प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने PM-AASHA के लिए ₹35,000 करोड़ की मंजूरी दे दी हैं. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि हमारे किसान भाई-बहनों को सस्ती दरों पर लगातार खाद की आपूर्ति जारी रहे. इसके लिए 2024 के रबी सीजन में पोषक तत्व आधारित सब्सिडी की दरों को स्वीकृति प्रदान की गई है. साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि इस फैसले से देशभर के अन्नदाताओं की खेती की लागत भी कम होगी. वहीं प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले से दाल और तिलहन की फसल का न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित हो सकेगा. भारत इन जैसी फसलों की खेती में भी आत्मनिर्भर बनेगा. किसान खुशहाल होंगे और उनकी आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी.
क्या है पीएम-आशा?
PM-AASHA एक एकीकृत योजना है. इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने किसानों और उपभोक्ताओं की सेवा को सुगम बनाने के लिए मूल्य समर्थन योजना और मूल्य स्थिरीकरण कोष योजना को पीएम आशा में मिला दिया है. इससे ना केवल किसानों को उनकी उपज के उचित मूल्य में मदद मिलेगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी सहूलियत हो जाएगी.
कैबिनेट के अन्य फैसले जिन पर लगी मुहर
वहीं बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में मीडिया और मनोरंजन की दुनिया के लिए भी अहम फैसले लिये गये हैं. जिनमें एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने को मंजूरी दी गई है. इससे क्रिएटर्स के इको-सिस्टम को बड़ा बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे. वहीं केंद्रीय कैबिनेट ने ‘बायो-राइड’ योजना को भी मंजूरी दी है. ये योजना भारत की प्रगति को जैव प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ाएगी. इससे सतत विकास, वित्त पोषण और क्षमता निर्माण पर जोर दिया जाएगा. इसके अलावा देश में एकसाथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है. इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं इस प्रयास का नेतृत्व करने लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद जी को बधाई देता हूं. यह फैसला हमारे लोकतंत्र को और भी अधिक जीवंत और सहभागी बनाने की दिशा में एक जरूरी कदम है.
एक अक्टूबर को हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटों पर वोटिंग होनी हैं. जिसकी घोषणा हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार कर चुके हैं. जिसके नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित कर दिए जाएंगे. चुनाव आयोग की इस घोषणा के साथ ही सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है. वहीं सूत्रों की मानें तो इस बार के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के दिग्गज चेहरे भी अपनी किस्मत आजमाने को बेताब हैं.
शैलजा और सुरजेवाला दावेदारी मजबूत करने में जुटे
दरअसल कांग्रेस की पूर्व मंत्री और लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला खुद को सीएम की रेस में शामिल मान चुके हैं. इसके लिए दोनों ही नेता अपनी दावेदारी को और मजबूत करने की कोशिश में जुट गए हैं. कुमारी शैलजा तो यहां तक कह चुकी हैं कि अगर आलाकमान चाहेगा तो वो हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार हैं. हालांकि रणदीप सुरजेवाला ने अभी तक खुलकर कुछ नहीं बोला है. रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि ये राहुल गांधी तय करेंगे कि उनको विधानसभा चुनाव मैदान में उतरना है या नहीं.
सीएम की कुर्सी पर दावेदारी की जंग तेज
आपको बता दें कि हरियाणा में हुड्डा खेमा भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम पद के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करता रहता है. जबकि कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला भी खुद को राज्य में कांग्रेस पार्टी के पहली पंक्ति के नेताओं में शामिल मानते हैं. इस वजह से दोनों ही नेताओं को लगता है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में उतरकर जीत हासिल होने की स्थिति में मुख्यमंत्री की कुर्सी की रेस में उनका नाम भी आगे रह सकता है. इसी वजह से ये दोनों नेता चुनावी मैदान में उतरने को तैयार बताए जा रहे हैं.
