Greater Noida: यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण क्षेत्र में सेक्टर 29 में बन रहे अपैरल पार्क में सोमवार को मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा फैक्टरी भूखंडों का शिलान्यास किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर अरुण वीर सिंह, नोएडा अपैरल कलस्टर के अध्यक्ष ललित ठकराल सहित बड़ी संख्या में औद्योगिक भूखंडों के आवंटी उपस्थित रहे।
अब तक 81 भूखण्ड आवंटित हो चुके
उल्लेखनीय है कि प्राधिकरण द्वारा सेक्टर 29 में अपैरल पार्क कलस्टर की स्थापना की गयी है, जिसका कुल क्षेत्रफल 175 एकड़ है। इसमें कुल 89 भूखंड है जिनमें से 81 भूखण्ड आवंटित किए जा चुके हैं तथा 64 भूखंडों का लीज प्लान तथा चैक लिस्ट इश्यू की जा चुकी है। इनमें से 39 भूखण्डों पर आज भौतिक कब्जा पत्र आवंटियों को वितरित किए गए।
टेक्स्टाइल क्लस्टर के भूखंडों की मांग
कार्यक्रम में एनएईसी के अध्यक्ष ललित ठकराल ने बताया कि अभी भी 70 से अधिक औद्योगिक इकाइयों द्वारा यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण में टेक्स्टाइल क्लस्टर के भूखंडों की मांग की जा रही है। यमुना प्राधिकरण में स्थापित इस अप्रैल पार्क क्लस्टर के कारण ही गौतम बुद्ध नगर को सिटी ऑफ अपैरल के नाम से भी जाना जाता है। ये यमुना प्राधिकरण द्वारा स्थापित पहला औद्योगिक कलस्टर है। यमुना प्राधिकरण द्वारा प्रदेश में कलस्टर के रूप में औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करने की शुरुआत की गई है।
जेवर में बननेवाला कार्गों दिल्ली से भी सस्ता पड़ेगा
इस अवसर पर प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉक्टर अरुण वीर सिंह द्वारा द्वारा बताया गया कि प्राधिकरण के औद्योगिक क्षेत्र के अंदर कन्वेन्शन सेंटर, एग्जिबिशन सेंटर वा डेडिकेटेड कार्गों की स्थापना की जाएगी। जेवर में निर्माणाधीन नोएडा इंटरनेशनल एअरपोर्ट मैं डेडिकेटेड कार्गों विकसित किया जाएगा। वर्तमान में कार्गों के अंदर सबसे अधिक हिस्सेदारी करीब 37% वस्त्र उद्योग की है। जेवर में बननेवाला कार्गों दिल्ली से भी सस्ता पड़ेगा क्योंकि यहाँ पर फ्यूल पर केवल 1% का वैट सरकार द्वारा लगाया जा रहा है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया है की प्राधिकरण के इस अपैरल पार्क को बल्लभगढ़ के पास से दिल्ली नोएडा एक्सप्रेस वे से जोड़े जाने पर एनएचएआई द्वारा कार्य शुरू कर दिया गया है। प्राधिकरण क्षेत्र में रैपिड रेल एनसीआरटीसी की स्टडी भी प्रारंभ करा दी गई है। इस क्षेत्र में देश का पहला और विश्व का छठा पॉड टैक्सी सिस्टम बनाया जाएगा, जिसके लिए प्राधिकरण द्वारा अंतरराष्ट्रीय निविदा भी जारी की जा चुकी है। पीआरटी सिस्टम की प्री बिड बैठक में विश्व की सभी सर्वश्रेष्ठ कंपनियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। प्राधिकरण द्वारा जल्द ही फ़िल्म सिटी परियोजना की अंतर्राष्ट्रीय बिड भी जारी की जाएगी।
औद्योगिक भूखंडों में ग्राउंड कवरेज को बढ़ाकर 60% करने का निर्णय
वीर सिंह ने बताया कि प्राधिकरण द्वारा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में औद्योगिक भूखण्डों पर दी जा रही 1.5 एफएआर को बढ़ाकर 2.0 करने का फैसला लिया गया है जिसपर शासन स्तर से शीघ्र ही आदेश जारी हो जाएगा साथ ही औद्योगिक भूखंडों में ग्राउंड कवरेज को बढ़ाकर 60% करने का भी निर्णय लिया गया। मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा सभा में उपस्थित सभी उद्योगपतियों से निवेदन किया गया अपने उद्योगों में स्थानीय युवाओं को रोजगार प्रदान करें। रोजगार प्रदान करने के लिए स्किल डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना करें, यदि इसके लिए भूमि की आवश्यकता पड़ती है तो प्राधिकरण निशुल्क जमीन उपलब्ध कराने को तैयार है। कार्यक्रम में उपस्थित सभी उद्योगपतियों द्वारा प्राधिकरण द्वारा दिए जा रहे हैं सहयोग के लिए धन्यवाद व्यक्त किया गया। इस कार्यक्रम में बिमटेक के हरिवंश चतुर्वेदी विशेष अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में प्राधिकरण के सभी वरीष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
