Greater Noida: वैसे तो डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ भी नहीं होता, ये केवल फ्राड करने का तरीका है, जिसके जरिए ठग अधिकारी बनकर अपने टारगेट के साथ ब्लैकमेल करता है। ग्रेटर नोएडा में रहने वाले एक इंजीनियर के साथ ठगी करने का मामला सामने आया है। यहां इंजीनियर को तीन घंटे डिजिटल अरेस्ट कर उससे 9 लाख 95 हजार रुपये की ठगी कर ली गई। साइबर अपराधियों ने करीब 10 बार में अलग-अलग बैंक खातों में धनराशि ट्रांसफर करवा दी। जानकारी के मुताबिक पीड़ित एक नामी कंपनी में इंजीनियर है। फिलहाल पीड़ित की शिकायत पर साइबर अपराध थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
ऐसे दिया वारदात को अंजाम?
ग्रेटर नोएडा के रहने वाले सौम्यकांत प्रस्टी ने बताया कि 7 जून को उनके पास एक अनजान फोन आया, कॉल दोपहर के करीब 12 बजे आई। कॉल करने वाले ने खुद को नामी कोरियर कंपनी का कर्मचारी बताया। सौम्यकांत के मुताबिक ठग ने उसे बताया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल ईरान भेजे जाने वाले पार्सल में हुआ है। ठग ने बताया कि उस पार्सल में ड्रग्स समेत अन्य प्रतिबंधित सामान है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की शिकायत पर उनके शिपमेंट को रोक दिया गया है। यही नहीं ठगों ने कॉल फॉरवर्ड करने की भी ड्रामेबाजी पीड़ित के साथ की।
तीन घंटे तक रखा डिजिटल अरेस्ट
ठगों ने पीड़ित को करीब तीन घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर अपने सामने बैठाए रखा। इस दौरान सख्त चेतावनी दी गई थी कि वो किसी सभी फोन पर भी बात नहीं करेगा। जालसाजों ने पीड़ित से एक प्राइवेट बैंक से दस लाख रुपये का इंट्रेस्ट लोन करा लिया। इस रकम को बाद में अपने अलग-अलग एकाउंट में ट्रांसफर करवा लिया। पीड़ित ने बताया कि 9 बार में उससे एक-एक लाख रुपये ट्रांसफर करवाया, उसके बाद 95 हजार रुपये ट्रांसफर करवाए। जालसाजों ने पीड़ित को भरोसे में लेने के लिए अपनी आईडी तक भेजी, ताकि पीड़ित को जालसाजों पर विश्वास हो जाए। जालसाजों ने खुद को मुंबई साइबर सेल और एनसीबी का अधिकारी बताया था।
ग्रेटर नोएडा के जेवर थाना पुलिस ने एक गैंग का फर्दाफाश किया है। पकड़ा गया गैंग फर्जी कागजात के आधार पर जमीन बेचने के नाम धोखाधड़ी करता था। आरोपियों ने एक जमीन का सौदा 2.38 करोड़ रुपए में तय किया गया था। वहीं जमीन की रजिस्ट्री के दौरान जमीन बेचने वाले फर्जी मालिक और उनकी नकली मां का सारा राज खुल गया। पहचान सामने आने पर आरोपी फरार हो गए। आरोपियों ने खरीदार से 21 लाख रुपए पहले ही ले लिए थे। जिसके बाद पीड़ित ने जेवर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।
कैसे हुआ धोखाधड़ी का पर्दाफाश
