कारागार राज्यमंत्री सुरेश राही ने आलोक द्विवेदी को बनाया अपना राजनीतिक सलाहकार

Greater Noida: उत्तर प्रदेश के कारागार राज्यमंत्री सुरेश राही ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित पंचशील हायनिश निवासी आलोक द्विवेदी को अपना राजनीतिक सलाहकार नियुक्त किया है। इसकी जानकरी मिलते ही बड़ी संख्या में लोगों ने आलोक को इस नई जिम्मेदारी के लिए बधाई दी।


इस मौके पर आलोक द्विवेदी ने कहा कि सुरेश राही उत्तर प्रदेश के बड़े राजनीतिक परिवार से आते हैं और स्वयं राजनीति के प्रकांड विद्वान है। उनके पिता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं। उनका सलाहकार बनना गौरवान्वित और रोमांचित करने वाला है। इसके साथ ही द्विवेदी ने कहा कि यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। बता दें कि आलोक पहली बार किसी मंत्री ने राजनीतिक सलाहकार बनाये गए हैं।

इसके पूर्व आलोक द्विवेदी को फिरोजाबाद सदर से विधायक मनीष असीजा, अलीगढ़ के कोल से विधायक अनिल पाराशर, सिरसागंज के विधायक सर्वेश सिंह यादव, लखनऊ उत्तर से विधायक डॉ नीरज बोरा अपने राजनीतिक सलाहकार की जिम्मेदारी दे चुके हैं।

By Super Admin | September 13, 2023 | 0 Comments

लालू के 'लाल' ने दिखाया कमाल, बिहार में कर दिया 'खेला', गायब हो गए ये विधायक

बिहार में जब से नीतीश की अगुवाई में NDA सरकार का गठन हुआ है तभी से सियासी हलचल मची हुई है, एक ओर जहां फ्लोर टेस्ट की तैयारी में नीतीश कुमार लगे हुए है तो वहीं तेजस्वी के बयान ने अभी तक सबकी टेंशन को बढ़ाया हुआ है. ऐसा दावा है कि फ्लोर टेस्ट से पहले बड़ा खेला हो सकता है. बता दें नई सरकार के गठन के बाद 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट होने जा रहा है.

फ्लोर टेस्ट से पहले विधायकों बने 'बंदी'

फ्लोर टेस्ट से पहले जनता दल यूनाइटेड ने 11 फरवरी को विधानमंडल की बैठक बुलाई है। जिसमें विधायकों को अनिवार्य रूप से शामिल होने के निर्देश जारी किये गए हैं । इसी बीच आरजेडी ने अपने विधायकों को बैठक के लिए बुलाया और तेजस्वी यादव के आवास पर करीब 3 घंटे तक विधायकों की बैठक चली। जिसके बाद सभी विधायकों को तेजस्वी के पांच देश रत्न मार्ग पर रोक दिया गया और विधायकों का सामान भी आवास में भेजा गया। वहीं विधायकों के टूटने की आशंका के चलते फ्लोर टेस्ट से पहले बिहार कांग्रेस के विधायक हैदराबाद पहुँच गए हैं । बता दें कि  बीते दिनों दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस के विधायकों की एक बैठक हुई थी जिसमें करीब 17 विधायक शामिल हुये थे।

नये स्पीकर का चुनाव भी 12 को होगा

आपको बता दें की नीतीश कुमार ने 28 जनवरी की शाम 8 मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। विजय सिन्हा डिप्टी सीएम, सम्राट चौधरी डिप्टी सीएम , विजय कुमार चौधरी, डॉक्टर प्रेम कुमार , ब्रिजेन्द्र प्रसाद यादव, सुमित कुमार सिंह, संतोष कुमार और श्रवण कुमार नीतीश की नई कैबिनेट का हिस्सा हैं। वही विधानसभा के नये स्पीकर का चुनाव होना अभी बाकी है जो कि 12 फरवरी को होना है।

किसके पास, कितने विधायकों की सेना ?

