रंगों का रंग चढ़ना भी जरूरी है जनाब! बेरंग दुनिया कहाँ अच्छी लगती है, लेकिन कुछ केमिकल युक्त रंग जरूर हमारी लाइफ में दिक्कत खड़ी कर सकते हैं। देखा जाए तो रंगों से खेलना हम सभी को बेहद पसंद होता है। होली वाले दिन ये महफिल देखते ही बनती है। रंगों के इस त्योहार में खूब धूम-धड़ाका, नाच-गाने और एक दूसरे को रंग लगाकर जश्न मनाया जाता है। जश्न मनाना, रंग खेलना सब कुछ ठीक है, लेकिन इस दौरान स्किन और हेयर्स का ख्याल रखना भी उतना ही जरूरी है। रंगों में डूबने से पहले जान लीजिए कि स्किन और हेयर्स का ख्याल किस तरह रखें। ताकि आने वाले दिनों में आप परेशान न हों।
होली खेलो मगर जरा संभल कर
होली हो और रंगों से ना खेला जाए ऐसा तो हो ही नहीं सकता। जब तक सिर से लेकर पांव तक शरीर का एक-एक हिस्सा रंग से सराबोर ना हो तो तब तक कुछ लोगों की होली होती ही नहीं है, लेकिन कलर्स के साथ मस्ती करने के बाद जो सबसे बड़ा झंझट सामने आता है। वो है अपनी स्किन का ख्याल रखना और हेयर्स की देखभाल करना है। रंगों के कारण स्किन को होने वाले नुकसान से लड़कियां परेशान होती हैं। कुछ लोगों को इसकी वजह से स्किन एलर्जी और रेडनेस हो जाती है, तो वहीं कुछ में स्किन ड्राईनेस बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रंगों में हैवी केमिकल होता है, जिसकी वजह से स्किन और बाल पूरी तरह से डैमेज हो जाते हैं।
सनस्क्रीन लगाना है बेहद जरूरी
रंग खेलने से पहले सनस्क्रीन लगाने से समस्या को दूर किया जा सकता है. दरअसल, धूप, केमिकल युक्त रंग और गंदे पानी के कारण स्किन खराब हो सकती है. इससे स्किन के रंग में बदलाव, खुजली और रूखापन हो सकता है. सनस्क्रीन इन समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मददगार है. होली खेलने से पहले चेहरे, गर्दन, कंधे और हाथों पर अच्छी मात्रा में सनस्क्रीन लगाएं।
ऑयल से बालों को चिकना करें
होली खेलने से स्किन के साथ-साथ बालों पर भी तेल लगाना जरूरी होता है। हेयर्स की देखभाल के लिए आप कुछ ऑयल्स का यूज कर सकते है। ये ऑयल स्कैल्प और बालों पर चिकनी लेयर बना देता है। इस वजह से रंग पोर्स में ज्यादा प्रवेश नहीं कर पाता है। ऑयल की लेयर रंगों को ऊपर ही रखती है, जिससे उसे साफ करना आसान हो जाता है। बालों को ऑयल करने के लिए आप
नारियल का तेल
बादाम का तेल
जैतून का तेल
आंवले का तेल यूज कर सकते है, और अगर बालों में रंग पड़ जाता है। तो हल्के गर्म पानी से बाल धोने पर रंग आसानी से निकल जाता है। ऑयल के कारण स्कैल्प और हेयर पर रंग टिक नहीं पाता, जिससे बाल डैमेज होने से बच जाते हैं। इसलिए खुद को सुरक्षित रखें और होली को एन्जॉय करें।
अगर आप भी बुखार होने पर डॉक्टर के पास ना जाकर पैरासिटामोल की गोली ले लेते हैं. तो अभी सावधान हो जाइए. दरअसल केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने पैरासिटामोल समेत 50 से अधिक दवाओं को मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं माना है. ये दवाएं भारत के औषधि नियामक द्वारा किए गए गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो गई हैं. इनमें कैल्शियम, विटामिन D3 की गोलियां, मधुमेह की गोलियां और उच्च रक्तचाप की दवाओं समेत 50 अन्य दवाएं भी शामिल हैं.
