Greater Noida: ग्रेटर नोएडा से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। खबर है कि शारदा विश्वविद्यालय में चल रहे निर्माण कार्य के दौरान बड़ा हादसा हो गया है। जानकारी के मुताबिक इस हादसे में एक मजदूर की मौत हो गई है और दो मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने घायलों को बाहर निकाल कर नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया है। साथ ही मौके पर पहुंचे आला अधिकारी जांच में जुटे हुए हैं।
चल रहा था निर्माण कार्य:
बता दें शारदा यूनिवर्सिटी में सटरिंग का काम चल रहा है। जिसके चलते आधा दर्जन मजदूर सटरिंग पर चढ़कर काम कर रहे थे। अचानक कार्य के दौरान सटरिंग गिर गई। जिससे एक मजदूर की मौत हो गई और दो मजदूर गंभीर रूप से घायल हैं। मौके पर पहुंची पुलिस ने घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया है। मौके पर नॉलेज पार्क थाना पुलिस और बड़े अफसर मौजूद हैं। इस घटना के बाद निर्माणधीन साइट पर काम कर रहे मजदूरों के बीच हड़कंप मचा हुआ है।
Greater Noida: ग्रेनो के नॉलेज पार्क स्थित शारदा स्कूल ऑफ बिजनेस स्टेडीज ने काम का भविष्य बदलते परिदृश्यों को अपनाना के विषय पर एक एचआर कॉन्क्लेव आयोजन किया। इस दौरान केपीएमजी ग्रुप के सीनियर डायरेक्टर सुनील नायर,कोटक महिंद्रा बैंक के सीनियर प्रेसिडेंट राओसाहेब कांगने, सिपला ग्रुप की सीनियर डायरेक्टर कृति पंचोली,वीएलएलसी ग्रुप की एचआर हेड चंद्रिमा डे और विभिन्न कंपनियों के एमडी, सीईओ, वाइस प्रेसिडेंट,एचआर हेड ने अपने विचार रखे। सभी ने शारदा विश्वविद्यालय में छात्रों को दी जा रही शिक्षा की तारीफ करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों को भविष्य में कोई समस्या नहीं आएगी।
हाइब्रिड कार्य मॉडल को अपनाने में तेजी आई
कॉन्क्लेव में जगजीत इंडस्ट्रीज के सीपीओ चंदन काशीकर ने कहा कि एआई, मशीन लर्निंग और रोबोटिक्स जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियां नौकरी की भूमिकाओं को नया आकार दे रही हैं, स्वचालन के पूरक कौशल पर जोर दे रही हैं। महामारी ने दूरस्थ और हाइब्रिड कार्य मॉडल को अपनाने में तेजी ला दी है, जिससे कार्यालय-केंद्रित दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने को प्रेरित किया गया है। इन परिवर्तनों के बीच, कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता देना और समावेशी संस्कृतियों को बढ़ावा देना सर्वोपरि होता जा रहा है।
अनुकूलनशील नेता नई चुनौतियों का सामना कर सकता है
विश्वविद्यालय के कार्यवाहक वाइस चांसलर डॉ भुवनेश कुमार ने कहा कि इस तरह के कॉन्क्लेव का मकसद यही है कि छात्रों को कार्य के भविष्य की अवधारणा से परिचित कराना। उद्योग में चल रहे रुझानों और नवीन रणनीतियों को समझने में मदद करना। इस बदलाव से निपटने के लिए आवश्यक कौशल को समझने में मदद की जा सके। उन्होनें ने कहा कि परिवर्तन को संभालने में लचीलापन, कई मांगों को पूरा करने में सक्षम होना और नए विचारों या नवीन दृष्टिकोणों के साथ नई स्थितियों को अपनाना। इसका मतलब है कि आप न केवल अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रह सकते हैं, बल्कि उन्हें हासिल करने के तरीके को भी आसानी से समायोजित कर सकते हैं। एक अनुकूलनशील नेता नई चुनौतियों का सामना कर सकता है जैसे ही वे उत्पन्न होती हैं और अचानक परिवर्तन से रुकता नहीं है, नेतृत्व द्वारा लायी जाने वाली अनिश्चितता के साथ सहज रहता है।
