आखिर क्या है चुनावी बॉन्ड, जिस पर 'सुप्रीम' फैसला आया है, आप पर इसका क्या असर होगा ? Explainer

चुनावी बॉन्ड स्कीम ! आप भी सोच रहे होंगे कि अब ये क्या बला है, अरे रुकिये जरा हम आपको सब कुछ बतायेंगे और विस्तार से, लेकिन पहले ये जान लेते हैं कि इन बॉन्ड को लेकर SC ने क्या फैसला सुनाया है. दरअसल लोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड्स यानी चुनावी बॉन्ड योजना पर SC ने अवैध करार देते हुए रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा है "कि चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है और वोटर्स को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का हक है. नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है।" कोर्ट ने माना है कि गुमनाम चुनावी बांड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है. इस पर CJI ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस बॉन्ड के अलावा भी काले धन को रोकने के दूसरे तरीके हैं. बॉन्ड की गोपनीयता 'जानने के अधिकार' के खिलाफ है। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट सार्वजनिक की जाए.

आखिर है क्या चुनावी बॉन्ड ?

चुनावी बॉन्ड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय जरिया है. यह एक वचन पत्र की तरह है जिसे भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी SBI की चुनिंदा शाखाओं से खरीद सकता है और अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीके से दान कर सकता है. चुनावी बॉन्ड को ऐसा कोई भी दाता खरीद सकता है, जिसके पास एक ऐसा बैंक खाता है और जिसकी केवाईसी की जानकारियां उपलब्ध हैं. बॉन्ड में भुगतानकर्ता का नाम नहीं होता है. ये बॉन्ड SBI की 29 शाखाओं को जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत किया गया था, और ये बॉन्ड 1,000 रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये में से किसी भी मूल्य के चुनावी बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं. ये शाखाएं नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, गांधीनगर, चंडीगढ़, पटना, रांची, गुवाहाटी, भोपाल, जयपुर और बेंगलुरु की थीं. चुनावी बॉन्ड्स की अवधि केवल 15 दिनों की होती है, इसमें व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देती थीं और राजनीतिक दल इस बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते थे.

कब और क्यों चुनावी बॉन्ड जारी किया गया?


2017 में केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को फाइनेंस बिल के जरिए संसद में पेश किया. संसद से पास होने के बाद 29 जनवरी 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. इसके जरिए राजनीतिक दलों को चंदा मिलता है. यह बॉन्ड साल में चार बार जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में जारी किए जाते थे. इसके लिए ग्राहक बैंक की शाखा में या वेबसाइट से भी ऑनलाइन इसे खरीद सकता था.

चुनावी बॉन्ड योजना पर क्यों छिड़ा विवाद?


बॉन्ड को लेकर कांग्रेस नेता जया ठाकुर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स समेत 4 लोगों ने याचिकाएं दाखिल की. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि चुनावी बॉन्ड के जरिए गुपचुप फंडिंग पारदर्शिता को प्रभावित करती है और यह सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन है. उनका कहना था कि इसमें शेल कंपनियों की तरफ से भी दान की अनुमति दे दी गई है. चुनावी बॉन्ड पर सुनवाई पिछले साल 31 अक्टूबर को शुरू हुई थी,. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने की.

By Super Admin | February 15, 2024 | 0 Comments

चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले की सुनवाई, SC ने  रिटर्निंग अफसर को सुनाई खरी-खरी, खुली ये पोल

चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने एक याचिका लगाई थी। इसमें दोनों दलों ने मेयर चुनाव में धांधली का आरोप लगाकर चुनाव अधिकारी का वायरल वीडियो सबूत के तौर पर पेश किया था। वहीं चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर सुनवाई के दौरान बैलेट पेपर खराब करने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। मुख्य न्यायाधीश ने चुनाव के बैलेट पेपर तलब किए और मतगणना का वीडियो भी मांगा। इस दौरान SC में रिटर्निंग ऑफिसर रहे अनिल मसीह ने माना कि उन्होंने बैलेट पेपर पर निशान लगाया था। अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी को दोपहर 2 बजे होगी।