नामी कंपनियों की दवाएं परीक्षण में हुईं फेल
वहीं परीक्षण के दौरान जो दवाएं फेल हुई हैं. उनका उत्पादन बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा किया जाता है. इनमें हेटेरो ड्रग्स, एल्केम लैबोरेटरीज, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड और कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड जैसी कंपनियां शामिल हैं. पेट के संक्रमण में इस्तेमाल होने वाली HAL की दवा मेट्रोनिडाजोल परीक्षण में विफल रही. वहीं एल्केम हेल्थ साइंस की एंटीबायोटिक दवा क्लेवम 625 और पैन डी भी मानकों पर खरी नहीं उतर सकी. इसके अलावा बच्चों को दी जाने वाली सेपोडेम एक्सपी 50 ड्राई सस्पेंशन की गुणवत्ता मानकों में घटिया पाई गई है. कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की पैरासिटामोल गोली की गुणवत्ता पर भी रिपोर्ट में चिंता जाहिर की गई है. उत्तराखंड स्थित प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर द्वारा निर्मित शेल्कल भी परीक्षण में पास नहीं हुई. उच्च रक्तचाप के लिए इस्तेमाल होने वाली टेल्मिसर्टन जैसी लोकप्रिय दवा भी परीक्षण में फेल हो गई. विटामिन B कॉम्प्लेक्स और विटामिन C सॉफ्टजेल, पैरासिटामोल की गोलियां IP 500 MG, मधुमेह रोधी दवा ग्लिमेपिराइड भी मानकों के अनुरूप नहीं पाई गईं हैं.
CDSCO ने दवाओं की 2 सूचियां कीं जारी
CDSCO ने गुणवत्ता परीक्षण में विफल होने वाली दवाओं की 2 सूचियां जारी कर दी हैं. पहली सूची में 48 दवाओं के नाम हैं, जबकि दूसरी सूची में उन्हें बनाने वाली कंपनियों के जवाब हैं. ज्यादातर कंपनियों ने अपने जवाब में कहा कि जो दवाएं परीक्षण में विफल हो गई. वे नकली हैं और उनका निर्माण मूल कंपनियों द्वारा नहीं किया गया है. हालांकि कंपनियों ने दवाओं की जांच करने की बात कही है.
156 दवाओं पर अगस्त में लगाया गया था प्रतिबंध
आपको बता दें कि अगस्त महीने में स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक से ज्यादा संयोजन वाली 156 फिक्स डोज दवाओं पर प्रतिबंध लगाया था. FDC वे दवाएं होती हैं, जिन्हें 2 या 2 से अधिक दवाओं के केमिकल को निश्चित अनुपात में मिलाकर बनाया जाता है. इस सूची में एसेक्लोफेनाक 50 MG और पैरासिटामोल 125 MG टैबलेट, पैरासिटामोल और ट्रामाडोल, टारिन और कैफीन के संयोजन और एसिक्लोफेनाक 50 MG और पैरासिटामॉल 125 MG टैबलेट समेत कई दवाओं पर प्रतिबंध लगा था.
नोएडा में फ्लैट लेना हर किसी का सपना होता है. मगर कई लोग ऐसे भी है जो रुपये जमा करने के बाद भी सालों से फ्लैट मिलने का इंतजार कर रहे हैं. दरअसल बीते 14 सालों से सुपरटेक की अलग-अलग परियोजनाओं में 15 हजार से ज्यादा खरीदार फ्लैट मिलने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं सुपरटेक परियोजनाओं के खरीददारों ने पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह से मुलाकात की. इस दौरान खरीददारों ने बिल्डर पर धोखाधड़ी के आरोप लगाया. इसके अलावा जिन लोगों को घर दिए गए हैं उनके लिए प्रबंधन से दी जा रही सुविधाओं का अभाव है.
