सरफराज खान ने राजकोट में अपने पहले टेस्ट मैच में ही आत्मविश्वास से भरे दो अर्धशतक जड़कर दिखा दिया कि वाकई में उन्होंने इस मुकाम को पाने के लिए जी-जान से कोशिश की है और आज उनके इस सफर में जितने भी लोगों ने निस्वार्थ रूप से साथ दिया उन सभी की मेहनत और सरफराज पर किया गया भरोसा रंग लाया है।

15 साल तक हर दिन 500 गेदों का किया सामना

कहा जाता है कि माता-पिता किसी भी बच्चे के पहले गुरू होते हैं। उसी तरह सरफराज खान ने भी पिता नौशाद खान के मार्गदर्शन में 15 साल तक प्रत्येक दिन 500 गेंदों का सामना किया। इस युवा क्रिकेटर को अपने पिता के ‘माचो क्रिकेट क्लब’ में कौशल निखारने और घरेलू क्रिकेट में वर्षों तक ढेरों रन बनाने के बाद पदार्पण का मौका मिला। सरफराज की कामयाबी में भारतीय स्पिनर कुलदीप यादव का भी अहम रोल रहा है। लॉकडाउन के दौरान सरफराज ने इस स्पिनर की गेंदों का भी काफी सामना किया था। विशेष रूप से कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान कड़ी मेहनत की। मुंबई के सरफराज की प्रगति को करीब से देखने वाले एक कोच ने कहा कि ‘मुंबई में ओवल, क्रॉस और आजाद मैदान पर प्रतिदिन ऑफ, लेग और बाएं हाथ के स्पिनरों की 500 गेंद खेलने से ऐसा संभव हो पाया.’

अपने कौशल को निखारने में की कड़ी मेहनत

कोच ने यह भी बताया ’कि कोविड लॉकडाउन के दौरान सरफराज ने कार से 1600 किमी की यात्रा की औऱ मुंबई से अमरोहा, मुरादाबाद, मेरठ, कानपुर, मथुरा, देहरादून की ऐसी जगहों पर खेला, जहां गेंद बहुत अधिक टर्न करती है, कुछ गेंदें काफी उछाल लेती हैं और कुछ नीची रहती हैं.’ स्पिनरों के खिलाफ आसानी से कदमों का इस्तेमाल करने वाले सरफराज ने अपने कौशल को निखारने के लिए कड़ी मेहनत की है. सरफराज को तैयार करने का श्रेय सिर्फ उनके पिता नौशाद खान को ही नहीं जाता है।

कोविड में किया नेट सत्र का आयोजन

भुवनेश्वर कुमार के कोच संजय रस्तोगी, मोहम्मद शमी के कोच बदरुद्दीन शेख, कुलदीप यादव के कोच कपिल देव पांडे, गौतम गंभीर के कोच संजय भारद्वाज और भारत-ए के कप्तान अभिमन्यु ईश्वरन के पिता आरपी ईश्वरन ने भी सरफराज को निखारने में कुछ ना कुछ योगदान दिया है। इन सभी ने स्पिनरों के खिलाफ कोविड लॉकडाउन के दौरान सरफराज ने नेट सत्र का आयोजन किया ।