रिटर्निंग ऑफिसर से SC का जवाब-तलब


चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह से पूछा "कि आप कैमरे को देख कर बैलेट पेपर क्या लिख रहे थे? मसीह ने जवाब दिया "कि मैं लिख नहीं रहा था, नंबरिंग कर रहा था।" सीजेआई ने कहा कि वीडियो में साफ है कि आप बैलेट में एक्स मार्क कर रहे थे।" मसीह ने कहा "कि मैं यह तय कर रहा था कि संबंधित बैलेट किसका है। इसी बीच आप के काउंसलर बैलेट पेपर लेकर भागने लगे जिसको चंडीगढ़ पुलिस ने बचाया।"

रिटर्निंग अफसर पर मुकदमा चलाने की बात


CJI ने कहा "कि आप बैलेट पेपर पर साइन कर सकते हैं, लेकिन आप एक्स मार्क क्यों कर रहे थे? ऐसा कौन सा नियम है? आप मान रहे हैं कि आपने एक्स मार्क किया। इनके खिलाफ तो मुकदमा चलाया जाना चाहिए।" इस पर रिटर्निंग ऑफिसर ने कहा "कि लोग कैमरा-कैमरा चिल्ला रहे थे, इसलिए मैंने उधर देखा।" इस पर सीजेआई ने कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर को किसी भी दल से जुड़ा नहीं होना चाहिए।" सुप्रीम कोर्ट ने कहा "कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को हम बुला रहे हैं। कल इस पर सुनवाई करेंगे।" साथ ही सीजेआई ने निर्देश दिया "कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल बैलेट पेपर हमारे पास किसी अधिकारी को नियुक्त कर भेजे।"

By Super Admin | February 19, 2024 | 0 Comments

चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में SC का बड़ा फैसला, आप के कुलदीप कुमार मेयर घोषित

जहां एक ओर चंडीगढ़ के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि एक बार फिर मेयर की कुर्सी पर भाजपा का प्रत्याशी पदासीन होगा। तो वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने सियासी गलियारों की हलचल पर विराम लगा दिया है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच ने आदेश दिया है, कि मेयर चुनाव में अमान्य किए गए 8 बैलेट पेपर मान्य माने जाएंगे। जिसके बाद आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार को मेयर घोषित कर दिया गया।

भाजपा प्रत्याशी को विजेता घोषित करने का फैसला अमान्य

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को 12 वोट मिले थे और आठ मतों को गलत तरीके से अमान्य करार दे दिया गया था। बाद में ये आठ वोट याचिकाकर्ता के पक्ष में पाए गए। इस तरह आठ मतों को जोड़ देने पर याचिकाकर्ता के 20 वोट हो जाते हैं। लिहाजा, आप पार्षद और याचिकाकर्ता कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ नगर निगम के महापौर पद पर निर्वाचित घोषित किया जाता है। साथ ही पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह द्वारा भाजपा प्रत्याशी को विजेता घोषित करने का फैसला अमान्य है। बेंच ने कहा कि पीठासीन अधिकारी ने महापौर चुनाव की प्रक्रिया में गैरकानूनी तरीके से तब्दीली की और 19 फरवरी को अदालत के समक्ष झूठ बयान दिया। आपको बता दें कि 19 फरवरी को पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई थी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही आप में जश्न का माहौल

चंडीगढ़ के मेयर बने कुलदीप कुमार ने कहा ’कि मैं सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देना चाहता हूं। यह चंडीगढ़ के लोगों और भारत गठबंधन की जीत है। इससे पता चलता है कि भाजपा अपराजेय नहीं है, और अगर हम एकजुट रहें तो हम उन्हें हरा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सीएम खुश

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पंजाब के सीएम भगवंत मान ने खुशी जताई। मान ने कहा ’कि आखिरकार सत्य की जीत हुई। चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं। सीजेआई ने आप के कुलदीप कुमार को मेयर घोषित किया है। लोकतंत्र की इस महान जीत पर चंडीगढ़वासियों को बहुत-बहुत बधाई।’

अरविंद केजरीवाल ने SC का धन्यवाद किया

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया है। वहीं चंडीगढ़ कांग्रेस ने भी कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई। फैसले को ऐतिहासिक और लोकतंत्र को बचाने वाला बताया गया।

