माफिया श्रीप्रकाश शुक्ल का भी नाम जुड़ा था। 2011 में वजीरगंज गोंडा में हुई पुलिस मुठभेड़ में मारे गए हरिनारायणदास के गिरोह से भी दोनों का संबंध है। सीताराम की तलाश में पहले भी गोंडा पुलिस वांरट के आधार पर उसे पकड़ने कई बार आई थी, लेकिन नाम और वेश बदला होने के कारण खाली हाथ लौट जाती थी।
महावीर सिंह हत्याकांड में वांछित थे दोनों
थाना प्रभारी रामजन्मभूमि देवेंद्र पांडेय ने बताया कि 2007 में गोंडा के तुलसीपुर माझा नवाबगंज निवासी महावीर सिंह की हत्या हुई थी। इस मामले में वर्ष 2008 में संजय और राधेश्याम के विरुद्ध कुर्की की कार्रवाई हुई थी। जिसके बाद से दोनों फरार थे। पुलिस ने 15-15 हजार रुपये का पुरस्कार भी घोषित किया था। थाना प्रभारी ने बताया कि सीताराम का पता हनुमान कुटी था, जो थाना रामजन्मभूमि क्षेत्र में आता है। इसलिए कोर्ट की ओर से जारी वारंट पुलिस को मिला। इसके बाद सीताराम को पकड़ा गया। जिसने पूछताछ में अपनी सही पहचान बताई। इसके साथ ही संजय का भी पता बताया, जिसके बाद दोनों की गिरफ्तारी की गई।
हरियाणा और जम्मू कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव के बाद आज मतगणना हो रही है। हरियाणा की सभी 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को 67.90 प्रतिशत मतदान हुआ था. हरियाणा के चुनावी रण में कुल 1,031 उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें 464 निर्दलीय और 101 महिलाएं हैं। वहीं, जम्मू कश्मीर के 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए वोटों की गिनती जिला मुख्यालयों पर कड़े सुरक्षा उपाय किए गए हैं। जम्मू-कश्मीर में 20 मतगणना केंद्रों पर तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था स्थापित की गई है। 2014 के बाद से जम्मू-कश्मीर में ये पहला विधानसभा चुनाव है, जो तीन चरणों में आयोजित किया गया है। 18 सितंबर को हुए पहले चरण में 24 सीटों पर चुनाव हुआ था। इसके बाद उसी दिन दूसरे चरण में 26 सीटों पर चुनाव हुआ था। शेष 40 सीटों को कवर करने वाला अंतिम चरण 1 अक्टूबर को मतदान हुआ था।
हरियाणा मे ताजा रुझाने के अनुसार तो भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिलता नजर आ रहा है। जबकि सुबह कांग्रेस आगे थी। भाजपा 42 तो कांग्रेस 39 सीटों पर अभी आगे चल रही है। वहीं, इनेलो 3 और निर्दलीय 6 सीटों पर आगे हैं। वहीं, जम्मू कश्मीर में कांग्रेस गठबंधन का पलड़ा भारी है। ताजा रुझानों के अनुसार, कांग्रेस (8) एनसी (41) गठबंधन 49 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं भाजपा 22 सीटों पर आगे चल रही है।
गाजियाबाद में डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद गिरि ने पिछले दिनों एक विवादित बयान दे दिया था. महंत के विवादित बयान के बाद मंदिर के बाहर लोगों ने जमकर हंगामा किया. अब इसको विवादित बयान को लेकर व त्योहारों को देखते हुए सोमवार को मुख्य सचिव, डीजीपी, अपर मुख्य सचिव गृह, एवं अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कानून व्यवस्था की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हर मत, संप्रदाय की आस्था का सम्मान होना चाहिए.
आस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले को मिलेगी कड़ी सजा- सीएम
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महापुरुषों के प्रति प्रत्येक नागरिक के मन में कृतज्ञता का भाव होना चाहिए लेकिन इसके लिए किसी को भी बाध्य नहीं किया सकता. ना ही जबरन किसी पर थोपा जा सकता. अगर आस्था के साथ कोई भी व्यक्ति खिलवाड़ करेगा, महापुरुषों, देवी-देवता, संप्रदाय आदि की आस्था के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करेगा. तो उसे कानून के दायरे में लाकर कठोरता पूर्वक सजा दी जाएगी. ऐसे में लोगों को सभी मत, मजहब, सम्प्रदाय के प्रति एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पुलिस प्रशासन को दिए निर्देश
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि विरोध के नाम पर अराजकता, तोड़-फोड़ व आगजनी बिल्कुल भी स्वीकार नहीं है. जो कोई भी ऐसा करने का दुस्साहस करेगा, उसे कीमत चुकानी पड़ेगी. इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस प्रशासन को निर्देश देते हुए कहा कि शारदीय नवरात्रि विजयदशमी का पर्व हर्षोल्लास, शांति और सौहार्दपूर्ण माहौल के बीच संपन्न होना चाहिए. ये प्रत्येक जनपद-प्रत्येक थाना को सुनिश्चित करना होगा. माहौल खराब करने वालों को चिन्हित करके कठोर कार्रवाई की जाए. कानून के विरुद्ध काम करने वालों से सख्ती के साथ निपटें.
