भारत जैसे- जैसे अपने दुश्मनों को धूल चटा रहा है। वैसे ही दुश्मन भी हर समय भारत की ओर नजरें गड़ाए बैठे हैं और अपनी नापाक साजिशों को अंजाम देने का मौका ढूंढ रहे हैं वहीं दूसरे ओर भारत ने रक्षा के क्षेत्र में एक और कीर्तिमान खड़ा कर दिया है। जी हां भारत ने अग्नि 5 मिसाइल का अब से कुछ देर पहले परीक्षण मिशन दिव्यास्त्र के तहत मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक से किया जा चुका है। इस बात की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट के जरिए दी है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन दिव्यास्त्र के लिए DRDO को बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर गर्व है। 2022 में भी भारत की सबसे ताकतवर मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था। तब इसने टारगेट को 5500 किलोमीटर दूर जाकर ध्वस्त कर दिया था। आपको बता दें कि इसका परीक्षण भारत के ओडिशा में एपीजे अब्दुल कमाल द्वीप पर किया गया और इसीलिए इस द्वीप के करीब 3500 किलोमीटर एरिया को नो फ्लाइंग जोन घोषित कर दिया गया है। साथ ही भारत 11 मार्च से लेकर 16 मार्च तक कभी भी अग्नि सीरीज की लंबी दूरी की मिसाइल और के 4 मिसाइलों का परीक्षण कर सकता है। उन्हीं में से एक है अग्नि 5 मिसाइल ।
कई विशेषताओं से लैस है अग्नि 5 मिसाइल
आपको बता दें कि एमआईआरवी टेक्नोलॉजी के तहत किसी मिसाइल में एक ही बार में कई परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता होती है और इन हथियारों से अलग-अलग लक्ष्यों को भेदा जा सकता है। इसकी एक अन्य विशेषता यह है कि इसे सड़क के रास्ते कहीं भी ले जाया जा सकता है। इससे पहले की अग्नि मिसाइलों में यह सुविधा नहीं थी। मिशन दिव्यास्त्र के परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है,जिनके पास एमआईआरवी क्षमता है। जो कि यह तय करता है कि एक ही मिसाइल विभिन्न जगहों पर कई आयुध तैनात कर सके। यह हथियार प्रणाली स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम और सटीकता वाले सेंसर पैकेज से लैस है। अग्नि 5 मिसाइल पलक झपकते ही दुश्मन के लिए काल बन सकती हैं। सूत्रों की मानें तो इस प्रोजेक्ट की डायरेक्टर एक महिला हैं।
चीन बंगाल की खाड़ी से कर रहा जासूसी
चीन ने इन मिसाइलों की जासूसी के लिए बंगाल की खाड़ी में अपना जासूसी जहाज शियांग यांग होंग 01 को भेज दिया है, जो बंगाल की खाड़ी और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के बीच में खड़ा है तो उसका दूसरा जासूसी जहाज शियांग यांग होंग 03 पहले से ही हिंद महासागर में मालदीव्स के माले के पास खड़ा है। ये दोनों ही जासूसी जहाज अपनी जगह से कम से कम 750 किलोमीटर दूर तक की हरकतों पर नजर रखने में सक्षम हैं। चीन इन जासूसी जहाजों की मदद से हमारी ताकतवर मिसाइलों की जानकारी हासिल करने की साजिश रच रहा है। इन जासूसी जहाजों को चीन ने साल 2008 में लॉन्च किया था, जिन्हें वो अपना रिसर्च शिप कहता है। इनमें करीब 400 क्रू मेंबर्स हैं। इन जहाजों में ऐसे शक्तिशाली रडार और एंटीना लगे होते हैं, जिनसे वो किसी भी रॉकेट और मिसाइल को ट्रैक कर सकता है।
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