दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग अब अवैध ई-रिक्शों पर सख्त नजर आ रहा है। विभाग ने लगातार बढ़ रहे अवैध ई-रिक्शों पर लगाम लगाने की ठान ली है। इसके तहत अब अगर ई-रिक्शा मालिक अपने वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं। तो जब्त और गैर-रजिस्टर्ड ई-रिक्शों को सात दिनों के भीतर स्क्रैप कर दिया जाएगा। वहीं पहले इस प्रक्रिया के लिए 90 दिनों का समय दिया गया था।
21 अगस्त तक विभाग ने 1,077 ई-रिक्शे किए जब्त
ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने कहा कि नियमों के तहत, पंजीकरण विंडो 90 दिनों की है लेकिन चूंकि ये रिक्शा अवैध हैं। इसलिए इन्हें सात दिनों के बाद स्क्रैप किया जा सकता है। जब्त किए गए ई-रिक्शों को एक रजिस्टर्ड वाहन स्क्रैपिंग सुविधा में सौंपने से पहले उन्हें कुचला जाएगा। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने अवैध रूप से चल रहे ई-रिक्शों के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए एक नया कदम उठाया है। इस महीने 21 अगस्त तक विभाग ने 1,077 ई-रिक्शा जब्त किए। इसका मतलब है कि हर दिन उनमें से 50 से अधिक जब्त किए गए।
एलजी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया फैसला
यह निर्णय एलजी वीके सक्सेना की अध्यक्षता में की गई एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद लिया गया था। यह मीटिंग शहर को अव्यवस्थित करने के उपायों को लेकर की गई थी। अनुमान के अनुसार शहर में 1.2 लाख पंजीकृत ई-रिक्शा हैं। हालांकि जमीन पर ई-रिक्शों की वास्तविक संख्या शायद उस आंकड़े का दोगुना है। जिससे उनके अवैध प्रसार पर जांच की आवश्यकता है। एक अधिकारी ने कहा कि चूंकि अपंजीकृत ई-रिक्शों में नंबर प्लेट नहीं होती है और इसलिए ऑनलाइन चालान नहीं किया जा सकता है। वे सभी ट्रांसपोर्ट नियमों का उल्लंघन करते हैं। साथ ही अक्सर उन सड़कों पर चलते हैं जहां उन्हें अनुमति नहीं है। इससे ट्रैफिक धीमा हो जाता है और भीड़भाड़ होती है।
जब्त ई-रिक्शा के लिए जगह की तत्काल आवश्यकता
परिवहन विभाग ने हाल ही में उत्तर दिल्ली के बुराड़ी में जब्त ई-रिक्शाओं के लिए एक विशेष पिट स्थापित किया है। हालांकि इन वाहनों के जरिये ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने की भारी संख्या के कारण अतिरिक्त जब्त पिट बनाने के लिए बड़ी भूमि की आवश्यकता है। बुराड़ी, सराय काले खान और द्वारका में तीन पिट हैं जहां जब्त ई-रिक्शा भेजे जाते हैं। यदि यह पर्याप्त नहीं था, तो परिवहन विभाग ने भी जब्त किए गए चार पहियों को पार्क करने के लिए जगह की तत्काल आवश्यकता को चिन्हित किया है।
मोदी सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने को कई कदम उठा रही है. जिसके तहत कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं. इसी के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर मंगलवार को ओडिशा की महिलाओं के लिए एक खास योजना की शुरुआत की गई. इस स्कीम का नाम सुभद्रा योजना है. इस स्कीम में महिलाओं को साल में दो किस्तों में 10 हजार रुपये दिए जाएंगे.