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का एक और नया अंदाज लोगों के सामने आया है. इस बार राहुल एक उबर टैक्सी में सफर करते नजर आए. इस दौरान राहुल ने केवल टैक्सी में सफर ही नहीं किया बल्कि टैक्सी ड्राइवर से गुफ्तगू भी. 40 मिनट के सफर के दौरान नेता प्रतिपक्ष ने टैक्सी ड्राइवर से कई सवाल भी किए और कैब ड्राइवर, डिलीवरी एजेंट जैसे गिग वर्कर्स की समस्याओं का जायजा लिया. उन्होंने कहा कि देश की जनता की आमदनी कम है और लोगों का मंहगाई से दम निकलता जा रहा है. यही भारत के गिग वर्कर्स की व्यथा है.
‘हैंड टू माउथ इनकम’ में इनका गुजारा तंगी में चल रहा- राहुल
सुनील उपाध्याय नाम के कैब ड्राइवर से बात करते हुए राहुल ने कहा कि आपको नहीं लगता है कि चुने हुए लोग अमीर होते जा रहे हैं. देश की एक बड़ी आबादी नीचे जा रही है. 10 प्रतिशत लोग ऊपर उठ रहे हैं जबकि 90 फीसदी लोग नीचे जा रहे हैं. कैब ड्राइवर ने भी कहा कि हां देश में इस वक्त यही सिस्टम चल रहा है. कैब ड्राइवर ने राहुल को बताया कि इस वक्त देश में जितने भी टैक्सी ड्राइवर हैं वो सब रो रहे हैं. स्थिति ये हो गई है को अपनी गाड़ी की किस्त तक नहीं भर रहे हैं. स्थिति तभी सुधरेगी जब रेट तय हो. ऐसी व्यवस्था बने जिससे कंपनियों को कम से कम भुगतान करना पड़े. इसके अलावा कैब ड्राइवरों के लिए भी पेंशन की व्यवस्था करनी चाहिए. राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए कहा कि ‘हैंड टू माउथ इनकम’ में इनका गुजारा तंगी से चल रहा है. न कोई बचत और न ही परिवार के भविष्य का आधार है. इनके समाधान के लिए कांग्रेस की राज्य सरकारें ठोंस नीतियां बना कर न्याय करेंगी और INDIA गठबंधन पूरे संघर्ष के साथ इसका देशव्यापी विस्तार सुनिश्चित करेगा.
टैक्सी ड्राइवर ने शीला दीक्षित के कामों को सराहा
दिल्ली में हुए कामों का जिक्र करते हुए टैक्सी ड्राइवर ने कहा कि इसका पूरा श्रेय शीला दीक्षित को जाता है. दिल्ली में जितने भी फ्लाईओवर बने और जितने भी काम हुए हैं सब उन्हीं की सरकार में हुए थे. सफर में बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने ड्राइवर के परिवार से भी बात की. बच्चों से उनका हालचाल पूछा. ड्राइवर ने कहा कि हम जितना पैसा कमाते हैं पूरा खर्च हो जाता है. टैक्सी की ही कमाई से घर का खर्च चलता है. बच्चों की फीस भरते हैं. कभी ऐसा दिन नहीं आता है जब मैं अपने बच्चों से कहूं कि चलो आज तुम्हें कहीं घुमा कर लाता हूं. पैसे ही नहीं होते हैं. इसके बाद राहुल गांधी ने उबर ड्राइवर के परिवार के साथ समय बिताया और खाना भी खाया. लंच करते समय भी राहुल लगातार उनकी समस्याओं के बारे में जानते रहे. टैक्सी ड्राइवर के परिवार में उसकी पत्नी और बच्चे शामिल रहे. इसके बाद अंत में नेता प्रतिपक्ष ने ड्राइवर के साथ-साथ पत्नी और बच्चों को गिफ्ट भी भेंट किया.
