GREATER NOIDA: प्राधिकरण की कमान संभालने के बाद नए CEO रवि कुमार एनजी लगातार एक्शन में हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में पिछले CEO के कार्यकाल में कई कम अनुभव वाले अधिकारियों को महत्वपूर्ण विभाग बांटे गये थे, जिन्हें अब वापस लिए जा रहे हैं।
कई महीने से पेंडिंग हैं उद्यमियों की फाइलें
एक-तरफ सरकार लगातार उद्योग को बढ़ावा देने में जुटी है, ताकि प्रदेश की अर्थव्यस्था को नए मुकाम तक ले जाया जा सके। इसके लिए यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो का भी ग्रेटर नोएडा में आयोजन किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर प्राधिकरण के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के चलते उद्यमियों और आवंटियों के महत्वपूर्ण फाइलें 4-4 महीनें से विभाग के चक्कर काट रही हैं। जिससे आवंटियों और उद्यमियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नए CEO से जगी उम्मीदें
प्राधिकरण के नए CEO रवि कुमार एनजी लगातार आवंटियों और उद्मियों के साथ बैठकें कर रहे हैं और उनकी परेशानियों को सुन रहे हैं। इसके अलावा जिन विभागों में इनकी फाइलें अटकी पड़ी हैं, उसे तत्काल निवारण के आदेश भी नए CEO की तरफ से दिए जा रहे हैं। जिसके बाद नए सीईओ से आवंटियों और उद्यमियों की उम्मीदें बढ़ी हैं। इसके साथ ही अब ये भी उम्मीद की जा रही है कि अब ऐसे अधिकारियों को ही महत्वपूर्ण विभाग और जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी, जो ईमानदारी से उद्मियों, आवंटियों और आम लोगों के के मसले का निवारण करेंगे।
GREATER NOIDA: आवंटियों और उद्मियों का काम बेवजह लटकाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अब कार्रवाई होगी। ये बात ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के नए CEO रवि कुमार एनजी ने कही। जनसुनवाई से मिली शिकायत के बाद सीईओ ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को ये चेतावनी दी। सीईओ ने कहा कि आवंटियों और उद्मियों के काम को अधिकारियों को तय समय में निपटाना होगा।
शिकायत के बाद CEO की चेतावनी
दरअसल, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से आवंटियों को समय वृद्धि, मोर्टगेज परमिशन, नो-ड्यूज सर्टिफिकेट, पेमेंट अपडेशन, भूखंडों का चिन्हांकन डिमार्केशन, लीज डीड निष्पादन, ट्रांसफर मेमोरंडम, पेमेंट वेरीफिकेशन आदि कार्य कराने होते हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने आवंटियों, किसानों और आम लोगों से नियमित रूप से मिल रहे हैं। सीईओ के सामने ये शिकायत आई है कि इन सामान्य कार्यों के लिए बेवजह तय समय से अधिक विलंब किया जा रहा है। इससे आवंटी भी परेशान होता है और प्राधिकरण की छवि भी धूमिल होती है। इस तरह की शिकायतों पर सीईओ ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए सभी विभागों के लिए कार्यालय आदेश जारी किया है।
संबंधित अधिकारियों को निर्देश
सीईओ ने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया है कि वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को सचेत कर दें। भविष्य में इस प्रकार की कोई शिकायत आवंटी से प्राप्त हुई तो संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारी और कर्मचारी ही जिम्मेदार होंगे।
GREATER NOIDA: हजारों की संख्या में किसान आज (मंगलवार) प्राधिकरण (GREATER NOIDA AUTHORITY) के गेट पर तालाबंदी करने जा रहे हैं। किसान अतिरिक्त मुआवजे और दूसरे मुद्दे को लेकर प्राधिकरण के अफसरों को कार्यालय में ही कैद करेंगे। इसे लेकर किसानों ने तैयारियां पहले ही शुरू कर दी थी। 119 दिन से धरना दे रहे किसान लगातार अपनी मांग को लेकर बातचीत कर रहे हैं।
समाधान नहीं मिलने पर किसानों का हल्लाबोल
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के मुद्दे को लेकर प्राधिकरण को चिट्ठी भी लिखी, लेकिन अभी तक किसानों के मामले का समाधान नहीं निकला। जिसके चलते किसानों में रोष है और अब किसानों ने प्राधिकरण पर तालाबंदी करने का फैसला लिया है। महाआंदोलन की चेतावनी किसानों ने प्राधिकरण को पहले ही दे दी थी।
जानबूझकर हमारे मुद्दे को लटकाया गया: किसान
अब किसान अपनी मांगों को लेकर प्राधिकरण के साथ आर-पार की लड़ाई के मूड़ में हैं। किसानों का कहना है कि उनके वाजिब मुद्दों को जानबूझकर लंबा खींचा जा रहा है। इसके बावजूद किसान अपने हक की लड़ाई बिना थके लड़ते रहेंगे।
Greater Noida: प्राधिकरण के खिलाफ 120 दिनों से चल रहे किसानों का आंदोलन मंगलवार को उग्र हो गया. धरना दे रहे किसानों ने पहले ही 12 सितंबर को प्राधिकरण का घेराव कर तालाबंदी करने का ऐलान किया था. इसी के तहत मंगलवार को बड़ी संख्या में किसानों ने प्राधिकरण पर एकत्रित होकर आवाज बुलंद किए. किसानों ने प्राधिकरण के गेट पर कब्जा कर लिया और धरने पर बैठ गए. इस दौरान भारी पुलिस फोर्स मौके पर किसानों को समझाने की कोशिश कर रही है. इस दौरान पुलिस और किसानों से नोकझोक भी हुई. वहीं किसानों का समर्थन देने सपा विधायक अतुल प्रधान भी पहुंचे.