महिलाओं के खाते में दो किस्तों में भेजे जाएंगे 10 हजार रुपये
दरअसल ओडिशा सरकार द्वारा शुरू की गई 'सुभद्रा योजना' का लाभ लेने के लिए ओडिशा की कोई भी 21 साल से लेकर 60 साल की महिला आवेदन कर सकती है. जिससे महिलाओं के अकाउंट में दो किस्तों में 10 हजार रुपये भेजे जाएंगे. 5 साल के लिए इस योजना को शुरू किया गया है. इस योजना के लिए राज्य सरकार ने 55,825 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए सुभद्रा योजना ओडिशा सरकार द्वारा शुरू की गई है. इस कल्याणकारी योजना के जरिए महिलाएं अपना बिजनेस शुरू कर अपने आपको आत्मनिर्भर भी बना सकती हैं.
कैसे करें आवेदन?
ऑनलाइन इस योजना का लाभ लेने के लिए आपको सुभद्रा पोर्टल पर जाना होगा. वहीं ऑफलाइन आवेदन करने के लिए आपको किसी भी आंगनबाड़ी केंद्र, मोबाइल सेवा केंद्र, ब्लॉक कार्यालय, शहरी स्थानीय निकाय कार्यालय, सामान्य सेवा केंद्र पर जाना पड़ेगा. यहां आपको प्रिंटेड फॉर्म फ्री में दिए जाएंगे. इन फॉर्म को भरकर पास के ही कॉमन सर्विस सेंटर में जमा कराना होगा. इस फॉर्म के जमा होने के बाद सरकार अपने डेटाबेस से जांच करेगी. अगर फॉर्म में किसी भी तरह की कोई गलती पाई जाती है तो आपका आवेदन स्वीकार नहीं होगा. इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए आपको किसी प्रकार की कोई फीस भी नहीं देनी होगी.
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के दावों को प्रशासन खुद ही पलीता लगाने में जुटा हुआ है. एक ओर सूबे के मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने की बात करते हैं तो वहीं दूसरी ओर यूपी की पुलिस भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर गई है. ये मामला यूपी के बरेली का है जहां मीरगंज की सीओ डॉ. दीपशिखा के खिलाफ एक भट्टा कारोबारी ने एसएसपी से लिखित में शिकायत की. 13 जून को एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान को भट्टा कारोबारी ने ये शिकायत दी थी. शिकायत के बाद से मामले की जांच आईपीएस अधिकारी एसपी मानुष पारीक कर रहे थे. अब नए एसएसपी अनुराग आर्य ने पूरे मामले में कार्रवाई की है.अबतक हुई जांच में सीओ दीपशिखा की लापरवाही और स्वेच्छाचारिता सामने आई है. इसके बाद उन्हें सर्किल से हटा दिया गया है. सीओ पर दो लाख की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया गया था. ऐसी भी जानकारी आई है कि सीओ दीपशिखा जब से बरेली जनपद में आई हैं तब से लगातार विवादों से घिरी हैं और उन पर तरह-तरह के आरोप लगते रहे हैं.
13 जून को पीड़ित ने एसएसपी से की शिकायत
दरअसल बरेली के मीरगंज थाना क्षेत्र के गांव तिलमास के रहने वाले रिफाकत अली का ईंट-भट्ठे का कारोबार है और उनकी गनी ब्रिज इंडस्ट्री के नाम से एक फर्म है. पीड़ित ने 13 जून को मामले में एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान से लिखित में शिकायत की थी. एसएसपी को दिए शिकायती पत्र में उन्होंने कहा था कि 12 जून की दोपहर को उनके मजदूर कच्ची ईंट बनाने के लिए मिट्टी का काम कर रहे थे, तभी सीओ मीरगंज दीपशिखा वहां पहुंची और मजदूरों को धमकाया. उन्होंने मजदूरों को बुरा भला कहा और गाली गलौज की. पीड़ित रिफाकत अली ने कहा कि मजदूरों ने मुझे कॉल करके बताया, इसके बाद मैं ईंट भट्ठे के अपने कागजात ट्रैक्टर और जेसीबी के कागजात लेकर भी पहुंचा, तब सीओ ने मेरे सारे कागजात देखने से मना कर दिया और कहा कि हम जेसीबी और ट्रैक्टर ट्राली को थाने ले जा रहे हैं तो थाने आ जाओ. पीड़ित ने कहा कि हम जीएसटी देते हैं और रायल्टी भी हमारे पास है. सरकार से जेसीबी चलाने की अनुमति मिली हुई है, लेकिन उसके बाद भी हमें धमकाया गया.
