Delhi: लोकसभा चुनाव का बिगुल अब कभी भी बज सकता है. ऐसे में सभी की नजरे प्रत्याशियों पर रहेगी. लेकिन इसी बीच पूर्व क्रिकेटर और पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने अपने राजनीतिक करियर से सन्यास ले लिया है. इसका मतलब ये है कि गंभीर अब आने वाले लोकसभा चुनाव का हिस्सा नहीं होंगे. साथ ही गंभीर ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद भी कहा है.
एक्स पर लिखा ये पोस्ट
दरअसल, पूर्व क्रिकेटर और पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉम एक्स पर एक पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा मैंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुझे अपने राजनीतिक कर्तव्यों से मुक्त करने का अनुरोध किया है, ताकि मैं जल्द ही होने वाले क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित कर सकूं. इसके साथ ही गौतम लिखते है कि मैं पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे लोगों की सेवा करने का मौका दिया, जय हिंद.
राजनीतिक करियर की शुरूआत
बता दें कि पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने 2018 में 3 दिसंबर को अपने क्रिकेट करियर से विदाई लिया था. इसके बाद गौतम गंभीर राजनीति में उतर गए और उन्होंने सत्ता धारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. गंभीर 22 मार्च 2019 को बीजेपी में शामिल हुए थे. बीजेपी ने उन्हें पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का उम्मीदवार बनाकर उतारा था. उन्होंने आप की उम्मीदवार आतिशी मर्लेना और कांग्रेस उम्मीदवार अरविंदर सिंह लवली को 391222 वोटों से हराया. फिलहाल उनके अचानक से सन्यास लेने के बाद बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है.
New Delhi: लोकसभा चुनाव का बिगुल अब कभी भी बज सकता है. चुनाव आयोग कभी भी चुनाव की तारीख का एलान कर सकते हैं. राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी करना शुरू कर दिया है. बीजेपी ने पहली लिस्ट भी जारी कर दी है. ऐसे में आज हम आपको लोकसभा चुनाव से जुड़ी कुछ जरूरी बात बताएंगे, जिसे पढ़कर आप भी कहेंगे वास्तव में महिला सशक्तिकरण हर क्षेत्र में हुआ है.
लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी
दरअसल, पूर्व में संसद में महिलाओं की भागीदारी भले ही कम हो. लेकिन पिछले तीन सालों में आम चुनाव पर अगर नजर डाले तो तस्वीर बदली जरूर है. जी हां कई दशक के बाद महिला सांसदों का आंकड़ा 10 प्रतिशतक के पार पहुंच चुका है. साल 2019 में 50 का आंकड़ा महिलाओं ने आम चुनाव में पार किया था. कुल 545 सीटों में 59 महिलाएं लोकसभा में पहुंचीं थी, जो कि कुल सीटो की 10.9 प्रतिशत थीं.
महिला सांसदों का आंकड़ा
वहीं, इसी चुनाव में कुल 8070 उम्मीदवारों में 668 महिलाएं थीं. आधी आबादी के वोट डालने के आंकड़े ने पहली बार इसी चुनाव में 45 प्रतिशत को पार किया. भले ही महिलाओं की संसद में हिस्सेदारी का यह आंकड़ा ज्यादा खुश करना वाला नहीं है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि 2009 से 2019 के बीच में भी यह आंकड़ा गिरा नहीं है. फिलहाल आने वाले वक्त में पता चलेगा कि अब इस साल महिला सांसदों की संख्या कितनी पहुंचती है.
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