यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के दावों को प्रशासन खुद ही पलीता लगाने में जुटा हुआ है. एक ओर सूबे के मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने की बात करते हैं तो वहीं दूसरी ओर यूपी की पुलिस भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर गई है. ये मामला यूपी के बरेली का है जहां मीरगंज की सीओ डॉ. दीपशिखा के खिलाफ एक भट्टा कारोबारी ने एसएसपी से लिखित में शिकायत की. 13 जून को एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान को भट्टा कारोबारी ने ये शिकायत दी थी. शिकायत के बाद से मामले की जांच आईपीएस अधिकारी एसपी मानुष पारीक कर रहे थे. अब नए एसएसपी अनुराग आर्य ने पूरे मामले में कार्रवाई की है.अबतक हुई जांच में सीओ दीपशिखा की लापरवाही और स्वेच्छाचारिता सामने आई है. इसके बाद उन्हें सर्किल से हटा दिया गया है. सीओ पर दो लाख की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया गया था. ऐसी भी जानकारी आई है कि सीओ दीपशिखा जब से बरेली जनपद में आई हैं तब से लगातार विवादों से घिरी हैं और उन पर तरह-तरह के आरोप लगते रहे हैं.
13 जून को पीड़ित ने एसएसपी से की शिकायत
दरअसल बरेली के मीरगंज थाना क्षेत्र के गांव तिलमास के रहने वाले रिफाकत अली का ईंट-भट्ठे का कारोबार है और उनकी गनी ब्रिज इंडस्ट्री के नाम से एक फर्म है. पीड़ित ने 13 जून को मामले में एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान से लिखित में शिकायत की थी. एसएसपी को दिए शिकायती पत्र में उन्होंने कहा था कि 12 जून की दोपहर को उनके मजदूर कच्ची ईंट बनाने के लिए मिट्टी का काम कर रहे थे, तभी सीओ मीरगंज दीपशिखा वहां पहुंची और मजदूरों को धमकाया. उन्होंने मजदूरों को बुरा भला कहा और गाली गलौज की. पीड़ित रिफाकत अली ने कहा कि मजदूरों ने मुझे कॉल करके बताया, इसके बाद मैं ईंट भट्ठे के अपने कागजात ट्रैक्टर और जेसीबी के कागजात लेकर भी पहुंचा, तब सीओ ने मेरे सारे कागजात देखने से मना कर दिया और कहा कि हम जेसीबी और ट्रैक्टर ट्राली को थाने ले जा रहे हैं तो थाने आ जाओ. पीड़ित ने कहा कि हम जीएसटी देते हैं और रायल्टी भी हमारे पास है. सरकार से जेसीबी चलाने की अनुमति मिली हुई है, लेकिन उसके बाद भी हमें धमकाया गया.
सीओ ने पीड़ित से मांगी दो लाख रुपये की घूस
पीड़ित ने कहा कि सीओ ने मुझसे ज्यादा पैसों की मांग की और मैंने इतने पैसे देने से मना कर दिया, जिसके बाद सीओ ने कहा कि पैसे दो नहीं तो ट्रैक्टर ट्राली और जेसीबी को खनन में सीज कर दूंगी और कोर्ट में तो तुम्हें चार लाख की फीस देनी होगी, मैं तो तुमसे 2 लाख ही मांग रही हूं. पीड़ित ने इतने पैसे देने से मना कर दिया, जिसके बाद सीओ ने एक ट्रैक्टर और एक जेसीबी को सीज कर दिया. वहीं पीड़ित के बयान एसएसपी ऑफिस में लिए गए और पूरे मामले की जांच शुरू हुई. जांच में सीओ दीपशिखा का भी बयान दर्ज किया गया. जब जांच पूरी हुई तो सीओ दीपशिखा को पूरे मामले में दोषी पाया गया.
प्रशासन की जांच रिपोर्ट में भी फंसी सीओ
जांच के दौरान सीओ ने कहा था कि उन्होंने कार्रवाई के दौरान एसडीएम को सूचना दी थी. जबकि, एसडीएम ने अधिकारियों को बताया कि सीओ ने वाहन सीज करने के बाद उन्हें सूचना दी थी. कुछ दिन पहले रिफाकत के साथ जाकर कई ईंट भट्ठा मालिक डीएम से मिले थे. तब डीएम ने तहसीलदार व खनन अधिकारी को जांच सौंप दी थी. दोनों अधिकारियों ने जांच में रिफाकत का तर्क सही मानते हुए रिपोर्ट दी थी. डीएम ने इसी आधार पर दोनों वाहनों को छोड़ने का आदेश दिया था.
कौन हैं सीओ दीपशिखा अहिबरन?
दरअसल भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरीं सीओ दीपशिखा अहिबरन मूल रूप से मैनपुरी जिले की रहने वाली हैं और 2017 बैच की पीपीएस अधिकारी हैं. बरेली उनका पोस्टिंग में दूसरा जिला है. 1 सितंबर 2022 को वह पोस्टिंग होकर बरेली आईं और कुछ समय तक पुलिस ऑफिस सीओ रहीं. पिछले एक साल से इसी मीरगंज में सीओ रहते हुए उन पर लोगों से अवैध वसूली और अभद्रता के आरोप लगे. पिछले दिनों हिंदू संगठनों के लोगों ने उनको सर्किल से हटाने के लिए दिनभर धरना प्रदर्शन भी किया था. सीओ दीपशिखा लगातार जब से जिले में आई हैं, विवादित रही हैं. दीपशिखा ने डॉक्टरी की भी पढ़ाई की है. फिलहाल जांच जारी है और सीओ को जिला मुख्यालय भेज दिया गया है.
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