पुलिस ने बताया कि 24 जून को रबुपुरा थाना क्षेत्र के कानपुर गांव में 14 बीघा जमीन के बैनामे के लिए गौतम सिंह अपने साथी योगेश शर्मा और हरियाणा निवासी खरीदार मधुर गोयल, हार्दिक गोयल के साथ जेवर के रजिस्ट्री कार्यालय पहुंचे थे। अभियुक्तों ने जमीन की कीमत 17 लाख रुपए प्रति बीघा तय की थी । इसकी कुल कीमत 2.38 करोड़ रुपए थी । क्रेता ने 15 लाख रुपए आरटीजीएस के माध्यम से वैभव के अकाउंट में ट्रांसफर किए थे। वहीं , 20 अप्रैल को 6 लाख रुपए नगद दिए गए थे। 24 जून को रजिस्ट्री के दौरान पता चला कि जमीन विक्रेता की मां असली नहीं है। यह बात सुनकर सभी आरोपी फरार हो गए। बाद में पता चला कि जमीन के असली मालिक वैभव और उसकी मां के रूप में नकली लोग रजिस्ट्री करवाने पहुंचे थे। पकड़े गए आरोपी गांव-गांव घूम-घूम कर करते जमीनों की रेंकी करते थे। फिलहाल तहसील के अधिकारी व कर्मचारी भी पुलिस के शक के घेरे में हैं।
एक आरोपी अभी भी फरार
पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि नीटू, जयवीर सिंह, भूरा कुमार, सौरभ कुमार, पिन्कू उर्फ देवी चरण, राहुल भाटी और प्रथम भाटी को गिरफ्तार किया गया है। एक आरोपी रिंकू फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है। करीब 20 लाख रुपए उसके पास हैं। गिरफ्तार आरोपियों के पास से 1.07 लाख रुपए, 7 मोबाइल, एक-एक फर्जी आधार और पैन कार्ड के अलावा, कैंसिल चेक भी बरामद हुआ।
नोएडा में फ्लैट लेना हर किसी का सपना होता है. मगर कई लोग ऐसे भी है जो रुपये जमा करने के बाद भी सालों से फ्लैट मिलने का इंतजार कर रहे हैं. दरअसल बीते 14 सालों से सुपरटेक की अलग-अलग परियोजनाओं में 15 हजार से ज्यादा खरीदार फ्लैट मिलने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं सुपरटेक परियोजनाओं के खरीददारों ने पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह से मुलाकात की. इस दौरान खरीददारों ने बिल्डर पर धोखाधड़ी के आरोप लगाया. इसके अलावा जिन लोगों को घर दिए गए हैं उनके लिए प्रबंधन से दी जा रही सुविधाओं का अभाव है.
फरियादियों ने पुलिस कमिश्नर को बताई समस्या
खरीददार अयोग रस्तोगी ने कहा कि सुपरटेक लिमिटेड की आठ आवासीय परियोजनाएं, नार्थ आई, इकोसिटी, रोमानो, केप टाउन, इकोविलेज-1, इकोविलेज-3, स्पोर्ट्स विलेज, अपकंट्री के घर खरीदारों का प्रतिनिधिमंडल पुलिस कमिश्नर से मिलने उनके कार्यालय पहुंचा. कमिश्नर को बताया गया कि घर खरीदार सुपरटेक लिमिटेड और वाईजी एस्टेट के धोखाधड़ी के शिकार हैं. 2010 में सुपरटेक द्वारा शुरू की गई कई आवासीय परियोजनाएं अभी भी अधूरी हैं. आईआरपी हितेश गोयल की रिपोर्ट के अनुसार सुपरटेक लिमिटेड की आवासीय परियोजना में 15000 से अधिक घर खरीदार अभी भी अपने घर की प्रतीक्षा कर रहे हैं. अधूरे घर, महंगा बिजली और पानी का शुल्क, अतिक्रमण समेत रखरखाव को लेकर तमाम असुविधाएं हैं.
पुलिस कमिश्नर ने एफआईआर दर्ज करने के दिए निर्देश
पुलिस कमिश्नर ने फरियादियों की शिकायतों का संज्ञान लिया और एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया. कमिश्नर ने खरीददारों के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि घर खरीदार अपनी शिकायत को डीसीपी क्राइम को दर्ज करा सकते हैं. जिस पर बिना देरी के कार्रवाई की जाएगी. बीते महीने सुपरटेक की परियोजनाओं के खरीदार पुलिस मुख्यालय में ईओडब्ल्यू के विशेष आयुक्त शरद अग्रवाल से मुलाकात कर बिल्डर पर फंड में करोड़ों रुपये की गड़बड़ी की आशंका जताते हुए जांच की मांग कर चुके हैं. इस दौरान गुलशन कुमार, चेतन कपूर, महेंद्र कुमार महिंद्रा, अचिन मजूमदार और समन्वय राउत्रे आदि मौजूद रहे.