नोएडा को साफ और स्वच्छ बनाने के प्रयास में नोएडा-ग्रेनो अथॉरिटी पर्यावरण की रक्षा करना भूल गईं.दरअसल नोएडा-ग्रेनो अथॉरिटी द्वारा सड़क के किनारे लगाई जा रही टाइल्स पेड़ों के लिए खतरनाक साबित हो रही हैं. इस मामले को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ता विक्रांत तोंगड़ ने एक याचिका दायर की. जिस पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को बड़ा झटका लगा है. एनजीटी ने इस मामले में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को पेश होने के आदेश जारी कर दिए हैं.
NGT ने प्राधिकरण के दोनों सीईओ को जारी किया नोटिस
नोएडा में सड़कों के किनारे पेड़-पौधों को दबाते हुए की जा रही टाइल्स की इंटरलॉकिंग की वजह से पेड़ों को नुकसान हो रहा है. यही नहीं पेड़ के पास पक्की लेयर बिछाने से बारिश का पानी भी पेड़ों तक न पहुंचकर सीधे नदी-नालों में बह जाता है. यही वजह है कि शहर का भूजल स्तर तेजी से घट रहा है. इस मामले में पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने चिंता व्यक्त करते हुए एनजीटी में याचिका दायर की थी. इस मामले में सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कुछ समय पहले सड़क किनारे लगाए गए अनावश्यक इंटरलॉकिंग टाइल्स को हटाने की निर्देश दिया था लेकिन प्राधिकरण द्वारा इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया. अब एक बार फिर इस मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने प्राधिकरण के दोनों सीईओ को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. साथ ही एनजीटी के समक्ष पेश होने का आदेश दिया है. एनजीटी ने ये भी कहा कि अगर CEO दी गई तारीख पर पेश नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.
इंटरलॉकिंग से पेड़ों को हो रहा नुकसान
पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड़ और डॉ. सुप्रिया सरदाना ने बताया कि इस संबंध में एनजीटी में डाली गई याचिका पर उनके अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने मजबूती से पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि पेड़ों के आसपास भी कच्चे स्थानों को कंक्रीट से पक्का कर दिया जाता है। कंक्रीट से बारिश का पानी जमीन में नहीं जा रहा है। इससे भूजल स्तर में गिरावट आ रही है। साथ ही, बरसात के मौसम में जलभराव की समस्या आती है। पर्यावरणविदों ने कहा कि पेड़ों के आसपास कम से कम एक मीटर कच्चा स्थान छोड़ना चाहिए, लेकिन नोएडा-ग्रेटर नोएडा में ऐसा नहीं किया जा रहा है। याचिका में जिन प्रभावित इलाकों का विशेष जिक्र किया गया है उनमें नोएडा के सेक्टर-28, 37, 47, 50, 55 और 62 शामिल हैं, जबकि ग्रेटर नोएडा के सेक्टर ओमेगा-1, पी-3 और अल्फा के नाम लिए गए हैं।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के निवासियों के लिए खुशखबरी है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट का पहला एसटीपी शीघ्र बनने जा रहा है। करीब 80 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 45 एमएलडी शोधन क्षमता वाले एसटीपी के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने टेंडर निकाल दिए हैं। एक माह में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर निर्माण कार्य शुरू कराने की तैयारी है। इसका निर्माण कार्य को डेढ़ साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस एसटीपी के चालू होने से ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टरों व गांव के निवासियों को बड़ी राहत मिल जाएगी। इसके साथ ही प्राधिकरण ने 23 अन्य कार्यों के लिए लगभग 18 करोड़ रुपये के टेंडर निकाल दिए हैं। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टरों व गांवों के सीवर को शोधित करने के लिए एसटीपी की बहुत जरूरत है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने इस जरूरत को देखते हुए एसटीपी शीघ्र बनाने की अनुमति दे दी। सीवर विभाग ने एसटीपी बनाने के लिए टेंडर निकाल दिए हैं।
