Noida: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चर्चित निठारी कांड में दोषी करार दिए गए सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को तमाम मामलों में बरी कर दिया है। कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को 12 और मनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में मिली फांसी की सजा को रद्द कर दिया है. गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है।
14 अर्जियों पर हाईकोर्ट कर रहा था सुनवाई
गौरतलब है कि सुरेंद्र कोली ने 12 मामलों में मिली फांसी की सजा के खिलाफ और मनिंदर सिंह पंढेर ने दो मामलों में मिली सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। इनकी अर्जियों पर हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के 15 सितंबर को जजमेंट रिजर्व कर लिया था। अब जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एस एच ए रिजवी की डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुनाया है। बता दें कि 2006 में निठारी कांड का खुलासा हुआ था।
इस आधार पर हाईकोर्ट ने किया बरी
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सीधे तौर पर कोई सबूत और गवाह नहीं होने के आधार पर दोषियों को बरी किया है। हालांकि रिंपा हलदर मर्डर केस में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने ही सुरेंद्र कोहली की फांसी की सजा को बरकरार रखा था। इन्हीं सबूतों के आधार पर रिंपा हलदर मर्डर केस में दोनों को फांसी की सजा मिली थी।
कोठी के पीछे नाले में मिले थे 19 कंकाल
गौरतलब है कि 7 मई 2006 को नोएडा के निठारी गांव की एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था। इसके बाद युवती वापस घर नहीं लौटी तो के पिता ने सेक्टर 20 थाने में गुमशुदगी का केस दर्ज कराया था। 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे। पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था। बाद में निठारी कांड से संबंधित सभी मामले सीबीआई को स्थानांतरित कर दिए गए थे।
Pryagraj: लिव इन रिलेशनशिप को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लिव इन रिलेशनशिप सिर्फ टाइम पास है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर धार्मिक (अलग-अलग धर्म) प्रेमी युगल की ओर से लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के कारण पुलिस से सुरक्षा की मांग करने वाली याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसे रिश्ते बिना किसी ईमानदारी के विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण के कारण होते हैं और वे अक्सर टाइमपास में परिणत होते हैं. हालांकि कोर्ट ने यह स्वीकार किया कि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में लिव-इन रिलेशनशिप को वैध ठहराया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी एवं न्यायमूर्ति मोहम्मद अज़हर हुसैन इदरीसी की पीठ ने दिया है.
लिव इन रिलेशनशिप में स्थिरता ज्यादा
जजों ने कहा कि दो महीने में न्यायालय यह उम्मीद नहीं कर सकता है कि युगल इस प्रकार के अस्थायी रिश्ते पर गंभीरता से विचार कर पाएंगे. स्थिरता और ईमानदारी की तुलना में मोह अधिक हाईकोर्ट ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप में स्थिरता और ईमानदारी की तुलना में मोह अधिक है। जब तक युगल शादी करने का फैसला नहीं करते हैं या वे एक-दूसरे के प्रति ईमानदार नहीं होते हैं, तब तक न्यायालय इस प्रकार के रिश्ते में कोई राय नहीं व्यक्त कर सकता है। कोर्ट ने ये टिप्पणियां एक हिंदू लड़की और एक मुस्लिम लड़के द्वारा संयुक्त रूप से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।
कोर्ट ने प्रेमी जोड़े को सुरक्षा देने से किया इंकार
