हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था, हमारी कश्ती वहां डूबी जहां पानी कम था. ये चंद लाइनें आज बिहार की सियासत में दिग्गज नेता तेजस्वी यादव पर बिल्कुल फिट बैठती है क्योंकि उनके अपनों ने ही उनके साथ बड़ा धोखा कर दिया है. दरअसल जिस वक्त नीतीश कुमार को बिहार की विधानसभा में विश्वासमत साबित करने जाना था ठीक उससे पहले तेजस्वी की पार्टी के विधायक उनके आवास पर दिखे. जिनका नाम चेतन आनंद है. सीएम नीतीश कुमार के साथ देखे जाने पर सियासी हलचल बिहार में और बढ़ गई है. बता दें चेतन आनंद बिहार के दबंग राजनेता आनंद मोहन के बेटे है जो शिवहर सीट से राजद के विधायक हैं.
मिड नाइट 'आनंद' को लेकर हुआ था ड्रामा
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो देर रात तेजस्वी के आवास पर इसी विधायक को लेकर हंगामा देखने को मिला था. दरअसल तेजस्वी के आवास पर पुलिस चेतन आनंद को ही खोजने पहुंची थी. लेकिन तब चेतन ने दावा किया था वो तेजस्वी के साथ है और वो यहां अपनी मर्जी से है. लेकिन फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले सीएम आवास पहुंचकर चेतन आनंद ने सियासी अटकलें बढ़ा दी है.
फ्लोर टेस्ट से पहले नंबर गेम की लड़ाई
ऐसा दावा है कि बिहार में होने फ्लोर टेस्ट को लेकर खेला हो सकता है. एक ओर NDA की ओर से दो विधायक गायब होने कीसूचना है तो वहीं दूसरी ओर चेतन आनंद का नीतीश के साथ आना एक बड़ा सियासी संदेश दे रहा है. बहुमत परीक्षण की घड़ी जैसे-जैसे करीब आ रही है, वैसे-वैसे नंबरगेम भी तेजी से बदल रहा है.
हो सकता है बिहार में 'खेला'
आपको बता दें बिहार में कुल विधानसभा की सीटें 243 है. ऐसे में बहुमत के लिए नीतीश सरकार को 122 विधायकों का समर्थन चाहिए. NDA के पास 128 विधायकों का समर्थन है जो की सरकार बनाने के लिए पर्याप्त है लेकिन कई विधायक विधानसभा में मौजूद नहीं है. जिसको लेकर नंबरगेम बिगड़ सकता है.
बिहार का सियासी माहौल पिछ्ले कुछ दिनों से काफी गरमाया हुआ है। फ्लोर टेस्ट की गहमागहमी और विधायकों की संख्या अपने पाले में बढ़ाने की पुरजोर कोशिशों की गईं, लेकिन कहते हैं ना 'अंत भला तो सब भला' तो अंत में वही हुआ जो शायद बिहार की जनता को भी मंजूर था। आखिरकार बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बहुमत साबित कर ही दिया। बहुमत साबित करने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि "हम अपनी पुरानी जगह पर एक बार फिर आ गए हैं लेकिन किसी को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचायेंगे।"
तीन विधायकों ने पलटी बाजी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए विश्वास मत हासिल करना मुश्किल भरा हो सकता था यदि राजद के तीन विधायक नीलम देवी, चेतन आनंद और प्रहलाद यादव अपना पाला नहीं बदलते या यूं कह लें कि इन्हीं तीन विधायकों की मदद से मुख्यमंत्री बहुमत हासिल कर सके। इन तीन विधायकों के खेमा बदलते ही राजग के नाराज कहे जाने वाले करीब आधा दर्जन विधायक नरम पर गए और इस बात का अहसास होते ही कि उनके बिना भी सरकार विश्वास मत हासिल कर लेगी, इन विधायकों ने धीरे धीरे सदन का रूख किया। फिर भी जदयू विधायक दिलीप राय मतदान में शामिल नहीं हुए। राजद रणनीति सटीक थी। राजग के गायब विधायक प्रतीक्षा कर रहे थे कि उनके नहीं रहने से विधानसभा अध्यक्ष के विरूद्ध प्रस्ताव का क्या हश्र होता है। अगर ये तीन विधायक प्रस्ताव के विरूद्ध मतदान करते तो विश्वास मत में पड़े वोटों की संख्या 122 हो जाती। वैसी स्थिति में राजग के पांच विधायकों के अलावा इस पक्ष के दो-तीन विधायक पाला बदलते तो सरकार बहुमत हासिल नहीं कर सकती थी। जबकि राजद के इन विधायकों ने दल की रणनीति पर पानी फेर दिया।
"जब सही समय आएगा तब तेजस्वी आएगा"
बिहार विधानसभा में राजद नेता तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि "क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात की गारंटी दे सकते हैं, कि नीतीश कुमार फिर से पाला नहीं बदलेंगे." साथ ही राजद नेता तेजस्वी यादव ने आने वाले समय में मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद जताते हुए कहा कि "कोई आए न आए, जब समय आएगा तो तेजस्वी आएगा."
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