कंपनियां 29 जुलाई तक कर सकेंगी आवेदन
प्राधिकरण के एसीईओ आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि एसटीपी बनाने की इच्छुक कंपनियां 29 जुलाई तक आवेदन कर सकती हैं। 31 जुलाई को प्री क्वालीफिकेशन बिड खुलेगी। कंपनी का चयन कर कार्य को शीघ्र करने की तैयारी है। इसका निर्माण कार्य के शुरू होने के बाद पूरा होने में लगभग डेढ़ साल लगेंगे। अब तक ग्रेनो वेस्ट में एसटीपी न होने से ग्रेटर नोएडा वेस्ट की स्वच्छता के लिए इस एसटीपी की बहुत आवश्यकता थी। अब इसके जल्द मूर्त रूप में आने की उम्मीद है। इससे ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सभी गांव व सेक्टर इस एसटीपी से जुड़ जाएंगे। उनके घरों से निकलने वाला सीवर शोधित हो सकेगा।
सीईओ एनजी रवि कुमार ने दिए निर्देश
इसके साथ सेक्टर बीटा वन व टू के सामुदायिक भवन के आंतरिक विद्युतीकरण का कार्य, 6 प्रतिशत आबादी भूखंडों में एलईडी लगाने, 3 जोनल रिजर्वायर के इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, सिविल कार्य और जीआईएस मैपिंग के कार्य, सेक्टर 16बी व 16सी वितरण लाइन बिछाने का कार्य, ग्रेटर नोएडा के विभिन्न सेक्टरों में झूलों की मरम्मत का कार्य, सेक्टर दो में ओपन जिम के उपकरण लगाने आदि कार्य किए जाएंगे। सीईओ एनजी रवि कुमार ने इन कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया को एक माह में पूरा कर निर्माण शीघ्र शुरू कराने के निर्देश दिए हैं। इन कार्यों की गुणवत्ता में लापरवाही न करने की सख्त हिदायत दी है।
लोकसभा चुनावों के नतीजे घोषित हो चुके हैं। बीजेपी के लिए ये नतीजे निराशाजनक साबित हुए हैं। जहां बीजेपी 400 पार का नारा देते नहीं थक रही थी तो वहीं पार्टी इस बार 300 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई है। अगर हम ये कहें कि बीजेपी औंधे मुंह गिरी है तो ये गलत नहीं होगा। वहीं नतीजों की घोषणा के बाद अब सत्ता किसकी चलेगी इस बात की ऊहापोह शुरू हो गई है। लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए को 292 सीटें मिली हैं। लगातार तीसरी बार एनडीए की सरकार तो बनने जा रही है लेकिन बीजेपी बहुमत से दूर है। इसलिए एनडीए की सरकार पांच साल चलाने के लिए अब प्रधानमंत्री मोदी को चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ की जरूरत होगी। वो इसलिए क्योंकि 2014 और 2019 में अपने दम पर बहुमत लाने वाली बीजेपी इस बार 272 का आंकड़ा पार नहीं कर सकी। 543 सीटों वाली लोकसभा में सरकार में बने रहने के लिए कम से कम 272 सीटें चाहिए। बीजेपी के पास इस बार 240 सीटें ही हैं। हालांकि, एनडीए के पास 292 सीटें हैं, जो बहुमत से 20 ज्यादा है।
नीतीश-मोदी की उतार-चढ़ाव वाली यारी
नीतीश और मोदी के रिश्तों की बात करें तो दोनों ही नेताओं के रिश्ते काफी उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। 2014 का लोकसभा चुनाव नीतीश ने अकेले लड़ा। इससे नीतीश की जेडीयू को खासा नुकसान पहुंचा। हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश ने मई 2014 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 2015 का विधानसभा चुनाव उन्होंने लालू यादव की आरजेडी के साथ मिलकर लड़ा था। नीतीश-लालू की जोड़ी चल पड़ी और बिहार मे जेडीयू-आरजेडी की सरकार बनी। लेकिन दो साल बाद ही जुलाई 2017 में नीतीश पलटी मारते हुए दोबारा एनडीए में आ गए। एनडीए में आने के बाद 2019 का लोकसभा और 2020 का विधानसभा चुनाव उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा। 2020 में बिहार में एनडीए की सरकार बनी, लेकिन फिर अगस्त 2022 में उन्होंने पलटी मारी और आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई। इसी साल जनवरी में नीतीश कुमार ने यूटर्न लेते हुए आरजेडी का साथ छोड़ा और फिर एनडीए में आ गए।