फरियादियों ने पुलिस कमिश्नर को बताई समस्या
खरीददार अयोग रस्तोगी ने कहा कि सुपरटेक लिमिटेड की आठ आवासीय परियोजनाएं, नार्थ आई, इकोसिटी, रोमानो, केप टाउन, इकोविलेज-1, इकोविलेज-3, स्पोर्ट्स विलेज, अपकंट्री के घर खरीदारों का प्रतिनिधिमंडल पुलिस कमिश्नर से मिलने उनके कार्यालय पहुंचा. कमिश्नर को बताया गया कि घर खरीदार सुपरटेक लिमिटेड और वाईजी एस्टेट के धोखाधड़ी के शिकार हैं. 2010 में सुपरटेक द्वारा शुरू की गई कई आवासीय परियोजनाएं अभी भी अधूरी हैं. आईआरपी हितेश गोयल की रिपोर्ट के अनुसार सुपरटेक लिमिटेड की आवासीय परियोजना में 15000 से अधिक घर खरीदार अभी भी अपने घर की प्रतीक्षा कर रहे हैं. अधूरे घर, महंगा बिजली और पानी का शुल्क, अतिक्रमण समेत रखरखाव को लेकर तमाम असुविधाएं हैं.
पुलिस कमिश्नर ने एफआईआर दर्ज करने के दिए निर्देश
पुलिस कमिश्नर ने फरियादियों की शिकायतों का संज्ञान लिया और एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया. कमिश्नर ने खरीददारों के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि घर खरीदार अपनी शिकायत को डीसीपी क्राइम को दर्ज करा सकते हैं. जिस पर बिना देरी के कार्रवाई की जाएगी. बीते महीने सुपरटेक की परियोजनाओं के खरीदार पुलिस मुख्यालय में ईओडब्ल्यू के विशेष आयुक्त शरद अग्रवाल से मुलाकात कर बिल्डर पर फंड में करोड़ों रुपये की गड़बड़ी की आशंका जताते हुए जांच की मांग कर चुके हैं. इस दौरान गुलशन कुमार, चेतन कपूर, महेंद्र कुमार महिंद्रा, अचिन मजूमदार और समन्वय राउत्रे आदि मौजूद रहे.
बीते कुछ महीनों में नोएडा साइबर क्राइम मामले तेजी से बढ़े हैं। जिसमें लोगों पर साइट पोर्नोग्राफी देखने के खिलाफ कार्रवाई की बात कहकर ई-मेल के जरिए शिकार बनाया जा रहा है। जिसको लेकर अब पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है। साइबर क्राइम एसीपी विवेक कुमार रंजन राय ने इस संदर्भ में मीडिया से बात की।
पोर्नोग्राफी देखने पर कार्रवाई का डर दिखाकर बना रहे शिकार
साइबर क्राइम एसीपी विवेक कुमार रंजन राय ने बताया कि तेजी से बढ़ते इन मामलों में विभिन्न जांच एजेंसी जैसे सीबीई, आईबी और साइबर क्राइम इंडिया आदि की फर्जी मोहर लगाकर या फिर अटेस्ट करके सर्टिफ़ाइड कॉपी बताकर लोगों को ई-मेल करके उनपर आरोप लगाया जाता है कि आपने इंटरनेट पर साइट पोर्नोग्राफी देखी है। जिसके ऊपर कार्रवाई की जा रही है। जिसपर आपके विरूद्ध आईटी एक्ट में आपके ऊपर कार्रवाई की जा रही है।
पुलिस ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर
साइबर क्राइम एसीपी विवेक कुमार रंजन राय ने क्राइम के मामलों को लेकर कहा कि अगर इस तरह का मैसेज या कॉल किसी को आए, तो उस पर कोई रिस्पॉन्स न करें। अगर इससे रिलेटेड कोई ई-मेल आपको आता है, तो घबराएं नहीं बल्कि तुंरत इसकी सूचना साइबर क्राइम थाना और साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 को दें। इस प्रकार के मैसेज, लिंक से आपको सावधान रहना है।
इस तरह के मेल से रहे सावधान
जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने बाकायदा एक फॉर्मेट जारी किया, ताकि लोग जागरूक बनें।
हल्दी को गुणों की खान माना जाता है. मगर अगर इसी हल्दी में मिलावट हो जाए, तो ये गुणों की खान की जगह लोगों के लिए बीमारियों का कारण बन जाएगी. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हाल ही में बांग्लादेश के फूड सेफ्टी अथॉरिटी की जांच में ये खुलासा हुआ है कि हल्दी में लेड की बहुत अधिक मात्रा है. मिलावटी हल्दी खाने से बच्चों के मानसिक स्तर और आईक्यू लेवल घट रहा है. इतना ही नहीं इसे खाने से बच्चे बीमार भी पड़ रहे हैं. बांग्लादेश के फूड सेफ्टीअथॉरिटी की जांच रिपोर्ट को आधार मानते हुए प्रदेश सरकार को अंदेशा है, कि कहीं यूपी के बच्चों के मानसिक स्तर को तो मिलावटी हल्दी प्रभावित नहीं कर रही है. वहीं शासन के निर्देश के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग ने नोएडा-ग्रेटर नोएडा में अभियान चलाकर 36 नामी प्रतिष्ठानों से हल्दी के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं. आशंका जताई जा रही है कि इस हल्दी में लेड और क्रोमियम की मिलावट की गई है.
प्रदेश सरकार और नीति आयोग ने जताई चिंता
जिला खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग के सहायक आयुक्त द्वितीय सर्वेश मिश्रा की मानें तो दो सप्ताह पहले मुख्य सचिव के पास विश्व बैंक की टीम ने निगरानी के दौरान बांग्लादेश की केस हिस्ट्री का प्रेजेंटेशन दिया था. इस दौरान बांग्लादेश में लेड मिश्रित हल्दी से हो रही बीमारियों पर चर्चा की गई थी. इससे बच्चों का आईक्यू लेवल करीब सात पॉइंट और रक्त में लेड की मात्रा अधिक पाई गई. इस पर प्रदेश सरकार और नीति आयोग ने भी चिंता जाहिर की है. उन्होंने बताया कि शासन के आदेश पर विभाग ने टीम गठित करके नोएडा और ग्रेटर नोएडा में विभिन्न दुकानों व मुख्य विक्रेताओं के स्टोर से हल्दी के सैंपल एकत्र किए गए हैं. पूरे गौतमबुद्ध नगर की 36 से अधिक दुकानों से सैंपल लेकर जांच के लिए आधुनिक लैब में भेजे गए हैं. जिसकी रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि आखिर हल्दी में लेड की मिलावट की स्थिति क्या है. बता दें कि खाद्य पदार्थों में मिलावट पर 3 माह से लेकर आजीवन कारावास और 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है.
चमक बढ़ाने के लिए होता है इस्तेमाल
जानकारों की मानें तो हल्दी पाउडर की चमक बढ़ाने के लिए अधिकतर कारोबारी उसमें लेड क्रोमेट मिला देते हैं. जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है. इससे कैंसर होने की आशंका रहती है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने बताया लेड का शरीर में जमा होना, सीधे स्वास्थ से खिलवाड़ हो रहा है. इससे सबसे ज्यादा दिमाग प्रभावित होता है. बार-बार बेहोशी और दौरे आने लगते हैं. लंबे समय तक लेड के संपर्क में आने से याददाश्त भी कम हो जाती है और लकवा मार सकता है. अचानक ज्यादा लेड शरीर में पहुंचने से मरीज की जान भी जा सकती है.