किसानों की समस्याओं का नहीं हो रहा समाधान
इस दौरान किसान सभा के प्रवक्ता डॉक्टर रुपेश वर्मा ने कहा कि उन लोगों ने प्राधिकरण को पर्याप्त समय दे चुके हैं। इसके बावजूद अभी तक किसानों की समस्या का कोई हल नहीं निकला. इसकी वजह से मजबूरन प्राधिकरण के घेराव की रणनीति अपनानी पड़ी।वहीं, किसान सभा के महासचिव हरेंद्र ने कहा, "हमारी लड़ाई वाजिब है। काफी वक्त हम प्राधिकरण को अपनी समस्याओं को सुलझाने के बाबत दे चुके हैं। लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों पर जूं तक नहीं रेग रही। बता दें कि इसके पहले किसानों ने गांवों में मीटिंग कर ग्रामीणों से 12 सितंबर को प्राधिकरण पर पहुंचने की अपील की थी. वहीं, राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी ने धरने पर पहुंचकर समर्थन किया था और साथ देने का आश्वासन किया था.
किसानों की ये हैं मुख्य मांगे
बता दें कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की स्थापना के साथ ही किसानों का विरोध शुरू हो गया था। किसान खुद को इस विकास से दूर मानते आ रहे हैं। वहीं, लगभग 10 साल से 64.7% अतिरिक्त मुआवजा, 6%, 7% और 10% आबादी भूखंडों से जुड़े मामले लटके हुए हैं। इसके अलावा आबादी निस्तारण, बैकलीज मामले, दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल रेलवे कॉरिडोर से प्रभावित किसानों की मांग है. इसी को लेकर लगातार किसान आंदोलन चल रहे हैं। करीब एक वर्ष से डीएमआईसीडीसी से प्रभावित किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ महीनों से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसानों का आंदोलन चल रहा था. लेकिन सीएम योगी के आने से पहले किसानों को आश्वासन देकर उठा दिया गया। अब मांगें और शर्त पूरी नहीं होने पर 18 जुलाई से किसान लगातार धरना दे रहे हैं.