याचिका में लड़की की चाची द्वारा लड़के के खिलाफ आईपीसी की धारा 366 के तहत दर्ज कराई गई एफआईआर को चुनौती दी गई थी. याचिका में उन्होंने पुलिस से सुरक्षा की भी मांग की क्योंकि युगल ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला किया है। वहीं, कोर्ट के समक्ष लड़की के वकील ने दलील दी कि लड़की की 20 वर्ष से अधिक है, इसलिए उसे अपना भविष्य तय करने का पूरा अधिकार है। वह लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहती है। जबकि दूसरी ओर लड़की की चाची के वकील ने कहा कि लड़के के खिलाफ यूपी गैंगस्टर एक्ट की धारा 2/3 के तहत एफआईआर है और वह रोड रोमियो और आवारा है। उसका कोई भविष्य नहीं है और निश्चित तौर पर वह लड़की की जिंदगी बर्बाद कर देगा। मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने अपने आदेश में इस तरह के रिश्ते पर आपत्ति जताई और सुरक्षा देने से इनकार कर दिया।
Pryagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर में कॉरीडोर निर्माण की योजना को हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने मथुरा वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन को सुलभ बनाने के लिए सरकार को प्रस्तावित योजना अमल में लाने की अनुमति दे दी है। हालांकि इस कार्य के लिए मंदिर के खाते में जमा 262 करोड़ रुपए की धनराशि का उपयोग करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सरकार इस कार्य के लिए अपने पास से पैसा खर्च करने का निर्देश दिया है।
अनंत शर्मा की जनहित याचिका पर दिया आदेश
इसके साथ ही कोर्ट ने कॉरिडोर निर्माण के लिए राज्य सरकार को हर वह कदम उठाने की छूट दी है। साथ ही अतिक्रमण हटाने के लिए भी पूरी छूट दी है । मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह आदेश अनंत शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। अनंत शर्मा ने कोर्ट के समक्ष बांके बिहारी मंदिर में भारी संख्या में आने वाले दर्शनार्थियों से हो रही असुविधा का मुद्दा उठाया था। बताया गया कि छुट्टियां और विशेष पर्वों पर बांके बिहारी में डेढ़ से ढाई लाख श्रद्धालु आते हैं. जबकि मंदिर में जाने वाले रास्ते बेहद सकरे हैं। साथ ही यात्रा मार्ग में बहुत प्रसाद आदि की दुकानें हैं, जिससे बड़ी समस्या पैदा होती है । भीड़ में दबकर लोगों के घायल होने व मौत के होने की घटनाएं भी वहां होती है।
भीड़ का प्रबंधन सरकार की जिम्मेदारी
वहीं, राज्य सरकार की ओर से विस्तृत प्रस्ताव देकर योजनाएं प्रस्तुत की गई। जिससे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। लेकिन सरकार का प्रस्ताव था कि इस कार्य में आने वाला खर्च मंदिर के खाते में जमा धनराशि से किया जाएगा। मंदिर के सेवायत गोस्वामी समाज ने सरकार के इस प्रस्ताव पर घोर आपत्ति की । गोस्वामी समाज का कहना था कि मंदिर के फंड में हस्तक्षेप कर सरकार मंदिर का प्रबंध अपने हाथ में लेना चाहती है। यदि सरकार अपने पास से पैसा खर्च करके प्रबंध करना चाहती है तो गोस्वामी समाज को इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी। कोर्ट का कहना था कि मंदिर भले ही प्राइवेट प्रॉपर्टी है मगर यदि वहा इतनी बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आते है तो भीड़ का प्रबंधन करना और जन सुविधाओं को ध्यान रख कर व्यवस्था करना सरकार का दायित्व है।
Greater Noida: इलाहाबाद हाईकोर्ट से लॉजिक्स इंफ्रा बिल्ड ग्रुप को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने यमुना अथॉरिटी को लॉजिक्स इंफ्रा बिल्ड ग्रुप को जब्त की गई राशि का 60 करोड़ रुपये ब्याज समेत देने के आदेश दिए हैं। यमुना अथॉरिटी ने बिल्डर की ओर से एक प्लॉट वापस किए जाने पर उसकी 25 प्रतिशत राशि जब्त कर ली थी।
200 एकड़ जमीन को लेकर चल रहा था विवाद
बता दें कि लॉजिक्स इंफ्रा बिल्ड बिल्डर ने 2011 में यीडा सिटी के सेक्टर 22 डी में 200 एकड़ जमीन टाउनशिप विकसित करने के लिए ली थी। बिल्डर ने अथॉरिटी से इस जमीन को 308.41 करोड़ रुपये में ली थी। इस राशि का 10 प्रतिशत बिल्डर ने 30 दिनों के अंदर भुगतान भी कर दिया था। एक साल बाद बिल्डर ने 200 एकड़ जमीन दो भागों में रजिस्ट्री करने का अनुरोध किया था। इसके बाद 2012 तक बिल्डर ने प्रीमियम की शेष राशि 70 फीसद दूसरी किश्त का भी भुगतान कर दिया था।
यमुना प्राधिकरण ने 25 प्रतिशत राशि को कर लिया था जब्त
