Greater Noida: नोएडा समेत दिल्ली एनसीआर के लोगों के लिए और अच्छी खबर है। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को यमुना एक्सप्रेसवे से जोड़ने के लिए बनने वाले इंटरचेंज का इंतजार अब खत्म हो गया है। मुख्य सचिव डीएस मिश्र इंटरचेंज का शिलान्यास 15 दिसंबर को करेंगे। इंटरचेंज का निर्माण कार्य 18 माह में पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है। इंटरचेंज के बनने से एक्सप्रेसवे के साथ यीडा सिटी के सेक्टर भी जुड़ जाएंगे।

परी चौक और कासना के पास जाम से मिली मुक्ति


बता दें कि ग्रेटर नोएडा से होकर गुजर रहे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का यमुना एक्सप्रेसवे से अभी तक कोई लिंक नहीं है। जिसकी वजह से वजह से ईस्टर्न पेरिफेरल पर आगरा से जाने वाले वाहन चालकों को 15 से 20 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। वहीं, परी चौक व कासना के पास जाम से जूझना पड़ता है।

जगनपुर गांव के पास बनेगा इंटरचेंज


वाहन चालकों की परेशानी को देखते हुए दोनों एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए दनकौर क्षेत्र के जगनपुर गांव के पास इंटरचेंज बनाने का निर्णय लिया गया है। लेकिन प्रभावित किसानों के कोर्ट चले जाने से यह परियोजना पिछले कई सालों से अटकी पड़ी थी। अब प्रभावित किसानों को 64. 7 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा दिए जाने के बाद अब इंटरचेंज के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। इसके निर्माण में 122 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पहले इसकी लागत 75 करोड़ रुपये थी। बढ़ी हुई 47 करोड़ रुपये की रकम को एनएचआई ने मंजूरी प्रदान कर दी है। इंटरचेंज के निर्माण के लिए 2018 में ही कंपनी का चयन कर लिया गया था।

कई राज्यों के वाहन चालकों को मिलेगा फायदा


अब इंटरचेंज की डिजाइन में परिवर्तन किया गया है। इंटरजेंच के उतार और चढ़ाव 30 और 60 मीटर चौड़ी सर्विस रोड से जुड़ेंगे। इस पर 59 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च होंगे। इस खर्च को प्राधिकरण उठाएगा। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे हरियाणा के सोनीपत से पलवल तक बना है। यह बागपत, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा और हरियाणा में फरीदाबाद से होकर गुजरता है। इंटरचेंज के बन जाने से आगरा की तरफ से आने वाले लोग बागपत, गाजियाबाद, सोनीपत व फरीदाबाद आसानी से पहुंच जाएंगे।

15 दिसंबर को मुख्य सचिव करेंगे शिलान्यास


यमुना प्राधिकरण सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि ईस्टर्न पेरिफेरल व यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए जगनपुर के पास बनने वाले इंटरचेंज का शिलान्यास 15 दिसंबर को मुख्य सचिव करेंगे। इसके निर्माण का लक्ष्य 18 माह रखा गया है। लेकिन प्रयास होगा कि एक साल में बनकर तैयार हो जाए।