सीओ ने पीड़ित से मांगी दो लाख रुपये की घूस
पीड़ित ने कहा कि सीओ ने मुझसे ज्यादा पैसों की मांग की और मैंने इतने पैसे देने से मना कर दिया, जिसके बाद सीओ ने कहा कि पैसे दो नहीं तो ट्रैक्टर ट्राली और जेसीबी को खनन में सीज कर दूंगी और कोर्ट में तो तुम्हें चार लाख की फीस देनी होगी, मैं तो तुमसे 2 लाख ही मांग रही हूं. पीड़ित ने इतने पैसे देने से मना कर दिया, जिसके बाद सीओ ने एक ट्रैक्टर और एक जेसीबी को सीज कर दिया. वहीं पीड़ित के बयान एसएसपी ऑफिस में लिए गए और पूरे मामले की जांच शुरू हुई. जांच में सीओ दीपशिखा का भी बयान दर्ज किया गया. जब जांच पूरी हुई तो सीओ दीपशिखा को पूरे मामले में दोषी पाया गया.
प्रशासन की जांच रिपोर्ट में भी फंसी सीओ
जांच के दौरान सीओ ने कहा था कि उन्होंने कार्रवाई के दौरान एसडीएम को सूचना दी थी. जबकि, एसडीएम ने अधिकारियों को बताया कि सीओ ने वाहन सीज करने के बाद उन्हें सूचना दी थी. कुछ दिन पहले रिफाकत के साथ जाकर कई ईंट भट्ठा मालिक डीएम से मिले थे. तब डीएम ने तहसीलदार व खनन अधिकारी को जांच सौंप दी थी. दोनों अधिकारियों ने जांच में रिफाकत का तर्क सही मानते हुए रिपोर्ट दी थी. डीएम ने इसी आधार पर दोनों वाहनों को छोड़ने का आदेश दिया था.
कौन हैं सीओ दीपशिखा अहिबरन?
दरअसल भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरीं सीओ दीपशिखा अहिबरन मूल रूप से मैनपुरी जिले की रहने वाली हैं और 2017 बैच की पीपीएस अधिकारी हैं. बरेली उनका पोस्टिंग में दूसरा जिला है. 1 सितंबर 2022 को वह पोस्टिंग होकर बरेली आईं और कुछ समय तक पुलिस ऑफिस सीओ रहीं. पिछले एक साल से इसी मीरगंज में सीओ रहते हुए उन पर लोगों से अवैध वसूली और अभद्रता के आरोप लगे. पिछले दिनों हिंदू संगठनों के लोगों ने उनको सर्किल से हटाने के लिए दिनभर धरना प्रदर्शन भी किया था. सीओ दीपशिखा लगातार जब से जिले में आई हैं, विवादित रही हैं. दीपशिखा ने डॉक्टरी की भी पढ़ाई की है. फिलहाल जांच जारी है और सीओ को जिला मुख्यालय भेज दिया गया है.
ग्रेटर नोएडा पुलिस और बदमाशों की मुठभेड़ हो गई. पुलिस मुठभेढ़ के दौरान दोनों बदमाशों को गोली लग गई है. पुलिस मुठभेड़ के दौरान दोनो बदमाशों को लगी गोली पुलिस ने घायल अवस्था में बदमाश को इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया है. जहां पर बदमाशों का इलाज जारी है.
चेन स्नैचर दोनों बदमाश मुठभेड़ में घायल
दरअसल ग्रेटर नोएडा के बीटा टू थाना पुलिस ने जू 1 सेक्टर में बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. पुलिस और चेन स्नैचर बदमाशों की आपस में मुठभेड़ हो गई है. पुलिस मुठभेड़ के दौरान पुलिस की गोली लगने से दोनों बदमाश घायल हो गए हैं. पकड़े गए बदमाशों से पुलिस ने लूट की चेन पिस्टन,तमंचा और बाइक की बरामद की है. बता दें कि आरोपियों ने पिछले हफ्ते ही भाजपा नेता के रिश्तेदार के साथ हथियार के बल पर चेन लूट की वारदात को अंजाम दिया था.