अब नाबालिग बच्चों की ख्वाहिश पूरी करना माता-पिता को महंगा पड़ सकता है। जी हां दरअसल गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट जल्द ही एक अभियान चलाने जा रही है। इसके तहत सड़कों पर फर्राटा भरते नाबालिग पर जुर्माना लगाने की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही अगर नाबालिग दो पहिया और चार पहिया वाहन चलाते हुए पकड़े गए, तो उनके अभिभावकों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा। साथ ही एक साल तक वाहन का रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया जाएगा।
25 हजार तक का लगाया जाएगा जुर्माना
पुलिस के मुताबिक 18 साल से कम आयु वाले बच्चों द्वारा वाहन चलाने पर सजा और जुर्माने के मुताबिक अभिभावक और वाहन स्वामी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 125 के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज हो सकता है। इसके अलावा 25,000 तक जुर्माना किया जाएगा। साथ ही 12 माह के लिए वाहन का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा। अपराध करने वाले बच्चे को 25 वर्ष की आयु तक लाइसेंस प्राप्त करने के लिए अपात्र घोषित किए जाने का भी प्रावधान है। यातायात पुलिस, कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर द्वारा अभियान चलाकर ऐसे वाहनों की चेकिंग की जाएगी तथा पकड़े जाने पर मोटरवाहन यान अधिनियम की धारा 199 (क) के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
अगर आप भी किराए पर खाली कमरा देते हैं या देते वाले हैं, तो सावधान हो जाइए. ऐसा हम इसलिए कह रहे क्योंकि नोएडा में एक ऐसा मामला सामने आया है. जिसे सुनने के बाद आप भी किराएदार रखने से पहले सौ बार सोचेंगे. दरअसल नोएडा के सेक्टर-93 स्थित एक्सप्रेस व्यू अपार्टमेंट में कमरा खाली को लेकर मकान मालिक और किराएदार के बीच मारपीट हो गई. विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर लात-घूसे बरसाने लगे और जमकर मारपीट की. दोनों पक्षों के बीच मारपीट की घटना वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई.वहीं अब इस मारपीट का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है.
मकान मालिक और किराएदार एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप
इस मामले को लेकर मकान मालिक का आरोप है कि मकान मालिक का आरोप है कि किराएदार मकान खाली नहीं कर रहा था. किराएदार ने जबरन मकान पर कब्जा कर रखा था. बार-बार किराएदार से मकान खाली करने को कहा जा रहा था लेकिन वह मकान खाली करने को तैयार ही नहीं था. तो वहीं किराएदार का कहना है कि मकान मालिक बेवजह उस पर कमरा खाली करने का दबाव बना रहा था.
मामले की जांच-पड़ताल में जुटी पुलिस
वहीं मारपीट की सूचना मिलने पर फेज-2 थाने की पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची. पुलिस ने दोनों पक्षों से पूछताछ कर रही है. इसके साथ ही मौके पर लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच कर आगे की कार्रवाई भी शुरू कर दी. पुलिस के अनुसार दोनों पक्षों से पूछताछ के बाद आगे की कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा औऱ मामले में जो भी आरोपी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
कांवड़ यात्रा शुरू होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में प्रशासन इस बात का विशेष ध्यान रख रहा है, कि कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े। जिसके चलते नोएडा में 22 जुलाई से 4 अगस्त तक अलग-अलग जगह ट्रैफिक डायवर्जन कर दिया है। डीसीपी ट्रैफिक यमुना प्रसाद ने शुक्रवार को डायवर्जन प्लान जारी करने के साथ यह जानकारी दी। डीसीपी ने बताया कि कांवड़ यात्रा को लेकर पुलिस पूरी तरह से गंभीरता व सतर्कता बरतेगी।
22 जुलाई से 4 अगस्त तक रहेगा ट्रैफिक डायवर्जन