Yamuna City: यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEDA) आगरा के पास एक नया शहर बसाने की तैयारी कर रहा है। जिसके लिए मास्टर प्लान-2031 भी तैयार कर लिया गया है। 28 नवंबर को होने वाली बोर्ड बैठक में इसे रखा जाएगा। जिसके बाद इस परिकल्पना को वास्तविक रूप देने की ओर काम किया जाएगा। नए शहर में औद्योगिक इकाइयों के साथ ट्रांसपोर्ट हब पर विशेष जोर दिया जाएगा। बढ़ते प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 15 फीसदी जमीन ग्रीन बेल्ट के लिए आरक्षित की जाएगी। औद्योगिक विकास से आगरा और आसपास के निवासियों को रोजगार के लिए घर से दूर नहीं जाना पड़ेगा।
टूरिस्ट सर्किट बनाने की योजनाः CEO
NOW NOIDA से बात करते हुए यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि 10 हजार 500 हेक्टेयर में आगरा के पास शहर बसाने की परिकल्पना की जा रही है। जो आस्था, विरासत और पर्यटन की जरूरत को पूरा करेगा। इसके अलावा आगरा, वृंदावन एक ही लाइन पर पड़ता है, इसलिए इसे टूरिस्ट सर्किट बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है।
इस तरीके से शहर बसाने की है योजना
आगरा के पास यमुना प्राधिकरण जिस नए शहर को बसाने की परिकल्पना कर रहा है, वहां पर उद्योग के लिए 25 फीसदी, आवास के लिए 20 फीसदी, वाणिज्य के लिए 4 फीसदी, परिवहन के लिए 13, ग्रीन बेल्ट के लिए 15 फीसदी जमीन उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके अलावा पर्यटन के लिए 7 फीसदी और मिश्रित उद्योग के लिए 7 फीसदी जमीन दी जाएगी।
Greater Noida: उद्योग केंद्र-2, ईकोटेक थर्ड में छोटी और बड़ी मिलाकर सैकड़ों ईकाइयां संचालित हैं। यहां से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को करोड़ों का राजस्व मिलता है। लेकिन आलम ये है कि यहां फैक्ट्रियां के आस-पास बुरा हाल है। कहीं झाड़ियां, तो कहीं नाले, यहां तक कि सड़कों के चारों तरफ गंदे नाले के पानी बह रहे हैं। अगर आप बारिश में इस इलाके में आने को सोच रहे हैं तो आपको सड़कों पर तालाब बना मिलेगा। नोएडा एंटरप्रिनियोर्स एसोसिएशन (NEA) की तरफ से यहां की परेशानियों को लेकर सोमवार को मीटिंग बुलाई गई। एसोसिएशन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मुकेश कक्कर की तरफ से सदस्यों की मीटिंग बुलाई गई। जिसमें प्राधिकरण की तरफ से वरिष्ठ प्रबंधक चेतराम सिंह और वरिष्ठ प्रबंधक प्रोजेक्ट मनोज कुमार शामिल हुए। इस दौरान एसोसिएशन के सदस्यों ने मौके पर जाकर अधिकारियों को यहां के हाल से अवगत करवाया।
सड़कों का खस्ता हाल
ईटोकेक थर्ड में सड़कों का बुरा हाल है। ज्यादातर सड़कें टूटी हुई हैं। जहां से ट्रक और उद्मियों के वाहन गुजरते हैं। इसके अलावा सड़क के चारों तरफ झाड़ियां उग आईं हैं। जहां जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है। बारिश में अगर आप ग्रेटर नोएडा के उद्योग केंद्र दो के ईकोटेक थर्ड में आने की सोच रहे हैं तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। क्योंकि बारिश के मौसम में सड़कें तालाब में तब्दील हो जाती हैं।
झाड़ियों में तब्दील हुए पार्क
कहने को तो ईकोटेक थर्ड में पार्क भी बनाए गये हैं। लेकिन इन पार्कों में बड़ी-बड़ी झाड़ियां हैं। जहां पर आसमाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। साथ ही यहां पर साफ-सफाई के नाम पर भी कोटापूर्ति ही होती है। सड़कों और पार्कों का रख-रखाव किसके भरोसे है, इसका जवाबदेह भी कोई नहीं है।