Greater Noida: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के विरुद्ध आज 121वें दिन भी किसान बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ धरने पर डटे रहे। किसानों ने अपने संकल्प को दोहराते हुए कहा कि जब तक समस्याओं का निदान नहीं जब तक घर वापसी नहीं। किसान सभा के प्रवक्ता डॉक्टर रुपेश वर्मा ने कहा कि हमारे मुद्दों पर प्राधिकरण ने सैद्धांतिक सहमति जताते हुए मीटिंग मिनट हमें देने के लिए कहा है. जिसमें हमारे मुद्दों को क्रमवार एक निश्चित समय सीमा के अंदर हल करने के लिए कहा गया है. मीटिंग मिनट मिलने के बाद संगठन के साथ उन पर चर्चा करेंगे और अगर सब कुछ उचित लगा तो एक पंचायत बुलाकर आगे के लिए निर्णय लेंगे। यदि इस सब में हीला हवाली हुई तो किसान अपनी रणनीति बदलने को फिर से मजबूर होंगे और कोई बड़ा प्रदर्शन प्राधिकरण पर फिर से होगा।
क्षेत्र के किसानों में बहुत आक्रोश
किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नागर ने कहा कि 12 सितंबर को प्राधिकरण पर तालाबंदी के लिए सभी संगठनों ने एकजुट होकर बड़ी संख्या में क्षेत्र की महिलाओं ने व युवाओं ने प्राधिकरण पर प्रदर्शन किया। अपनी घोषणा के तहत दोनों गेटों पर तालाबंदी की। लेकिन अधिकारियों के आग्रह पर हमने ताले को खोल और उनसे वार्ता की। क्षेत्र के किसानों में बहुत आक्रोश है, उनकी पीड़ा को समझने में प्राधिकरण और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने बहुत देरी कर दी है। अगर जल्द ही समस्याओं का निदान नहीं हुआ तो क्षेत्र के किसानों में आक्रोश और ज्यादा होगा।
जमीन जाने से हमारे सामने रोजगार का संकट
किसान सभा के सचिव जगबीर नंबरदार ने कहा कि हमारी वर्षों से पड़ी लंबित समस्याएं हैं. यहां पर अधिकारी आते हैं समस्याओं को सुनते हैं और हल करने के लिए आश्वासन देते हैं. लेकिन समस्याओं का निदान होने से पूर्व ही यहां से ट्रांसफर होकर चले जाते हैं और हमारी समस्याएं जस की तस रह जाती हैं। हमारी जमीन जाने से हमारे सामने रोजगार का संकट है। जीवन यापन करने का बहुत बड़ा मसला हमारे सामने है। हमारे क्षेत्र में रोज नए उद्योग स्थापित हो रहे हैं परंतु उनमें हमारे क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है। फिर इस जिले का विकास हमारे जीवन में क्या मायने रखता है। इस पर भी हमारे जनप्रतिनिधियों को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
प्राधिकरण में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर
किसान गबरी यादव का कहना है कि प्राधिकरण के अंदर किसने की ही समस्याएं जस की तस बनी हुई है। जबकि जो दलाल किस्म के लोग अपना काम करने प्राधिकरण में आते हैं, उनका काम जल्द हो जाते हैं। प्राधिकरण के अंदर भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। ज्यादातर अधिकारी कर्मचारी भ्रष्टाचारी में लिप्त है और वह अपनी मुट्ठी के कुछ लोगों से मिलकर क्षेत्र के अंदर लगातार समस्याओं को बढ़ा रहे हैं। जो की किसी के लिए भी कर नहीं है यह समस्या क्षेत्र के अंदर एक बड़े आंदोलन को जन्म देने वाली है।
नोटिस भेज कर डराया जा रहा है
जय जवान जय किसान के सुनील फौजी ने बताया कि डीएमआईसी से प्रभावित पांच गांवों के किसानों की समस्याओं का प्राधिकरण ने अभी तक निदान नहीं किया है। हमारी वर्षों से पुरानी आबादियों पर धारा 10 के नोटिस भेज कर लोगों को डराया व धमकाया जा रहा है, यह हमें किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं है। अगर प्राधिकरण किसानों के साथ खिलवाड़ करेगा तो आक्रोश ज्वाला बनकर फूटेगा। इस सब की जिम्मेदारी प्राधिकरण व शासन प्रशासन की होगी।
Greater noida: प्राधिकरण से बड़ी ख़बर सामने आ रही है। प्राधिकरण ने महाप्रबंधक (सिविल) के दो पदों पर एक साल की अस्थाई नियुक्ति के लिए सेवानिवृत्त अभियंताओं से आवेदन मांगे गये हैं। जबकि प्राधिकरण से स्थानांतरित महाप्रबंधक स्तर के कई अधिकारी यूपीसीडा में बगैर जरूरत तैनात हैं।
उप-जिलाधिकारी को बनाया गया है महाप्रबंधक
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का अभियांत्रिकी विभाग वर्तमान में बिना महाप्रबंधक के चल रहा है। तहसीलदार पद पर यहां प्रतिनियुक्ति पर आए और अब प्रमोशन के बाद उप-जिलाधिकारी जितेंद्र गौतम को फिलहाल अभियांत्रिकी विभाग का महाप्रबंधक बनाकर बैठाया गया है। जिसके चलते प्राधिकरण का भूलेख विभाग तहसीलदार विहीन हो गया है।
PCS अधिकारी को अभियांत्रिक विभाग की जिम्मेदारी क्यों?