कांवड यात्रा के दौरान नोएडा में 22 जुलाई से लेकर 4 अगस्त तक अलग-अलग जगह ट्रैफिक डायवर्जन रहेगा। चिल्ला बॉर्डर से शहर की सीमा में आने वाले कांवड़ियों के लिए कालिंदीकुंज तक का रूट ट्रैफिक पुलिस ने रिजर्व कर दिया है। साथ ही डीएनडी, चिल्ला, कालिंदीकुंज की तरफ से आने वाले भारी वाहनों के एनएच-9 पर जाने पर ट्रैफिक पुलिस रोक लगाएगी। ये वाहन नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे से होकर ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (केजीपी) पर पहुंचेंगे।
मथुरा, हरियाणा, राजस्थान जाने वाले कांवड़िये नोएडा से निकलेंगे
मथुरा, हरियाणा, राजस्थान को जाने वाले कांवड़िये नोएडा से निकलेंगे। चिल्ला बॉर्डर से एंट्री करने वाले कांवड़ियों को यहां से शनि मंदिर पुश्ता रोड से ओखला पक्षी विहार होकर निकाला जाएगा। इस रोड पर आम वाहनों का आवागमन रोका जाएगा। पक्षी विहार गेट से निकलते ही ओखला बैराज की एक लेन कालिंदीकुंज तक कांवड़ियों के लिए रिजर्व रहेगी। इस पर दिल्ली की तरफ से आने वाला ट्रैफिक रोक दिया जाएगा।
आईटीएमएस से भी रखी जाएगी निगरानी
इसी तरह सेक्टर-62 मॉडल टाउन से शहर के कांवड़िये आएंगे उन्हें देखते हुए भी ट्रैफिक कंट्रोल किया जाएगा। ट्रैफिक पुलिस ने बताया कि चिल्ला बॉर्डर, मॉडल टाउन सेक्टर-62 व अन्य जगह पहले से ही ड्यूटी लगाई जाएगी। एनएच-9 पर जाने वाले भारी वाहनों का डायवर्जन भी शुरू कर दिया जाएगा। आईटीएमएस से भी निगरानी रखी जाएगी। डीसीपी ने बताया कि कांवड़ यात्रा के लिए और भी सुझाव मांगे जा रहे हैं।
भीषण गर्मी से राहत के लिए आइसक्रीम तो हर कोई खाना चाहता है। मगर यदि गले को राहत देने वाली आइसक्रीम में ही कोई कीड़ा निकल आए तो, जी हां यूपी के नोएडा में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसके बाद बाहर से चीजें मंगाने से लोग तौबा कर लेंगे। दरअसल नोएडा के सेक्टर-12 में रहने वाली एक युवती ने शनिवार को ब्लिंकिट से आइसक्रीम मंगाई, जब पीड़िता ने उसे खोलकर देखा तो उसके होश उड़ गए। उसके अंदर ढक्कन में कनखजूरा चिपका मिला। घटना के बाद पीड़िता ने ब्लिंकिट को शिकायत दी है।
अमूल की आइसक्रीम में निकला कनखजूरा
पीड़िता दीपा ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों के लिए शेक बनाने के लिए उन्होंने ऑनलाइन ब्लिंकिट के माध्यम से अमूल वैनिला मैजिक आइसक्रीम 195 रुपए की मंगाई थी। जब उन्होंने उसे खोलकर देखा तो उसके अंदर कनखजूरा चिपका हुआ मिला। यह देखकर वह बहुत ज्यादा घबरा गई। इसके तुरंत बाद उन्होंने ब्लिंकिट को शिकायत दी। ब्लिंकिट की तरफ से उन्हें पैसे रिफंड भी हो गए हैं।
पीड़िता ने ऑनलाइन सामान मंगाने से की तौबा
ब्लिंकिट कस्टमर केयर ने बताया कि अमूल के मैनेजर उनसे कांटेक्ट करेंगे लेकिन अभी तक अमूल की तरफ से कोई रिप्लाई नहीं आया है। दीपा कहती है कि लोग अक्सर ऑनलाइन सामान मांगते हैं। अगर बच्चे इस कीड़े वाली आइसक्रीम को खा लेते तो बीमारी हो सकती थी। इस घटना के बाद से उन्होंने कहा कि अब वो बाहर की आइसक्रीम नहीं खाएंगी। बता दें इससे पहले मुंबई में एक आइसक्रीम में कटी हुई उंगली निकली थी। जिसको लेकर जांच अभी चल रही है।
गोल्ड लोन कंपनियों के कामकाज में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को कई खामियां मिली हैं. 30 सितंबर को केंद्रीय बैंक ने एक सर्कुलर जारी कर इन कंपनियों को सभी कमियों को दूर करने को कहा है. इसके लिए कंपनियों को तीन महीने का समय दिया गया है. दरअसल पिछले कुछ सालों में गोल्ड लोन का वॉल्यूम बहुत बढ़ गया है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इकरा की मानें तो फाइनेंशियल ईयर 2020 से फाइनेंशियल ईयर 2024 के दौरान गोल्ड लोन की ग्रोथ 25 फीसदी रही. बैंकों के गोल्ड लोन की ग्रोथ एनबीएफसी के मुकाबले तेज रही है.
