ग्रेनो में जामताड़ा गिरोह का खुलासाः विदेशी नागरिकों को ठग रहे 24 आरोपी गिरफ्तार, जानिए सरगना कौन है

Greater Noida West: नोएडा पुलिस और एसटीएफ ने एक बहुत बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है। वेबसीरीज जामताड़ा की तर्ज पर फर्जी कॉल सेंटर के जरिए पूरा गिरोह विदेशी लोगों को ठग रहे थे। नोएडा STF और बिसरख पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में अमेरिकन नागरिकों से ठगी करने वाले इंटरनेशनल कॉल सेंटर का खुलासा करते हुए 24 लोगों को गिरफ्तार किया है। चार साल से ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित महागुन मायवुड सोसायटी में फर्जी कॉल सेंटर चल रहा था। आरोपियों के कब्जे से मर्सडीज़ समेत 8 लग्ज़री कार , कैश 4 लाख कैश, दुबई, सिंगापूर, थाईलैंड की करेंसे और करोड़ो डॉलर बरामद किया है। गैंग का सरगना अंकुर गुप्ता भी मौके से गिरफ्तार हुआ है।


एमबीए पास है गिरोह का सरगना
कॉल सेंटर ठगी मामले के सरगना एमबीए पास अंकुर गुप्ता ने सात वर्षों तक कॉल सेंटरों में विभिन्न पदों पर काम किया। आरोपी ने 19 साल में कॉल सेंटर के कर्मचारी से लेकर मोबाइल इंपोर्ट और फिर अमेरिकी नागरिक नितिन सिंह की मदद से आईफोन की तस्करी की। इसके बाद विदेशियों से ठगी करने का कॉल सेंटर शुरू कर दिया। एसटीएफ ने बताया कि अंकुर गुप्ता (39) ने एमबीए के बाद वर्ष 2004 से लेकर 2011 के बीच विभिन्न कॉल सेंटरों में नौकरी की। 2011-12 में करोल बाग दिल्ली में मोबाइल फोन इंपोर्ट कर दिल्ली एनसीआर के बाजार में बेचने का धंधा शुरू किया। इसी दौरान उसकी पहचान अमेरिका में रहने वाले नितिन सिंह से हुई।


हांकांग में हिमांशु ने अंकुर को दी ठगी का प्रशिक्षण


इसके बाद नितिन की मदद से अंकुर ने अमेरिका से आईफोन को तस्करी कर हांगकांग के रास्ते चेन्नई लाने और फिर बाजार में बेचने का काम शुरू किया। इसी बीच उसकी मुलाकात गुजरात के अगड़िये मुकेश शाह से हो गई। 2019 में मुकेश ने हांगकांग में अंकुर गुप्ता की मुलाकात हिमांशु से कराई। हिमांशु फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेन्टर चलाकर अमेरिका के नागरिकों से धोखाधड़ी करता था। हिमांशु ने ही उसे विदेशियों से ठगी करने के अवैध धंधे का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद मोबाइल रिपेयरिंग का काम करने वाले तरुण के साथ मिलकर अंकुर कॉल सेंटर चलाने लगा।


कर्मचारियों को वेतन के साथ इन्सेंटिव भी मिलता था


एसटीएफ ने बताया कि कॉल सेंटर से पकड़े गए आरोपियों को सरगना 25-30 हजार रुपये प्रतिमाह का वेतन देता था। इसके साथ ठगी के बदले इंसेंटिव देता था। कुछ आरोपी ठगी की रकम में 20 से 30 फीसदी की हिस्सेदारी पर भी काम करते थे। हांगकांग के जिस खाते में रकम हस्तांतरित की जाती थी। उस खाता धारक को भी आरोपी कमीशन देते थे। इस खाते से अंकुर गुप्ता व तरुण को क्रिप्टो करेंसी या नकद के जरिये भुगतान मिलता था।

इस तरह करते ठगी


पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि आरोपी अमेरिकी नागरिकों को नई बीमा पॉलिसी देने, बंद पॉलिसी चालू कराने, मोबाइल बैकिंग में आने वाली दिक्कतें और पासवर्ड आदि मुहैया कराने का भी झांसा देकर ठगी का शिकार बनाते थे।

By Super Admin | November 19, 2023 | 0 Comments

Hot Categories

3
2
1