243 सीटों वाली विधानसभा में जहां राजद के पास 79 विधायक हैं और राजद विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी है। तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के पास 19 विधायक, सीपीआई के पास 16 विधायक हैं। वहीं विपक्ष के पास कुल मिलाकर 114 विधायकों की फौज है और एक विधायक AIMIM के पास है।

By Super Admin | February 10, 2024 | 0 Comments

आखिर क्या है चुनावी बॉन्ड, जिस पर 'सुप्रीम' फैसला आया है, आप पर इसका क्या असर होगा ? Explainer

चुनावी बॉन्ड स्कीम ! आप भी सोच रहे होंगे कि अब ये क्या बला है, अरे रुकिये जरा हम आपको सब कुछ बतायेंगे और विस्तार से, लेकिन पहले ये जान लेते हैं कि इन बॉन्ड को लेकर SC ने क्या फैसला सुनाया है. दरअसल लोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड्स यानी चुनावी बॉन्ड योजना पर SC ने अवैध करार देते हुए रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा है "कि चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है और वोटर्स को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का हक है. नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है।" कोर्ट ने माना है कि गुमनाम चुनावी बांड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है. इस पर CJI ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस बॉन्ड के अलावा भी काले धन को रोकने के दूसरे तरीके हैं. बॉन्ड की गोपनीयता 'जानने के अधिकार' के खिलाफ है। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट सार्वजनिक की जाए.

आखिर है क्या चुनावी बॉन्ड ?

चुनावी बॉन्ड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय जरिया है. यह एक वचन पत्र की तरह है जिसे भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी SBI की चुनिंदा शाखाओं से खरीद सकता है और अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीके से दान कर सकता है. चुनावी बॉन्ड को ऐसा कोई भी दाता खरीद सकता है, जिसके पास एक ऐसा बैंक खाता है और जिसकी केवाईसी की जानकारियां उपलब्ध हैं. बॉन्ड में भुगतानकर्ता का नाम नहीं होता है. ये बॉन्ड SBI की 29 शाखाओं को जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत किया गया था, और ये बॉन्ड 1,000 रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये में से किसी भी मूल्य के चुनावी बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं. ये शाखाएं नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, गांधीनगर, चंडीगढ़, पटना, रांची, गुवाहाटी, भोपाल, जयपुर और बेंगलुरु की थीं. चुनावी बॉन्ड्स की अवधि केवल 15 दिनों की होती है, इसमें व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देती थीं और राजनीतिक दल इस बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते थे.

कब और क्यों चुनावी बॉन्ड जारी किया गया?


2017 में केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को फाइनेंस बिल के जरिए संसद में पेश किया. संसद से पास होने के बाद 29 जनवरी 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. इसके जरिए राजनीतिक दलों को चंदा मिलता है. यह बॉन्ड साल में चार बार जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में जारी किए जाते थे. इसके लिए ग्राहक बैंक की शाखा में या वेबसाइट से भी ऑनलाइन इसे खरीद सकता था.

चुनावी बॉन्ड योजना पर क्यों छिड़ा विवाद?


बॉन्ड को लेकर कांग्रेस नेता जया ठाकुर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स समेत 4 लोगों ने याचिकाएं दाखिल की. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि चुनावी बॉन्ड के जरिए गुपचुप फंडिंग पारदर्शिता को प्रभावित करती है और यह सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन है. उनका कहना था कि इसमें शेल कंपनियों की तरफ से भी दान की अनुमति दे दी गई है. चुनावी बॉन्ड पर सुनवाई पिछले साल 31 अक्टूबर को शुरू हुई थी,. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने की.

By Super Admin | February 15, 2024 | 0 Comments

BSP को लगा तगड़ा झटका, गुड्डू जमाली सपा में शामिल

Uttar Pradesh: लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टियां तैयारियों में लगी हुई है. लेकिन इसी बीच बहुजन समाज पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है. बीएसपी के नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने बीएसपी का दामन छोड़ समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है. कहा जा रहा है कि सपा में उनके आने के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट पर पार्टी को मजबूत करने की कवायद की जा रही है.

अखिलेश यादव ने किया स्वागत

इस दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मैं शाह आलम गुड्डू का स्वागत और धन्यवाद देता हूं, जो अपने हजारों लाखों लोगों के साथ आए हैं. साल 2022 से पहले आप साथ आए थे, किसी कारण से साथ नहीं हो पाया था, अब वो आए नहीं, मैंने उन्हें बुलाने का काम किया है.

अखिलेश ने कहा कि जिस जिम्मेदारी से आप पिछली पार्टी में थे, वैसी ही जिम्मेदारी आपकी यहां भी रहेगी. हम सब मिलकर पार्टी को मजबूत बनाने का काम करेंगे. जैसे समुद्र मंथन हुआ, वैसे अब संविधान मंथन होगा. एक बचाना चाहते हैं और दूसरे खत्म करना चाहते हैं.