प्रयागराज में अगले साल महाकुंभ का आयोजन होना है. जिसके तहत महाकुंभ के प्रचार के लिए देश के 5 बड़े शहरों में भव्य रोड शो का आयोजन किया जाएगा. इन पांच शहरों में मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता और बेंगलुरु शामिल हैं. वहीं इन पांचों शहरों में रोड शो के लिए 5.5 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. इस बार होने वाले कुंभ मेले के प्रचार के लिए 121 करोड़ रुपये का बजट है. जो कि पिछली बार के कुंभ के बजट से तकरीबन चार गुना ज्यादा है.
पत्रिकाओं से लेकर डिजिटल माध्यम तक से होगा प्रचार
इस महाकुंभ के प्रचार के लिए राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं और अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों का सहयोग लेने का प्लान बनाया गया है. जिसमें तकरीबन 40 करोड़ का खर्च प्रस्तावित है. इसके अलावा राष्ट्रीय टीवी चैनलों, रेडियो, सिनेमा एवं प्रोडक्शन हाउस और विदेशी टीवी चैनलों पर प्रचार के लिए 45 करोड़ का खर्च प्रस्तावित है. साथ ही मेले के प्रचार के लिए डिजिटल मीडिया व वेब मीडिया की मदद से 25 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
महाकुंभ मेले का मीडिया सेंटर होगा हाई-फाई
इस बार के महाकुंभ मेले का मीडिया सेंटर हाई-फाई होगा. जिसके लिए परेड मैदान के काली मार्ग पर एक साउंड प्रूफ मीडिया सेंटर स्थापित किया जाना है. इस मीडिया सेंटर में 60 कंप्यूटर,लैपटॉप, प्रिंटर, फोटो स्टेट मशीन, इंटरनेट सेवाएं, 10 टेलीविजन सेट, विदेश फोन करने को आइएसडी फोन के साथ एक कॉन्फ्रेंस हाल की सुविधा भी उपलब्ध होगी.
मेले के लिए प्रयागराज के 40 चौराहों की बदलेगी सूरत
साल 2025 के महाकुंभ मेले में दुनियाभर से संगम नगरी आने वाले सनातनियों के लिए पूरा शहर हर तरह से तैयारियों में जुटा है. सनातनियों के सुगम आवागमन के लिए शहर की सड़कों का चौड़ीकरण, आरओबी, तो कहीं पर फ्लाइओवर बनाया जा रहा है. इसके साथ ही शहर के 40 मुख्य चौराहों को आकर्षक बनाने का फैसला किया गया है. इस कायाकल्प के लिए भी सरकार की ओर से तकरीबन 48 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं.
योगी सरकार 1 सितंबर से 15 सितंबर तक प्रदेश में 'स्वच्छता पखवाड़ा' मनाने वाली है. 15 दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में परिषदीय विद्यालयों के बच्चों और शिक्षकों के साथ समुदाय के लोग भी सक्रिय रूप से हिस्सा लेंगे. 'स्वच्छता पखवाड़ा' को लेकर विभागीय स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. 1 सिंतबर को 'स्वच्छता पखवाड़ा' की शुरूआत 'स्वच्छता शपथ' से की जाएगी. जिसमें छात्र, शिक्षक और स्टॉफ के साथ ही अन्य नागरिक भी सहभागिता लेंगे. शपथ दिलाने के बाद विद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रम और गतिविधियां शुरू होंगी. निर्धारित कार्यक्रमों और गतिविधियों को अवकाश पड़ने की स्थिति में अगले दिन होने वाले कार्यक्रमों के साथ संपन्न कराया जाएगा.