पीसीएस अधिकारी को अभियांत्रिकी विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सवाल ये है कि पीसीएस अधिकारी को अभियांत्रिकी विभाग की कितनी समझ हो सकती है। इससे विभाग का रोज का कामकाज कैसे चल सकता है? इसी समस्या को देखते हुए प्राधिकरण ने सेवानिवृत्त अभियंताओं की महाप्रबंधक (सिविल) पद पर सेवा लेने का निर्णय किया गया है।
इन शर्तों के साथ मांगे गये आवेदन
इसके लिए बकायदा समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर आगामी 4 अक्टूबर तक आवेदन मांगे गये हैं। रिटायर्ड अभियंताओं की महाप्रबंधक (सिविल) पद के लिए कई शर्तें लागू की गई है। जिसमें एक शर्त ये भी है कि रिटायर्ड इंजीनियर की उम्र 65 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। सेवनिवृत्त होने के दस साल पहले उनके सर्विस पर किसी तरीके का दाग नहीं होना चाहिए। इसके लिए उन्हें शपथपत्र के साथ आवेदन देना होगा। ये नियुक्तियां एक साल के लिए की जाएंगी। महाप्रबंधक सिविल के तौर पर सेवानिवृत्ति के बाद अस्थाई नियुक्त होने वाले को एक निश्चित मानदेय प्राधिकरण द्वारा दिया जाएगा।
इन समस्याओं से गुजर रहा प्राधिकरण
दरअसल, प्राधिकरण अपने स्थाई अधिकारियों और कर्मचारियों के अन्य प्राधिकरणों में सरकार द्वारा स्थानांतरण करने और बदले में अधिकारी कर्मचारी न देने से खासी परेशानी से गुजर रहा है। प्राधिकरण अधिकारी कर्मचारियों की शासन से मांग करता है। लेकिन सरकार ने शायद प्राधिकरणों को संविदा कर्मियों और सेवानिवृत्त कर्मियों के सहारे चलाने की नीति अपना ली है।
Greater Noida: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी मेधा रूपम में शनिवार को सिटी पार्क और स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का निरीक्षण किया। एसीईओ ने सिटी पार्क में बने फुटपाथ के किनारे लो हाइट की डिजाइनर लाइट लगवाने के निर्देश दिए। वहीं, निरीक्षण के दौरान कुछ जगह फुटपाथ टूट पाया, उसे रिपेयर करने और पार्क में बने जिम व झूलों को भी मेनटेन करने के निर्देश दिए।
फुटबॉल टूर्नामेंट की तैयारी का लिया जायजा
इसके बाद एसीईओ ने शहीद विजय सिंह पथिक स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का भी निरीक्षण किया। स्टेडियम में रविवार से आयोजित होने वाले संतोष ट्रॉफी फुटबॉल टूर्नामेंट की फाइनल तैयारी का जायजा लिया । टूर्नामेंट से जुड़ी तैयारी के बारे में संबंधित विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। एसीईओ के निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ प्रबंधक उत्सव निरंजन, वरिष्ठ प्रबंधक वाईपी सिंह, प्रबंधक हरे कृष्णा चौधरी समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।
Greater Noida: जिले के सूरजपुर क्षेत्र के लोगों ने मूलभूत सुविधाओं नहीं मिलने के कारण जनप्रतिनिधियों के साथ स्थानीय प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। स्थानीय लोगों ने विधायक और सांसद के मुर्दाबाद के नारे लगाए। स्थानीय लोगों ने कहा कि जब से विधायक जी जीते हैं, तब से हमने उनका एक बार भी यहां चेहरा नहीं देखा।
सरकारी अस्पताल खुद ही बीमार
स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्वच्छता के नाम पर आम जनता से ग्रेटर नोएडा प्राधिकारण के अधिकारी खिलवाड़ कर रहे हैं। लोगों के इलाज के लिए बना सरकारी हॉस्पिटल यह खुद बीमार पड़ा है। लोगों का कहना है कि सूरजपुर क्षेत्र में मेन रोड की सड़क का खस्ता हाल है। जिसके वजह कई लोग रोज दुर्घटना के शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और प्रशासन के दफ्तर के 2 साल से चक्कर काट काट कर थक गए लेकिन समाधान नहीं हुआ।
गंदगी का अंबार, फैल रहीं बीमारियां
