क्या है मामला ?
नोएडा में एक लड़की अपनी मां से इस कदर नाराज हुई की उसकी मां अब कभी चाह कर भी उसको नहीं मना सकती है. दरअसल मां ने लड़की को सुबह चाय के साथ खाने के लिए टोस्ट दिए थे, लड़की टोस्ट को कम बताते हुए और टोस्ट मांगी. जबाब में मां ने लड़की को कहा कि इतना ही टोस्ट है चुप-चाप चाय पी लो. इससे नाराज पूजा ने चाय पीने से इन्कार कर दिया और मां के इस बात को लड़की ने अपने दिल पर ले लिया. मां की बात से लड़की इतनी नारज हो गई की उसने फांसी का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली. मृतका पूजा की उम्र 18 साल है और 12वीं की छात्रा है. मूल रुप से मृतक के माता-पिता मैनपुरी के रहने वाले हैं और वे परिवार के साथ भंगोल में रहने वाले हैं.
आत्महत्या के समय
जिस समय पूजा आत्महत्या को अपना रास्ता चुन रही थी उस समय उसके घर में कोइ् नहीं था. उसके पिता जी किसी कंपनी में सुपरवाजर के पद पर कर्यरत हैं और मां सिलाई का काम करती हैं। पिता अपने हर दिन कि तरह ऑफिस और मां सिलाई के लिए
काम पर चली गई थी और बहन नहाने चली गई थी. बहन ने जब उसे फंदे से लटका देखा तो इसकी सूचना परिजनों और पड़ोसियों को दी। फंदे से जब तक छात्रा को उतारा गया उसकी मौत हो चुकी थी। मौत की सूचना मिलते हीं पुलिस ने शव को हिरासत में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. जानकारी के मुताबिक पूजा मैनपुरी स्थित एक कॉलेज में इंटरमीडिएट की छात्रा थी। वह परीक्षा देने के लिए ही मैनपुरी जाती थी। बाकी समय पर नोएडा में रहकर ही पढ़ाई करती थी।
आजकल हर किसी का शेड्यूल काफी बीजी है. इस बीजी शेड्यूल के बीच कोई कुछ करें या ना करे, लेकिन फोन में समय बिताना नहीं छोड़ते. बच्चा हो या बड़ा मोबइल की लत कहीं ना कहीं दिमाग गहरा और बुरा असर डालती है. काफी लोगों में देखा जाता है कि, वो खुद बच्चे को खुश और बीजी रखने के लिए मोबइल पकड़ा देते हैं. अगर आप भी उन में से एक हैं, तो मोबाइल कि लत कितनी खतरनाक हो सकती है, ये जान लेना आपके लिए बेहद जरूरी है.
मां-बाप भी कर रहे बच्चे संग गलती
दरअसल बच्चे ही नहीं बड़ो में मोबाइल की लत लग जाती है. कई बार माता-पिता भी बिजी होने के कारण या बच्चे को खाना खिलाने के लिए मोबाइल का लालच देते हैं. यही लालच देखते ही देखते उनमें एडिक्शन बन जाता है. जिससे बच्चे के विकास पर बुरी प्रभाव पड़ सकता है और बच्चा जिद्दी हो जाता है. शारदा अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ निखिल नायर बताते कई स्टडी ये बताती है कि जो बच्चे कम उम्र में स्क्रीन के संपर्क में आ रहे हैं, और जो बच्चे मोबाइल उपकरणों पर ज्यादा समय बिताते हैं, उनमें डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसे व्यवहार संबंधी समस्याएं विकसित होने का खतरा अधिक होता है, जो काफी चिंताजनक है.
8 से 9 घंटे रोज चला रहे लोग मोबाइल
दिन में करीब 30 लोग ऐसे आते जिनमें 8 से 9 घंटे रोजाना फोन देखते है. स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम होने पर आंख पर जोर,गर्दन और कंधे में दर्द,सिर दर्द,आंखो में सूखापन, गर्दन और कंधे में दर्द जैसी समस्या सामने आ सकती है. सबसे बड़ा असर आंखो को फोकस पर पड़ता है क्योंकि इसके बाद आंखे दूसरी चीजों पर बेहतर तरीके से फोकस नहीं कर पाती हैं।यदि आप सोच रहे हैं कि बच्चे की फोन की लत कैसे रोकें, तो हम आपको उसके कुछ तरीके बताते है.