बेसिक शिक्षा विभाग ने पूरी कर लीं तैयारियां
'स्वच्छता पखवाड़ा' को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इसके साथ ही प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया गया है. 'स्वच्छता पखवाड़ा' मनाने के लिए कार्यक्रमों और गतिविधियों की सूची भी उपलब्ध करा दी गई है. पखवाड़े के पहले हफ्ते में स्कूल प्रबंध समिति की बैठक होगी. इसमें स्वच्छता के संबंध में जानकारी दी जाएगी. इस दौरान बच्चों के माता-पिता और शिक्षकों के मध्य बैठक होगी. जिसमें साफ-सफाई, हाथ धोने, मास्क का प्रयोग करने और सामाजिक दूरी के महत्व को साझा किया जाएगा. इन स्वच्छता संबंधी अच्छी आदतों को शिक्षक और छात्रों को विद्यालय और घर या कहीं बाहर होने की स्थिति में अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा.
'स्वच्छता' से जुड़ी प्रतियोगिताओं का होगा आयोजन
हर विद्यालय और शिक्षण संस्थान में बच्चों के पीने के लिए पानी की व्यवस्था, उपलब्धता से जुड़ी सुविधाओं और विद्यालय परिसर की स्वच्छता से संबंधित होने वाले कार्यों का भी मूल्यांकन होगा. इस मूल्यांकन की जिम्मेदारी विद्यालय के शिक्षक की होगी. मूल्यांकन करने वाला शिक्षक स्कूल में उपलब्ध सुविधाओं की मरम्मत और रख-रखाव के लिए आवश्यकता के अनुसार प्रस्ताव तैयार करने के साथ ही योजना भी बनाएगा. इस दौरान विद्यालयों में साफ-सुथरे परिसर और स्वच्छ शौचालय विषयक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी. स्कूल में साफ-सफाई और स्वच्छता की आदतों पर निबंध, स्लोगन, कविता लेखन, पेंटिंग, भाषण, प्रश्नोत्तरी, मॉडल बनाने की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी.
सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ के पुल अगर बीजेपी बांधे तो आम बात है। वहीं अगर जनता सीएम योगी की तारीफ करें तो समाझा जाएगा कि सरकार के कामों से जनता खुश हैं। वहीं अगर विपक्ष का कोई सांसद, वो भी मुस्लिम सांसद सीएम की तारीफों के पुल बांधना शुरू कर दे तो आपको भी लगेगा कि दाल में कुछ काला है। दरअसल उत्तर प्रदेश के इंडिया गठबंधन के दो मुस्लिम चेहरे इमरान मसूद और अफजाल अंसारी इन दिनों सीएम योगी की जमकर तारीफ करने में जुटे हुए हैं। जहां इमरान मसूद बिजली व्यवस्था को लेकर सीएम योगी की तारीफ करते नजर आए, वहीं अफजाल अंसारी ने यूपी में बीजेपी की सीटों का श्रेय सीएम योगी को दिया। हालांकि दोनों ही सांसदों का कहना है कि इस तारीफ को राजनीतिक दृष्टिकोण से ना देखा जाए। मगर जनाब ये तो होने से रहा। आइये जान लेते हैं कि दोनों सांसदों ने सीएम योगी की तारीफ में क्या कहा और क्या हो सकते हैं इस बेमौसम तारीफों की बरसात के मायने-
अच्छे कार्यों की सराहना भी की जानी चाहिए- इमरान
पश्चिम यूपी की सियासत के मुस्लिम चेहरे और सहारनपुर लोकसभा से पहली बार सांसद चुने गए इमरान मसूद ने सूबे की बिजली व्यवस्था को लेकर योगी सरकार की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘मेरे यहां बहुत-बहुत दिन तक लाइट नहीं आती थी। गर्मियों में हर साल ऐसा ही हाल रहता था, लेकिन इस बार इतनी भीषण गर्मी में भी यूपी में बिजली सही तरीके से आई है और बिजली विभाग के कर्मियों ने लगातार काम किया है। इस वजह से सूबे में बहुत ही बेहतर तरीके से बिजली आ रही है। भीषण गर्मी में ट्रांसफार्मर का फूंकना और फाल्ट आना तकनीकी दिक्कत है, लेकिन योगी सरकार ने बिजली की दिशा में अहम कार्य करने के चलते इस बार कोई परेशानी नहीं हुई। इसके कारण लोगों को अपेक्षित बिजली मिल रही है। साथ ही कहा कि विपक्ष में होने का मतलब यह नहीं है कि हर बात या कार्य की आलोचना की जाए। अच्छे कार्यों की सराहना भी की जानी चाहिए। अगर लाइट जल रही है और मैं कहू कि लाइट बंद है तो मेरी बात कोई नहीं मानेगा। अगर सकारात्मक काम हुआ है तो उसकी तारीफ भी करनी है।