लोगों का आरोप है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों को नहीं दिख रहा कि किस कदर हालात यहां बेहाल और बदहाल हैं। सूरजपुर कस्बे में गंदगी का अंबार लगा है, जिससे बीमारियां फैल रही हैं। उत्तर प्रदेश के सबसे उज्जवल जिले के सबसे बुरे हैं। उत्तर प्रदेश का दिल और उत्तर प्रदेश को वेबसाइट सफलता दिलाने वाला गौतम बुद्ध नगर सूरजपुर कस्बे का है बहुत बुरा हा है।
अधिकारियों का मुंह काला होना चाहिए
लोगों का कहना है कि स्थानीय सांसद और विधायक से आखिर क्यों नहीं सूरजपुर में विकास हो रहा है। क्या सिर्फ कागजों पर ही प्लान बनाए जा रहे हैं और उसको अद्भुत किया जा रहा है। लोगों ने पूछा सांसद और विधायक से पूछा है कि कहां है वह धनराशि, जो सूरजपुर के लिए आई थी। इसका जवाब देने वाला कोई नहीं है, यहां भ्रष्टाचार का बोलबाला है। लोगों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सूरजपुर के अधिकारी का मुंह काला होना चाहिए। योगी के राज्य में भ्रष्टाचार का अगर स्वरूप देखना है तो सूरजपुर में देखिए।
Noida: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में काफी समय से अपने फ्लैट का मालिकाना हक पाने के लिए परेशान लोगों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। अब फ्लैट खरीदारों को न सिर्फ पजेशन मिलेगा बल्कि रजिस्ट्री भी होगी। ऐसा फैसला जल्द ही योगी सरकार लेने वाली है।
योगी सरकार ने प्राधिकरण से मांगी रिपोर्ट
दरअसल, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फ्लैट खरीदने वालों की परेशानी को देखते हुए योगी सरकार ने नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा रियल एस्टेट सेक्टर को उबारने के लिए केंद्र की बनाई गई अमिताभ कांत कमेटी की सिफारिशें भी शासन तक पहुंच चुकी हैं। जिससे उम्मीद जगी है।
मंत्री गोपाल नंदी ने सीएम को दी जानकारी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बिल्डर और फ्लैट खरीदारों की समस्या को बताया। इसके बाद नंदी ने कहा कि सीएम योगी ने बिल्डर और खरीदारों के सभी बिंदुओं पर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी सीएम योगी को दी है। सीएम ने जल्द ही इसके समाधान के दिशा में प्रक्रिया बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
प्राधिकरण के साथ मंत्री ने की समीक्षा
बता दें कि मंत्री नंदगोपाल नंदी ने पिछले दिनों नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ लखनऊ में समीक्षा की थी। समीक्षा के बाद उन्होंने कहा था कि फ्लैट बायर्स की कोई गलती नहीं है। सरकार की पहली कोशिश फ्लैट बायर्स को उनका आशियाना दिलाने की होगी। इसके बाद बिल्डर के जो विषय हैं, उन पर विचार किया जाएगा।
1.62 लाख फ्लैट खरीदारों को मिलेगा फायदा
योगी सरकार के फैसले से नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के लगभग 1 लाख 62 हजार फ्लैट खरीदारों को फायदा मिलेगा। इनमें आम्रपाली व एनसीएलटी में गए दूसरे प्रॉजेक्ट हैं।
Greater Noida: नोएडा के किसानों के साथ एक बार फिर धोखा हुआ है। आश्वासन के बाद भी समस्याओं का समाधान नहीं होने पर सोमवार को किसान सभा से सैकड़ों किसानों ने जैतपुर गोल चक्कर पर इकट्ठे होकर जुलूस के रूप में प्राधिकरण की ओर जबरदस्त नारेबाजी करते हुए कूच किया। प्राधिकरण के दूसरे गेट पर जबरदस्त नारेबाजी व प्रदर्शन करते हुए लोग धरने पर बैठ गए। धरने की अध्यक्षता बाबा रामचंद्र ने की संचालक किसान सभा के महासचिव जगबीर नंबरदार ने किया।
सीएम योगी के दौरे से पहले खत्म हुआ था धरना
बता दें कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ग्रेटर नोएडा दौर था। जिसे इसको देखते हुए नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश ने किसानों के बीच आकर आश्वासन दिया था। नोएडा विधायक पंकज सिंह ने भी आश्वासन दिया था कि समस्याओं का समाधान होगा। लेकिन किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, जिसके चलते किसानों को फिर से धरना देना पड़ा है। किसानों के धरने को देखते हुए मौके पर एडिशनल डीसीपी शक्ति अवस्थी व एसीपी रजनीश वर्मा मौके पर मौजूद हैं। इसके साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम है।
