बिहार का सियासी माहौल पिछ्ले कुछ दिनों से काफी गरमाया हुआ है। फ्लोर टेस्ट की गहमागहमी और विधायकों की संख्या अपने पाले में बढ़ाने की पुरजोर कोशिशों की गईं, लेकिन कहते हैं ना 'अंत भला तो सब भला' तो अंत में वही हुआ जो शायद बिहार की जनता को भी मंजूर था। आखिरकार बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बहुमत साबित कर ही दिया। बहुमत साबित करने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि "हम अपनी पुरानी जगह पर एक बार फिर आ गए हैं लेकिन किसी को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचायेंगे।"

तीन विधायकों ने पलटी बाजी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए विश्वास मत हासिल करना मुश्किल भरा हो सकता था यदि राजद के तीन विधायक नीलम देवी, चेतन आनंद और प्रहलाद यादव अपना पाला नहीं बदलते या यूं कह लें कि इन्हीं तीन विधायकों की मदद से मुख्यमंत्री बहुमत हासिल कर सके। इन तीन विधायकों के खेमा बदलते ही राजग के नाराज कहे जाने वाले करीब आधा दर्जन विधायक नरम पर गए और इस बात का अहसास होते ही कि उनके बिना भी सरकार विश्वास मत हासिल कर लेगी, इन विधायकों ने धीरे धीरे सदन का रूख किया। फिर भी जदयू विधायक दिलीप राय मतदान में शामिल नहीं हुए। राजद रणनीति सटीक थी। राजग के गायब विधायक प्रतीक्षा कर रहे थे कि उनके नहीं रहने से विधानसभा अध्यक्ष के विरूद्ध प्रस्ताव का क्या हश्र होता है। अगर ये तीन विधायक प्रस्ताव के विरूद्ध मतदान करते तो विश्वास मत में पड़े वोटों की संख्या 122 हो जाती। वैसी स्थिति में राजग के पांच विधायकों के अलावा इस पक्ष के दो-तीन विधायक पाला बदलते तो सरकार बहुमत हासिल नहीं कर सकती थी। जबकि राजद के इन विधायकों ने दल की रणनीति पर पानी फेर दिया।

"जब सही समय आएगा तब तेजस्वी आएगा"

बिहार विधानसभा में राजद नेता तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि "क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात की गारंटी दे सकते हैं, कि नीतीश कुमार फिर से पाला नहीं बदलेंगे." साथ ही राजद नेता तेजस्वी यादव ने आने वाले समय में मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद जताते हुए कहा कि "कोई आए न आए, जब समय आएगा तो तेजस्‍वी आएगा."