बहराइच के 30 गांवों के लोग आतंक के साए में जीने को मजबूर हो गए हैं. दरअसल ये आतंक किसी इंसान का नहीं बल्कि भेड़ियों के झुंड ने मचा रखा है. भेड़ियों का झुंड आए दिन ग्रामीणों को अपना शिकार बना रहा है. पिछले करीब एक महीने में भेड़ियों के झुंड ने छह बच्चों और एक महिला की जान ले ली है. जबकि 35 लोगों को बुरी तरह घायल कर दिया है. जिनमें गांव के बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं.
मार्च से शुरू हुआ भेड़ियों के आतंक
बहराइच के महसी तहसील क्षेत्र में मार्च से भेड़ियों का आतंक शुरू हुआ था. 10 मार्च को मिश्रनपुरवा की 3 साल की बच्ची को भेड़िया उठा ले गया था. 13 दिन बाद 23 मार्च को नयापुरवा में डेढ़ साल के बच्चे को भेड़िए ने अपना शिकार बनाया. इसके बाद ये सिलसिला लगातार चलता है. अप्रैल महीने से लेकर जून के अंत तक भेड़ियों के हमले में 10 बच्चे और बुजुर्ग घायल हो गए. इसके बाद 17 जुलाई से अब तक एक महिला और छह बच्चों को भेड़ियों ने अपना शिकार बनाया. वन विभाग के पिंजरे में 3 अगस्त को एक भेड़िया कैद हुआ लेकिन उसकी मौत हो गई. इसके बाद 8 और 18 अगस्त को दो भेड़िये वन विभाग के पिंजरे में कैद हुए. जिन्हें लखनऊ के चिड़ियाघर में रखा गया हैं.
ऑपरेशन भेड़िया में लगाई गई कई टीमें
प्रभागीय वनधिकारी अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि भेड़ियों को ट्रैंकुलाइज करने की अनुमति मिल गई है. प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव संजय श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि कई जगहों पर ऑपरेशन भेड़िया के तहत टीमें लगाई गई हैं. डीएम मोनिका रानी ने बताया कि मृतकों के स्वजन को पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता के साथ प्रभावित गांवों में क्रिटिकल गैप फंड से 20 लाख रुपये से सोलर और हाईमास्ट लाइट लगवाने, घरों में दरवाजे लगवाने के लिए पांच लाख रुपये दिए गए हैं.
मुख्यमंत्री ने भी मामले की रिपोर्ट की तलब
सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की रिपोर्ट तलब की है. प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा ने बताया कि वन विभाग ने मुख्यमंत्री को भी बहराइच में लगाई गईं टीमों और अब तक के प्रयासों की जानकारी दी है. मुख्यमंत्री ने खूंखार भेड़ियों को पकड़ने और प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने का आदेश जारी कर दिया है. वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने बताया कि बहराइच में भेड़ियों के आए दिन हो रहे हमलों की घटनाओं से हम सभी लोग परेशान हैं. मुख्य वन संरक्षक रेणु सिंह को मौके पर भेजा गया है. अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे हर संभव प्रयास कर भेड़ियों को जल्द पकड़ने की कोशिश करें.
एक बार फिर केंद्र में मोदी जी की सत्ता का आगाज होने वाला है। मगर इस बार की सत्ता में वो बात नहीं है जो 2014 और 2019 में थी दरअसल तब बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला था। साथ ही बीजेपी को स्वतंत्र होकर निर्णय लेना का अधिकार भी था। वहीं इस बार बीजेपी के पास बहुमत नहीं है साथ ही उसे नीतीश कुमार की पार्टी JDU और टीडीपी पर निर्भर रहना होगा। बीजेपी इन दोनों पार्टियों के दम पर सरकार तो बना रही है, लेकिन उसके सामने कई चुनौतियां होंगी। जिसकी शुरुआत सरकार के गठन से पहले ही हो चुकी है। जेडीयू ने अपनी शर्तों को रखना शुरू भी कर दिया है। सरकार चलाने के लिए बीजेपी को इनकी शर्तों को मानना भी होगा।
जेडीयू की शर्तों ने सरकार की बढ़ाई टेंशन
जेडीयू ने अपनी शर्तों में विशेष राज्य का दर्जा, अग्निवीर योजना जैसे मुद्दों पर सरकार की टेंशन बढ़ा दी है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा है कि अग्निवीर योजना को लेकर लोगों में गुस्सा है। जनता ने जो असहमति दिखाई है, उसपर विचार होना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्ज मिलना चाहिए। अग्निवीर वही योजना है जो पूरे चुनाव में मोदी सरकार के लिए मुसीबत बना रहा। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने चुनावी रैलियों में इसपर मोदी सरकार को घेरा और कहा कि उनकी सरकार बनने पर इस योजना को खत्म कर दिया जाएगा। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो बाकायदा इसका ऐलान भी किया था।