आश्वासन के बाद भी नहीं हुआ समस्याओं का समाधान
किसान नोएडा प्राधिकारण के सामने बार फिर धरने पर बैठे हुए हैं। धरने को संबोधित करते हुए किसान नेता सुखबीर खलीफा ने कहा कि 'हमारी समस्याओं का समाधान स्थानीय विधायक व नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश के आश्वासन के बाद भी नहीं हुआ है। हम तो बार-बार सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि किसानों की समस्याओं का समाधान हो जाए। सर्दी में किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन फिर भी किसान डटे हुए हैं और डटे रहेंगे।
296 मामले अनुमोदित होने पर भड़के किसान
धरने को संबोधित करते हुए किसान सभा के अध्यक्ष डॉ रुपेश वर्मा ने कहा कि लीज बैक के शासन स्तर पर लंबित 533 प्रकरणों और बादलपुर के 208 प्रकरणों को अनुमोदित करने का दबाव किसान सभा ने बनाया था। जिस पर लिखित समझौता 16 सितंबर को हुआ था। लिखित समझौते में 31 अक्टूबर से पहले ही शासन स्तर पर लंबित लीज बैक प्रकरणों को प्राधिकरण ने अनुमोदित कराने का वादा किया था। परंतु 4 अक्टूबर को शासन स्तर से आई चिट्ठी में 533 में से 296 मामले अनुमोदित कर दिए गए। 237 मामले अनुमोदन के बजाय खारिज कर दिए गए हैं, जिससे किसानों में आक्रोश फैल गया। किसान सभा ने जबरदस्त प्रोटेस्ट करते हुए अफसरों से शासन की भेजी चिट्ठी को निरस्त करने के लिए कहा है। अफसरों द्वारा संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर धरना प्रदर्शन किया गया।
ज्ञापन देकर रखी मांगें
संयोजक वीर सिंह नागर ने कहा किसान सभा जो भी लड़ाई लड़ती है आर पार की लड़ती है आज हम आईडीसी मनोज कुमार सिंह के नाम और मुख्य कार्यपालक अधिकारी ग्रेटर नोएडा के नाम पर ज्ञापन दे रहे हैं। ज्ञापन में हमने 4 अक्टूबर की चिट्ठी को निरस्त करने, 237 मामलों में लीजबैक का अनुमोदन, बादलपुर के 208 प्रकरणों का अनुमोदन मंगवाने और शिफ्टिंग की नीति में संपूर्ण रकबे की नीति का अनुमोदन मंगवाने की मांग रखी है।
प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने मांगा समय, दिया आश्वासन
धरना स्थल पर अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमनदीप डूली ज्ञापन रिसीव करने पहुंचे। अमनदीप डूली ने धरना रत किसान सभा के लोगों को अवगत कराया कि प्राधिकरण सभी 237 मामलों में तथ्यात्मक जानकारी शासन को उपलब्ध कराते हुए अनुमोदन की कार्रवाई करवायेगा। संपूर्ण रकबे की शिफ्टिंग पर किसान सभा के साथ लिखित में सहमति बन चुकी है। शासन स्तर पर लंबित शिफ्टिंग के ड्राफ्ट को भी दुरुस्त कराया जाएगा। साथ ही आश्वासन दिया कि बादलपुर और चौगानपुर के 208 प्रकरणों को यथावत अनुमोदित कराया जाएगा। इस कार्रवाई के लिए दो से तीन हफ्ते के समय की मांग की है। प्राधिकरण के ठोस आश्वासन के आधार पर संयोजक वीर सिंह नागर ने ज्ञापन सौंपते हुए दो से तीन हफ्ते का समय प्राधिकरण को देते हुए धरने के समाप्ति की घोषणा की।
किसान नेता ने मांगें नहीं पूरी होने पर दोनों गेट बंद करने की दी चेतावनी
समाप्ति के समय धरने को संबोधित करते हुए डॉक्टर रुपेश वर्मा ने कहा कि किसान सभा जिले का सबसे मजबूत मुस्तैद और जागरूक संगठन है। किसानों के किसी भी मसले पर कोई भी नाजायज करवाई किसान सभा होने नहीं देगी। प्राधिकरण के पास सभी मसलों को हल करने के लिए 31 अक्टूबर तक का समय है।। प्राधिकरण ने किसी भी मसले पर जरा भी ढील की तो 1 नवंबर से प्राधिकरण के दोनों गेटों का ताला बंद कर दिया जाएगा। प्राधिकरण को किसानों के मुद्दों को हल करें बिना काम नहीं करने दिया जाएगा।
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