बांदा जेल में बंद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है। मुख्तार को जेल में हार्ट अटैक आने ने बाद मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। वहीं मुख्तार अंसारी की मौत से जुड़ी खबर आने के बाद मऊ और गाज़ीपुर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कब और किस दशक में शुरू हुआ मुख्तार के डॉन बनने का सफर-

90 के दशक में शुरू हुआ माफ‍िया बनने का सफर
मुख्‍तार अंसारी का माफ‍िया बनने का सफर 90 के दशक में शुरू हुआ जब पूर्वांचल में एक नए तरह का अपराध स‍िर उठा रहा था। रेलवे, शराब और दूसरे कई तरह के सरकारी ठेके हासिल करने की रेस में अपराध‍ियों के कई गैंग उभरने लगे थे। तब गाजीपुर के कॉलेज में पढ़ाई कर रहे मुख्‍तार को इस ताकत का अंदाज़ा लग चुका था। उन्‍ही द‍िनों मुख्‍तार ने एक बाहुबली मखनू स‍िंह से हाथ म‍िला ल‍िया। मखनू स‍िंह पूर्वांचल के द‍िग्‍गज नेता हर‍िशंकर त‍िवारी का खास हुआ करता था। तभी मखनू स‍िंह की त्र‍िभुवन स‍िंह के साथ एक ज़मीन पर कब्‍जे को लेकर गैंगवार में लाशें ग‍िराने का स‍िलस‍िला शुरु हो गया।

कोर्ट पर‍िसर में हुए एक गोलीकांड में आया सबसे पहले नाम
तभी एक कोर्ट पर‍िसर में हुए एक गोलीकांड के बाद एक नाम उभर कर आया, जो था मुख्‍तार अंसारी का नाम। इसमें मखनू के दुश्‍मन साह‍िब स‍िंह की गोली लगने से हत्‍या हुई थी। कत्‍ल के बाद जो नाम सुर्ख‍ियों में आया वो मुख्‍तार का था। कहा जाता है वो गोली मुख्‍तार ने चलाई थी, लेक‍िन क‍िसी ने उसे गोली चलाते हुए देखा भी नहीं था। स‍िंगल गन शॉट में कत्‍ल का यह केस बेहद रहस्‍यमय और हैरान करने वाला था। कुछ द‍िन बाद पुल‍िस लाइन के अंदर खड़े हुए एक दीवान की इसी अंदाज में हत्‍या हुई थी, नाम था राजेन्‍द्र स‍िंह। इस हत्‍या के बाद भी जो नाम सामने आया वो मुख्‍तार का ही था। यहीं से शुरु हुआ मुख्‍तार अंसारी के पूर्वांचल के बहुबली और यूपी के माफ‍िया डॉन बनने का स‍िलस‍िला।