रामानंद सागर के निर्देशन में बने टीवी सीरियल 'रामायण' में भगवान राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को आखिर कौन नहीं जानता। अब वे राजनीति की दुनिया कदम रखने जा रहे हैं भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मेरठ सीट से 'रामायण' सीरियल में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को टिकट दिया है। आज अरुण गोविल ने अपना नामांकन भी फाइल कर दिया है इस दौरान उनके साथ उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद और साथ ही कई दिग्गज चेहरे नजर आए। चुनावी हलफनामे में अरुण ने अपनी संपत्ति के बारे में जानकारी दी। जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। आइए जानते हैं कि रामायण के 'श्रीराम' के पास कितनी संपत्ति है।
अरुण के बैंक अकाउंट में 10,34,9071 रुपये जमा
अरुण गोविल की संपत्ति की बात करें तो उनके पास 13194 वर्ग फुट में फैला हुआ एक आवासीय प्लाट है, पूणे में स्थित इस प्लाट को अरुण गोविल ने 2010 में 45 लाख रुपये में खरीदा था लेकिन आज इसकी कीमत 4.25 करोड़ रुपये हो चुकी है। उनके पास एक ऑफिस साउथ वेस्ट में है, जो 1393 वर्ग फुट में है। इसे 2017 में 52 लाख रुपये में खरीदा था, लेकिन आज इसकी कीमत 1.42 करोड़ रुपये हो चुका है। अरुण गोविल के पास 375000 रुपये कैश है, जबकि बैंक अकाउंट में 10,34,9071 रुपये जमा हैं। वहीं अरुण ने शेयर बाजार में 1.22 करोड़ रुपये और म्यूचुअल फंड में 16.51 लाख रुपये का निवेश किया है। इनके पास एक मार्सडीज कार 2022 मॉडल है, जिसकी कीमत 62,99,000 रुपये है और 220 ग्राम सोने के आभूषण है, जिनकी कीमत 10,93,291 रुपये है। अरुण गोविल के ऊपर एक्सिस बैंक से 14.6 लाख का कर्ज भी है।
श्रीलेखा गोविल की आय 16.74 लाख रुपये तय की गई
अरुण गोविल की पत्नी श्रीलेखा गोविल के पास कैश 40,75,00 रुपये, बैंक में 80,43,149 रुपये हैं और शेयर में 143,59,555 रुपये निवेशित हैं और अरुण कियेशन में 15,65,971 रुपये लगे हैं. श्रीलेखा गोविल के पास 600 ग्राम सोने के आभूषण हैं, जिनकी कीमत 32 लाख रुपये से ज्यादा है. अरुण की पत्नी के नाम अमरनाथ टॉवर्स अंधेरी वेस्ट मुंबई में 1127 वर्ग फुट का एक फ्लैट है. इस फ्लैट को 2001 में 49 लाख रुपये में खरीदा गया था, जिसकी वर्तमान वैल्यू 2 करोड़ रुपये से ज्यादा है. वित्त वर्ष 2022-23 में इनकी पत्नी की आय 16.74 लाख रुपये तय की गई है.
