हर राजनीतिक पार्टी को बागी नेताओं से अक्सर निपटना पड़ता ही है. हाल फिलहाल हरियाणा विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस को बागियों की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है. जहां भाजपा के 19 बागी 15 निर्वाचन क्षेत्रों में तो वहीं कांग्रेस के 29 बागी 20 निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ रहे हैं. इसमें दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस 7 निर्वाचन क्षेत्रों में 12 असंतुष्टों को मनाने में सफल रही है. भाजपा के बागियों ने भी छह निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुरोध पर अपना नामांकन वापस ले लिया. यहां तक कि कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा और सीएम नायब सिंह सैनी असंतुष्टों से पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में अपना नामांकन वापस लेने अपील करते तक देखे गए.
बीजेपी के 19 बागियों ने वरिष्ठ नेताओं की अपील की अनसुना
वहीं 19 बागियों ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा की गई अपील को अनसुना कर दिया. जो कि 15 निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. प्रमुख उद्योगपति सावित्री जिंदल का नाम भाजपा के असंतुष्टों में एक हैं. जिन्हें पार्टी ने हिसार विधानसभा क्षेत्र से टिकट देने से इनकार कर दिया था. बता दें कि जिंदल और गौतम सरदाना पार्टी उम्मीदवार डॉ. कमल गुप्ता के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं अन्य भाजपा बागी जिनके पार्टी को नुकसान पहुंचाने की उम्मीद है. उनमें रानिया से रणजीत सिंह, तोशाम से शशि रंजन परमार, गन्नौर से देवेन्द्र कादयान, पृथला से नयन पाल रावत और दीपक डागर, लाडवा से संदीप गर्ग, भिवानी से प्रिया असीजा, रेवाडी से प्रशांत सन्नी, सफीदों से बच्चन सिंह और जसवीर देशवाल, बेरी से अमित, महम से राधा अहलावत, झज्जर से सतबीर सिंह, पूंडरी से दिनेश कौशिक, कलायत से विनोद निर्मल और आनंद राणा और इसराना से सत्यवान शेरा का नाम शामिल है.
कांग्रेस में बागियों की संख्या बीजेपी के मुकाबले ज्यादा
वहीं कांग्रेस पार्टी में बीजेपी की तुलना में ज्यादा बागी हैं. जिनमें से 29 बागी पार्टी प्रत्याशियों को 20 विधानसभा क्षेत्रों में चुनौती दे रहे है. जिनमें पृथला से नीटू मान, पटौदी से सुधीर चौधरी, कोसली से मनोज, कलायत से सतविंदर, अनीता ढुल, दीपक और सुमित, गुहाला से नरेश धांडे और डालूराम, गोहाना से हर्ष छिकारा, जींद से प्रदीप गिल, झज्जर से संजीत, उचाना कला से वीरेंद्र घोघड़िया और दिलबाग सांडिल, बहादुरगढ़ से राजेश जून, बरवाला से संजना सातरोड, पानीपत (शहरी) से रोहिता रेवड़ी, पानीपत (ग्रामीण) से विजय जैन, भिवानी से अभिजीत और नीलम अग्रवाल, बड़ौदा से कपूर नरवाल, भवानीखेड़ा से सतबीर रतेरा, तिगांव से ललित नागर, बल्लभगढ़ से शारदा राठौड़, अंबाला कैंट से चित्रा सरवारा, पुंडरी से रणधीर गोलन, सज्जन ढुल, सतबीर और सुनीता बतान का नाम शामिल है. बता दें कि 48 असंतुष्टों सहित कुल 1031 उम्मीदवार इस बार के चुनाव में मैदान में हैं.
हरियाणा के रेवाड़ी में शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जनसभा को संबोधित किया. इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार फिर कांग्रेस और राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला. शाह ने कहा कि हरियाणा में जब कांग्रेस की सरकार थी तब कट, कमीशन और करप्शन का बोलबाला था. डीलर, दलाल और दामादों का राज चला करता था. बीजेपी सरकार में ना डीलर बचे, ना ही दलाल बचे, दामाद का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है. इसके बाद शाह ने आगे कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने अग्निवीर योजना को लेकर लोगों के बीच भ्रम फैलाने का काम किया है. आज अगर देश की सीमाएं सुरक्षित हैं, जम्मू-कश्मीर सुरक्षित है, तो इसमें हरियाणा के जवानों का बलिदान, वीरता और शौर्य शामिल है.