नोएडा पुलिस ने फर्जी वर्क फीज़ा के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी करने वाली कंपनी का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिए अपने टारगेट सेट करने वाले इस गिरोह के 6 महिला समेत 9 लोग गिरफ्तार किए गए हैं।
वर्क वीजा के नाम पर लाखों की ठगी को देते थे अंजाम
नोएडा सेक्टर-63 पुलिस ने विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने 6 महिलाओं समेत 9 लोगों को पकड़ा है। जिनकी पहचान पंकज कुमार ( 28) पुत्र गजेन्द्र पाल, सोनू कुमार ( 32) पुत्र राकेश कुमार, राहुल सरोज ( 27) पुत्र रामराज सरोज प्रतापगढ़, मनप्रीत कौर ( 28) पत्नी पंकज कुमार, प्रशंसा कुलश्रेष्ठ ( 25) पुत्री मनोज कुलश्रेष्ठ, दिपाली पुत्री ( 26) विजय कुमार, महिमा अग्रवाल (25) पुत्री आर.एस अग्रवाल, ममता यादव ( 24) पुत्री गोपाल राम और तनिष्का शर्मा ( 25) पत्नी एश्वर्य पाठक के तौर पर हुई है।
पति-पत्नी मिलकर चला रहे थे गिरोह
डीसीपी सेन्ट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि पंकज कुमार और मनप्रीत कौर इस गिरोह के मुख्य आरोपी है, जोकि रिश्ते में पति-पत्नी है। ये पिछले एक साल से इसी तरह लोगों को ठग रहे थे। वर्क वीजा के नाम पर 5 हजार से लेकर 15 लाख तक, जोकि भी रकम ले सकते, लोगों से ठगते थे। पुलिस ने छापेमारी के दौरान 24 लैपटॉप, 1 एपल टैब, 1 सीपीयू, 1 एलईडी, 2 कीबोर्ड, 2 माऊस, 10 लैपटॉप चार्जर, 2 मोहर BEYOND SPARK OVERSEAS PVT. LTD. H.R AND BEYOND, 1 स्वाईप मशीन इन्डशन्ड बैंक, 3 पेमेन्ट क्यू0आर कोड और अलग-अलग कंपनी के 10 मोबाइल फोन बरामद किए हैं।
पुलिस ने छापेमारी कर किए तमाम खुलासे
पुलिस ने बताया कि उन्हें इस कॉल सेंटर को लेकर तमाम शिकायते मिल रही थीं, जिसके बाद नोएडा सेक्टर-63 पुलिस ने BEYOND SPARK OVERSEAS में जाकर जांच की, तो वहां मौजूद सोनू कुमार ने बताया कि वो कंपनी का मैनेजर है। डायरेक्टर पंकज व मनप्रीत कौर के कहने पर ये लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम से ऐसे लोगों की डिटेल्स निकालते है, जो विदेश में जाकर नौकरी करना चाहते है। फिर सेल्स टीम कॉल व व्हाट्सएप के जरिए उन लोगों को कनाडा, सर्बिया जैसी जगहों पर स्टोर कीपर, स्टोर सुपरवाईजर, एडमिन पदों की नौकरी का झांसा देते हैं।
कनाडा से फोन कराके करते थे फ्रॉड
पुलिस ने पूछताछ में पता लगाया कि ये गिरोह पिछले एक साल से एक्टिव था। लोगों को झांसा देने के लिए ये लोग ऑफिस इंटरव्यू या कनाडा से कॉल करा देते थे। ये लोग लोगों को डेढ़ से 2 लाख रुपए हर महीने कमाने की बात कहते, साथ ही शुरुआत में सिर्फ 10 प्रतिशत ही पैसे लेते, ताकि लोगों को उनका भरोसा रहे। लेकिन फिर लोगों से फ्रॉड करते थे।
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