डॉ. निखिल नायर ने किया अलर्ट
डॉ निखिल नायर ने बताया कि स्मार्टफोन की लत का से बच्चे में अन्य गतिविधियों में भाग लेने की इच्छा या रुचि में कमी आने लगती है, जिससे उसका कई चीजों को सीख पाने का मौका भी खत्म हो सकता है। अपने मोबाइल उपकरणों से चिपके रहने वाले बच्चों के पास अपनी रुचियों को आगे बढ़ाने, बाहरी गतिविधियों में शामिल होने या सामाजिक समारोहों में मौज-मस्ती करने के लिए मुश्किल से ही समय होता है.
इन उपायों को अपनाने की सलाह
बच्चे को मोबाइल से बाहर निकालकर उनकी रुचि अन्य चीजों में पैदा कर सकते हैं. जैसे की पार्कों में जाएं, पैदल यात्रा करें, सैर पर जाएं और उन्हें बाकी दुनिया के साथ फिर से जुड़ने के लिए बढ़ावा दें. अकेलेपन से बचने के लिए लोग अपने स्मार्टफोन पर निर्भर हो जाते हैं.
बच्चे अक्सर हर जगह फोन लेकर ही जाते है चाहे वे बेड रूम हो, डाइनिंग रूम हो. आप कुछ जगहों को ऐसा विकसित कर सकते है जहां को भी डिजिटल उपकरण ले जाने की इजाजत न हो.खाने के समय या बेड रूम में बच्चों को फोन न ले जाने दें.
बच्चे के फोन का लत को छुड़ाने के लिए आपको भी खुद पर थोड़ा कंट्रोल करना पड़ेगा. आपको यदि अपने बच्चे के फोन को सीमित करना है तो खुद के फोन चलाने का समय भी निर्धारित करना पड़ेगा। क्योंकि बच्चा जो देखता है वही सीखता.
Noida: प्राइवेट स्कूलों की बढ़ती फीस को लेकर अभिभावकों ने मोर्चा खोल दिया है। प्राइवेट स्कूलों की रोकने के लिए ऑल नोएडा स्कूल्स पैरेंट्स एसोसिएशन ने अभियान शुरू करेगा। शहर के अलग-अलग स्कूलों के दो हजार से ज्यादा अभिभावकों से गूगल फॉर्म के जरिए सर्वे कराएगा। इस सर्वे रिपोर्ट को सीएम योगी को सौंपा जाएगा।
अभिवावकों को गूगल फार्म में भरने होंगे 10 सवालों के जवाब
ऑल नोएडा स्कूल्स पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष यतेंद्र कसाना ने बताया कि अभियान के तहत गूगल फॉर्म के जरिए निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों से 10 सवाल पूछे जाएंगे। जिसमें स्कूल ने फीस बढ़ाई है या नहीं, अगर बढ़ाई है तो कितने फीसदी। पिछले वर्ष की तुलना में किताबों के दाम में कितना अंतर आया। स्कूल ने कोरोना काल में ली गई 15 प्रतिशत फीस लौटाई या नहीं। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट के नाम पर स्कूल कितना शुल्क ले रहे हैं। स्कूल बस छात्रों के लिए कितनी सुरक्षित है। इससे साफ हो जाएगा कि स्कूल कितनी मनमानी कर रहे हैं।
फीस और किताबों के नाम वसूली
कसाना ने बताया कि शिक्षा विभाग का दावा है कि कोरोना काल के दौरान ली गई फीस 100 से ज्यादा स्कूलों ने फीस लौटा दी है। लेकिन एसोसिएशन को सूची उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि जिले में करीब दो लाख से ज्यादा अभिभावक स्कूलों की मनमानी से परेशान हैं। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल फीस और किताबों के नाम पर उनसे मोटी रकम वसूल रहे हैं। जबकि शिक्षा विभाग शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रहा है।
बांदा की एक लड़की शहजादी को दुबई में फांसी की सजा सुनाई गई है. 20 सितंबर के बाद शहजादी को कभी भी फांसी दी जा सकती है. बेटी को फांसी मिलने की खबर से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया हैं. शहजादी के पिता ने पीएम मोदी से दिव्यांग बेटी को दुबई से वापस लाने की गुहार लगाई है.
