MSP को लेकर किसानों का आंदोलन दिन पर दिन उग्र होता जा रहा है. किसानों ने आर-पार की लड़ाई को लेकर जमकर कमर कस ली है. जिसके चलते हरियाणा और पंजाब के किसान संगठनों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने समेत अन्य मांगों को लेकर 13 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान किया है. जहां एक ओर किसानों के इस ऐलान के बाद सरकार और प्रशासन हाथ पांव फूलने लगे हैं और प्रशासन ने किसानों को रोकने के लिए प्लान भी तैयार कर लिया है. जिसके चलते हरियाणा पुलिस ने ट्रैफिक एडवाइजरी जारी कर दी है और जनता से अपील की है कि लोग 13 फरवरी को राज्य के मुख्य मार्ग का उपयोग अति आवश्यक स्थिति में ही करें और अति आवश्यक होने पर ही पंजाब की यात्रा करें. साथ ही प्रशासन द्वारा हरियाणा से पंजाब की ओर जाने वाले सभी मुख्य मार्गों पर यातायात बाधित होने की भी संभावना जताई जा रही है .
पुलिस ने बताया कहां से मिलेगी जानकारी
हरियाणा की एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) ममता सिंह ने बताया कि ट्रैफिक की वर्तमान स्थिति जानने के लिए हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म- @police_haryana, @DGPHaryana और Haryana Police फेसबुक पेज को फॉलो करें. दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे पर यातायात बाधित होने की स्थिति में चंडीगढ़ से दिल्ली जाने वाले यात्रियों को डेराबस्सी, बरवाला/रामगढ़, साहा, शाहबाद, कुरूक्षेत्र के रास्ते अथवा पंचकूला, एनएच-344 यमुनानगर इंद्री/पिपली, करनाल होते हुए दिल्ली जाने की सलाह दी गई है. इसी प्रकार, दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाले यात्री करनाल, इंद्री/पिपली, यमुनानगर, पंचकूला होते हुए या फिर कुरूक्षेत्र, शाहबाद, साहा, बरवाला, रामगढ़ होते हुए अपने गन्तव्य पर पहुंच सकते हैं.
हरियाणा के करीब 12 जिलों में लगी धारा 144
एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) ममता सिंह ने लोगों से किसी भी आपात परिस्थिति में डायल-112 पर संपर्क करने की अपील करते हुए कहा कि लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने, किसी भी तरह की हिंसा को रोकने और ट्रैफिक सुगम बनाने के लिए पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है. इस संबंध में सभी रेंज एडीजीपी/आईजीपी, पुलिस आयुक्त और जिलों के एसपी को दिशा-निर्देश जारी कर दिये गए हैं. प्रभावित जिलों खासकर अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, फतेहाबाद, सिरसा में ट्रैफिक डायवर्जन की व्यवस्था की गई है. वहीं राज्य के अंदर अन्य सभी मार्गों पर ट्रैफिक की स्थिति सामान्य रहेगी. हरियाणा के कम से कम 12 जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है और चंडीगढ़ से सटे पंचकूला में भी धारा 144 लागू है। जिसका आदेश पंचकूला के डीसीपी सुमेर सिंह प्रताप ने जारी किए हैं. साथ ही सार्वजनिक स्थान पर एकसाथ पांच या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध रहेगा.
13 फरवरी तक इंटरनेट सेवाएं बाधित
हरियाणा के गृह विभाग ने एक आदेश जारी कर जानकारी दी है कि अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा और पुलिस जिला डबवाली में 11 फरवरी सुबह 6 बजे से लेकर 13 फरवरी रात 12 बजे तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं, बल्क एसएमएस और डोंगल सर्विस ठप रहेंगी. पर्सनल एसएमएस, बैकिंग एसएमएस, ब्रॉडबैंड व लीज लाइंस पहले की तरह चलती रहेंगी और पैदल या ट्रैक्टर-ट्रालियों व अन्य वाहनों के साथ जलूस निकालने, प्रदर्शन करने, मार्च करने, लाठी, डंडा या हथियार लेकर चलने पर प्रतिबंध रहेगा. वहीं हरियाणा और पंजाब के करीब 23 किसान संगठनों का कहना है कि सरकार जब तक उनकी मांगों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक उनका आंदोलन नहीं रुकेगा.
12 फरवरी को दूसरे दौर की बैठक
किसान संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल 12 फरवरी को चंडीगढ़ सेक्टर 26 स्थित महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में केंद्र सरकार के साथ दूसरे दौर की वार्ता करेगा. किसानों और सरकार के बीच पहले दौर की वार्ता 8 फरवरी को यहीं पर हुई थी. दूसरे दौर की बैठक में सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय मौजूद रहेंगे.