विशेष दर्जे की मांग नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना भी नई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। बिहार द्वारा विशेष राज्य के दर्जे की मांग नई नहीं है। इसे 2005 में नीतीश कुमार ने तब उठाया था जब उन्होंने पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने यह मांग पिछले साल नवंबर में भी उठाई थी। अभी तक 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जा चुका है। इसमें असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं। जेडीयू सांसद आलोक कुमार ने कहा कि ये हमारी हमेशा से ही मांग रही है। हम ये कायम रखेंगे, तभी बिहार का विकास संभव है। हालांकि, 14वें वित्त आयोग ने राज्यों से विशेष श्रेणी की स्थिति की अवधारणा को हटा दिया था। विशेषज्ञों की मानें तो स्पेशल स्टेटस की स्थिति की परिभाषा को बदलना नहीं पड़ेगा, क्योंकि कोई योजना आयोग नहीं है जो इसपर फैसला ले सके।
केंद्र में हिस्सेदारी भी मांग सकती है जेडीयू
जेडीयू इन मांगों के अलावा केंद्र में अपनी हिस्सेदारी को लेकर भी जेडीयू बीजेपी की टेंशन बढ़ा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू कोटे से तीन केंद्रीय मंत्री बन सकते हैं। इसमें ललन सिंह, दिलेश्वर कामत और सुनील कुशवाहा का नाम हो सकता है। नीतीश ने अपने पार्टी के सहयोगियों से इसपर चर्चा भी की है। ललन सिंह सवर्ण, दिलेश्वर कामत दलित और सुनील कुमार कुशवाहा जाति से आते हैं।
कानपुर के एक दंपति ने इजरायली मशीन से बुजुर्गों को जवान बनाने का ख्बाव दिखाकर 35 करोड़ रुपये ठग लिए हैं. आरोपी दंपति ने लोगों को फंसाने के लिए बॉलीवुड एक्टरों की फिटनेस के बारे में बताकर ठगते थे. लोगों से कहा जाता था कि फिल्मी सितारे इसलिए फिट रहते हैं क्योंकि वो इसी मशीन से थेरेपी लेते हैं. वहीं जबतक लोगों को समझ आता कि उनके साथ ठगी की गई है. तब तक पति-पत्नी सारा माल समेटकर फरार हो गए.
आरोपियों ने एक्टर अमिताभ और शाहरुख के नाम का लिया सहारा
आरोपी दंपति रश्मि और राजीव दुबे के हाथों एक लाख 80 हजार रुपये गंवाने वाले सुनील बाली कहते हैं कि हम उनके पास मिलने गए. उन्होंने कहा कि "आप लोग इस मशीन की वैल्यू क्यों नहीं समझते. इसी मशीन का सहारा लेकर बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान हमेशा फिट दिखाई देते हैं. आप अभी इस मशीन में अपना नंबर बुक करा लीजिए, नहीं तो आगे चलकर इस मशीन में बैठने के लिए इतनी वेटिंग हो जाएगी कि दो-दो साल लग जाएंगे." दंपतियों के झांसे में आकर अपना पैसा लगा दिया और अब दोनों फरार हो गए हैं.
आरोपियों के झांसे में फंसकर रश्मि ने गंवाए 2 लाख
आरोपियों ने इस मशीन का महिमामंडन लोगों के सामने ऐसे किया कि पहली बार मशीन को देखने पहुंची रश्मि बाली ने अपनी दो सहयोगियों को मशीन के अंदर बैठे हुए देखा लेकिन मशीन के अंदर पाइप लीक होने की वजह किसी केमिकल गैस का धुआं लग गया. जिससे वह बीमार पड़ गए थे. इसके बावजूद रश्मि बाली को मशीन पर विश्वास था कि यह मशीन उनकी कमजोरी को मजबूत करके जवानी के दिनों में पहुंचा देगी तो उन्होंने भी 2 लाख रुपये इसमें लगा दिए. अब पैसे के लिए परेशान घूम रही हैं और पुलिस थाने के चक्कर काट रही है.
इजरायली मशीन को पुलिस ने किया सील
वहीं इस मामले की जांच-पड़ताल कर रहे किदवई नगर थाने के इंचार्ज बहादुर सिंह का कहना है कि अभी तक आधा दर्जन लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. लोगों की शिकायतें सुनी जा रही हैं. जहां पर इजराइली मशीन लगाई गई थी, उस मशीन को सील कर दिया गया है. आरोपियों की भी तलाश की जा रही है. पुलिस ने ऑफिस का निरीक्षण करने के बाद उसे सील कर दिया है.
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