अवसरों का लाभ उठाएं
शारदा स्कूल ऑफ बिजनेस स्टेडीज के डीन, डॉ. कपिल पंडला ने संस्थान की शैक्षणिक उत्कृष्टता, नवाचार, और उद्यमिता के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर बल दिया। शारदा स्कूल ऑफ़ बिज़नेस स्टडीज़, शैक्षिक उत्कृष्टता के एक ऐसे प्रकाश स्तम्भ के रूप में स्थित है जो अगली पीढ़ी के दूरदर्शी नेताओं को पोषित करता है। नवाचार, सत्यनिष्ठा, और शैक्षिक दृढ़ता के प्रति एक समर्पित संकल्प साध कर, एस.एस.बी.एस. अपने छात्रों को एक परिवर्तनशील शैक्षिक वातावरण प्रदान करता है। उत्कृष्ट पाठ्यक्रम, विशेषज्ञ शिक्षक समूह, और औद्योगिक साझेदारियों के माध्यम से,अपने छात्रों को चुनौतियों को ग्रहण करने, अवसरों का लाभ उठाने, और विश्व में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु सशक्त करता है। शैक्षिक विभाग की प्रतिष्ठा और भविष्य के प्रति एक दृष्टिकोण के साथ, शारदा स्कूल ऑफ़ बिज़नेस स्टडीज़, भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं को आज आकार दे रहा है।
Greater Noida: भारत का ज्योतिष विज्ञान दुनिया के किसी देश की तकनीक से आगे है। ये सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की सटीक जानकारी देते है और अपनी जंत्री में लिख देते हैं। विकसित देश की तकनीक पूर्वानुमान को कई बार बदलना पड़ जाता है। यह बात ग्रेनो के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज ने आयोजित मंथन भारतीय ज्ञान प्रणाली पर संवाद के दौरान इंद्रेश कुमार प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) ने कही।
भारतीय ज्ञान प्रणालियों में जीवन दर्शन भी शामिल
कार्यक्रम के दौरान आरएसएस के प्रचारक इंद्रेश कुमार कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणालियों में ज्ञान, विज्ञान और जीवन दर्शन शामिल हैं जो अनुभव, अवलोकन, प्रयोग और कठोर विश्लेषण से विकसित हुए हैं। मान्य करने और व्यवहार में लाने की इस परंपरा ने हमारी शिक्षा, कला, प्रशासन, कानून, न्याय, स्वास्थ्य, विनिर्माण और वाणिज्य को प्रभावित किया है। हाल के वर्षों में, भारतीय ज्ञान प्रणाली की अवधारणा ने गति प्राप्त की है, जिसका उद्देश्य भारत की प्राचीन परंपराओं और ज्ञान को पुनर्जीवित करना है।
भारतीय ज्ञान प्रणाली सभी गुण मौजूद
इंद्रेश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत, भारत भारतीय ज्ञान परंपराओं के आधार पर अपनी शिक्षा प्रणाली के पुनर्गठन के लिए एक परिवर्तनकारी यात्रा की शुरुआत कर रहा है। इसमें आदिवासी ज्ञान और सीखने के स्वदेशी और पारंपरिक तरीके शामिल होंगे और इसमें गणित, खगोल विज्ञान, दर्शन, योग, वास्तुकला, चिकित्सा, कृषि, इंजीनियरिंग, भाषा विज्ञान, साहित्य, खेल, साथ ही शासन, राजनीति और संरक्षण शामिल होंगे। भारतीय ज्ञान प्रणाली छात्रों को जोखिम लेने और नवाचार को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके उद्यमशीलता की मानसिकता पैदा करती है । यह दृष्टिकोण उद्यमशीलता की भावना पैदा करता है, छात्रों को नौकरी चाहने वालों के बजाय निर्माता बनने के लिए प्रेरित करता है।
