रक्षाबंधन पर भूलकर भी ना करें ये काम, अन्यथा हो जाएगी बड़ी दिक्कत, पढ़ें इस खबर में

19 अगस्त को सावन की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. ये त्योहार बहन और भाई के अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है. इस दिन बहनें भाइयों को राखी बांधती हैं बदले में भाई अपनी बहनों को गिफ्ट्स देते हैं. वही ज्योतिष शास्त्र की मानें तो रक्षाबंधन के दिन राखी बंधवाने से लेकर राखी उतारने तक के कुछ नियम हैं.अक्सर रक्षाबंधन के दिन बहुत से भाई पूरे जोर-शोर के साथ राखी बंधवाते हैं लेकिन एक या दो दिन बाद ही राखी को उतार कर इधर-उधर कहीं भी फेंक देते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रक्षाबंधन के एक या दो दिन बाद ही राखी उतारकर फेंकने की गलती नहीं करनी चाहिए. ऐसा करना अशुभ फलदायक माना जाता है.

रक्षाबंधन पर भद्रा काल के बाद बंधवा सकेंगे राखी
पंचांग के अनुसार इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त, दिन सोमवार को मनाया जायेगा. इस बार भी रक्षाबंधन पर सुबह के समय भद्रा रहेगी. इस कारण रक्षाबंधन का त्योहार दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से लेकर रात के 9 बजकर 6 मिनट तक. वहीं दोपहर में राखी बंधवाने का शुभ मुहूर्त 1 बजकर 46 मिनट से लेकर 4 बजकर 19 मिनट तक. जबकि शाम का शुभ मुहूर्त शाम के 6 बजकर 56 मिनट से लेकर रात के 9 बजकर 7 मिनट तक.

राखी बंधवाते समय भाई का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रक्षाबंधन के दिन राखी बंधवाने के लिए भाई का पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना बहुत शुभ माना जाता है. बहन का मुख इस समय पश्चिम दिशा की ओर होना शुभ रहता है. राखी बांधने से पहले भाई को रोली या चंदन से तिलक करना चाहिए और तिलक के बाद मस्तक पर अक्षत लगाने चाहिए. इसके बाद ही राखी बांधनी चाहिए.

21 दिनों तक बांधे रखनी चाहिए राखी
रक्षाबंधन के बाद एक या दो दिन में ही राखी उतारकर नहीं फेंकनी चाहिए. बल्कि इसे कम से कम 21 दिनों तक बांधकर रखना चाहिए. अगर इतने दिन तक भी राखी नहीं बांध सकते हैं तो इसको कम से कम श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तक तो बांधकर रखनी ही चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राखी उतारने के बाद उसको लाल रंग के कपड़े में लपेटकर किसी पवित्र स्थल या बहन से जुड़ी चीजों के साथ रखें. अगली रक्षाबंधन तक इसे रखे रहें बाद में इसको जल में प्रवाहित कर दें. अगर राखी खंडित हो जाती है या टूट जाती है तो इसको किसी पेड़ की जड़ के पास एक रुपए के सिक्के के साथ दबा दें या जल में प्रवाहित करें.

By Super Admin | August 16, 2024 | 0 Comments

तिहाड़ से बाहर आते ही सिसोदिया ने बाबा साहब का जिक्र कर मोदी सरकार को क्यों कहा तानाशाह, पढ़ें इस खबर में

आप नेता और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल से बाहर आ गए हैं. करीब 17 महीने तिहाड़ जेल में रहने के बाद मनीष सिसोदिया बाहर आए हैं. मनीष सिसोदिया ने जेल से बाहर निकलने के बाद 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे लगाए. इस दौरान जेल के बाहर बड़ी संख्या में पार्टी के कार्यकर्ता मौजूद थे. जिनका उन्होंने अभिवादन किया. आप सरकार की मंत्री आतिशी और पार्टी के सांसद संजय सिंह उन्हें लेने पहुंचे थे. इस दौरान मनीष सिसोदिया ने कहा कि ''आप सबको आजाद मनीष सिसोदिया का नमस्कार. 17 महीने तिहाड़ में सिर्फ मैंने कष्ट नहीं उठाया, आप सभी ने भी कष्ट उठाया.''

''कोई भी तानाशाही सरकार संविधान का बेजा इस्तेमाल ना करे''
मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि ''बाबा साहब ने सपना देखा था कि कोई भी तानाशाही सरकार संविधान का बेजा इस्तेमाल नहीं करे. तानाशाही के खिलाफ संविधान बचाएगा. संविधान की ताकत की वजह से ही अरविंद केजरीवाल जी भी बाहर आएंगे. देश के ताले टूटेंगे, अरविंद केजरीवाल बाहर निकलेंगे. हम सभी के लिए बहुत भावुक पल है. भ्रष्टाचार का एक ही काल केजरीवाल, केजरीवाल.''