अफजाल अंसारी ने बांधे तारीफों के पुल
वहीं सहारनपुर सांसद से पहले गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शान में कसीदे पढ़ चुके हैं। 2024 लोकसभा चुनाव नतीजे के बाद अफजाल ने कहा था कि अगर योगी आदित्यनाथ वाराणसी में प्रचार नहीं करते तो पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव हार जाते। योगी आदित्यनाथ की वजह से ही बीजेपी यूपी में 33 सीटें जीत पाई। उन्होंने कहा था कि अगर योगी प्रचार नहीं करते तो बीजेपी तीन सीटें ही जीत पाती। साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा खत्म हो चुका है। यही कारण है कि बीजेपी वाराणसी के आसपास की सभी सीटें हार गई जबकि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के साथ-साथ पड़ोस की सभी लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रहे। इसके अलावा अफजाल ने कहा कि उन्होंने जो कहा है वह पूरी तरह से सच है।
क्या ये सीएम योगी के साथ बेहतर रिश्ते बनाने की कोशिश है?
उत्तर प्रदेश में सत्ता की कमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों में है। अंसारी परिवार के साथ सीएम योगी के रिश्ते छत्तीस के रहे हैं। मुख्तार अंसारी का निधन हो चुका है और यूपी में भले ही बीजेपी की लोकसभा सीटें कम हो गई हों, लेकिन ढाई साल तक बीजेपी सरकार रहने वाली है। सूबे में बीजेपी सरकार की बागडोर योगी आदित्यनाथ के हाथ में रहने वाली हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि सीएम योगी की तारीफ के पीछे उनके साथ अपना संबंध ठीक करने की रणनीति है। सूबे में 2017 से सत्ता की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथ में है। उन्होंने जिस तरह से सख्त रुख अख्तियार कर रखा है और कानूनी शिकंजा आजम खान परिवार पर कसा है, उसके चलते अभी तक उनकी मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। अतीक अहमद से लेकर मुख्तार अंसारी परिवार तक सियासी हश्र सबके सामने हैं। अफजाल अंसारी और इमरान मसूद की सियासत जिस तरह से रही है, उसके चलते उन पर कई मामले दर्ज हैं। अफजाल अंसारी अभी गैंगस्टर एक्ट में फंसे हुए हैं और मामला अदालत में है। इसके चलते अफजाल अंसारी लोकसभा सदस्यता की शपथ नहीं ले सके हैं। इमरान मसूद जिस तरह के भड़काऊ भाषण देते रहे हैं और मुस्लिम सियासत करते रहे हैं, उसके चलते भी उन पर कई मामले हैं। ऐसे में इमरान मसूद और अफजाल अंसारी दोनों ही सीएम योगी की तारीफ करके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बेहतर तालमेल बैठाने की रणनीति मानी जा रही है।
पूरे देश में आज रक्षाबंधन का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध कर उनसे रक्षा का वचन ले रही हैं. इस दौरान जेल में भी बहनें अपने भाइयों को राखी बांधने पहुंची. इसके अलावा भाई अपनी बंदी बहनों से राखी बंधवाने पहुंचे. वहीं नोएडा की लुकसर जेल प्रदेश के जेल मंत्री दारा सिंह चौहान भी पहुंचे. जहां उन्होंने ने राखी के त्योहार को लेकर की गई व्यवस्था का जायजा लिया.