ज्ञान से चरित्र निर्माण होता है चरित्र का निर्माण
शारदा विश्वविद्यालय चांसलर पीके गुप्ता ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली का उद्देश्य समसामयिक सामाजिक मुद्दों को हल करने के लिए आगे के शोध का समर्थन और सुविधा प्रदान करना है , वैदिक साहित्य, वेदों और उपनिषदों पर आधारित है। मौजूदा आईकेएस पाठ्यक्रमों को डिजिटल शिक्षण प्लेटफार्मों के साथ समन्वयित किया जा रहा है। ज्ञान से चरित्र निर्माण व बोध होता है । ज्ञान धन की तरह है, जितना एक मनुष्य को प्राप्त होता है , वह उतना ही ज्यादा पाने की इच्छा रखता है । एक बार प्राप्त किया गया ज्ञान सतत प्रयोग किया जाने वाला बन जाता है । प्राचीन भारत में शिक्षा एक आजीवन प्रक्रिया थी। ज्ञान को मनुष्य की सर्वोत्तम आंख माना जाता था । प्राचीन भारतीय परंपरा पेशे को समृद्ध करने और पूरे समुदाय को रोशन और शिक्षित करने के लिए मनुष्य में भावना को सक्रिय करने पर बहुत महत्व देती है।
कार्यक्रम में ये रहे मौजूद
इस दौरान शारदा विश्वविद्यालय प्रो चांसलर वाईके गुप्ता, वाइस चांसलर डॉ सिबाराम खारा, प्रो वाइस चांसलर परमानंद, डायरेक्टर पीआर डॉ अजीत कुमार, रजिस्ट्रार विवेक गुप्ता, डीन डॉ अनविति गुप्ता समेत विभिन्न विभागों डीन और एचओडी मौजूद रहे।
Greater Noida: नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय में बड़ी धूमधाम से महिला दिवस को सेलीब्रेट किया गया। इस दौरान अलग-अलग प्रतियोगिता जैसे म्यूजिकल चेयर, सोलो डांस , ग्रुप डांस, सिंगिंग और रेस का आयोजन किया गया। महिला दिवस के मौके पर छात्राओं और महिला स्टाफ ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
चांसलर ने दी शुभकामनाएं
विश्वविद्यालय के चांसलर पीके गुप्ता ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि महिला दिवस समाज में महिलाओं के योगदान उपलब्धियों का मान्यता देने के अवसर के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इसका असली सार प्रतिदिन महिलाओं के योगदान को स्वीकार करने में निहित है। सामाजिक प्रगति में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया और राष्ट्रीय विकास की आधारशिला के रूप में महिलाओं के सशक्तिकरण को महत्वपूर्ण बताया।
''महिला और पुरुषों में मतभेद नहीं''
डायरेक्टर पीआर ने कहा कि हमें महिला और पुरुषों के मतभेद नहीं करना चाहिए, क्योंकि हम सब इंसान हैं और हमें इंसान बनने की ज़रूरत है। महिलाओं की शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि पुरुष शिक्षित होता है तो सिर्फ एक पीढ़ी को शिक्षित कर सकता है लेकिन एक महिला शिक्षित होती है तो वो कई पीढ़ियों को शिक्षित कर देती है। महिलाओं को पुरुषों की सहानुभूति नहीं बल्कि संवेदनाएं चाहिए।
उत्तर प्रदेश की शारदा विश्वविद्यालय ने यूपी का नाम गर्व से उंचा कर दिया है. यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई में एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के सहयोग से आयोजित इंटरनेशनल स्टूडेंट रिसर्च कन्वेंशन प्रतियोगिता अन्वेषण में विभिन्न वर्ग में दूसरे और तीसरे पुरस्कार को अपने नाम किया है. जिसके बाद शारदा विश्वविद्यालय प्रदेश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय बन गया है, जिसने यह कारनामा कर दिखाया है.