मैं सुप्रीम कोर्ट का दिल से धन्यवाद करता हूं- सिसोदिया
वहीं मनीष सिसोदिया ने कहा, "मुझे पता है पूरे देश में प्यार करने वाले इतने लोग थे…पिछले 17 मैं जेल में नहीं रहा, दिल्ली का एक-एक आदमी, दिल्ली के और देश के स्कूलों का एक-एक बच्चा दिल से मेरे साथ रहा है. मैं सुप्रीम कोर्ट का दिल से धन्यवाद करता हूं. ये तानाशाही के मुंह पर तमाचा है. मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि बाबा साहेब के कर्ज को कैसे उतारूंगा." आप सांसद संजय सिंह ने उनकी रिहाई पर कहा, "जेल के ताले टूट गये मनीष सिसोदिया छूट गये. सत्रह महीने के संघर्ष को नमन."

By Super Admin | August 09, 2024 | 0 Comments

मर्दों को कोसने वाले ध्यान से पढ़ें ये खबर, पति के त्याग से जुड़ी ये लव स्टोरी आपको भी गदगद कर देगी !

कहते हैं एक कामयाब औरत के पीछे एक मर्द का हाथ होता है. इस बात को पेरिस पैरालंपिक में कांस्य पदक विजेता सिमरन और उनके पति गजेंद्र ने साबित कर दिया है. पेरिस पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली सिमरन के इस सफर में उनके हमसफर कदम-कदम पर उनके साथ रहे हैं. इतना ही नहीं पत्नी की सफलता में उनके कोच बनकर गजेंद्र ने भी अपना अहम योगदान दिया है.

12वीं के बाद से ही खेल को अपना करियर चुना
मोदीनगर के गोयलपुरी की रहने वाली सिमरन के पिता मनोज शर्मा अस्पताल में डॉक्टर के पास पर काम करते थे. मां सविता हॉस्टल में टिफिन सप्लाई करती हैं. परिवार की आय सीमित थी. उन्होंने रुक्मिणी मोदी इंटर कॉलेज से 12वीं पास की है. वह कॉलेज में होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेती थीं. 12वीं के बाद उन्होंने खेल को अपना करियर चुना. सिमरन तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं. भाई आकाश एक निजी कंपनी में काम करता है. बहन अनुष्का की शादी हो चुकी है. वहीं चार साल पहले पिता की मौत हो गयी.

गजेंद्र से सिमरन की हुई थी लव मैरिज
6 साल पहले सिमरन की लव मैरिज मोदीनगर तहसील के खंजरपुर गांव में रहने वाले गजेंद्र से हुई थी. सिमरन के पति गजेंद्र सेना में है. जो कि दिल्ली में तैनात हैं. उनके साथ ही सिमरन भी पिछले चार साल से दिल्ली में रह रही हैं. गजेंद्र ने ही सिमरन को दौड़ने की ट्रेनिंग दी. गजेंद्र ने पति के साथ-साथ कोच की भूमिका भी बखूबी निभाई. सिमरन दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में ट्रेनिंग करती थीं. आज सिमरन उन लोगों के लिए एक मिसाल हैं जो अपनी विकलांगता को कमजोरी मानकर रास्ते से हट जाते हैं. सिमरन अपने मजबूत हौसलों से लगातार सफलता हासिल कर रही हैं. सिमरन के भाई आकाश ने बताया कि वह बगल से देख नहीं पाती हैं. सिमरन को सामने भी कुछ दूरी तक ही दिखता है. इसके बावजूद वह अपने काम को लेकर गंभीर रहती हैं. उन्होंने सभी कार्य आत्मनिर्भरता से करती है.

अपनी विकलांगता के आगे सिमरन ने नहीं टेके घुटने
सिमरन शर्मा ने पेरिस पैरालिंपिक में महिलाओं की 200 मीटर टी12 स्पर्धा में 24.75 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ के साथ कांस्य पदक जीता है. सिमरन दृष्टिबाधित हैं और गाइड के साथ दौड़ती हैं. बचपन में उनकी विकलांगता के कारण उन्हें बहुत परेशान किया गया था लेकिन उन्होंने ने परेशानियों के आगे घुटने नहीं टेके. बल्कि पेरिस पैरालंपिक में सिमरन ने भारत का परचम बड़े शान के साथ लहराया है.

By Super Admin | September 09, 2024 | 0 Comments

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