आरबीआई को मिलीं ये खामियां
आरबीआई ने कई चीजों को लेकर आपत्ति जाहिर की है. गोल्ड लोन कंपनियां ग्राहक के गोल्ड की वैल्यू लगाने के लिए थर्ड पार्टी एजेंसियों का उपयोग कर रही हैं. इसके साथ ही गोल्ड लोन की वैल्यू लगाने के दौरान ग्राहक मौजूद नहीं रहता है. ग्राहक के गोल्ड लोन नहीं चुकाने पर ज्वैलरी की नीलामी में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है. लोन-टू-वैल्यू की मॉनिटरिंग भी कमजोर है. रिस्कवेट के नियमों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. नो योर कस्टमर कंप्लायंस फिनेटक कंपनियों के द्वारा किया जा रहा है. इसके लिए ग्राहक का फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं हो रहा है. लोन की अवधि पूरी हो जाने के बाद सिर्फ थोड़े पैसे लेकर लोन की अवधि बढ़ाई जा रही
है. आरबीआई का मानना है कि गोल्ड लोन कंपनियों के नियमों का पालन नहीं करने से ग्राहकों के लिए रिस्क बढ़ सकता है.
इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप भी गोल्ड लोन लेने जा रहे हैं तो आपको भी कुछ चीजों का खास ध्यान रखने की जरूरत है. ऐसी एनबीएफसी से गोल्ड लोन लेने की कोशिश करें, जो कि आरबीआई के नियमों का पालन करने के साथ ही जिसकी साख अच्छी हो. यह देख लें कि गोल्ड लोन का इंटरेस्ट रेट कितना है. इसके अलावा कंपनी ग्राहक से कौन-कौन से चार्ज वसूल रही है. इससे बाद में आपको परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. गोल्ड लोन लेने से पहले बैंक या NBFC की शर्तों को अच्छी तरह से समझ लें. ये देखें कि लोन की अवधि क्या होगी, लोन चुकाने के नियम क्या होंगे, एलटीवी रेशियो कितना है. RBI ने एलटीवी के लिए 75 फीसदी की लिमिट तय की है. ये देखना और समझना बेहद जरूरी है कि गोल्ड की वैल्यूएशन लगाने के लिए बैंक या एनबीएफसी किस तरीके का इस्तेमाल कर रहा है. ग्राहक के गोल्ड लोन का पैसा नहीं चुकाने पर एनबीएफसी गोल्ड को नीलाम कर देती हैं. इसलिए ग्राहक के लिए ये जानना जरूरी है कि नीलामी की प्रक्रिया और नियम क्या हैं.
पैसे बचाने के तरीके: चाहकर भी नहीं कर पाते हैं धन की बचत, तो ये टिप्स आपके काम की हैं
December 17, 2022