इन प्रतियोगिता में हासिल की जीत
विश्वविद्यालय के एसोसिएट डीन रिसर्च डॉ मोहित साहिनी ने बताया कि प्रतियोगिता में 5 जोन से 90 टीमों ने भाग लिया था. एक जोन से 18 टीमों को शामिल किया गया. यह 3 स्तरीय प्रतियोगिता है. पहला चरण में विश्वविद्यालय को स्वयं एक प्रतियोगिता आयोजित की गई. कृषि विज्ञान, बुनियादी विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य विज्ञान, सामाजिक विज्ञान समेत 6 श्रेणियों में बांटा गया. फिर जोनल स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित की गई और पूरे जोनल प्रतियोगिता का विजेता अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध सम्मेलन में शामिल किया.
डॉ मोहित ने आगे बताया कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन मुंबई विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया. 2 श्रेणियों में शारदा विश्वविद्यालय की टीमों ने पुरस्कार जीता. कृषि विज्ञान में विश्वविद्यालय की टीम ने तीसरा पुरस्कार 25,000 रुपये और इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में विश्वविद्यालय की टीम ने दूसरा पुरस्कार 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार अपने नाम किया है.
Greater Noida: ग्रेनो के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय में पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गई. इसमें लगभग पांच सौ पुस्तक प्रदर्शित की गई. इस पुस्तक प्रदर्शनी का उद्देश्य इंटरनेट मीडिया के दौर में किताबों से दूर होते युवाओं को साहित्य और किताबों से जोड़ना है. इसलिए इसमें केवल साहित्य से जुड़ी किताबें ही नहीं, बल्कि विभिन्न विषयों की किताबें भी शामिल की गई.
पुस्तक प्रदर्शनी आयोजित
डॉ अजीत कुमार ने आगे कहा कि पुस्तक हमारे जीवन की श्रेष्टतम मित्र होती है. पुस्तक हमें संसार से परिचय करवाने का श्रेष्ठतम माध्यम है. जीवन का अपार ज्ञान भी इन पुस्तकों के माध्सम से ही हमें प्राप्त होता है. उन्होंने बच्चों से अधिक से अधिक पुस्तक पढ़ने का आह्वान किया. इस दौरान आर्किटेक्चर विभाग की डीन दीप्ति पराशर, डायरेक्टर डॉ आरसी सिंह, लाइब्रेरियन डॉ शशांक साहू,राकेश श्रीवास्तव, डॉ पूनम समेत विभिन्न विभाग के एचओडी और प्रोफेसर मौजूद रहे.
500 पुस्तक हुई प्रदर्शित
इस दौरान विश्वविद्यालय के डायरेक्टर पीआर डॉ अजीत कुमार ने बताया कि एक जमाना था जब न तो डिजिटल मीडिया का शोर हुआ करता था और न इंटरनेट फ्रेंडली लोग थे. उस दौर में पत्र-पत्रिकाओं और किताबों का विशेष महत्व होता था. अब रीडिंग टेबल पर किताबों और उपन्यासों की जगह लैपटॉप और आईपैड ने ले ली है. एक जमाने में हाथ में किताब होना आपके व्यक्तित्व को निखारता था. अब हर हाथ में मोबाइल से किताबों का महत्व भी कम होता जा रहा है. यही वजह है कि साहित्य मेले अब सिमटते जा रहे हैं और साहित्यिक पुस्तकें ढलान की ओर बढ़ रही हैं, क्योंकि अब इंटरनेट पर ही सारी किताबें पढ़ने को मिल जाती है.
Greater Noida: ग्रेनो के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय में सर्वोत्तम व्यक्तिगत और पेशेवर बनाना के विषय पर सेमिनार आयोजन किया गया. इस दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर नेपाल निगम के अध्यक्ष अनिल केशरी शाह, डीन डॉ कपिल पांडला, प्रोफेसर डॉ हरिशंकर श्याम और डॉ अशोक दरियानी मौजूर रहे, जिन्होंने दीप जलाकर इस सेमिनार का शुभारंभ किया. साथ ही कहा कि काम वही करना चाहिए, जिसमें आपको खुशी मिलती हो.