गुड्डू जमाली का राजनीतिक सफर

अगर राजनीति इतिहास पर नजर डाले तो आजमगढ़ लोकसभा सीट के उपचुनाव में गुड्डू जमाली के कारण ही सपा को बीजेपी से हारना पड़ा था. जबकि गुड्डू मुबारकपुर सीट से साल 2012 और 2017 में बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीत थे. लेकिन बड़ी बात ये है कि विधानसभा चुनाव में AIMIM के एकमात्र उम्मीदवार शाह आलम ही थे, जिनकी जमानत बची थी.जमाली चौथे नंबर पर रहे थे. उन्हें 36419 वोट मिले थे. इस सीट से समाजवादी पार्टी के अखिलेश ने परचम लहराया था, जबकि बहुजन समाज पार्टी दूसरे और बीजेपी को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था.

By Super Admin | February 28, 2024 | 0 Comments

RLD को एक और तगड़ा झटका, अब इस विधायक ने बदला पाला

Bihar: बिहार की राजनीति में लगातार उथल पुथल का दौर जारी है. नीतिश कुमार के पाला बदलने के बास से अब तक कई लोग दल छोड़ने पर लगे हुए है. आलम ये है कि अब भी ये खेल जारी है. इसी कड़ी में शुक्रवार को राजद को एक और बड़ा झटका लगा है. भभुआ विधायक भरत बिंद ने आरएलडी का साथ छोड़ दिया है. जिसके बाद से चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है.

सत्ता पक्ष में शामिल भरत

जानकारी के मुताबिक, विधानसभा में विधायी कार्य का अंतिम दिन आज है. जब दोपहर के बाद विधानसभा के अंदर सदन में गैर सरकारी लिए जा रहे थे. तभी अचानक से विधायक भरत बिंद सदन में पहुंचे और फिर वो हुआ, जो किसी ने सोचा नहीं था. भरत सीधा जाकर सत्ता पक्ष की बेंच में बैठ गए, जिससे साफ है कि वो अब सत्ता पक्ष के साथ है.

पांचवीं बार टूटा राजद

बता दें कि, 15 दिनों में आरएलडी के पांच लोगों ने उसका साथ छोड़ा है. इससे पहले चार और विधायक प्रहलाद यादव, चेतन आनंद, नीलम देवी, और संगीता देवी पार्टी से विदाई ले चुकी है. इतना ही नहीं बल्कि कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सौरभ और मुरारी गौतम ने पार्टी छोड़ी थी.

By Super Admin | March 01, 2024 | 0 Comments

मैच खेलने से पहले ही मैदान से हटे गौतम गंभीर, इस पिच को किया अलविदा!

Delhi: लोकसभा चुनाव का बिगुल अब कभी भी बज सकता है. ऐसे में सभी की नजरे प्रत्याशियों पर रहेगी. लेकिन इसी बीच पूर्व क्रिकेटर और पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने अपने राजनीतिक करियर से सन्यास ले लिया है. इसका मतलब ये है कि गंभीर अब आने वाले लोकसभा चुनाव का हिस्सा नहीं होंगे. साथ ही गंभीर ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद भी कहा है.

एक्स पर लिखा ये पोस्ट
दरअसल, पूर्व क्रिकेटर और पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉम एक्स पर एक पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा मैंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुझे अपने राजनीतिक कर्तव्यों से मुक्त करने का अनुरोध किया है, ताकि मैं जल्द ही होने वाले क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित कर सकूं. इसके साथ ही गौतम लिखते है कि मैं पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे लोगों की सेवा करने का मौका दिया, जय हिंद.

राजनीतिक करियर की शुरूआत
बता दें कि पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने 2018 में 3 दिसंबर को अपने क्रिकेट करियर से विदाई लिया था. इसके बाद गौतम गंभीर राजनीति में उतर गए और उन्होंने सत्ता धारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. गंभीर 22 मार्च 2019 को बीजेपी में शामिल हुए थे. बीजेपी ने उन्हें पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का उम्मीदवार बनाकर उतारा था. उन्होंने आप की उम्मीदवार आतिशी मर्लेना और कांग्रेस उम्मीदवार अरविंदर सिंह लवली को 391222 वोटों से हराया. फिलहाल उनके अचानक से सन्यास लेने के बाद बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है.