इलाज के बहाने दुबई के दंपति से किया सौदा
दरअसल बांदा के मटौंध थाना क्षेत्र के गांव गोयरा मुगली की रहने वाली शहजादी सामाजिक संस्था रोटी बैंक में काम करती थी. फेसबुक के जरिए शहजादी की आगरा निवासी उजैर से संपर्क हुआ. उजैर के प्रेमजाल में शहजादी फंस गई. 8 साल की उम्र में खाना बनाते समय शहजादी का चेहरा जल गया था. उजैर ने शहजादी के चेहरा का इलाज कराने के बहाने उसे आगरा बुला लिया. यहां से इलाज करवाने के नाम पर उजैर ने दुबई में रहने वाले दंपति फैज और नादिया के हाथों शहजादी का सौदा कर दिया. दुबई में शहजादी को घरेलू नौकर की तरह काम करना पड़ता था. फैज और उसकी पत्नी शहजादी को टॉर्चर भी करते थे. इसी बीच फैज के बेटे की इंजेक्शन लगने के बाद मौत हो गई. जिसका इल्जाम शहजादी पर लगाकर उसे गिरफ्तार करवा दिया गया. दुबई की कोर्ट ने चार महीने पहले ही शहजादी को बच्चे की हत्या के जुर्म में मौत शहजादी को मौत की सजा सुनाई है.
4 महीने के बच्चे की मौत का लगाया गया इल्जाम
शहजादी के माता-पिता ने बांदा सीजेएम कोर्ट में उजैर और दुबई में रहने वाले दंपति के खिलाफ केस दर्ज करवाया है. परिजनों की गुहार पर बांदा सीजेएम भगवान दास गुप्ता ने आरोपी उजैर और दंपति फैज और नादिया के खिलाफ मानव तस्करी धोखाधड़ी के तहत गंभीर धाराओं में पुलिस को मुकदमा दर्ज कराया है. आरोपी आगरा निवासी उजैर और दुबई में रह रहे इस दंपति की गिरफ्तारी के आदेश भी दिए गए थे. जिस पर पुलिस इनकी गिरफ्तारी के प्रयास भी कर रही है. मामले को लेकर शहजादी के पिता ने बताया कि बेटी की दोस्ती उजैर नाम के आगरा के शख्स से फेसबुक पर हुई. उसने कहा कि मेरी बुआ-फूफा अबु धाबी में रहते हैं तो वहां चली जाए. उनके 4 महीने का बच्चे को इंजेक्शन लगा था. उसकी मां ऑफिस चली गई. पीछे से बच्चे की तबीयत खराब हो गई और मौत हो गई. उसी का आरोप मेरी बेटी पर लगाया गया है. बच्चे को बिना पोस्टमार्टम दफना दिया गया. मेरी बेटी से मारपीट करके दस्तखत करवाए गए कि मैंने ही बच्चे को मारा है.
20 सितंबर के बाद कभी भी हो सकती है फांसी
शहजादी के पिता ने कहा कि पीएम मोदी से गुहार लगाना चाहता हूं कि वहां बात करें और इस मामले की जांच करवाएं ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. क्या इस देश की बेटी को इंसाफ नहीं मिलेगा. क्या वो ऐसे ही मर जाएगी. जब से बेटी से बात हुई है जी नहीं पा रहे हैं. खाना भी नहीं खाया है. उसने फोन पर रोकर बोला है कि 20 सितंबर के बाद कभी भी फांसी हो सकती है. शहजादी की मां का भी रो-रोकर बुरा हाल है. बस यही कह रही है कि मेरी बेटी को बचाइये, वो बेकसूर है.
बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने बेबी गर्ल को जन्म दिया है। शनिवार को दीपिका को एचएन रिलायंस अस्पताल जाते देखा गया था। जिसके बाद अब उन्होंने बेबी गर्ल को जन्म दिया है, ये खबर सामने आई है। कपल अपने बच्चे के आने से बेहद खुश हैं।
नन्ही परी के आने के बेहद खुश हैं पेरेट्स
रणवीर सिंह और दीपिका नन्ही राजकुमारी के पेरेंट्स बन गए हैं। पैपराजी विरल भयानी ने एक पोस्ट के जरिए इस खबर की पुष्टि की है। रणवीर और दीपिका को बीती शाम मुंबई के एचएन रिलायंस अस्पताल में जाते हुए देखा गया था। तभी से ही दीपिका पादकोण की डिलीवरी को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, तो रविवार को रणवीर-दीपिका पेरेट्स बन गए हैं। वैसे आपको बता दें, रणवीर सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वो बेबी गर्ल चाहते हैं, अब उनकी मुराद पूरी हो गई है।
दीपिका पादुकोण लेंगी मैटरनिटी लीव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब मां बनने के बाद दीपिका पादुकोण अपने बच्चे संग टाइम बिताना चाहती हैं। जिसके लिए वो 5 महीने या इससे ज्यादा का ब्रेक ले सकती हैं। बताया जा रहा है कि दीपिका ने काफी पहले ही इस ब्रेक के लिए अप्लाई कर लिया था, मगर इस दौरान वर्क कमिटमेंट्स के चलते उन्होंने 'सिंघम अगेन' की शूटिंग पूरी की। वो मार्च 2025 तक ब्रेक पर रहेंगी।
अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आने के बाद चुनाव प्रचार में लगातार लगे हुए हैं। बीते अरविंद केजरीवाल के माता-पिता से पूछताछ का मामला सुर्खियो पर रहा, जिसपर सीएम केजरीवाल ने बीजेपी पर निशाना साधा है। साथ ही एक बातचीत के दौरान उन्होंने अन्ना हजारे का भी जिक्र किया।
BJP पर केजरीवाल का निशाना, बोले ‘इन लोगों ने सारी सीमाएं लांघ दी’
आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने अपने मां-पिता से पूछताछ के मामले में बीजेपी को निशाने पर लिया है। उन्होंने एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, ''मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे जेल जाना होगा। जेल तो छोटी बात है, मां-बाप को निशाना बनाया जाएगा ये भी नहीं सोचा। राजनीति में इनलोगों ने सारी सीमाएं लांघ दी है। मां-बाप और परिवार को नहीं घसीटा दिया जाना चाहिए।''आपको बता दें, स्वाति मालीवाल मामले में दिल्ली पुलिस सीएम केजरीवाल के माता-पिता का बयान दर्ज करना चाहती है। बीते दिन ये सुर्खियों में रहा था।
सीएम केजरीवाल को याद आई अन्ना हजारे की एक बात
एक इंटरव्यू के दौरान सीएम केजरीवाल ने कहा, ''मेरे ऊपर इतने कार्टून बनते हैं। मैंने किसी पर अगर व्यंग्य की तरह किसी पर कुछ कह दिया तो पर्सनली नहीं लेना चाहिए। मैंने व्यंग्य की तरह कहानी सुनाई है। जनतंत्र व्यापक चीज है।मेरा मकसद किसी से टकराने का नहीं है। राजनीति में हंसी-मजाक सहने की शक्ति होनी चाहिए। अन्ना जी कहते थे कि अपमान सहने की शक्ति होनी चाहिए। इसमें तो अपमान भी नहीं है। मुझे इतनी गालियां दी जाती है। अगर मैं बुरा मानने लगा तो जीना मुश्किल हो जाएगा।''
अब नाबालिग बच्चों की ख्वाहिश पूरी करना माता-पिता को महंगा पड़ सकता है। जी हां दरअसल गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट जल्द ही एक अभियान चलाने जा रही है। इसके तहत सड़कों पर फर्राटा भरते नाबालिग पर जुर्माना लगाने की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही अगर नाबालिग दो पहिया और चार पहिया वाहन चलाते हुए पकड़े गए, तो उनके अभिभावकों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा। साथ ही एक साल तक वाहन का रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया जाएगा।