अपने मन का काम करना चाहिए
सेमिनार के दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर आए नेपाल निगम के अध्यक्ष अनिल केशरी शाह ने कहा कि काम वही करो जिसमें आपको खुशी मिलती हो और ऐसा करने से सफलता आपके कदम चूमेगी. परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना, धार्मिक या आध्यात्मिक गतिविधि, पोषण, व्यायाम सहित आत्म-देखभाल और एक सहायक जीवनसाथी या साथी काम और जीवन को संतुलित करने में महत्वपूर्ण कारक है. यदि आप अपने व्यक्तिगत और कार्य जीवन में संतुलन हासिल करना चाहते हैं, तो आपको इसे अपनी ऊर्जा से साबित करना होगा. इस समस्या का एक अजीब समाधान हो सकता है. संक्षेप में काम के बारे में कम चिंता करने की कोशिश करें.
शाह ने आगे कहा कि व्यावसायिकता में विश्वसनीय होना, अपने स्वयं के उच्च मानक स्थापित करना और यह दिखाना शामिल है कि आप अपनी नौकरी के हर पहलू की परवाह करते हैं. यह मेहनती और संगठित होने और अपने विचारों, शब्दों और कार्यों के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराने के बारे में है. यदि आप अपने जीवन और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए उत्सुक हैं, तो उन रणनीतियों, मानसिकताओं और आदतों को जानना महत्वपूर्ण है, जो आपके सपनों के जीवन को वास्तविकता बनाने का मार्ग प्रशस्त करती हैं. लेकिन यह कहना जितना आसान है, करना उतना आसान नहीं है.
उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत विकास हासिल करने की इच्छा हर साल बढ़ती जा रही है, जिसका अर्थ है कि सफलता हासिल करने के लिए रणनीतियों, युक्तियों, तकनीकों, सूत्रों और तरीकों की विशाल संख्या भी बढ़ रही है. अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक के बाद एक तरीकों का पालन करते समय अभिभूत होने की स्थायी स्थिति में आना आसान है. कुछ लोग तो इसलिए भी हार मान लेते हैं क्योंकि यह बहुत ज्यादा हो जाता है.
संयोग से नहीं मिलती सफलता
वहीं, इस दौरान विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडीज के डीन कपिल पांडला ने कहा कि सफलता संयोग से नहीं मिलती. यह पसंद से होता है. अभिभूत होने के चल रहे खतरे से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका बाहरी सफलता के सूत्रों को अलग रखना और व्यक्तिगत गुणों का निर्माण करना शुरू करना है, जो आपको अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने में मदद करते हैं, चाहे चीजें कितनी भी भ्रमित और अराजक क्यों न हों. यहां सबसे शक्तिशाली गुण हैं, जिन्हें आपको अपने जीवन और कार्य में सफलता प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए विकसित करना चाहिए. जब सफलता प्राप्त करने की बात आती है, तो साहस शायद सभी गुणों में सबसे महत्वपूर्ण गुण है.
उन्होंने कहा कि यह एकमात्र ऐसा तरीका है, जिसका उपयोग आप डर पर काबू पाने के लिए कर सकते हैं. जब आप अपने लक्ष्यों और सपनों का पीछा करते हैं तो डर महसूस होना सामान्य और स्वाभाविक है. हो सकता है कि आप विफलता का डर, दूसरों द्वारा उपहास किए जाने का डर, वित्तीय बर्बादी का डर आदि का अनुभव कर रहे हों, लेकिन अगर आप इन डर को यह तय करने देते हैं कि आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं, तो आप इससे बाहर निकलना भी नहीं चाहेंगे.