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब समेत कई राज्यों के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने की मांग कर दिल्ली की तरफ कूच कर रहे किसानों का आंदोलन उग्र हो गया है। किसानों के ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन में 150 से ज्यादा संगठन शामिल हैं।वहीं कुछ किसान समूह यूनिवर्सल एमएसपी के लिए एक कानून की भी मांग कर रहे हैं। यानी किसान खेती की जाने वाली प्रत्येक फसल के लिए केंद्र में सरकार द्वारा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय होना चाहिए। MSP क्या है और क्यों किसान इसको लेकर अडे हुए है, आइये आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बतायेंगे
क्या है MSP ?
दरअसल MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस (Minimum Support Price) या न्यूनतम समर्थन मूल्य वह दर है जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदती है. जो कि किसानों की उत्पादन लागत से कम से कम डेढ़ गुना अधिक होती है। केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है. जिससे किसान को अपनी फसल की एमएसपी (MSP) के तहत निर्धारित कीमत मिलती ही मिलती है, चाहे बाजार में दाम जो भी हो. इसको और सरल शब्दों में कहें तो मान लीजिये कि किसी फसल की MSP 20 रुपये तय की गई है, और बाजार में वो फसल 15 रुपये में बिक रही है तो भी सरकार, किसानों से उस फसल कों 20 रुपये में ही खरीदेगी.
किन-किन फसलों पर मिलती है MSP
केंद्र सरकार ने साल 1966-67 में पहली बार MSP पेश किया था। ऐसा तब हुआ जब स्वतंत्रता के समय भारत को अनाज उत्पादन में बड़े घाटे का सामना करना पड़ा। तब से लगातार एमएसपी की व्यवस्था चल रही है। 60 के दशक में सरकार ने सबसे पहले गेहूं पर एमएसपी की शुरुआत की ताकि किसानों से गेहूं खरीद कर अपनी पीडीएस योजना या राशन के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों में बांट सके। केंद्र सरकार हर फसल पर एमएसपी नहीं देती। वर्तमान में कुल 23 फसलों पर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य देती है। इन फसलों को ‘अधिदिष्ट फसल’ की कैटेगरी में रखा गया है. इनमें 14 खरीफ फसलें, 6 रबी फसलें और दो अन्य वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं. इन फसलों के अलावा गन्ने के लिये ‘उचित और लाभकारी मूल्य’ (FRP) की सिफारिश भी की जाती है.
MSP आने पर हर साल होगा 10 लाख करोड़ का खर्चा
अगर एमएसपी गारंटी कानून लाया जाता है, तो सरकार की नजर अतिरिक्त व्यय पर भी होगी जो सालाना यानी कम से कम 10 लाख करोड़ होगा। इसे दूसरी तरह से देखा जाए तो यह लगभग उस व्यय (11.11 लाख करोड़ रुपये) के बराबर है जो इस सरकार ने हाल के अंतरिम बजट में बुनियादी ढांचे के लिए अलग रखा है. स्पष्ट रूप से देखा जाये तो MSP गारंटी कानून हमारी तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार कर रख देगा, जिसका नुकसान काफी हद तक आम जनता को झेलना पड़ेगा
किसान आंदोलन से सरकार को जल्द छुटकारा मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। जहां एक ओर किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर सरकार बीच का रास्ता निकालकर इस आंदोलन को समाप्त करना चाहती है। इसी के चलते संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के एमएसपी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। दरअसल केंद्र सरकार की तरफ से कथित रूप से एमएसपी पर पांच साल के कॉन्ट्रेक्ट का प्रस्ताव दिया गया है। जिसको लेकर किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है ’’केंद्र सरकार A2+FL+50% के आधार पर एमएसपी पर अध्यादेश लाने की योजना बना रही है, लेकिन किसान C2+50% से नीचे कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।’’