By Super Admin | February 20, 2024 | 0 Comments

सनातन का अपमान करने वालों पर चला सुप्रीम' डंडा, कोर्ट ने लगाई स्टालिन को लताड़

तमिलनाडु के मंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम नेता उदयनिधि स्टालिन को सनातन धर्म पर टिप्पणी करना महंगा पड़ गया। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु के मंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम नेता उदयनिधि स्टालिन को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन को उनकी विवादास्पद "सनातन धर्म को खत्म करो" टिप्पणी को लेकर जमकर फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी करने वाले स्टालिन की याचिका पर सुनवाई की और कहा कि वह अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, "कि आपने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) (k) और अनुच्छेद 25 के तहत अपने अधिकार का दुरुपयोग किया है। अब आप अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने आ गए?" इसके आगे कोर्ट ने मंत्री उदयनिधि स्टालिन से पूछा "कि क्या आपको इसका अहसास नहीं था कि आपने जो कहा उसका परिणाम क्या होगा? आप एक मंत्री हैं, कोई आम आदमी नहीं हैं।"

सुप्रीम कोर्ट 15 मार्च को करेगा मामले की अगली सुनवाई
उदयनिधि की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी ने कहा ’कि वह बयान को उचित नहीं बता रहे और केवल सभी FIR एक साथ करने की अपील कर रहे हैं।’ इस पर कोर्ट ने उन्हें संबंधित हाईकोर्ट का रुख करने के लिए कहा। साथ ही उदयनिधि स्टालिन के वकील सिंघवी ने कहा, "मुझे 6 हाईकोर्ट में जाना पड़ेगा। मैं लगातार इस काम में उलझा रहूंगा। यह अभियोजन से पहले उत्पीड़न होगा।" जिस पर सुप्रीम कोर्ट अब 15 मार्च को मामले की सुनवाई करेगा।

2 सितंबर को उदयनिधि ने दिया था विवादित बयान
आपको बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने 2 सितंबर को कहा था "कि कुछ चीज़ों का विरोध नहीं कर सकते। हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते हैं। इन्हें खत्म करना होगा। इसी तरह सनातन धर्म को भी खत्म करना है।" उदयनिधि के इस बयान के बाद देशभर में रोष देखने को मिला था और उनके खिलाफ कई आपराधिक शिकायतें भी दर्ज की गईं। उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर की गईं।

DMK नेता ए राजा ने भी दिया था विवादित बयान
सनातन धर्म पर उदयनिधि स्टालिन के विवादित टिप्पणी करने बाद DMK के ए राजा ने कहा था "कि सनातन पर उदयनिधि ने जो बोला, वह काफी कम था। उन्होंने सिर्फ मलेरिया और डेंगू से इसकी तुलना की थी। ये ऐसी बीमारियां हैं, जिन्हें घिनौना नहीं कहा जाता। सनातन धर्म की सामाजिक कलंक वाली बीमारी उससे भी बड़ी है। अगर आपको इसको परिभाषित करना है तो सनातन की तुलना HIV और कुष्ठ रोग जैसे बीमारियों से की जानी चाहिए।"

By Super Admin | March 04, 2024 | 0 Comments

15 जून तक मिला AAP को अल्टीमेटम, इस मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला

देश में लोकसभा चुनावों को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। तो वहीं दूसरी तरफ चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। दरअसल आम आदमी पार्टी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली में बने आप के दफ्तर को खाली करने का कोर्ट ने आदेश दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राउज एवेन्यू कोर्ट को आवंटित जमीन पर पार्टी का दफ्तर बनाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा ’कि आम आदमी पार्टी का दफ्तर हाईकोर्ट के लिए आवंटित जमीन पर बना है। इसलिए इसे खाली करना होगा। देश में इस वक्त लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इसलिए पार्टी को अतिरिक्त मोहलत दी जा रही है। आम आदमी पार्टी 15 जून तक अपने कार्यालय को खाली कर दे।’

