अगर आपको कोई शख्स रोजमर्रा के दिनों में गाली दे तो जाहिर सी बात है आप भड़क उठेंगे। वहीं अगर कोई आपको किसी त्योहार पर गाली दे तो शायद आप उसकी पिटाई ही कर दें मगर एक जगह ऐसी भी है जहां त्योहार पर गाली देने का रिवाज है। जी हां पीलीभीत के शेरपुर गांव में होली के दिन हिन्दू अपने मुस्लिम भाईयों को रंग लगाने के बाद गाली देते हैं, लेकिन मुसलमान इससे नाराज नहीं होते हैं, बल्कि उल्टा हंस कर होली की बधाई देते हैं। वहीं मुसलमानों को रंग लगाने और गाली देने के बाद हिंदुओं को बदले में नजराना भी मिलता है।
पीढ़ियां बदल गईं, लेकिन रिवाज आज भी कायम
पूरनपुर तहसील की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत का रुतबा रखने वाला ये शेरपुर गांव नवाबों का रहा है, जिसे नवाबों का गांव भी कहा जाता है जो कि कस्बा पूरनपुर से सटा है। यहां के बुजुर्गों का कहना है "कि होली का ये रिवाज नवाबी दौर से ही चला आ रहा है। पीढ़ियां बदल गईं, लेकिन रिवाज आज भी कायम है।" गांव की आबादी करीब 45 हजार के आसपास है। इनमें लगभग दो हजार ही हिंदू हैं। खास-बात ये है कि इस गांव मे कभी भी सांप्रदायिक तनाव की समस्या नहीं आती है और होली पर हिंदू समुदाय के लोग हुड़दंग करते हैं, लेकिन कोई इसका बुरा नहीं मानता।
कैसे होती है होली की शुरूआत?
होली त्योहार में इस गांव का ये रिवाज बिल्कुल हटकर है। होली के दिन रंग-गुलाल से सराबोर हुरियारों की टोलियां गांव की गलियों में निकल पड़ती हैं। धमाल करते हुए टोलियां नवाब साहब की कोठी के सामने पहुंच जाती है। इसके बाद तो होली के गीतों के बीच ही गालियों की बौछार होने लगती है। इसी दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग सामने आ जाते हैं तो गालियों का क्रम और तेज हो जाता है। ऐसे में हिंदू भाइयों की गालियों पर कोई मुसलमान नाराज नहीं होता, बल्कि हंसते हुए हुरियारों को बतौर नजराना कुछ रुपए देकर उन्हें विदा करते हैं। ये कार्यक्रम कई घंटों तक चलता है। हुरियारे मुस्लिम परिवारों के घरों के बाहर यही सब दोहराते हुए फगुआ वसूलने के बाद ही वहां से हटते हैं। मुस्लिम बाहुल आबादी वाले इस गांव में सैकड़ों हिंदू परिवार भी रहते हैं। जब होली आती है तो हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम भी उत्साहित हो जाते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग होलिका की तैयारी में सहयोग से कभी पीछे नहीं हटते।
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