MSP की गारंटी चाहते हैं किसान
किसानों के अनुसार उनके सामने मक्का, कपास, अरहर/तूर, मसूर और उड़द समेत पांच फसलों की खरीद को लेकर पांच साल के कॉन्ट्रेक्ट का प्रस्ताव रखा गया है। किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा ’कि बीजेपी ने खुद 2014 के चुनाव में अपने घोषणापत्र में इसका वादा किया था और स्वामीनाथन आयोग ने 2006 में अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार को C2+50% के आधार पर एमएसपी देने का सुझाव दिया था और इसी आधार पर तमाम फसलों पर किसान एमएसपी की गारंटी चाहते हैं। साथ ही कहा कि अगर मोदी सरकार बीजेपी के वादे को लागू नहीं कर पा रही है, तो प्रधानमंत्री ईमानदारी से जनता को बताएं।’
केंद्रीय मंत्रियों का MSP पर रुख साफ नहीं
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि केंद्रीय मंत्री यह स्पष्ट करने को तैयार नहीं हैं कि उनके द्वारा प्रस्तावित MSP A2+FL+50% पर आधारित है या C2+50% पर। चार बार चर्चा होने के बाद भी चर्चा में कोई पारदर्शिता नहीं है। SKM ने केंद्रीय मंत्रियों से मोदी सरकार ऋण माफी, बिजली का निजीकरण नहीं करने, सार्वजनिक क्षेत्र की फसल बीमा योजना, 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को 10000 रुपये मासिक पेंशन, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने की भी मांग की है।
सरकार नहीं मानी तो हरियाणा भी आंदोलन में उतरेगा
किसान मोर्चा की अगली मीटिंग 21-22 फरवरी को करेगा, जिसमें आगे की रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी। किसान नेता गुरनाम सिंह चाढ़ूनी ने कहा ''कि सरकार के पास 21 फरवरी तक का समय है। सरकार को सोचना चाहिए कि तिलहन और बाजरा खरीद के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, जैसे उन्होंने दालों, मक्का और कपास का जिक्र किया। उन्हें इन दोनों फसलों को भी शामिल करना चाहिए। अगर इन दोनों को शामिल नहीं किया गया तो हमें इस बारे में फिर से सोचना होगा। साथ ही हमने फैसला लिया कि अगर 21 फरवरी तक सरकार नहीं मानी तो हरियाणा भी आंदोलन में शामिल होगा.''
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलराज भाटी के नेतृत्व में बुधवार को कार्यकर्ताओं ने आगामी संसद सत्र में एमएसपी गारंटी बिल पारित करने के संबंध में जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी और विपक्ष के नेता सांसद राहुल गांधी के नाम ज्ञापन सौंपा।
किसान सभा ने पीएम मोदी और राहुल गांधी के नाम सौंपा ज्ञापन
राष्ट्रीय अध्यक्ष बलराज भाटी ने बताया कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) गारंटी किसान मोर्चा की आखिरी बैठक 21 अगस्त 2024 को दिल्ली में आयोजित हुई थी, जिसमें देश के ढाई सौ से ज्यादा किसान संगठन सम्मिलित हुए थे। उस बैठक में निर्णय लिया गया था कि MSP ( Minimum Support Price) किसान मोर्चा के सभी किसान संगठन 28 अगस्त ज्ञापन के माध्यम से संसद में एमएसपी गारंटी बिल पारित करने की सिफारिश के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के नाम ज्ञापन देगें।
MSP पर पीएम मोदी के कथन को कराया गया याद
राष्ट्रीय अध्यक्ष भाटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ज्ञापन के माध्यम से सिफारिश की। जिसमें पीएम मोदी को साल 2011 में उनके द्वारा तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह से एमएसपी की गारंटी लागू करने की बात को याद दिलाया गया और सिफारिश की गई कि मौजूदा समय में जब पीएम मोदी खुद पद पर हैं, तो उन्ही सिफारिशों को मानते हुए किसानों को अनाज, फल, सब्जियों और दूध की एमएसपी की गारंटी कानून पारित कर हक क्यों नही दे सकते?