ग्रेनो के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ एवं ऑर्बिट लॉ सेवा के सहयोग से 8वीं आनंद स्वरूप गुप्ता मेमोरियल इंटरनेशनल मूट कोर्ट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से 32 टीमों ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति जकी उल्लाह खान, सेवानिवृत्त न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, इश्तियाक अली, संस्थापक और प्रबंध भागीदार, ऑर्बिट लॉ सर्विसेज डॉ. वी.के.आहूजा, निदेशक, आईएलआई रहे।
लॉ कॉलेज देहरादून की टीम बनी विजेता
लॉ कॉलेज देहरादून की टीम विजेता और राम मनोहर लॉ यूनिवर्सिटी की टीम दूसरे स्थान पर रही। शारदा स्कूल ऑफ लॉ ने विजेता टीम को 50000 हजार रुपए एवं उपविजेता टीम को 25000 हजार रुपए की पुरस्कार राशि प्रदान की गई।
सभी अतिथियों ने अपने अनुभव छात्रों के साथ साझा किए
विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ की डीन कोमल विज ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। यह प्रतियोगिता लगातार तीन दिन तक भिन्न-भिन्न चरणों में चली और सभी प्रतिभागियों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। सभी सम्मानित जजों को विश्वविद्यालय के विधि विभाग ने शॉल और पौधा देकर सम्मानित किया। सभी अतिथियों ने अपने-अपने अनुभव भी छात्रों के साथ साझा किए। सभी ने विजेता टीम को बधाई दी। प्रतियोगिता के अंत में विधि विभाग के प्रोफेसर डॉ. भूपेंद्र सिंह ने सभी का धन्यवाद किया और प्रतियोगिता को सफल बनाने के लिये सभी को शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रोफेसर और छात्र
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रो. चांसलर वाईके गुप्ता, वाइस चांसलर डॉ सिबाराम खारा, प्रो. वाइस चांसलर परमानंद , डायरेक्टर पीआर डॉ. अजीत कुमार और ज्ञान और विधि विभाग के प्रोफेसर व सभी छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।
शारदा विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा में आज भारतीय संस्कृति वैश्विक केंद्र का शुभारंभ किया गया। इस केंद्र को स्थापित करने का उद्देश्य भारतीय संस्कृति से जुड़े ज्ञान को एकत्रित करने के लिए वैश्विक मंच बनाना है। इस समारोह का शुभारंभ में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव सेवानिवृत्त आईएएस दीपक सिंघल, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांसड स्टडीस के पूर्व चेयरमैन पद्म भूषण प्रो. कपिल कपूर, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब, बठिंडा के चांसलर प्रो. जगबीर सिंह,नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीस, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेस की चेयरपर्सन प्रो. हीरामन तिवारी, शारदा विश्वविद्यालय के प्रो. चांसलर वाई के गुप्ता, शारदा विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. सिबाराम खारा द्वारा किया गया।
विरासत पर गर्व करना जरूरी- पद्म भूषण प्रो. कपिल कपूर
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांसड स्टडीस के पूर्व चेयरमैन पद्म भूषण प्रो. कपिल कपूर ने कहा 'कि विरासत पर गर्व करना जरूरी है। नई शिक्षा नीति के अनुसार भी यहीं है की अपनी भाषाओं में पढ़ाना है। लेकिन समयस्या यह है कि हम देश विदेश का पढ़ाते है और अपने बारे में अपनी संस्कृति के बारे में नहीं पढ़ाते है। हमे अपना ज्ञान हमारे बच्चों तक पहुंचाना है। केवल नीति बनाकर भूल जाते है और यही होता आ रहा है लेकिन अब इस पर कार्य करने का समय आ गया है। ज्ञान वापस आता है लेकिन कभी नहीं मिटता है। अपनी मानसिकता को बदलने के लिए हमें अपनी धरोहर को संरक्षित करना चाहिए।'