कोर्ट ने लोकसभा चुनावों के चलते दिया अतिरिक्त समय
कोर्ट ने मामले में आगे कहा ’कि पार्टी अपने कार्यालय को दूसरी जगह शिफ्ट कर दे। इसके लिए वो भूमि और विकास कार्यालय से संपर्क करें।’ साथ ही कोर्ट ने भूमि और विकास कार्यालय को भी निर्देश दिया है ’कि वो चार हफ्ते के अंदर फैसला लेकर बता दें।’

दिल्ली हाईकोर्ट भी जता चुकी है मामले पर नाराजगी
आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी ने अपना दफ्तर जिस प्लॉट पर बनाया है वो राउज एवेन्यू की है। उस प्लॉट को दिल्ली हाईकोर्ट को आवंटित किया गया था। इससे पहले 14 फरवरी को सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले पर नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने पहले भी कहा था ’कि कैसे कोई भी राजनीतिक पार्टी जमीन पर कब्जा कर सकती है। पार्टी को ये जमीन वापिस करनी होगी।’ उसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी को 15 जून तक की मोहलत दे दी है।

By Super Admin | March 04, 2024 | 0 Comments

CM केजरीवाल को मिलेगी राहत? इस दिन सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा अपना फैसला

Delhi: दिल्ली शराबा घोटाले से जड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। लेकिन इसी बीच उनके लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार तारीख का एलान कर दिया है। उनकी अर्जी पर 15 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी। बता दें कि, अरविंद केजरीवाल ने गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। साथ ही उन्होंने गिरफ्तारी को गै-कानूनी भी बताया है।

जानें पूरा मामला

जानकारी के मुताबिक, सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस दौरान हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के साथ ही लोकसभा चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए भी जल्द से जल्द रिहाई मांगी है। ऐसे में अब 15 अप्रैल को अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। हालांकि, बेंच को लेकर अभी तक कोई भी स्थिति साफ नहीं की गई है। वहीं, इस मामले में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि भले ही सीएम को अभी लगातार झटके मिल रहे हैं, लेकिन वह जल्द ही इन सभी चुनौतियों से निपटेंगे और जेल से बाहर भी आएंगे।

ये याचिका हुई थी खारिज

बता दें कि, तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका को भी राऊज एवेन्यू कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने जेल में वकीलों से मिलने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था। गौरतलब है कि,केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में अपने वकीलों से से हफ्ते में पांच बार मिलने की अनुमति मांगी थी। लेकिन जेल मैनुअल के हिसाब से हफ्ते में अभी दो बार वकीलों से मुलाकात की अनुमति है। इसी को लेकर 5 अप्रैल को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था।

By Super Admin | April 11, 2024 | 0 Comments

ग्रेटर नोएडा कोर्ट में काम नहीं कर रहे सीसीटीवी, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को भेजा नोटिस


Greater Noida:
ग्रेटर नोएडा कोर्ट में तीसरी आंख यानि की सीसीटीवी काम नहीं कर रहा है। सीसीटीवी कैमरों का रखरखाव न होने और काम नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। इसी कोर्ट में बीते दिनों वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया से मारपीट हुई थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय पीठ ने उस रिपोर्ट पर संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया था कि बार-बार पत्र लिखने के बावजूद सीसीटीवी काम नहीं कर रहे हैं। इसलिए फुटेज संरक्षित नहीं कर सकते।

सीजेआई ने की महत्वपूर्ण टिप्पणी


तीन सदस्यीय पीठ ने आदेश दिया कि रिपोर्ट सभी पक्षों और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को दी जाए। इसके साथ ही राज्य सरकार से जवाब मांगा है। सीजेआई ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों और अन्य लोगों को काम न करने के लिए कैसे कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन कोई हड़ताल नहीं है और वकील इस तरह अदालत में घुस कर किसी से यह नहीं कह सकते कि चलो निकलो यहां से। कोर्ट ने 21 मार्च को इसी कोर्ट में गौरव भाटिया व वकील मुस्कान गुप्ता पर हमले का स्वत: संज्ञान लिया था।

By Super Admin | April 02, 2024 | 0 Comments

2.20 लाख बीएड प्रशिक्षित प्राइमरी टीईटी अंकपत्र पाएंगे, नौकरी नहीं: सुप्रीम कोर्ट का आदेश