जेल मंत्री ने बंदी बहनों से बंधवाई राखी
इस दौरान प्रदेश के जेल मंत्री दारा सिंह चौहान ने एक शानदार पहल की. दरअसल जेल मंत्री ने उन महिला बंदियों से राखी बंधवाई जिनके भाइयों की उनकी मुलाकात नहीं हो सकी थी. मंत्री दारा सिंह ने जेल व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने के बाद महिला बंदियों से राखी बंधवाई. जेल मंत्री को राखी बांधने के बाद महिला बंदी भी काफी खुश नजर आईं. साथ ही इस मौके पर जेल में मिठाई भी बंटवाई गई. वहीं मंत्री दारा सिंह की इस पहल की हर ओर सराहना हो रही है.
भारत के पड़ोसी बांग्लादेश आरक्षण की आग में जल रहा है. पीएम शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है. प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के पीएम आवास पर कब्जा भी कर लिया है. मगर प्रदर्शनकारियों का गुस्सा अब भी शांत नहीं हुआ है. बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी हिंदुओं को टारगेट कर रहे हैं. ऐसे में बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू भारत-बांग्लादेश सीमा पर कूच बिहार जिले के कंटीले तारों के दूसरी तरफ एकत्र हो गए हैं. हालात को देखते हुए इलाके में BSF की 157 बटालियन के जवानों को तैनात किया गया है. बता दें कि बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू कंटीले तारों से करीब 400 मीटर दूर गैबंडा जिले के गेंडुगुरी और दैखवा गांवों में जुट गए हैं. शुक्रवार सुबह से ही ये लोग खड़े हैं. दूसरी ओर कूचबिहार में कंटीले तारों के पास शीतलकुची के पठानटुली गांव में पर्याप्त संख्या में बीएसएफ के जवान तैनात किए गए हैं और लगातार गश्त की जा रही है. बीएसएफ के जवान कड़ी निगरानी रख रहे हैं.
बॉर्डर की निगरानी के लिए समिति की गठित
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि बांग्लादेश में चल रही स्थिति के मद्देनजर मोदी सरकार ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर मौजूदा स्थिति की निगरानी के लिए एक समिति गठित की है. यह समिति बांग्लादेश में अपने समकक्ष अधिकारियों के साथ कम्युनिकेशन चैनल बनाए रखेगी, ताकि वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों, हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. इस समिति की अध्यक्षता एडीजी, सीमा सुरक्षा बल, पूर्वी कमान करेंगे. समिति के अन्य सदस्यों में महानिरीक्षक (आईजी), बीएसएफ फ्रंटियर मुख्यालय दक्षिण बंगाल, महानिरीक्षक (आईजी), बीएसएफ फ्रंटियर मुख्यालय त्रिपुरा, सदस्य (योजना और विकास), भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (LPAI) और सचिव, LPAI, शामिल हैं.
भारतीय नहीं चाहते कि बांग्लादेशी भारत में आएं
बांग्लादेशी हमारे देश में प्रवेश करने के लिए आतुर हैं. सीमा के उस पार से आई हिंदू बांग्लादेशियों की भीड़ का आरोप है कि उनके घर-मंदिर जलाए जा रहे हैं. वो भारत में शरण लेने आए हैं. वहीं इस पार भारतीय लोग इस भीड़ से सशंकित हैं. इनका कहना है कि अगर ये लोग भारत में प्रवेश कर गए तो उनके खाने के लाले पड़ जाएंगे. ऐसे में वे नहीं चाहते कि ये बांग्लादेशी भारत में आएं. इस पार यानी भारत की ओर भी गांव वालों ने भीड़ जमा ली है. हालांकि BSF ने बांग्लादेशी हिंदुओं को समझाने का प्रयास किया है कि उन्हें ऐसा करने नहीं दिया जा सकता.