जबकि अथॉरिटी के पास उस समय कुल 70 एकड़ जमीन ही थी और 200 एकड़ की रजिस्ट्री बिल्डर को करा दी। समय पर जमीन नहीं मिलने पर बिल्डर और यमुना अथॉरिटी में विवाद हो गया था। इस पर बिल्डर ने अथॉरिटी को जमीन वापस कर दी। इस पर यमुना अथॉरिटी ने जमा राशि का कुल 25 प्रतिशत राशि जब्त कर ली थी। इसके बाद बिल्डर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिल्डर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए यमुना अथॉरिटी को बिल्डर को ब्याज सहित 60 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया है।
Pryagraj: वैवाहिक बलात्कार या मैरिटल रेप से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी है। अदालत ने कहा कि यदि पत्नी की उम्र 18 वर्ष से अधिक है तो वैवाहिक बलात्कार को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत अपराध नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने एक पति को अपनी पत्नी के खिलाफ 'अप्राकृतिक अपराध' करने के आरोप से बरी करते हुए यह टिप्पणी की।
धारा 377 के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता आरोपी
कोर्ट ने माना है कि इस मामले में आरोपी को IPC की धारा 377 के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने कहा कि इस देश में अभी तक वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना गया है। वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की मांग करने वाली याचिकाएं अभी भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं। जब तक शीर्ष अदालत मामले का फैसला नहीं कर देती, जब तक पत्नी 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की नहीं हो जाती, तब तक वैवाहिक बलात्कार के लिए कोई आपराधिक दंड नहीं है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की टिप्पणी का समर्थन
हाईकोर्ट ने ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की पिछली टिप्पणी का समर्थन करते हुए यह भी कहा कि वैवाहिक रिश्ते में किसी भी 'अप्राकृतिक अपराध' (आईपीसी धारा 377 के अनुसार) के लिए कोई जगह नहीं है। शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि उनका विवाह एक अपमानजनक रिश्ता था और पति ने कथित तौर पर उसके साथ मौखिक और शारीरिक दुर्व्यवहार और जबरदस्ती की, जिसमें अप्राकृतिक यौनाचार भी शामिल था।
Pryagraj : श्री कृष्ण जन्मभूमि से सटे शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का सर्वे कोर्ट कमिश्नर के द्वारा कराए जाने के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति करने के मामले में हाईकोर्ट 11 जनवरी को सुनवाई करेगा। इससे पूर्व हाईकोर्ट ने 14 दिसंबर को परिसर का सर्वे कराए जाने को मंजूरी दे दी थी। लेकिन सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति तथा अन्य नियम कायदे तय करने के लिए सोमवार सुनवाई हुई लेकिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया.
मस्जिद पक्ष ने सुनवाई टालने का किया अनुरोध
बता दें कि 2 बजे जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो वक्फ बोर्ड तथा मस्जिद पक्ष के वकीलों ने यह कहते हुए सुनवाई टालने का अनुरोध किया कि उनकी ओर से सभी मामले आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. साथ ही 14 दिसंबर को सर्वे कराए जाने के आदेश को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इन दोनों याचिकाओं पर 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। इसलिए तब तक हाईकोर्ट में इस प्रकरण पर सुनवाई न की जाए।
हिंदू पक्ष ने कहा- सुप्रीम कोर्ट ने कोई स्थगन आदेश नहीं दिया
दूसरी ओर हिंदू पक्ष का कहना था कि 14 दिसंबर के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने कोई स्थगन आदेश नहीं दिया है। इस मामले पर मुस्लिम पक्ष ने 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी, मगर उनको कोई स्थगन आदेश नहीं मिला। इसलिए इस न्यायालय को प्रकरण पर आगे सुनवाई जारी रखनी चाहिए। दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने प्रकरण की सुनवाई के लिए 11 जनवरी 2024 की तिथि नियत कर दी है.