मोदी-नायडू की दोस्ती का तानाबाना
2018 तक नायडू की टीडीपी एनडीए का हिस्सा थी। एनडीए से अलग होने के बाद नायडू की टीडीपी ने मार्च 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया था। हालांकि, ये प्रस्ताव गिर गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी और नायडू के बीच कई बार तीखी बयानबाजी भी हुई थी। गठबंधन से अलग होने के कारण पीएम मोदी ने नायडू को 'यूटर्न बाबू' कहा था। हालांकि, 2019 के लोकसभा और आंध्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद नायडू ने कई बार कथित रूप से एनडीए में शामिल होने की कोशिश की थी। माना जाता है कि नायडू ने जो कुछ भी बयानबाजी की थी, उसे लेकर मोदी टीडीपी को एनडीए में लाना नहीं चाहते थे। लेकिन एक्टर से राजनेता बने पवन कल्याण मोदी और नायडू को करीब लेकर आए। आखिरकार चुनाव से ऐन पहले मार्च में टीडीपी एनडीए में शामिल हो गई।
मोदी के लिए जरूरी है नायडू-नीतीश का साथ
सरकार में बने रहने के लिए 272 सीटें जरूरी हैं। बीजेपी की 240, टीडीपी की 16 और जेडीयू की 12 सीटें मिलाकर 268 का आंकड़ा पहुंचता है। बाकी 24 सीटें दूसरी पार्टियों की हैं। अगर एक भी पार्टी साथ छोड़ती है तो एनडीए के पास बहुमत तो रहेगा, लेकिन सरकार कमजोर हो जाएगी। अगर टीडीपी साथ छोड़ती है तो एनडीए के पास 276 सांसद बचेंगे। सरकार बहुमत में तो रहेगी,लेकिन जादुई आंकड़े से कुछ सीटें ही ज्यादा बचेंगी। इसी तरह अगर नीतीश की जेडीयू अलग होती है तो एनडीए के पास 280 सीटें बचेंगी। ऐसी स्थिति में भी एनडीए के पास ही बहुमत रहेगा, लेकिन सरकार कमजोर और विपक्ष और मजबूत हो जाएगा। वहीं अगर दोनों पार्टियां साथ छोड़ देती हैं तो एनडीए सरकार बहुमत खो देगी। टीडीपी और जेडीयू के पास 28 सांसद हैं और दोनों के जाने का मतलब होगा। एनडीए के पास 264 सीटें बचना। यानी, बहुमत से चार सीटें कम। बहरहाल, नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व 3 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है. इस दिन लोग घरों में कलश स्थापना करके पूरे विधि विधान के साथ मां की पूजा-अर्चना करते हैं. हिंदू धर्म में इस दिन कलश स्थापना का बहुत महत्व होता है क्योंकि मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है. कहा जाता है कि इस कलश में ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ ही सभी 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है. वहीं घट स्थापना से ही माता के नवरात्रों की शुरुआत होती है. ऐसे में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त जानना भी बेहद जरूरी होता है. तो आइए जान लेते हैं घट स्थापना का शुभ मूहूर्त क्या हैं और कैसे करें माता रानी को प्रसन्न-
शारदीय नवरात्र में घट स्थापना के दो मुहूर्त
नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है. माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इन 9 दिनों में सच्चे मन से मां की सेवा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं मां पूरी करती हैं. इसके लिए दिनभर में दो ही मुहूर्त रहेंगे। पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्टूबर की सुबह 12 बजकर 19 मिनट से होगा. जिसका समापन अगले दिन 4 अक्टूबर की सुबह 2 बजकर 58 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार शारदीय नवरात्रि गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 से आरंभ हो रही है. नवरात्रि के पावन पर्व का समापन शनिवार 12 अक्टूबर को होगा. वहीं इस बार घट यानी कलश स्थापना के दो मुहूर्त हैं. घट स्थापना का मुहूर्त गुरुवार को सुबह 6:15 से लेकर सुबह 7:22 तक रहेगा. इसके अलावा घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 बजे से लेकर दोपहर 12:33 बजे तक रहेगा.