ग्रेटर नोएडा की सोसाइटियों में आए दिन लिफ्ट फंसने के मामले सामने आ रहे हैं. इन मामलों पर ना तो प्रशासन और ना ही बिल्डिंग मैनेजमेंच ध्यान दे रहा है. जिसका नतीजा ये है कि कभी बच्चे, कभी बुजुर्ग तो कभी महिलाएं इस मुसीबत से दो- चार होते नजर आते हैं. ऐसा ही एक मामला ग्रेनो वेस्ट की ला रेजिडेंसिया सोसाइटी के टावर-5 की लिफ्ट एक ही दिन में दो बार रुक गई. पहली बार लिफ्ट सुबह करीब 8 बजे फंसी तो वहीं दूसरी बार शाम के समय लिफ्ट फिर से फंस गई. वहीं बार-बार लिफ्ट फंसने से सोसाइटी वासियों में दहशत का माहौल है.
एक ही दिन में दो बार फंसी लिफ्ट
दरअसल वेद प्रकाश, सोसाइटी के टावर-5 की 18वीं मंजिल पर स्थित फ्लैट में परिवार के साथ रहते हैं. उनकी 19 वर्षीय बेटी सुष्मिता नर्सरी टीचर ट्रेनिंग का कोर्स कर रही है. मंगलवार सुबह करीब 8 बजे वो कॉलेज के लिए निकली थी. लिफ्ट से नीचे जाने लगी. जब लिफ्ट 9वीं और 8वीं मंजिल के बीच में पहुंची तो झटके के साथ अचानक रूक गई छात्रा ने कुछ देर इंतजार किया. उसके बाद लिफ्ट का दरवाजा खोलने का प्रयास किया, लेकिन दरवाजा नहीं खुला. अलार्म का बटन दबाया तो उस पर भी मदद नहीं मिली. तब छात्रा ने अपने पिता को फोन कर लिफ्ट में फंसने की सूचना दी. पिता वेद प्रकाश ने बताया कि लिफ्ट में बिजली थी, लेकिन तकनीकी कारण से लिफ्ट रुकी थी. कैमरा लगा हुआ था, लेकिन कोई उस पर निगरानी नहीं रख रहा था. सुरक्षाकर्मी को लिफ्ट खोलनी नहीं आती है. लिफ्ट ऑपरेटर वहां मौजूद नहीं था. लिफ्ट ऑपरेटर को बुलाया गया. उसके बाद उसने लिफ्ट को खोला. इस सब में काफी समय लग गया. करीब 35 मिनट बाद उसकी बेटी को लिफ्ट से बाहर निकाला गया. वही शाम होते-होते फिर से T14- की लिफ्ट उतरते समय 5 वें फ्लोर पर लिफ्ट रुक गई जिसमें एक बुजुर्ग महिला समेत पांच लोग फंस गए. लगभग आधा घंटे से ऊपर लोग लिफ्ट में फंसे रहे लिफ्ट में लोगों के फंसने से उनके अंदर घबराहट पैदा हो गई. लिफ्ट में मौजूद युवक ने कॉल कर अपने साथियों से मदद मदद की गुहार लगाई. जिसके आधा घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद किसी तरह सभी को बाहर निकाला गया. लिफ्ट फंसने की घटना से पूरी सोसाइटी के लोगों में दहशत का माहौल है.
आए दिन लिफ्ट फंसने से निवासियों में रोष
घटना के बाद से सोसाइटी के निवासियों में काफी रोष है. उनका कहना है कि लिफ्ट का वार्षिक रखरखाव अनुबंध नहीं है. ऑपरेटर का कहना है कि चार माह पहले मेंटेनेंस हुआ था. बिल्डर ने भुगतान नहीं किया है. इस कारण रखरखाव नहीं किया जा रहा हैं. वहीं सोसाइटी के निवासियों का आरोप है कि बिल्डर मेंटेनेंस शुल्क लेने के बाद भी सुविधाएं नहीं दे रहा हैं. आए दिन लिफ्ट में फंसने की घटनाएं हो रही है.
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