‘किसान आबाद होगा, तो देश आबाद होगा’
राष्ट्रीय अध्यक्ष बलराज भाटी ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है। क्या हम कृषकों को शोभा देता है कि हम अपनी इतनी पुरानी मांग के लिए दर दर भटकते रहें। खासकर तब जब आपके चार सहयोगी दल तेलुगू देशम पार्टी, जनता दल (यू),जनता दल (एस) एंव राष्ट्रीय लोक दल द्वारा लिखित में हमारी एमएसपी गारंटी मांग का समर्थन किया था। बलराज भाटी का कहना है कि किसान की हरेक फसल पर एमएसपी गारंटी बिल पारित होने से किसान आबाद होगा। किसान आबाद होगा, तो देश आबाद होगा। आज किसान के लिए खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। किसान की लागत भी किसान को वापस नही मिल पा रही है। जिससे किसान कर्ज में डूब जाते है, जिस कारण लाखों किसानों ने आत्महत्या कर ली हैं।
ये लोग रहे मौजूद
जिलाधिकारी को ज्ञापन देने के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला मोर्चा रेखा सिवाल, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रोहित भाटी, राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य चंद्रपाल बंसल, प्रदेश अध्यक्ष हातम सिंह भाटी,प्रदेश अध्यक्ष युवा विपिन खारी, प्रदेश महासचिव दिलदार अंसारी, प्रदेश सचिव यामीन अंसारी, प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश भडाना, प्रदेश उपाध्यक्ष युवा प्रशान्त भाटी, महानगर अध्यक्ष योगेश वैष्णव, जिलाध्यक्ष मुरादाबाद फहीम मंसूरी, पश्चिमी प्रदेश अध्यक्ष संदीप भाटी, जिला संगठन मन्त्री रिंकू भडाना, तहसील अध्यक्ष सोविदंर भाटी, जिला उपाध्यक्ष राहुल भाटी,जिला उपाध्यक्ष हरेन्द्र, नोएडा महानगर उपाध्यक्ष लोकेश वैष्णव,महानगर उपाध्यक्ष मदन भाटी,इरशाद ,ग्राम अध्यक्ष प्रदीप बैरागी,रविन्द्र बैरागी,दादरी ब्लाक अध्यक्ष तपसी, आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।
नई सरकार बनने के बाद PM नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। इसमें पांच महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। इस बैठक में केंद्र सरकार ने किसानों को बड़ी सौगात दी है। बैठक में मोदी कैबिनेट ने खरीफ की 14 फसलों के लिए नई MSP तय कर दी है। केंद्रीय कैबिनेट के फैसलों पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि 'कैबिनेट ने धान, रागी, बाजरा, ज्वार, मक्का और कपास समेत 14 खरीफ सीजन की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मंजूरी दे दी है।'
खरीफ सीजन की 14 फसलों के लिए नई MSP को मंजूरी
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी किसानों के प्राथमिकता देते हैं। उनके सम्मान में ये फैसला लिया गया है। इनमें से एक ये कि कैबिनेट ने खरीफ सीजन के लिए 14 फसलों के लिए MSP को मंजूरी दे दी। कैबिनेट बैठक में धान का MSP 2300 रुपए तय किया गया है। कपास के लिए MSP 7121 रुपए और एक दूसरे तरह के कपास के लिए 7521 रुपए तय किया गया है। बाजरे के लिए MSP 2625 रुपए निर्धारित की गई है। जबिक मूंगफली तेल का MSP 6783 रुपए तय किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि MSP डेढ़ गुना होनी चाहिए। इससे किसानों के खाते में 2 लाख करोड़ रुपये जाएंगे। धान पैडी का नया एमएसपी 2300 रुपये होगा। इसमें 170 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है। 2013-14 में यह 1310 था।
केंद्र में तीसरी बार एनडीए की सरकार बनने के बाद बुधवार को एमएसपी में बढ़ोत्तरी की गई। जिसमें 14 खरीफ फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। जिससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिल सके। हालांकि एक तरफ सरकार ने किसान हित में कदम बढ़ाते हुए किसानों को साधने की कोशिश की है तो वहीं दूसरी तरफ रबूपुरा में किसानों ने इसे ऊंट के मुंह में जीरा के समान बताया है। सरकार के इस कदम पर किसानों की मिली जुली प्रक्रिया सामने आई है।
बिना क्रय केंद्र किसानों को नहीं मिल सकेगा MSP का लाभ
किसान चौधरी इकपाल सिंह का कहना है कि हमारे यहां अधिकांश खेती धान, ज्वार, बाजरा आदि की होती है। जिस पर मात्र 170 रुपए से लेकर 190 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। हालांकि दलहन पर सर्वाधिक बढ़ोत्तरी की गई है जिसका कुछ किसानों को लाभ मिल सकता है। वहीं किसान विजेंद्र भाटी का कहना है कि सरकार द्वारा बढ़ाई गई एमएसपी किसान हित में है लेकिन जब तक इन फसलों की खरीद के लिए क्षेत्र में क्रय केंद्र स्थापित नहीं किए जाएंगे, तब तक किसानों को एमएसपी बढ़ोत्तरी का लाभ नहीं मिलेगा। क्योंकि निजी आढ़ती मनमाने रेटों पर ही फसलों की खरीद फरोख्त करते हैं। सरकार को जिला स्तर, तहसील स्तर व सहकारी समितियों पर आवश्यकता अनुसार फसल सम्बंधित क्रय केंद्र स्थापित किये जाने चाहिए। किसान संजीव सिंह, विपिन चौधरी, जगदीश सिंह, धीरेंद्र सिंह, सोनू त्यागी, त्रिलोकी शर्मा, रामकुमार, अशोक आदि का कहना है कि सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य तो बढ़ा दिया गया है लेकिन क्रय केंद्र नहीं होने के कारण इसका लाभ किसानों के स्थान पर व्यापारियों को ही मिलेगा। किसान को इससे कोई लाभ मिलता दिखाई नहीं दे रहा।
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October 05, 2024