Greater Noida: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के विरुद्ध आज 121वें दिन भी किसान बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ धरने पर डटे रहे। किसानों ने अपने संकल्प को दोहराते हुए कहा कि जब तक समस्याओं का निदान नहीं जब तक घर वापसी नहीं। किसान सभा के प्रवक्ता डॉक्टर रुपेश वर्मा ने कहा कि हमारे मुद्दों पर प्राधिकरण ने सैद्धांतिक सहमति जताते हुए मीटिंग मिनट हमें देने के लिए कहा है. जिसमें हमारे मुद्दों को क्रमवार एक निश्चित समय सीमा के अंदर हल करने के लिए कहा गया है. मीटिंग मिनट मिलने के बाद संगठन के साथ उन पर चर्चा करेंगे और अगर सब कुछ उचित लगा तो एक पंचायत बुलाकर आगे के लिए निर्णय लेंगे। यदि इस सब में हीला हवाली हुई तो किसान अपनी रणनीति बदलने को फिर से मजबूर होंगे और कोई बड़ा प्रदर्शन प्राधिकरण पर फिर से होगा।


क्षेत्र के किसानों में बहुत आक्रोश


किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नागर ने कहा कि 12 सितंबर को प्राधिकरण पर तालाबंदी के लिए सभी संगठनों ने एकजुट होकर बड़ी संख्या में क्षेत्र की महिलाओं ने व युवाओं ने प्राधिकरण पर प्रदर्शन किया। अपनी घोषणा के तहत दोनों गेटों पर तालाबंदी की। लेकिन अधिकारियों के आग्रह पर हमने ताले को खोल और उनसे वार्ता की। क्षेत्र के किसानों में बहुत आक्रोश है, उनकी पीड़ा को समझने में प्राधिकरण और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने बहुत देरी कर दी है। अगर जल्द ही समस्याओं का निदान नहीं हुआ तो क्षेत्र के किसानों में आक्रोश और ज्यादा होगा।


जमीन जाने से हमारे सामने रोजगार का संकट


किसान सभा के सचिव जगबीर नंबरदार ने कहा कि हमारी वर्षों से पड़ी लंबित समस्याएं हैं. यहां पर अधिकारी आते हैं समस्याओं को सुनते हैं और हल करने के लिए आश्वासन देते हैं. लेकिन समस्याओं का निदान होने से पूर्व ही यहां से ट्रांसफर होकर चले जाते हैं और हमारी समस्याएं जस की तस रह जाती हैं। हमारी जमीन जाने से हमारे सामने रोजगार का संकट है। जीवन यापन करने का बहुत बड़ा मसला हमारे सामने है। हमारे क्षेत्र में रोज नए उद्योग स्थापित हो रहे हैं परंतु उनमें हमारे क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है। फिर इस जिले का विकास हमारे जीवन में क्या मायने रखता है। इस पर भी हमारे जनप्रतिनिधियों को गंभीरता से विचार करना चाहिए।


प्राधिकरण में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर


किसान गबरी यादव का कहना है कि प्राधिकरण के अंदर किसने की ही समस्याएं जस की तस बनी हुई है। जबकि जो दलाल किस्म के लोग अपना काम करने प्राधिकरण में आते हैं, उनका काम जल्द हो जाते हैं। प्राधिकरण के अंदर भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। ज्यादातर अधिकारी कर्मचारी भ्रष्टाचारी में लिप्त है और वह अपनी मुट्ठी के कुछ लोगों से मिलकर क्षेत्र के अंदर लगातार समस्याओं को बढ़ा रहे हैं। जो की किसी के लिए भी कर नहीं है यह समस्या क्षेत्र के अंदर एक बड़े आंदोलन को जन्म देने वाली है।


नोटिस भेज कर डराया जा रहा है


जय जवान जय किसान के सुनील फौजी ने बताया कि डीएमआईसी से प्रभावित पांच गांवों के किसानों की समस्याओं का प्राधिकरण ने अभी तक निदान नहीं किया है। हमारी वर्षों से पुरानी आबादियों पर धारा 10 के नोटिस भेज कर लोगों को डराया व धमकाया जा रहा है, यह हमें किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं है। अगर प्राधिकरण किसानों के साथ खिलवाड़ करेगा तो आक्रोश ज्वाला बनकर फूटेगा। इस सब की जिम्मेदारी प्राधिकरण व शासन प्रशासन की होगी।