"हर स्कूल एवं विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी है भारतीय संस्कृति का ध्यान रखना"
इस दौरान शारदा विश्वविद्यालय के प्रो.चांसलर वाई के गुप्ता ने संबोधित करते हुए कहा 'कि आज का दिन समस्त शारदा ग्रुप के लिए बेहद गर्व की बात है, कि हम इस अहम कार्य के शुरूवात शारदा से की जा रही है। यह केंद्र सबसे पहले शारदा विश्वविद्यालय में शुरू किया गया। समाज के हर स्कूल एवं विश्वविद्यालय की यह जिम्मेदारी बनती है कि भारतीय संस्कृति पर खास ध्यान दिया जाये और अच्छे छात्रों को इसके प्रति जागरूक किया जाए। '
इसे दुनिया के सबसे अच्छे र्स्टाटअप के रूप में लिया जा सकता
उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव सेवानिवृत्त आईएएस दीपक सिंघल ने कहा 'कि भारतीय संस्कृति वैश्विक केंद्र तभी सफल होगा जब केवल भाषण नहीं दिए जाऐगा बल्कि इस पर असल में परिणाम हेतु कार्य किया जाएगा। इस को दुनिया के सबसे अच्छे र्स्टाटअप के रूप में लिया जा सकता है। शारदा विश्वविद्यालय ने इस क्षेत्र में योगदान देकर बहुत बड़ा कार्य किया है। '
कार्यक्रम में मौजूद रहे डीन और छात्र
इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार विवेक गुप्ता, निदेशक पीआर डॉ. अजीत कुमार, डीन डॉ. अन्वीति गुप्ता सहित सभी स्कूलों के डीन एंव शिक्षक भी मौजूदा रहे।
ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय में सोमवार को योगोत्सव का आयोजन मोरार जी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा और आयुष मंत्रालय के सौजन्य से किया गया। शारदा स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज के निर्देशन में योगोत्सव संपन्न हुआ। इसमें 1500 से अधिक छात्र और फैकल्टी ने योग के विभिन्न आसन किए। विदेशी छात्रों ने इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
चेयर योग सेशन का भी आयोजन किया गया
वहीं विश्वविद्यालय के प्रो. चांसलर वाईके गुप्ता ने कहा 'कि अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर अभ्यास किए जाने वाले कॉमन योग प्रोटोकॉल का अभ्यास कराया गया। इस प्रोटोकॉल के अभ्यास के अतिरिक्त योग सम्बन्धित अन्य गतिविधियों विश्वविद्यालय में संचालित की जाएंगी। इन गतिविधियों में प्रमुख रूप से योग व्याख्यान, विविध योग क्रियाओं का प्रदर्शन एवं चेयर योग सेशन का भी आयोजन किया गया। योग के माध्यम से लोगों के बीच वैश्विक समन्वय को मजबूत करना है। योगाभ्यास के माध्यम से लोगों को शारीरिक और मानसिक रोगों और उनके समाधान के बारे में जागरूक करना है।'
"अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से लोगों को जोड़ना है"
इस दौरान विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. सिबाराम खारा ने कहा 'कि लोगों को योग के अद्भुत स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताना योग के माध्यम से लोगों के अच्छे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना।अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से लोगों को जोड़ना है ,साथ ही योगाभ्यास द्वारा लोगों को प्रकृति से जोड़ना है।लोगों को योग के माध्यम से मध्यस्थता की आदत डालना है। योग के समग्र लाभों की ओर दुनिया भर के लोगों का ध्यान आकर्षित करना है। इसके अलावा व्यस्त कार्यक्रम से स्वास्थ्य के लिए एक दिन बिताने के लिए समुदायों को एक साथ लाना है।'
योगोत्सव में मौजूद रहे फैकल्टी सदस्य
इस दौरान प्रो. वाइस चांसलर डॉ. परमानंद, डीन रिसर्च डॉ. भुवनेश कुमार, डॉ. अन्विति गुप्ता, डॉ. मोहित साहनी, डायरेक्टर पीआर डॉ. अजीत कुमार, डॉ. कपिल पांडला आदि लोग मौजूद रहे।
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