25 हजार तक का लगाया जाएगा जुर्माना
पुलिस के मुताबिक 18 साल से कम आयु वाले बच्चों द्वारा वाहन चलाने पर सजा और जुर्माने के मुताबिक अभिभावक और वाहन स्वामी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 125 के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज हो सकता है। इसके अलावा 25,000 तक जुर्माना किया जाएगा। साथ ही 12 माह के लिए वाहन का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा। अपराध करने वाले बच्चे को 25 वर्ष की आयु तक लाइसेंस प्राप्त करने के लिए अपात्र घोषित किए जाने का भी प्रावधान है। यातायात पुलिस, कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर द्वारा अभियान चलाकर ऐसे वाहनों की चेकिंग की जाएगी तथा पकड़े जाने पर मोटरवाहन यान अधिनियम की धारा 199 (क) के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
बीती 5 जुलाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया था। ये सम्मान उनकी पत्नी स्मृति सिंह और मां मंजू देवी ने रिसीव किया था। पूरे देश की आंखे वो तस्वीर देखकर नम हो गईं थी। लेकिन अब शहीद के माता-पिता का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘मेरा बेटा शहीद हो गया पर सब कुछ बहू लेकर चली गई’
शहीद के माता-पिता का छलका दर्द
पिछले साल 19 जुलाई को साथियों को बचाते हुए कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए, जिसके बाद उन्हें मरणोपरांत राष्ट्रपति ने कीर्ति चक्र से सम्मानित किया था। लेकिन, अब शहीद के माता-पिता का बयान आया है, जिसमें उन्होंने अपने दुख को व्यक्त किया है। उनका कहना है कि मेरा बेटा शहीद हो गया पर सब कुछ बहू लेकर चली गई।
शहीद के माता-पिता ने मीडिया से बात करते हुए अपनी बहू स्मृति पर आरोप लगाया है। माता-पिता ने अपने बयान में कहा कि उनका बेटा शहीद हुआ लेकिन, उन्हें कुछ नहीं मिला। सम्मान और अनुग्रह राशि दोनों बहू लेकर चली गई। उनका बेटा भी चला गया और बहू भी चली गई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से की बात
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा कि वो NOK के निर्धारित मापदंड में बदलाव चाहते हैं। इसके लिए वह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी अवगत करा चुके हैं। उन्होंने बताया कि वो जब राहुल गांधी से मिले थे, तब उनसे भी बदलाव की अपनी इच्छा जाहिर की थी। पिता का कहना है कि 5 महीने पहले ही उनके बेटे की शादी हुई थी और उनके कोई बच्चा भी नहीं है पर अब मां-बाप के पास उनके बेटे की तस्वीर के सिवा कुछ भी नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सेना का नियम कहता हैं कि अगर सेवारत किसी व्यक्ति को कुछ हो जाता है तो अनुग्रह राशि NOK को दी जाती है। आसान शब्दों में यह किसी बैंक में नॉमिनी की तरह होता है। माता-पिता ने दावा किया कि उनकी बहू अब उन्हें छोड़ कर चली गई है और उन्होंने अपना एड्रेस भी चेंज करवा लिया है। पिता ने कहा कि भले ही कीर्ति चक्र लेते हुए उनकी पत्नी (शहीद अंशुमान की मां ) साथ में थी। पिता ने कहा हमारे साथ जो हुआ वह किसी के साथ ना हो। आपको बता दें, शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता के इन आरोपों पर अभी तक पत्नी स्मृति की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
पैसे बचाने के तरीके: चाहकर भी नहीं कर पाते हैं धन की बचत, तो ये टिप्स आपके काम की हैं
December 17, 2022