By Super Admin | March 02, 2024 | 0 Comments

Election 2024: तीन सालों में बदली लोकसभा की तस्वीर, महिला सांसदों की संख्या इतने के पार

New Delhi: लोकसभा चुनाव का बिगुल अब कभी भी बज सकता है. चुनाव आयोग कभी भी चुनाव की तारीख का एलान कर सकते हैं. राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी करना शुरू कर दिया है. बीजेपी ने पहली लिस्ट भी जारी कर दी है. ऐसे में आज हम आपको लोकसभा चुनाव से जुड़ी कुछ जरूरी बात बताएंगे, जिसे पढ़कर आप भी कहेंगे वास्तव में महिला सशक्तिकरण हर क्षेत्र में हुआ है.

लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी
दरअसल, पूर्व में संसद में महिलाओं की भागीदारी भले ही कम हो. लेकिन पिछले तीन सालों में आम चुनाव पर अगर नजर डाले तो तस्वीर बदली जरूर है. जी हां कई दशक के बाद महिला सांसदों का आंकड़ा 10 प्रतिशतक के पार पहुंच चुका है. साल 2019 में 50 का आंकड़ा महिलाओं ने आम चुनाव में पार किया था. कुल 545 सीटों में 59 महिलाएं लोकसभा में पहुंचीं थी, जो कि कुल सीटो की 10.9 प्रतिशत थीं.

महिला सांसदों का आंकड़ा
वहीं, इसी चुनाव में कुल 8070 उम्मीदवारों में 668 महिलाएं थीं. आधी आबादी के वोट डालने के आंकड़े ने पहली बार इसी चुनाव में 45 प्रतिशत को पार किया. भले ही महिलाओं की संसद में हिस्सेदारी का यह आंकड़ा ज्यादा खुश करना वाला नहीं है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि 2009 से 2019 के बीच में भी यह आंकड़ा गिरा नहीं है. फिलहाल आने वाले वक्त में पता चलेगा कि अब इस साल महिला सांसदों की संख्या कितनी पहुंचती है.

By Super Admin | March 08, 2024 | 0 Comments

गौतमबुद्ध नगर: सपा ने उतारा योद्धा, लोकसभा चुनाव में दो डॉक्टरों के बीच होगी बड़ी जंग, क्या कहता है सियासी गणित ?

लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही चुनावी माहौल भी गर्म हो गया है। तो वहीं दूसरी ओर इस बार गौतमबुद्ध नगर में चुनावी रण बेहद दिलचस्प होने वाला है। क्योंकि इस बार जहां बीजेपी ने डॉ. महेश शर्मा चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं सपा ने भी महेश को चुनौती देने के लिए गौतमबुद्ध नगर सीट से डॉ.महेंद्र नागर को मैदान में उतार दिया है। अब गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट पर दो डॉक्टरों की टक्कर होने वाली है। फिलहाल गौतमबुद्ध नगर से केवल समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने ही अपना उम्मीदवार घोषित किया है।

कौन हैं डॉक्टर महेंद्र नागर?
आपको बता दें कि डॉ.महेंद्र नागर समाजवादी पार्टी से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। वह काफी समय तक गौतमबुद्ध नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे थे लेकिन विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले उन्होंने लखनऊ में समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली। उन्होंने लखनऊ में जाकर अखिलेश यादव का हाथ पकड़ा था।

डॉक्टर महेंद्र नागर का विवादों से पुराना नाता
जानकारी के अनुसार डॉक्टर महेंद्र नागर का विवादों से पुराना नाता है। जब वह कांग्रेस में थे तो वह लंबे समय तक विवादों में भी रहे थे। हालांकि, उसके बावजूद भी कांग्रेस ने उनको जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी। महेंद्र नागर काफी पुराने नेता हैं। बताया जाता है कि गुर्जर समाज में उनकी अच्छी पकड़ है। कांग्रेस में उनके खिलाफ काफी गलत गतिविधियों होने लगी थी, जिसकी वजह से उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थामा था।

क्या इस बार गौतमबुद्धनगर सीट से जीतेगी सपा ?
फिलहाल अगर बात करें दोनों प्रत्याशियों की तो भाजपा ने चौथी बार अपने मौजूदा सांसद डॉ. महेश शर्मा पर ही भरोसा जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा है। डॉ. महेश शर्मा साल 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर चुके हैं। यदि इस बार भी वह गौतमबुद्धनगर सीट से जीतते हैं तो उनकी हैट्रिक होगी। दिल्ली से सटी यह सीट बसपा सुप्रीमो मायावती का गृहनगर भी है। कुछ वर्षों पहले तक इस सीट पर बसपा का दबदबा था लेकिन धीरे-धीरे उसका दबदबा जाता रहा। गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट 2009 में बनी थी। गठबंधन के तहत गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट सपा के खाते में थी। इस सीट पर सपा पहली बार कांग्रेस के साथ चुनाव मैदान में है। इस सीट से अभी तक एक बार भी सपा और कांग्रेस अपनी जीत दर्ज नहीं करा सकी है।