दिखाने को बनाया गया पानी की टंकी
एनईए के सदस्यों का आरोप है कि ईकोटेक थर्ड में पानी का बिल तो बराबर आता है। लेकिन पानी की सप्लाई कहीं भी नहीं है। आलम ये है कि पानी की टंकी भी खाली ही रहती है। जब अधिकारियों के साथ पानी की टंकी को लेकर वहां कार्यकर्त कर्मचारी से पूछा गया कि टंकी में पानी कबसे नहीं भरा गया, तो उसने बताया कि दो महीने से मोटर खराब है। इसके अलावा जहां पर पानी की टंकी है, वहां देसी शराब के ठेके का खोका भी देखने को मिला। इसे देख वहां पहुंचे अधिकारियों के साथ एनईए के सदस्य भी हैरान हो गये। पूछने पर कहीं से कोई भी जवाब इस खोके के बारे में नहीं मिला।
अतिक्रमण से लोग परेशान
ईकोटेक थर्ड में छोटी और बड़ी दोनों तरह की ईकाइयां हैं। जिनके माल की सप्लाई ट्रकों से की जाती है। लेकिन इन ट्रकों को सड़कों पर ही पार्क किया जाता है। जिससे जाम की स्थिति बनी रहती है। एनईए के मेंबर ने बताया कि सड़कों पर ट्रकों के पार्क करने के मामले को लेकर कई बार झड़पें भी हो चकी हैं। इसके अलावा यहां एक और समस्या है, कहीं पर भी झुग्गियों में दुकानें खोल दी गईं हैं। इसके चलते सुरक्षा के साथ जाम की स्थिति बनी रहती है। इस मीटिंग में एनईए के तरफ से सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मुकेश कक्कर, अरविंद शर्मा, सुभाष, अजय कुमार, असीम खान, सुभाष चौहान, प्रवीण जैन, यशपाल जैन, सुरेश जैन और एसपी शर्मा आदि मौजूद रहे।
Greater Noida: ईकोटेक थर्ड थाना क्षेत्र के उद्योग केंद्र दो में आए दिन ट्रक चालकों की मनमानी के चलते ना सिर्फ विवाद हो रहे हैं, बल्कि इनके खुलेआम सड़क पर ट्रकों के पार्क करने से दूसरे यूनिट के काम भी प्रभावित हो रहे हैं। हम बात कर रहे हैं ईटोटेक थर्ड औद्योगिक क्षेत्र के उद्योग केंद्र-दो की। यहां पर ट्रक माफियाओं ने अपने वाहनों को दबंगई के दम पर सड़क पर ही पार्क कर दे रहे हैं और इसका जब छोटे यूनिट के संचालक और उनके कर्मचारी विरोध करते हैं तो मारपीट तक के लिए तैयार हो जाते हैं। इंडस्ट्रियल एरिया में सड़कों पर ट्रकों की पार्किंग के चलते ना सिर्फ जाम की स्थिति बनी रहती है बल्कि यहां के आस-पास संचालित कई छोटी ईकाइयां भी इससे प्रभावित हो रही हैं। आलम ये है कि ये ट्रक चालक सड़क को जाम करने के बाद दूसरी कंपनियों के सामने भी वाहन पार्क कर दे रहे हैं, जिससे विवाद की स्थिति पैदा रही है। ऐसा नहीं है कि इस बात की जानकारी अथॉरिटी को नहीं है लेकिन ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी प्रशासन इस पर कोई एक्शन नहीं ले रहा है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, ग्रेटर नोएडा के थाना इकोटेक थर्ड क्षेत्र में ट्रकों की मनमानी रवैये से आम लोग और छोटी कंपनियों के संचालक बेहद परेशान हैं। उद्योग केंद्र दो के पास पुलिस लाइन भी है, यहां अंदर की तरफ सैकड़ों छोटी यूनिट संचालित हैं, जबकि मेन रोड पर कुछ बड़ी कंपनियां भी हैं। इन कंपनियों में लोडिंग और अनलोडिंग के लिए ट्रकों का कतार लगा रहता है। अंदर छोटी यूनिट को ट्रकों से कोई समस्या ना हो और जाम की स्थिति ना पैदा हो इसलिए इन कंपनियों के मेन गेट चौड़ी सड़क से मिलाकर बनाया गया है। वहीं से इन कंपनियों में माल की लोडिंग और अनलोडिंग भी होनी चाहिए। लेकिन ट्रक चालक मेन रोड के बजाए कंपनी के पीछे वाले गेट से जाकर लोडिंग और अनलोडिंग कर रहे हैं। इसी के चलते ईकोटेक-थर्ड के उद्योग केंद्र दो में लंबा जाम लगा रहता है। सड़क पर ट्रकों के अतिक्रमण से आम लोगों के साथ-साथ यहाँ की छोटी फ़ैक्ट्रियों को इसका हर्जाना भरना पड़ रहा है।
आखिर इन ट्रक चालकों को किसका संरक्षण?