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी दिए कड़े निर्देश
महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भीड़भाड़ वाले इलाकों में फुट पेट्रोलिंग और पीआरवी 112 की पेट्रोलिंग तेज कर दी जाए. उन्होंने कहा कि महिलाओं- बेटियों की सुरक्षा व सुविधा सुनिश्चित की जानी चाहिए. इसके लिए सभी विभाग मिलकर एकसाथ काम करें.
कानपुर के एक दंपति ने इजरायली मशीन से बुजुर्गों को जवान बनाने का ख्बाव दिखाकर 35 करोड़ रुपये ठग लिए हैं. आरोपी दंपति ने लोगों को फंसाने के लिए बॉलीवुड एक्टरों की फिटनेस के बारे में बताकर ठगते थे. लोगों से कहा जाता था कि फिल्मी सितारे इसलिए फिट रहते हैं क्योंकि वो इसी मशीन से थेरेपी लेते हैं. वहीं जबतक लोगों को समझ आता कि उनके साथ ठगी की गई है. तब तक पति-पत्नी सारा माल समेटकर फरार हो गए.
आरोपियों ने एक्टर अमिताभ और शाहरुख के नाम का लिया सहारा
आरोपी दंपति रश्मि और राजीव दुबे के हाथों एक लाख 80 हजार रुपये गंवाने वाले सुनील बाली कहते हैं कि हम उनके पास मिलने गए. उन्होंने कहा कि "आप लोग इस मशीन की वैल्यू क्यों नहीं समझते. इसी मशीन का सहारा लेकर बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान हमेशा फिट दिखाई देते हैं. आप अभी इस मशीन में अपना नंबर बुक करा लीजिए, नहीं तो आगे चलकर इस मशीन में बैठने के लिए इतनी वेटिंग हो जाएगी कि दो-दो साल लग जाएंगे." दंपतियों के झांसे में आकर अपना पैसा लगा दिया और अब दोनों फरार हो गए हैं.
आरोपियों के झांसे में फंसकर रश्मि ने गंवाए 2 लाख
आरोपियों ने इस मशीन का महिमामंडन लोगों के सामने ऐसे किया कि पहली बार मशीन को देखने पहुंची रश्मि बाली ने अपनी दो सहयोगियों को मशीन के अंदर बैठे हुए देखा लेकिन मशीन के अंदर पाइप लीक होने की वजह किसी केमिकल गैस का धुआं लग गया. जिससे वह बीमार पड़ गए थे. इसके बावजूद रश्मि बाली को मशीन पर विश्वास था कि यह मशीन उनकी कमजोरी को मजबूत करके जवानी के दिनों में पहुंचा देगी तो उन्होंने भी 2 लाख रुपये इसमें लगा दिए. अब पैसे के लिए परेशान घूम रही हैं और पुलिस थाने के चक्कर काट रही है.
इजरायली मशीन को पुलिस ने किया सील
वहीं इस मामले की जांच-पड़ताल कर रहे किदवई नगर थाने के इंचार्ज बहादुर सिंह का कहना है कि अभी तक आधा दर्जन लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. लोगों की शिकायतें सुनी जा रही हैं. जहां पर इजराइली मशीन लगाई गई थी, उस मशीन को सील कर दिया गया है. आरोपियों की भी तलाश की जा रही है. पुलिस ने ऑफिस का निरीक्षण करने के बाद उसे सील कर दिया है.
खेती-किसानी, पशुपालन और मछली पालन को बढ़ावा देने को सरकार की तरफ कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. वहीं यूपी सरकार की ओर से मछली पालन को 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है. इस योजना के तहत सरकार मछली पालन करने वाले मछुआरों को 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी या फिर दो लाख रुपये तक की छूट देती है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से सरकार का मकसद किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है.
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना क्या है?
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना केंद्र सरकार की योजना है. इस योजना के द्वारा मछली पालकों को बिना गारंटी के 2 लाख रुपये तक का लोन 7 फीसद ब्याज दर पर दिया जाएगा. योजना की शुरुआत सितंबर 2020 में हुई थी. इस योजना में किसानों को मछली पालन के लिए लोन और फ्री ट्रेनिंग की सुविधा भी दी जाती है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में सामान्य श्रेणी के लोगों को व्यवसाय में आ रही लागत का 40 फीसदी तक लाभ दिया जाता है. तो वहीं जो महिलाओ, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को 60 फीसद तक का अनुदान दिया जाता है.
मत्स्य संपदा योजना में कैसे करें आवेदन
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ उठाने के लिए आधिकारिक वेबसाइट https://pmmsy.dof.gov.in/ पर जाकर आवेदन करना होगा. इसके बाद आपको अपनी डिटेल के साथ डॉक्यूमेंट्स भी अपलोड करने होंगे. इसके बाद योजना का लाभ लेने वाले आवेदक को एक डीपीआर तैयार करनी होगी. आवेदक द्वारा तैयार की गई डीपीआर को उसे अपनी एप्लीकेशन के साथ जमा करना होगा. आवेदकों द्वारा जमा की गई डीपीआर सक्सेसफुली एप्रूव्ड होने के बाद ही योजना का लाभ मिल सकेगा.
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