कांग्रेस एमएसपी को लेकर किसानों से बोल रही झूठ- शाह
एमएसपी को लेकर शाह ने सांसद राहुल गांधी पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि राहुल को किसी ने कह दिया, कि MSP बोलने से वोट मिल जाएंगे. क्या राहुल MSP का फुलफॉर्म जानते हैं? खरीफ और रबी की फसल कौन सी होती है, क्या राहुल को मालूम है? कांग्रेस की जो सरकारें देश भर में चल रही हैं. वे किसानों से MSP के नाम पर झूठ बोल रही हैं. हरियाणा की बीजेपी सरकार किसानों से 24 फसलें MSP पर खरीद रही है. हरियाणा में कांग्रेस के नेता एक बात बता दें कि देश में आपकी कौन सी सरकार MSP पर 24 फसल खरीदती है?
अमेरिका में दिए बयानों को लेकर राहुल गांधी को घेरा
अमेरिका में राहुल गांधी के बयान को लेकर अमित शाह ने कहा कि राहुल विदेश जाकर कहते हैं, कि हम ST-SC-OBC समुदाय का आरक्षण समाप्त कर देंगे. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में वो हम पर आरोप लगा रहे थे, कि हम आरक्षण समाप्त करने वाले हैं लेकिन अब अमेरिका जाकर खुद अंग्रेजी में बोलकर आए है, कि आरक्षण समाप्त कर देंगे.
"कांग्रेस 40 सालों तक वन रैंक-वन पेंशन लागू नहीं कर सकी"
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में चुनाव प्रचार की शुरुआत हरियाणा से ही की थी. तब पीएम मोदी ने वादा किया था कि हम सेना के जवानों की वन रैंक-वन पेंशन की मांग को पूरा करेंगे. 40 सालों से हमारे सेना के जवान इस मांग को कर रहे थे. 40 सालों तक कांग्रेस वन रैंक-वन पेंशन योजना लागू नहीं कर पाई, अब जबकि मोदी जी को सेवा का मौका मिला है तो मोदी जी ने वन रैंक-वन पेंशन को लागू करके दिखा दिया. इसी के साथ अमित शाह ने ये भी बताया कि एक महीने पहले वन रैंक-वन पेंशन का तीसरा वर्जन भी लागू कर दिया गया है.
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में एक बार फिर कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। जबकि एग्जिट पोल और राजनीतिक पंडितों ने कांग्रेस को हरियाणा में अच्छे संकेत दिए थे। अभी तक आए रुझाने के अनुसार सत्ता विरोधी लहर के बाद भी कांग्रेस की सत्ता में वापसी नहीं दिख रही है। जबकि भाजपा के सिर ताज सजता नजर आ रहा है। बता दें कि सुबह 11 बजे तक हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) 47 सीटों पर आगे चल रही थी। जबकि कांग्रेस 36 सीटों पर आगे चल रही थी. कांग्रेस का वोट शेयर 40.57 प्रतिशत था, जबकि भाजपा का 38.80 फीसदी था। बता दें कि राज्य में बहुमत का आंकड़ा 46 सीटों का है। 90 सीटों पर 25 प्रतिशत वोटों की गिनती हो चुकी है।
बीजेपी ने गैर-जाट वोटरों को किया एकजुट
ऐसा लगता है कि कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर बहुत निर्भर थी। यह निर्भरता उसके लिए कारगर साबित नहीं हुई। कांग्रेस का मानना था कि जाट, दलित और मुस्लिम वोट मिलकर राज्य में जीत सुनिश्चित करेंगे, लेकिन ऐसा लगता है कि बीजेपी ने गैर-जाट और गैर-मुस्लिम वोटों के बीच अपने वोट को बेहतर तरीके से एकजुट कर लिया है। इसके अलावा, गैर-जाट अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटों को एकजुट करने की योजना भाजपा के लिए कारगर साबित हुई। बीजेपी ने पूर्वी और दक्षिणी हरियाणा के गैर-जाट इलाकों में अपना गढ़ बरकरार रखा है। जाट-बहुल पश्चिमी हरियाणा में उल्लेखनीय रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है। गैर-जाट वोट बड़ी संख्या में बीजेपी के पक्ष में मतदान किया है।
भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा में अंदरूनी कलह ने डुबाई नैया
बीजेपी के खिलाफ कथित सत्ता विरोधी लहर के बावजूद कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच अंदरूनी कलह को रोकने में सफल नहीं रही। दोनों के तनाव ने भी पार्टी की संभावनाओं पर पानी फेर दिया। जमीनी स्तर पर कांग्रेस ने बीजेपी की तरह एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ा। जिसकी वजह से कई बागी निर्दलीय चुनाव लड़े। हालांकि कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया था, लेकिन यह भी पक्ष में नहीं गया. हरियाणा में गैर-जाट वोटों के बीच 2004 से 2014 के बीच हुड्डा सरकार को भ्रष्ट माना जाता था और शासन के मापदंडों पर उसका प्रदर्शन खराब था। हुड्डा के शासन के दौरान, राज्य में कानून और व्यवस्था भी खराब बताई गई थी।
भारत की पूर्व दिग्गज महिला पहलवान विनेश फोगाट ने राजनीति में कदम रखते ही जीत हासिल कर ली है। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में विनेश फोगाट ने अपने विरोधियों को बुरी तरह से मात दी है। कांग्रेस ने विनेश फोगाट को जींद जिले की जुलाना सीट से मैदान पर उतारा था, जोकि उनकी ससुराल भी है। विनेश फोगाट ने 6015 वोट से जीत हासिल की है। विनेश के साथी पहलवान बजरंग पूनिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए एक पोस्ट करते हुए बताया कि विनेश ने चुनावी आखड़े में बाजी मार ली है।
बजरंग पूनिया ने दी जीत की बधाई
पहलवान बजरंग पूनिया ने एक्स पर लिखा- 'देश की बेटी विनेश फोगाट को जीत की बहुत बहुत बधाई। यह लड़ाई सिर्फ़ एक जुलाना सीट की नहीं थी, सिर्फ़ 3-4 और प्रत्याशियों के साथ नहीं थी, सिर्फ़ पार्टियों की लड़ाई नहीं थी। यह लड़ाई देश की सबसे मज़बूत दमनकारी शक्तियों के ख़िलाफ़ थी। और विनेश इसमें विजेता रही'।
ससुराल में विनेश फोगाट को मिली जीत
हरियाणा में जींद जिले की जुलाना विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार विनेश फोगाट ने जीत हासिल कर ली है। उन्हें भाजपा के उम्मीदवार कैप्टन योगेश बैरागी से कड़ी टक्कर मिली। फोगाट पहले कैप्टन बैरागी पिछड़ गई थीं, लेकिन आखिर में 5,000 वोटों से ज्यादा से विनेश ने जीत हासिल की है। आपको बता दें, फोगाट का जुलाना ससुराल है। उनके पति सोमवीर राठी जींद के बख्ता खेड़ा गांव से हैं। विनेश फोगाट ने 6015 वोट से जीत हासिल की है।इस सीट पर बीजेपी की तरफ से लड़ रहे योगेश कुमार दूसरे नंबर पर हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी की तरफ से कविता रानी मैदान पर हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक कविता रानी भी पहलवान हैं।
क्या है जुलाना सीट का इतिहास?
जुलाना सीट जाटों का गढ़ माना जाता है। यहां 1967 में कांग्रेस के चौधरी दल सिंह ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1972 में कांग्रेस जीती थी। 2000 और 2005 में कांग्रेस के शेर सिंह सहरावत के जीतने के बाद 2009 से यह सीट इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के पास रही है। 2019 में यहां से जननायक जनता पार्टी के अमरजीत ढांडा विधायक बने थे। अब विनेश फोगाट ने जुलाना में कांग्रेस का 15 साल का सूखा खत्म किया है। इस सीट पर 65.65 प्रतिशत मतदान हुआ था। जोकि साल 2014 के मुकाबले काफी कम था। 2014 में 68 प्रतिशत मतदान हुआ था।
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