78वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11वीं बार लाल किले पर ध्वजारोहण किया। इसके बाद लालकिले की प्राचीर से 2047 में विकसित भारत के सपने का खाका पेश किया। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि एक दशक में कई ऐसे सुधार किए गए हैं, जिनका असर अब दिखने लगा है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग देश को निराशा के गर्त में डुबोना चाहते हैं, लेकिन हमें उनसे सावधान रहना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्रचार से बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में जो कुछ हुआ है। एक पड़ोसी देश को लेकर चिंता होना स्वभाविक है। वहां हालात जल्दी ठीक होंगे। वहां हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित हो। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार गिरने के बाद वहां अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं।

सांप्रदायिक सिविल कोड में 75 साल बिताए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से कहा कि 'हमारे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड की चर्चा चल रही है। देश की सुप्रीम कोर्ट भी हमें यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए कह रही है और देश के संविधान निर्माताओं का भी ये सपना था। जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, जो ऊंच नीच का कारण बनते हैं। वैसे कानूनों के लिए देश में कोई जगह नहीं हो सकती। हमने सांप्रदायिक सिविल कोड में 75 साल बिताए हैं, अब हमें सेक्यूलर सिविल कोड की तरफ जाना होगा।' 

सभी को बराबरी में लाने का प्रयास करना है
पीएम मोदी ने कहा कि 'हमारा सामाजिक दायित्व है जो लोग पीछे रह जाते हैं उन्हें भी साथ लेकर आगे बढ़ें। हम किसानों, आदिवासी भाई बहन, माता-बहनें, मजदूर, श्रमिक साथियों, सभी को हमारी बराबरी में लाने का प्रय़ास करना है। हमें पता है कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के पहले भी हमारा एक आदिवासी ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। जिन्हें हम भगवान बिरसा मुंडा के रूप में पूजते हैं। 'हम संकल्प के साथ आगे बढ़ तो रहे हैं लेकिन कुछ लोग होते हैं जो प्रगति देख नहीं सकते।

कुछ लोग भारत का भला नहीं देख सकते
पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोग हैं जो भारत का भला देख नहीं देख सकते, जब तक उनका भला न हो तब तक वे किसी का भला नहीं देख सकते। ये निराशा की गर्त में डूबे लोग हैं। जब उन लोगों की गोद में विकृति पलती है तो वह विनाश का कारण बन जाती है। अराजकता का मार्ग ले लती है। इससे बहुत बड़ी हानि हो जाती है। इसलिए ऐसे छिटपुट तो तत्व हैं। उनकी गोद में विकृति पल रही है। मैं विश्व समुदाय को विश्वास दिलाता हूं कि आप भारत के संस्कारों को समझिए, भारत के हजारों साल के इतिहास को समझिए। हमें संकट मत मानिए। हम संकल्पों की पूर्ति के लिए, देशवासियों का भाग्य बदलने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। हम नेक नीयत से जीतेंगे।' 

25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला
पीएम ने कहाकि मैं जब कोरोना को याद करता हूं तो कोरोना महामारी के बीच सबसे तेजी से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने वाला देश है तो वो भारत है। आज पूरा देश तिरंगा है, हर घर तिरंगा है। न कोई जात है न कोई ऊंच है न कोई नीच है। जब हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालते हैं। हमने गति को बनाए रखा है। '

पीएम मोदी ने पहना विशेष साफा, जानें क्या है उनकी पगड़ी की विशेषता
स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी हर साल अपने परिधान और पगड़ी को लेकर चर्चा में रहते हैं। उनके साफा बांधने का अंदाज भी सबसे ज्यादा आकर्षक होता है। वह अपने पहले कार्यकाल (2014) से लेकर तीसरे कार्यकाल (2024) तक हर साल अलग पगड़ी में नजर आए हैं। इस साल भी उनके साफा का अंदाज अलग ही है। इस स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने केसरी, हरे और पीले रंग की राजस्थानी पगड़ी में नजर आए। इस पगड़ी के साथ उन्होंने सफेद रंग का कुर्ता-पायजामा और नीले रंग की सदरी पहनी हैं। स्वतंत्रता दिवस पर उनकी पगड़ी की क्या विशेषता है, इसके बारे में यहां जानेंगे।