By Super Admin | March 16, 2024 | 0 Comments

लोकसभा चुनाव में इन कामों पर पानी की तरह पैसा बहाने को तैयार राजनीतिक दल, बनाई ये रणनीति !

लोकसभा चुनावों की सरगरमियां दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। वहीं अगर चुनावों में होने वाले खर्च की बात करें तो इन चुनावों में पैसा पानी की तरह बहाया जाता है। वहीं आजाद भारत में जब पहला आम चुनाव हुआ था। तब चुनाव आयोग ने लगभग साढ़े 10 करोड़ रुपये का खर्च किया था, लेकिन अब चीजें बहुत बदल गई हैं। अब आम चुनाव कराने में हजारों करोड़ का खर्च आता है। ये तो सिर्फ चुनाव आयोग का खर्च है, लेकिन अगर इसमें राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों के खर्च को भी जोड़ दिया जाए। तो ये बहुत ज्यादा हो जाता है। अनुमान है कि 2019 के चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये का खर्च हुआ होगा। इस बार इससे दोगुना खर्च होने का अनुमान है।

हर पांच साल में चुनावी खर्च हो जाता दोगुना
चुनाव आयोग ने तो उम्मीदवारों के लिए खर्च की एक लिमिट तय कर रखी है, लेकिन पार्टियों पर कोई पाबंदी नहीं है। राजनीतिक पार्टियां और उम्मीदवार चुनाव में जीत हासिल करने के लिए पैसा पानी की तरह बहाते हैं। जानकारों की मानें तो इस बार आम चुनाव में 1.20 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो ये दुनिया का अब तक का सबसे महंगा चुनाव होगा। इतना ही नहीं हर पांच साल में चुनावी खर्च दोगुना होता जा रहा है। 2014 में लगभग 30 हजार करोड़ के खर्च की बात कही जाती है।

कितना महंगा हो रहा है चुनाव?

चुनाव कराने का पूरा खर्च सरकारें उठाती हैं। अगर लोकसभा चुनाव हैं, तो सारा खर्च केंद्र सरकार और अगर विधानसभा चुनाव हैं तो सारा खर्च राज्य सरकारें करती हैं। वहीं अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ हैं तो फिर खर्च केंद्र और राज्य में बंट जाता है। चुनाव आयोग के मुताबिक, पहले आम चुनाव में 10.45 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। 2004 के चुनाव में पहली बार खर्च हजार करोड़ रुपये के पार पहुंचा। उस चुनाव में 1,016 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। 2009 मे 1,115 करोड़ और 2014 में 3,870 करोड़ रुपये का खर्च आया था। 2019 के आंकड़े अभी तक सामने नहीं आए हैं। हालांकि माना जाता है कि 2019 में चुनाव आयोग ने पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च किया होगा।

पार्टियां कितना खर्च करती हैं?

रिपोर्ट के मुताबिक 2014 के चुनाव में सभी राजनीतिक पार्टियों ने 6,405 करोड़ रुपये का फंड जुटाया था, और इसमें 2,591 करोड़ रुपये खर्च किए थे। जिनमें सात राष्ट्रीय पार्टियों ने बीते चुनाव में 5,544 करोड़ रुपये का फंड इकट्ठा किया था। इसमें से अकेले बीजेपी को 4,057 करोड़ रुपये मिले थे और कांग्रेस को 1,167 करोड़ रुपये का फंड मिला था। वहीं 2019 में बीजेपी ने 1,142 करोड़ रुपये जबकि कांग्रेस ने 626 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च किया था। 2019 में बीजेपी ने 303 सीटें जीती थीं। इस हिसाब से देखा जाए तो बीजेपी को एक सीट औसतन पौने चार करोड़ रुपये में पड़ी थी। कांग्रेस 52 सीट ही जीत सकी थी, लिहाजा एक सीट जीतने पर उसका औसतन 12 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुआ था ।

