हरियाणा में एक बार फिर बीजेपी की हैट्रिक लगने जा रही है. देखा जाए तो हरियाणा में अब तक कोई भी पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज नहीं हुई है. ऐसे में ये बीजेपी की अपने आप में एक खास उपलब्धि है. वहीं इससे पहले बीजेपी कभी भी हरियाणा में 50 के आंकड़े तक को छू नहीं सकी है. माना जा रहा है कि इसकी सबसे बड़ी वजह हरियाणा में बीजेपी का 'मुख्यमंत्री बदलने का फॉर्मूला' है. साल 2024 मार्च में ही बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया था. पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर जहां पंजाबी थे, वहीं सीएम नायब सैनी ओबीसी समुदाय से आते हैं. खट्टर को हटाकर सैनी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला बीजेपी के लिए फायदे का सौदा रहा.

सैनी को सीएम बनाने का फैसला आया काम
हरियाणा की सियासत के लिए जाट काफी अहम फैक्टर माने जाते हैं. किसान आंदोलन और फिर पहलवानों के आंदोलन की वजह से बीजेपी से जाट वोटर्स नाराज माने जा रहे थे. इसके साथ ही ऐसा भी माना जा रहा था कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बूते कांग्रेस को ज्यादा जाट वोट मिल सकते हैं. ऐसे में भाजपा ने ओबीसी फैक्टर को साधने की कोशिश की. अनुमान है कि हरियाणा में 40 फीसदी ओबीसी, 25 फीसदी जाट, 20 फीसदी दलित, 5 फीसदी सिख और 7 फीसदी मुस्लिम हैं. वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी को जाटों की नाराजगी का नुकसान झेलना पड़ा. कांग्रेस ने यहां की 10 में से 5 सीटों पर जीत का परचम फहराया. इनमें से 2 अम्बाला और सिरसा एससी सीट थी. बाकी 3- सोनीपत, रोहतक और हिसार जाट बहुल सीटें थीं. वहीं बीजेपी ने करनाल, फरीदाबाद, गुड़गांव, भिवानी-महेंद्रगढ़ और कुरुक्षेत्र में जीत हासिल की थी. इन सभी 5 सीटों पर ओबीसी और ऊंची जातियों का दबदबा कायम है. मार्च में जब बीजेपी ने खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया उस वक्त इसे चुनावी दांव ही माना गया था. क्योंकि बीजेपी कई राज्यों में चुनावों से पहले मुख्यमंत्री बदल चुकी थी. इस चुनाव में भाजपा ने सीएम नायब सिंह सैनी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया था. माना जा रहा है कि सैनी के कारण बीजेपी ने ना सिर्फ एंटी-इन्कंबेंसी को कम किया, बल्कि ओबीसी वोटों पर भी साधा.

हिट हुआ बीजेपी का CM बदलने का फॉर्मूला
भारतीय जनता पार्टी ने 2021 के बाद से कई राज्यों में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदले हैं. ऐसा करके बीजेपी ने इन राज्यों में एंटी-इन्कंबेंसी को दूर किया है. हरियाणा पांचवां ऐसा राज्य था जहां पर बीजेपी ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा बदला और बीजेपी को इसका भरपूर फायदा मिलता भी दिख रहा है.  इससे पहले बीजेपी ने जिन भी राज्यों में मुख्यमंत्री बदला है, उनमें से सिर्फ कर्नाटक को छोड़कर बाकी सभी में बीजेपी का ये फॉर्मूला हिट रहा है. बीजेपी ने कर्नाटक के अलावा गुजरात, उत्तराखंड और त्रिपुरा में ये फॉर्मूला आजमाया था.