छोटी यूनिट के संचालक और कर्मचारी जब इन ट्रक ड्राइवरों को उनकी फैक्ट्री के सामने से ट्रक हटाने की बात करते हैं तो वो मारपीट तक के लिए तैयार हो जाते हैं। जिन कंपनियों में ट्रकों लोडिंग और अनलोडिंग होती हैं वो दोनों ही कंपनी बड़ी हैं, इस डर से आम आदमी इन लोगों से पंगा नहीं लेना चाहते, लेकिन प्रशासन को किस बात का डर है। आखिर इनके खिलाफ कार्रवाई करने में अथॉरिटी और जिला प्रशासन क्यों कतरा रहा है। आम जनता के हाथ तो बंधे हैं मगर प्रशासन क्यों सोया हुआ है।
Greater Noida: ग्रेटर नोएडा के ईकोटेक थर्ड औद्योगिक क्षेत्र में जगह-जगह गंदगी फैली हुई है। गंदगी से यहां के लोग और मुसाफिर परेशान हैं। लेकिन प्राधिकरण है, जोकि गंदगी के मसले पर चुप्पी साधे हुए है। लोग लगातार इस क्षेत्र में गंदगी की बात कह रहे हैं, जब शनिवार को क्षेत्र के हालातों को देखने के लिए Now Noida की टीम पहुंची, तो हालात बेहद खराब नजर आए। क्षेत्र के कई इलाकों में सड़कों की हालात काफी खराब दिखे। साथ ही बरसात के पानी के निवास की भी कोई खास व्यवस्था नजर नहीं आई।
गंदगी देख प्राधिकरण पर उठ रहे सवाल!
ग्रेटर नोएडा ऑथारिटी साफ-सफाई को लेकर लगातार दावा पेश करती है। लेकिन ग्रेटर नोएडा के ईकोटेक थर्ड इलाके में गंदगी ने पैर पसार लिए हैं। यहां की सड़कों पर कूड़े का अंबार लगा हुआ है। लोग इस गंदगी से इस कदर हताश है कि उनका कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाले उद्यमियों को प्राधिकरण के अधिकारी अनदेखा कर रहे हैं।
सफाई कर्मचारियों की लापरवाही, नहीं बरती जा रही सख्ती!
इस औद्योगिक क्षेत्र में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। प्राधिकरण की लापरवाही के चलते सेक्टर में जगह-जगह कूड़ा-करकट, भरा हुआ पानी ही दिखाई देता है। यहां के सफाई कर्मचारी अपने काम को लेकर बिल्कुल भी मुस्तैद नहीं दिख रहे हैं।
बरसात से बढ़ेगा गंदगी में संक्रमण!
ग्रेटर नोएडा के इस इलाके की अगर सभी सड़कों और उसके आस-पास के क्षेत्रों पर नजर दौड़ाएं, तो मालूम देता है कि जगह-जगह पर कूड़ा भरा हुआ है। जोकि देखने पर पता चलता है कि ये कोई एक-दो दिन का नहीं है, बल्कि महीनों से इन जगहों की सफाई नहीं हुई है। अब जब बारिश के समय जहां कई जगह पानी भर गया है, तो गंदगी ने और भी बुरा रुप धारण कर लिया है। बारिश का पानी भी कूड़े के साथ ही भरा हुआ है, जिससे कई बीमारियां पनप रही हैं और संक्रमण की आंशका भी हो रही है।
लोगों की उठानी पड़ती है शर्मिंदगी
ग्रेटर नोएडा के इस सेक्टर में फैली अव्यवस्थाओं के चलते उद्यमियों को बायर्स की शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। गंदगी के साथ ही बदबू के चलते भी इन रास्तों से निकलना मुश्किल मालूम दे रहा है। वहीं, कूड़े के साथ ही आवारा पशु भी इस सेक्टर की समस्या को बढ़ा रहे हैं। जिससे निजाद के लिए निवासी हर मुमकिन प्रयास करना चाहते हैं। इस गंदगी को देखकर प्राधिकरण के कामों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। अब बरसात के मौसम में गंदगी से फैलने वाली बीमारियों की चिंता से भी लोग परेशान हैं।
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December 17, 2022