प्राइमरी शिक्षक भर्ती से बीएड को बाहर करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी)-2021 में प्राइमरी स्तर पर सफल 2,20,065 बीएड प्रशिक्षितों का अंकपत्र सिर्फ देखने-दिखाने के लिए होगा। इससे वह प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक की नौकरी नहीं पा सकेंगे। वर्ष 2021 की प्राइमरी यूपीटीईटी के अंकपत्र वितरण पर लगी रोक अब हाई कोर्ट से हट जाने पर अगले सप्ताह सभी अभ्यर्थियों को अंकपत्र वितरित किए जाएंगे।

डीएलएड प्रशिक्षुओं ने जीती लड़ाई

प्राइमरी शिक्षक भर्ती में डीएलएड (बीटीसी) के साथ बीएड को भी सम्मिलित करने पर 2021 की यूपीटीईटी में बीएड प्रशिक्षित अभ्यर्थियों ने बड़ी संख्या में आवेदन किए। इसकी परीक्षा 23 जनवरी 2022 को प्रदेश के सभी जनपदों में कराई गई, जिसमें बीएड प्रशिक्षितों की संख्या 6,91,903 थी। उन्हें उम्मीद थी कि प्राइमरी स्तर पर सफल होने पर वह प्राइमरी शिक्षक भर्ती में भी सम्मिलित हो सकेंगे, लेकिन डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) प्रशिक्षितों से चल रही लड़ाई में वह सप्रीम कोर्ट में हार गए।

प्राइमरी शिक्षक भर्ती से बीएड डिग्रीधारी बाहर

डीएलएड प्रशिक्षितों का कहना था कि प्राइमरी शिक्षक भर्ती के लिए बीएड डिग्री अर्ह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे सही माना और 11 अगस्त 2023 के अपने फैसले में प्राइमरी शिक्षक भर्ती से बीएड डिग्रीधारियों को बाहर कर दिया। इधर, यपीटीईटी-2021 का परिणाम उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) की ओर से आठ अप्रैल 2022 को घोषित किया गया, लेकिन एक मामले में हाई कोर्ट ने प्राइमरी टीईटी का अंकपत्र वितरण रोक दिया था। अब यह रोक हट गई है। पीएनपी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया कि यूपीटीईटी-2021 में प्राइमरी टीईटी में 4,43,558 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए थे, जिसमें बीएड डिग्री वालों की संख्या 2,20,065 है। रोक हट जाने पर इन्हें भी अंकपत्र तो वितरित किया जाएगा, लेकिन यह प्राइमरी शिक्षक भर्ती में सम्मिलित नहीं हो सकेंगे।

By Super Admin | April 13, 2024 | 0 Comments

गेझा तिलपताबाद मुआवाजा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मांगी 2013 से नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे अधिकारियों की सूची


Noida: गेझा तिलपताबाद के किसानों को दिए गए अतिरिक्त मुआवजे मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 1 जनवरी 2013 के बाद नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे अफसरों की सूची मांगी है। इसके साथ ही यूपी सरकार और नोएडा प्राधिकरण को कई निर्देश भी दिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 6 मई को होगी।

कोर्ट ने आरोपी किसानों को दी अतंरिम राहत


जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई के दौरान यूपी सरकार और नोएडा प्राधिकरण से ऐसे दो या तीन मामलों का मूल रिकॉर्ड पेश करने को कहा है। जिसमें अधिक मुआवजा देने के आरोप हैं। इसके अलावा कोर्ट ने 20 अन्य किसानों के मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने ज्यादा मुआवजा मिलने के आरोपी किसानों को अंतरिम राहत देते हुए अगली सुनवाई तक किसी तरह का एक्शन नहीं लेने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उनके खिलाफ जांच पर भी रोक लगा दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में यूपी सरकार और नोएडा प्राधिकरण को दो सप्ताह में जानकारी उपलब्ध कराने का समय दिया है।