देवू मोटर्स की जमीन खरीद-फरोख्त का मामला अब पब्लिक डोमेन में है। देवू मोटर्स की जमीन खरीदने के बाद सुर्खियों में आए आशीष गुप्ता एक बार फिर से चर्चाओं में हैं। अरबों रुपये के भ्रष्टाचार के मामले में आशीष गुप्ता और उनके भाई आदित्य गुप्ता पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। सूत्रों की माने तो दोनों भाइयों को ईडी किसी भी वक्त गिरफ्तार कर सकती है। एक बड़े कारनामे के चलते शारदा एक्सपोर्ट के मालिक आदित्य गुप्ता और आशीष गुप्ता के ठिकानों पर ईडी की टीम छापेमारी की कार्रवाई कर रही है। मंगलवार देर रात निवेशकों की शिकायत पर ईडी की दिल्ली शाखा ने है आशीष गुप्ता और आदित्य गुप्ता के चार शहरों में स्थित 11 से अधिक ठिकानों पर छापा मारा और वहां से कई जरूरी दस्तावेज बरामद किए हैं। दोनों के ठिकानों से कई संदिग्ध दस्तावेज जैसे बैंक खातों से जुड़ी जानकारी, कंप्यूटर की हार्डडिस्क, मोबाइल आदि को कब्जे में लिया गया है।
जानें क्या है नया मामला
जानकारी के मुताबिक नोएडा में हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के लोटस-300 प्रोजेक्ट में 350 फ्लैट बनाने के लिए निवेशकों से 636 करोड़ रुपये जुटाए थे। आरोप है कंपनी ने लोगों को फ्लैट देने के बजाए प्रोजेक्ट की सात एकड़ भूमि दूसरे बिल्डर को बेंच दी। इस कंपनी ने मिलकर निवेशकों के 636 करोड़ रुपये दूसरे प्रोजेक्ट में लगा दिए, सूत्रों की माने तो आशीष गुप्ता और आदित्य गुप्ता ने लोटस प्रोजेक्ट से जो कमाई की, उसका पैसा देवू मोटर्स में लगा दिया।
देवू मोटर्स की ऐसे हुई खरीद-फरोख्त
सूत्रों की माने तो आशीष गुप्ता ने लोटस प्रोजेक्ट की कमाई को देवू मोटर्स में लगाया है। देवू मोटर्स की 204 एकड़ जमीन को 359 करोड़ रुपये में खरीदा गया था। देवू मोटर्स में दूसरे संस्थानों के नाम भी सामने आ रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आशीष गुप्ता के साथ नोएडा के एक निजी अस्पताल का पैसा भी देवू मोटर्स की जमीन में लगा है। निजी अस्पताल का आईपीओ भी कुछ ही महीने पहले आया है। निजी अस्पताल के साथ मिलकर आशीष गुप्ता देवू मोटर्स में कुछ बड़ा खेल कर पाते, उससे पहले ही ये मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। अब आशीष गुप्ता के एक से बढ़कर एक कारनामें सामने आ रहे हैं।
देवू मोटर्स जमीन खरीद मामले में ऐसे हुआ खेल
आशीष गुप्ता की कंपनी शाकुंतलम लैंडक्रॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड ने प्लानिंग के साथ देवू मोटर्स की जमीन यूपीसीडा के अफसरों से मिलकर ली थी। इस जमीन को बेचने के लिए पॉलिसी में परिवर्तन करवाकर शाकुंतलम कंपनी ने बड़ा खेल करवाया था। इस गड़बड़झाले में यूपीसीडा के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। लेकिन कहा जाता है ना कि कोई कितना भी शातिर क्यों ना हो वो कुछ ना कुछ लूपहोल जरूर छोड़ जाता है। इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ। यूपीसीडा के अधिकारी पॉलिसी बनाते, उससे पहले ही शाकुंतलम कंपनी ने अखबारों में विज्ञापन दे देकर उसी अधूरी पॉलिसी पर लैंड बेंचने का दावा ठोक दिया।
क्या घर खरीददारों को भी ऐसे ही दिए लालच
लोटस-300 प्रोजेक्ट में कुल 330 फ्लैट बनाए जाने थे। इसी के एवज में घर खरीददारों से 636 करोड़ रुपये कंपनी ने जुटाए थे। इस कंपनी ने लोगों को घर देने के बजाए उनके अरबों रुपये का गबन कर लिया और प्रोजेक्ट के सात एकड़ जमीन भी बेंच दिए। कुछ ऐसे ही लुभावने वादे शाकुंतलम डील में भी किये गये थे। लोटस-300 में अरबों रुपये के घोटाले के मामले में EOW इसकी जांच कर रही थी, अब ईडी ने बड़ी छापेमार कार्रवाई कर आशीष गुप्ता के घपलों की पूरी तरह से पोल खोल दी है। ईडी के सोर्स बताते हैं कि बहुत जल्द इन पर मुकदमा भी दर्ज करवाया जाएगा।
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