पब्लिसिटी पर होता है सबसे ज्यादा खर्च
चुनाव आयोग ये सारा पैसा चुनाव के दौरान ईवीएम खरीदने, सुरक्षाबलों की तैनाती करने और चुनावी सामग्री खरीदने जैसी चीजों पर करती है। पिछले साल कानून मंत्रालय ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए 3 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का अतिरिक्त फंड मांगा था। राजनीतिक पार्टियों का सबसे ज्यादा खर्च तीन चीजों पब्लिसिटी, उम्मीदवारों और ट्रैवलिंग पर करती हैं। 2019 में अकेले बीजेपी ने ही ट्रैवलिंग पर लगभग ढाई सौ करोड़ रुपये खर्च किए थे। पिछले लोकसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों ने लगभग 1,500 करोड़ रुपये पब्लिसिटी पर किए थे। इनमें से सात राष्ट्रीय पार्टियों ने 1,223 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च किया था जबकि पब्लिसिटी पर सबसे ज्यादा खर्च बीजेपी और कांग्रेस ने किया था।

इस साल चुनाव में 1.20 लाख करोड़ रुपये होंगे खर्च

जानकारों की मानें तो इस साल चुनाव में 1.20 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें से सिर्फ 20 फीसदी ही चुनाव आयोग का खर्च होगा। बाकी सारा खर्चा राजनीतिक पार्टियां और उम्मीदवार करेंगी। ये खर्च कितना ज्यादा है, इसे इस तरह समझ सकते हैं कि सरकार 80 करोड़ गरीबों को लगभग 8 महीने तक फ्री राशन बांट सकती है। केंद्र सरकार की ओर से अभी हर महीने 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त अनाज दिया जाता है। इस पर हर तीन महीने में लगभग 46 हजार करोड़ रुपये का खर्च आता है।

By Super Admin | March 19, 2024 | 0 Comments

अखिलेश के 'राहुल' देंगे नोएडा से बीजेपी के डॉक्टर को टक्कर, समझें पूरा सियासी गणित

लोकसभा चुनाव को लेकर सपा ने अपने प्रत्याशियों की छठी लिस्ट जारी कर दी है। इस बार गौतमबुद्ध नगर में चुनावी रण बेहद दिलचस्प होने वाला है। क्योंकि इस बार जहां बीजेपी ने डॉ. महेश शर्मा चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं सपा ने भी महेश को चुनौती देने के लिए गौतमबुद्ध नगर सीट से राहुल अवाना को मैदान में उतार दिया है। फिलहाल गौतमबुद्ध नगर से केवल समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने ही अपना उम्मीदवार घोषित किया है।

गौतमबुद्ध नगर सीट से सपा ने बदला प्रत्याशी
हालांकि समाजवादी पार्टी ने अपनी छठी लिस्ट में चौंकाने वाला फैसला लिया, इस लिस्ट में सपा ने गौतम बुद्ध नगर सीट से अपने प्रत्याशी को बदल दिया है. इस बार सपा ने राहुल अवाना को टिकट दिया है. जिनकी युवाओं के बीच अच्छी पकड़ मानी जाती है. बता दें इससे पहले सपा ने डॉक्टर महेंद्र नागर को टिकट दिया था. अब राहुल अवाना और बीजेपी के डॉ. महेश शर्मा के बीच दिलचस्प सियासी जंग छिड़ गई है।

क्या इस बार गौतमबुद्धनगर सीट से जीतेगी सपा ?
फिलहाल अगर बात करें दोनों प्रत्याशियों की तो भाजपा ने चौथी बार अपने मौजूदा सांसद डॉ. महेश शर्मा पर ही भरोसा जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा है। डॉ. महेश शर्मा साल 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर चुके हैं। यदि इस बार भी वह गौतमबुद्धनगर सीट से जीतते हैं तो उनकी हैट्रिक होगी। दिल्ली से सटी यह सीट बसपा सुप्रीमो मायावती का गृहनगर भी है। कुछ वर्षों पहले तक इस सीट पर बसपा का दबदबा था लेकिन धीरे-धीरे उसका दबदबा जाता रहा। गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट 2009 में बनी थी। गठबंधन के तहत गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट सपा के खाते में थी। इस सीट पर सपा पहली बार कांग्रेस के साथ चुनाव मैदान में है। इस सीट से अभी तक एक बार भी सपा और कांग्रेस अपनी जीत दर्ज नहीं करा सकी है।

By Super Admin | March 20, 2024 | 0 Comments

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