कैसे करें कलश स्थापना
पूर्व या उत्तर दिशा में कलश की स्थापना करें. कलश स्थापना आप घर के मंदिर में भी कर सकते हैं.
इस कलश में चावल, गेहूं, जौ , मूंग, चना, सिक्के, कुछ पत्ते, गंगाजल, नारियल, कुमकुम, रोली डालें. इसके ऊपर नारियल रखें.
कलश के मुंह पर मौली बांधकर कुमकुम से तिलक लगाएं. कलश को एक चौकी पर देवी मां के ठीक सामने स्थापित करें.
कलश पर रोली और चावल से अष्टदल कमल बनाकर सजाएं, साथ ही कलश पर स्वास्तिक का निर्माण करें.
माता रानी के मंत्रों का जाप करके कलश में जल चढ़ाएं और धूप दीप करें.
कल यानी 23 जुलाई को केंद्र सरकार बजट पेश करने वाली है. ये बजट मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट है. इस बजट से देश के आम से लेकर खास सभी लोगों को काफी उम्मीदें हैं. वहीं बजट पेश होने से एक दिन पहले केंद्र सरकार ने संसद में एक इकोनॉमिक सर्वे पेश किया है. जिसमें बताया गया है कि इस बजट में सरकार का फोकस किन चीजों पर रहने वाला है. आइए हम भी जान लेते हैं कि वो चीजें कौन सी हैं-
कृषि, रोजगार और भारत को ड्रोन हब बनाने पर फोकस
सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक देश की प्रगति को और रफ्तार देने के लिए कृषि क्षेत्र इंजन का काम करेगा और सर्वे में एग्रीकल्चर सेक्टर पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर जोर दिया गया है. इसके अलावा सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने पर भी जोर रहा है. इसके साथ ही भारत को ड्रोन हब बनाने पर भी सरकार का फोकस रहेगा.
शहरी बेरोजगारी घटी, अब रोजगार पर जोर
सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया है कि नॉन एग्रीकल्चर सेक्टर में साल 2030 तक औसतन सालाना करीब 78.5 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने की जरूरत है. हालांकि, इसमें साफ किया गया है कि देश में बेरोजगारी दर में गिरावट आई है और कोविड-19 महामारी के बाद से इसमें गिरावट आ रही है. 15 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगों के लिए शहरी बेरोजगारी दर 6.8% से घटकर मार्च 2024 तक 6.7% पर आ गई.
महिला सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट में जबर्दस्त बदलाव
इसके साथ ही इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि महिला सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट में तेजी आई है और सरकार के प्रयासों के चलते भारत की 57.3% वर्कफोर्स सेल्फ-एम्प्लॉयड है और इसमें महिलाओं की भागीदारी उत्साह पैदा करने वाली है, जिसमें महिला सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट में जबर्दस्त बदलाव देखने को मिला है.
निजी निवेश की रफ्तार हुई तेज
इसके साथ ही इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय पर जोर दिए जाने और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में लगातार आ रही तेजी के कारण ग्रॉस फॉक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन को बढ़ावा मिला है. इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, 2023-24 में इसमें 9 फीसदी की जोरदार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
आर्थिक सर्वेक्षण में जीडीपी का भी जिक्र
मोदी 3.0 द्वारा पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण FY25 में भारत की जीडीपी को लेकर जिक्र किया गया. इस रिपोर्ट में देश की फाइनेंशियल हेल्थ का लेखा-जोखा पेश करते हुए कहा है कि देश की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.5 से 7 फीसदी तक है.