'रामायण'से मिली अरुण को खास पहचान
अरुण गोविल का जन्म मेरठ जिले में 12 जनवरी 1958 को हुआ था, लेकिन उनका बचपन शाहजहांपुर में बीता.अरुण गोविल ने हाईस्कूल की पढ़ाई यूपी बोर्ड से राजकीय इंटर कॉलेज मेरठ से 1966 में की। इसके बाद इंटरमीडिएट राजकीय इंटर कॉलेज सहारनपुर से 1968 में पूरा किया। आगरा विश्वविद्यालय से अरुण ने बीएससी की पढ़ाई साल 1972 में पूरी की। अरुण गोविल के पिता चाहते थे कि अरुण एक सरकारी नौकरी करें, लेकिन अरुण ने एक्टिंग की दुनिया में अपना कदम रखा। इन्होंने 'रामायण' के अलावा कई अन्य सीरियल और फिल्मों में भी काम किया है लेकिन वे फेमस रामायण में राम के किरदार से हुए।
चुनाव आते ही नेताओं के ही नहीं बल्कि अभिनेताओं के भी अरमान जाग जाते हैं। जहां नेता पार्टी से टिकट मिलने की आस लगाने लगते हैं तो वहीं अभिनेता अपने करियर की ढलती शाम को सुबह में बदलना चाहता है तो कोई इन सेलिब्रिटीज की लोकप्रियता की बदौलत अपनी पार्टी में जीत के आंकड़े बढ़ाना चाहता है। सियासत में सितारों की यही अमूमन कहानी है। लोकसभा चुनाव 2024 का मैदान तैयार है तो फिल्मी सितारों की सेना फिर से सज गई है। सियासी स्क्रीन पर इन फिल्मी सितारों में कोई स्टार है तो कोई बेकार है। सितारे महफिल की शान होते हैं और अपनी चमक बिखेरने के लिए जाने जाते हैं।
कौन सा सितारा इस बार चुनावी मैदान में
कभी नेपोटिज्म और लॉबिंग तो कभी फिल्म इंडस्ट्री में हाशिये पर हिंदुइज्म की मुहिम चलाकर सोशल मीडिया से लेकर न्यूज मीडिया तक सुर्खियों में रहीं सिल्वर स्क्रीन की ‘क्वीन’ और ‘थलैवी’ कंगना रनौत हिमाचल प्रदेश की मंडी से चुनाव लड़ रही हैं जबकि छोटे पर्दे पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की भूमिका निभाकर घर-घर में मशहूर अरुण गोविल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ से ताल ठोक रहे हैं। तो वहीं छोटे मियां और हीरो नंबर वन गोविंदा ने सियासत की दुनिया में घर वापसी कर ली है। कभी राजनीति से तौबा कर चुके गोविंदा फिर से जोश में हैं। फिलहाल सिनेमा तो नहीं कर रहे सोचा चलो सियासी पारी ही हो जाए। कुछ तो रिलीज होना चाहिए। बॉक्स ऑफिस ना सही पब्लिक पिक्चर ही सही। उधर कुछ ऐसे नाम भी हैं जिन्होंने पिछले कुछ सालों से संसद से लेकर सड़क तक खूब चमक बिखेरी हैं। मसलन मथुरा से हेमा मालिनी, दिल्ली नॉर्थ-वेस्ट से मनोज तिवारी, गोरखपुर से रवि किशन तो आसनसोल से बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा जो कभी पटना साहिब से चुनाव लड़े थे।
पर्दे पर हिट सितारे राजनीति की दुनिया में हो गए फ्लॉप
राजनीति के मैदान में फिल्मी सितारों का आना कोई नई बात नहीं। ये सिलसिला छठे-सातवें दशक से जारी है। लेकिन राजनीति से मोहभंग होने की कहानी भी कम नहीं है। फिल्मी पर्दे के महानायक कहे जाने वाले अपने दौर के एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन ने भी बड़े ही जोर शोर से 1984 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद से अपनी सियासी पारी का आगाज किया था लेकिन वास्तविक जिंदगी में जब तमाम तरह के आरोपों से घिरने लगे, तो राजनीति को अलविदा कहते हुए- ऐलान कर दिया- ‘मैं आजाद हूं’। इसी तरह अपने समय के सुपरस्टार राजेश खन्ना, धर्मेंद्र और उनके स्टार बेटे सनी देओल भी राजनीति में आए लेकिन कोई कमाल नहीं दिखा सके। ना संसद में उपस्थिति दिखी और ना ही सार्वजनिक जीवन में एक राजनीतिज्ञ की भूमिका निभाई। जहां धर्मेंद्र ने कहा कि उन्हें राजनीति की एबीसीडी नहीं आती तो सनी देओल ने खुद को राजनीति में अनफिट बताया। हालांकि बतौर सांसद हेमा मालिनी, शत्रुघ्न सिन्हा और राज बब्बर जैसे सितारों की भी राजनीति में फुलटाइमर वाली संलग्नता हमेशा बनी रही है. जीतें या हारें, राजनीति से सक्रिय रिश्ता बनाये रखा और लोकतंत्र को मजबूती दी। जया प्रदा ने भी राजनीति और समाज से लंबे समय तक रिश्ता बनाये रखा लेकिन सिल्वर स्क्रीन की ‘उमराव जान’ रेखा बतौर राज्यसभा सांसद सदन से ज्यादातर बार नदारद रहीं।