7.26 करोड़ अधिक मुआवजा वितरित करने का आरोप


बता दें कि गेझा तिलपताबाद मामले में प्राधिकरण के अधिकारी वीरेंद्र नागर सहित कई अन्य अधिकारी भी निलंबित हुए हैं। प्राधिकरण ने इन अधिकारियों और कुछ किसानों के खिलाफ एफआईआर कराई है। आरोप है कि इन्होंने मिलीभगत कर तय मुआवजा से अधिक राशि किसानों को बांट दिया था। वीरेंद्र नागर पर 7.26 करोड़ अधिक मुआवजा वितरण करने का आरोप है। हालांकि जांच में करीब 80 करोड़ रुपये अधिक वितरण की आशंका जताई जा रही है।
एसआईटी ने दोबारा जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश की
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार ने एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी की पहली जांच के बाद कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ और फटकार लगाते हुए दोबारा जांच करने के आदेश दिए। इसके साथ ही दोषी अधिकारियों के नाम सामने लाने को कहा था। एसआईटी ने दूसरी बार जांच के बाद कोर्ट के सामने रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इसी रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवई हो रही है।

By Super Admin | April 20, 2024 | 0 Comments

एक लोकसभा चुनाव ऐसा भी, जब सुप्रीम कोर्ट में हुई थी वोटों की गिनती

आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक प्रचार, मतदान और वोटिंग के दौरान कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जो दशकों तक लोगों को याद रहती हैं। ऐसा ही एक किस्सा हरियाणा की करनाल लोकसभा सीट से जुड़ा है। जब करनाल लोकसभा सीट के लिए वोटों की गिनती सुप्रीम कोर्ट में हुई थी।

1962 में रामेश्वर ने कांग्रेस उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया था


1962 के लोकसभा चुनाव में करनाल लोकसभा सीट से जनसंघ पार्टी के प्रत्याशी रामेश्वर नंद ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार वीरेंद्र कुमार को बड़े अंतर से हराया था। इस जीत के बाद सांसद बने स्वामी रामेश्वर नंद ने अपने भाषण से पूरी पार्लियामेंट को हिला कर रख दिया। इसके बाद स्वामी रामेश्वर नंद को प्रसिद्धि मिली। कांग्रेस पार्टी के पास कोई ऐसा नेता नहीं था, जो स्वामी रामेश्वर नंद को टक्कर दे सके।

जीत के गुमान में रामेश्वर नंद ने इंदिरा गांधी की दी थी चुनौती


स्वामी रामेश्वर नंद को इस बात का गुमान हो गया था कि उन्हें कोई नहीं हरा सकता। यहां तक की उन्होंने पीएम इंदिरा गांधी को भी चुनौती दे दी थी। कहा था कि अगर उनके सामने अगर इंदिरा गांधी भी चुनाव लड़े तो वो हार जाएंगी। इसके बाद जब 1967 में लोकसभा चुनाव हुए तो करनाल सीट से आए नतीजों से हर कोई हैरान था।

कांग्रेस ने दिव्यांग माधवराम को बनाया उम्मीदवार


साल 1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बड़े असमंजस में थी कि करनाल लोकसभा सीट पर किस प्रत्याशी को उतारा जाए, जो स्वामी रामेश्वर नंद को हरा सके। चिंतन मंथन के बाद कांग्रेस ने स्वतंत्रता सेनानी रहे माधव राम शर्मा को करनाल लोकसभा सीट से मैदान में उतारा। माधव राम शर्मा गरीब के साथ दिव्यांग भी थे। ट्रेन हादसे में उनकी एक टांग चली गई थी।

पहली बार स्वामी रामेश्वर नंद को 55 वोटों से हराया


1967 में जब रामेश्वर नंद और माधवराम शर्मा के बीच टक्कर हुई। उस समय करनाल और पानीपत विधानसभा में विधायक भी जनसंघ पार्टी के थे। पानीपत में उस समय विधायक फतेहचंद हुआ करते थे। तब गली, चौराहों और नुक्कड़ों पर चुनावी नारा यही गूंजता था। फतेह फतेह चंद की, जय रामेश्वरम नंद की। 1967 में चुनाव के बाद जब परिणाम आया तो सबको चौंका दिया। पंडित माधव राम शर्मा ने स्वामी रामेश्वर नंद को 55 वोटों से हरा दिया था।

By Super Admin | April 20, 2024 | 0 Comments

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