सर्वे में बैंक बैलेंस शीट मजबूत होने का दावा
इकोनॉमिक सर्वे में कंपनियों और बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत होने का दावा किया गया है. इसके साथ ही कहा गया है कि प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को और भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
2024 में देश में 124 अरब डॉलर का रेमिटेंस भेजे गए
सर्वे में ये भी जिक्र किया गया है कि जो भारतीय मूल के लोग दुनिया के तमाम देशों में रह रहे हैं, उन्होंने अपने परिजनों को जो पैसा भेजा है, उसका आंकड़ा लगातार बढ़ा है. डेटा के मुताबिक, विदेश में बसे भारतीयों ने 2024 के दौरान देश में 124 अरब डॉलर का रेमिटेंस भेजे हैं. साल 2025 में इसके 129 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान.
स्टॉक मार्केट ने दी शानदार परफॉर्मेंस
भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यस्था है और आर्थिक सर्वे में इसकी ग्रोथ स्टोरी में कैपिटल मार्केट की अहम भूमिका रही है. स्टॉक मार्केट ग्लोबल टेंशन और तमाम आर्थिक झटकों के बीच शानदार परफॉर्मेंस दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, शेयर मार्केट का निफ्टी-50 इंडेक्स वित्त वर्ष 24 के दौरान 26.8 फीसदी की बढ़त में रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 8.2 फीसदी की गिरावट में था.
AI का रोजगार पर दिख सकता है असर
इकोनॉमिक सर्वे में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी (AI) के कर्मचारियों पर पड़ने वाले असर को लेकर काफी अनश्चितता है. सर्वे रिपोर्ट में अनुमान जाहिर किया गया है कि एआई से प्रोडक्टिविटी में बढ़ोत्तरी तो होगी, लेकिन इसका कुछ सेक्टर्स में रोजगार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
महंगाई दर में गिरावट का दिया संकेत
इकोनॉमिक सर्वे की रिपोर्ट में मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद जताई गई है. ऐसे में महंगाई दर में गिरावट आ सकती है. इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने भी चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर के 4.5 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया है.
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही है. दरअसल बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज है. इस मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों में से एक का बयान दर्ज किया गया है.
10, 12 और 13 सितंबर को दर्ज होंगे पहलवानों के बयान
इस दौरान राउज एवेन्यू कोर्ट की एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत मौके पर मौजूद थीं. प्रियंका राजपूत ने ही महिला पहलवान के बयान को कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया है. वहीं अदालत की कार्रवाई का समय खत्म होने के कारण गवाही पूरी नहीं हो सकी है. जिसके कारण कोर्ट में अब महिला पहलवान के बयान 10, 12 और 13 सितंबर को दर्ज करने की प्रक्रिया जारी रहेगी. इस मामले में आगे की सुनवाई अब 10 सितंबर को होगी.
विनेश फोगाट ने एक्स पर सुरक्षा को लेकर किया पोस्ट
विनेश फोगाट ने बृजभूषण शरण सिंह से जुड़े मामले को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया था. इसमें कहा गया था कि जिन महिला पहलवानों की बृजभूषण के खिलाफ कोर्ट में गवाही होने वाली है. दिल्ली पुलिस ने उनकी सुरक्षा हटा ली है. विनेश फोगाट के पोस्ट पर दिल्ली पुलिस ने प्रतिक्रिया दी है. सुरक्षा में लगे पीएसओ को फायरिंग की प्रैक्टिस के लिए बुलाया गया था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि रेसलर्स को पहले से यह जानकारी दे दी गई थी. सिक्योरिटी वापस नहीं ली गई है.