कई फिल्मी हस्तियों ने संसद के अंदर और बाहर सक्रियता बनाए रखी
वहीं इतिहास के पन्ने पलटें तो कई फिल्मी हस्तियों ने संसद के अंदर और बाहर सक्रियता बनाए रखी है। बतौर लोकसभा सांसद सुनील दत्त की पारी उत्साह जगाने वाली रही है। करीब डेढ़ दशक से ज्यादा समय तक वो सांसद रहे और जमीन से जुड़े रहने का पूरा प्रयास किया, जिसकी सराहना की जाती है। सुनील दत्त मुंबई में बतौर जनप्रतिनिधि स्लम बस्तियों में जाकर सुधार के काम कर चुके थे तो पंजाब में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए मुंबई से अमृतसर तक की पदयात्रा की थी। वहीं राज्यसभा सांसद के तौर पर शायर, गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर का योगदान बहुत सराहनीय रहा है। उन्होंने कॉपीराइट संशोधन कानून के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की। उन्होंने मुहिम चलाकर फिल्म जगत के तमाम गीतकारों और संगीतकारों के अधिकार की रक्षा करने वाला कानून में संशोधन करवाया, जिसकी लोग प्रशंसा करते हैं। राज्यसभा में कभी पृथ्वीराज कपूर भी कला और सिनेमा से जुड़े मुद्दे उठाते थे तो आज भी जया बच्चन ज्वलंत मुद्दों पर अपनी बुलंद आवाज के लिए जानी जाती हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे घोषित होने के बाद बीजेपी का 400 पार का सपना, सपना रह गया। इलेक्शन के रिजल्ट ने एग्जिट पोल को पूरी तरह से गलत साबित किया। इस नतीजों ने बहुत लोगों को चौंका दिया, जिसमें रामायण में लक्ष्मण की भूमिका निभाने वाले सुनील लहरी भी शामिल हैं। उन्होंने बीजेपी की नेतृत्व वाली एनडीए को 292 सीटें मिलने का अफसोस जताया है। साथ ही उन्होंने फैजाबाद ( अयोध्या) से बीजेपी के हारने को लेकर नाराजगी भी जाहिर की है।
सोशल मीडिया पर किए कई पोस्ट
सुनील लहरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर एक के बाद एक कई स्टेटस लगाए। जिसपर अयोध्या में बीजेपी की हार को लेकर लोगों से नाराजगी जताई।
‘ये गठबंधन सरकार 5 सालों तक सही से चल पाएगी’
सुनील लहरी ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट करके कहा कि जय श्रीराम। इलेक्शन के रिजल्ट देखकर बहुत निराशा हो रही है। इसीलिए मैं कहता था- ‘वोट दो, वोट दो’, लेकिन किसी ने नहीं सुना। अब गठबंधन की सरकार बनेगी। क्या ये गठबंधन सरकार को 5 साल तक सही से चला पाएगी, सोचिए जरा।
‘कंगना रनौत और अरुण गोविल के जीतने से खुश’
वीडियो के आखिर में उन्होंने ये भी कहा कि वो अपने दो फेवरेट लोगों के जीतने से बेहद खुश है। सुनील लहरी ने कहा कि खैर, मुझे इस बात की खुशी है कि दो ऐसे लोगों ने जीत दर्ज कराई है, जिन्हें मैं बहुत पसंद करता हूं। दोनों के दोनों ने इलेक्शन में शानदार जीत दर्ज कराई है। पहली हैं कंगना रनौत जी, जो नारी शक्ति का जीता-जागता स्वरूप हैं। उन्होंने मंडी से जीत दर्ज कराई है। दूसरे हैं मेरे बड़े भाई समान अरुण गोविल जी। वह मेरठ सीट से इलेक्शन जीते हैं। दोनों को ही मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं। जय श्रीराम।’
अयोध्या से सपा की जीत
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले आंकड़े अयोध्या से सामने आए हैं। अयोध्या में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद 54,567 वोटों से जीते हैं, उन्हें कुल 5,54,289 वोट मिले। वहीं, बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह को 4,99,722 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बसपा के सच्चिदानंद पांडे रहे, उन्हें 46,407 वोट मिले।
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