पहलवानों को दिए गए बयान दर्ज करवाने के दो विकल्प
कोर्ट ने महिला पहलवानों को बयान दर्ज करवाने के लिए 2 विकल्प दिए गए हैं. पहला अगर वे कोर्ट रूम में गवाही देने में सहज हैं तो इसकी खुली सुनवाई होगी. अगर वे सहज नहीं हैं तो फिर उनके बयान दर्ज किए जाएंगे. यह फैसला पहलवानों को लेने के आदेश दिए गए हैं. पहलवानों के कहने पर कोर्ट ने कहा कि उनकी गवाही जज के सामने होगी. इसमें बृजभूषण का कोई वकील भी मौजूद नहीं रहेगा और बयान कोर्ट रूम के साथ वाले कमरे में दर्ज किया जाएगा.
ग्रेटर नोएडा में रेलवे क्रॉसिंग पर निर्माणाधीन आरओबी अब छह लेन का बनेगा. ये रेलवे ओवर ब्रिज मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब को आपस में जोड़ने और दादरी व ग्रेटर नोएडा के बीच सफर को आसान बनाने के लिए पल्ला के पास बनाया जा रहा है. पहले ये ओवर ब्रिज चार लेन का बनाया जा रहा था. मगर आईआईटीजीएनएल की पहल पर अब दो लेन और बढ़ाने की स्वीकृति मिल गई है. इस दो लेन का खर्च भी आईआईटीजीएनएल ही वहन करेगा.
194 करोड़ रुपये के खर्च से बनेगा 6 लेन का ओवरब्रिज
दरअसल पल्ला के पास रेलवे लाइन पार करने के लिए रेलवे की तरफ से चार लेन का ओवरब्रिज बनाया जा रहा है. आईआईटीजीएनएल ने इस ओवरब्रिज को छह लेन बनाने के लिए प्रयास किया है. आईआईटीजीएनएल के प्रबंध निदेशक और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने इसके लिए उत्तर प्रदेश शासन और भारत सरकार से निरंतर प्रयास किए जिसका अब लाभ मिला है. इस ओवरब्रिज को छह लेन का बनाने को मंजूरी मिल गई है. इस पर कुल खर्च लगभग 194 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. जिसमें से करीब 75 करोड़ रुपये ग्रेटर नोएडा और शेष रकम डीएफसीसी वहन कर रहा है. इस पर काम पहले ही शुरू हो चुका है. अगले डेढ़ साल में इसका निर्माण पूरा हो जाने की उम्मीद है.
पुल बनने से लोगों को होंगे कई अहम फायदे
इस पुल के बन जाने से कई फायदे होंगे. एक तो पश्चिमी क्षेत्रों जैसे ग्रेटर नोएडा, नोएडा, दिल्ली आदि की तरफ से आने वाले लोगों के लिए ग्रेटर नोएडा रेलवे टर्मिनल तक पहुंचना आसान हो जाएगा. इसके अलावा ग्रेटर नोएडा की 105 मीटर रोड को भी एनएच-91 से जोड़ा जा रहा है. जिससे दादरी और ग्रेटर नोएडा फेस 2 के क्षेत्रों से एमएमटीएच के बीच आवाजाही आसान हो जाएगी. 105 मीटर रोड को एनएच-91 से जोड़ने के लिए 60 मीटर चौड़ी रोड बनाने का जल्द शुरू होने जा रहा है. इसकी टेंडर प्रक्रिया पूरी की जा रही है. ग्रेटर नोएडा फेस टू इसी तरफ बसाने की योजना पर काम चल ही रहा है.
ग्रेटर नोएडा-दादरी के बीच रोजाना सफर करने वालों को सहूलियत
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और आईआईटीजीएनएल के प्रबंध निदेशक एनजी रवि कुमार का कहना है कि पल्ला-बोड़ाकी के पास निर्माणाधीन रेलवे ओवरब्रिज से न सिर्फ एमएमटीएच को लाभ होगा. बल्कि ग्रेटर नोएडा-दादरी के बीच रोजाना सफर करने वाले हजारों लोगों को बहुत सहूलियत हो जाएगी. ग्रेटर नोएडा फेस टू भी इसी तरफ बसाया जाना है. उसके लिए भी यह पुल मील का पत्थर साबित होगा.
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October 05, 2024