दिल्ली एयरपोर्ट और नोएडा इंटरनेशल एयरपोर्ट के बीच चलेगी रैपिड रेल, जल्द ही सीएम योगी दे सकते हैं मंजूरी

Greater Noida: जेवर में बन रहे भारत के सबसे बड़े नोएडा इंटरनेशल एयरपोर्ट तक बेहतर कनेक्टविटी को लेकर योगी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। अब नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को आईजीआई एयरपोर्ट से जोड़ने के लिए रैपेडि रेल चल सकती है। बीते सप्ताह ग्रेटर नोएडा दौरे पर आए सीएम योगी आदित्यनाथ के समक्ष यह प्रस्ताव रखा गया था। अब 14 दिसंबर को लखनऊ में होने वाली उच्चस्तरीय बैठक में इस रूट को शासन से अनुमति मिलने की उम्मीद है।

नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के समानांतर एलिवेटेड रूट बनेगा

रैपिड रेलके लिए सराय काले खां के पास से परी चौक तक नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के समानांतर एलिवेटेड रूट बनाया जाएगा। इससे पहले ही रैपिड रेल के गाजियाबाद वाया ग्रेटर नोएडा वेस्ट होते हुए नोएडा एयरपोर्ट रूट पहले ही मुहर लग चुकी है। शासन के दिशानिर्देश पर यमुना प्राधिकरण ने नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनसीआरटीसी) के साथ मिलकर गाजियाबाद के दुहाई से नोएडा एयरपोर्ट वाया ग्रेटर नोएडा वेस्ट होते हुए जेवर एयरपोर्ट और दिल्ली के सराय काले खां वाया नोएडा होते हुए एयरपोर्ट तक की फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें से गाजियाबाद से ग्रेटर नोएडा वेस्ट और परी चौक होते हुए एयरपोर्ट तक का रूट फाइनल हो गया है।

यमुना प्राधिकरण के सीईओ ने सीएम के समक्ष रखा था प्रस्ताव

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के निवासियों की सुविधा के लिहाज से यह रूट बेहतर माना गया है। लेकिन दिल्ली से नोएडा एयरपोर्ट जाने वाले यात्रियों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। इसको देखते हुए प्राधिकरण आईजीआई और नोएडा एयरपोर्ट को भी रैपिड रेल से जोड़ना चाह रहा है। शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा दौरे पर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक में यीडा के सीईओ डॉ़ अरुणवीर सिंह ने दिल्ली से नोएडा, परी चौक होते हुए नोएडा एयरपोर्ट तक रैपिड रेल चलाने का प्रस्ताव रखा था।

एलिवेटेड रूट का खर्च यमुना प्राधिकरण उठाएगा

सीएम को बताया था कि दिल्ली और नोएडा एयरपोर्ट के बीच रैपिड रेल का संचालन होने से नोएडा और दिल्ली के यात्रियों को सहूलियत होगी। यमुना प्राधिकरण पूरा खर्च उठाने को तैयार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आईजीआई और नोएडा एयरपोर्ट को रैपिड रेल से जोड़ने के लिए बनाए जाने वाले एलिवेटेड रूट का खर्च यमुना प्राधिकरण अकेले उठाने को तैयार है। गाजियाबाद से जेवर का रूट फाइनल हो जाने के बाद अब परी चौक तक ही ट्रैक का निर्माण करना होगा।

यहां बनेंगे स्टेशन

सराय काले खां, बॉटेनिकल गार्डन, नोएडा सेक्टर-142, नॉलेज पार्क- 2, परी चौक, इकोटेक-6, दनकौर, यीडा नॉर्थ सेक्टर-18, यीडा सेंट्रल सेक्टर- (21 व 35), नोएडा एयरपोर्ट स्टेशन प्रस्तावित है। यमुना प्राधिकरण सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि नोएडा एयरपोर्ट को रैपिड रेल के माध्यम से आईजीआई से जोड़ने प्रयास है। इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के समक्ष रखा गया है। उम्मीद है कि इस रूट पर भी शासन से अनुमति मिल जाएगी।

By Super Admin | December 12, 2023 | 0 Comments

इंदिरा नहीं, PM मोदी ने की UAE की सबसे ज्यादा बार यात्रा, देंगे हिंदुओं को ये खास तोहफा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों के यूएई दौरे पर रहेंगे. वो इसके लिए वहां पहुंच भी चुके है. जहां उनका भव्य तरीके से स्वागत भी किया गया. साल 2014 में पीएम बनने के बाद से उनकी संयुक्त अरब अमीरात की सातवीं यात्रा है. इस दौरान पीएम की भेंट यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से होगी।जिस दौरान दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को नई धार देने की कोशिश करेंगे. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो “दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी, आपसी हित से जुड़े क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर गहरी और विस्तृत बातचीत की जाएगी.” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात राष्ट्रपति के अलावा यूएई के उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री से भी तय है. पीएम दुबई में विश्व सरकार शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे और फिर एक भाषण देंगे. दुबई के बाद पीएम का कार्यक्रम अबू धाबी का है. जहां वे अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे. यहीं उनका एक और कार्यक्रम भारतीय समुदाय को संबोधित करने का भी है.

भारत-UAE के संबंधों को मिलेगी मजबूती

भारत-यूएई संबंध राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बुनियादों पर टिके हुए हैं. भारत-यूएई की निकटता का सबसे मजबूत आधार द्विपक्षीय व्यापार है. 2020-23 के आधिकारिक आंकड़ों पर गौर करें तो इस दौरान भारत-यूएई के बीच लगभग 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ. साथ ही भारत के लिए यूएई इसलिए भी जरूरी है क्योंकि साल 2022-23 के दौरान भारत में FDI निवेश करने वाले टॉप 4 देशों में शामिल रहा. UAE में भारतीय समुदाय के तकरीबन 35 लाख लोग रहते हैं, जो कि भारतीय समुदाय का सबसे बड़ा प्रवासी समूह है. दोनों देशों के बीच फरवरी 2022 में एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर दस्तखत हुआ। इसको संबंधों में मील का पत्थर माना जाता है.

इंदिरा के बाद पहले PM जिसका UAE से खास रिश्ता

भारत और यूएई संबंधों का एक मजबूत आधार साल 1976 में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने रखा. इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहते हुए मई, 1981 में यूएई गईं. उसके बाद कोई भी प्रधानमंत्री अगले तकरीबन साढ़े तीन दशकों तक यूएई नहीं गया. जिसके बाद पीएम मोदी ने अपने दस साल के कार्यकाल में कुल 7 बार यूएई को तरजीह दी है. पीएम मोदी की यात्रा यूएई के अलावा कतर को भी कवर करेगी क्योंकि कतर ने अभी हाल ही में 8 भारतीयों की सजा माफ की है.

By Super Admin | February 13, 2024 | 0 Comments

41 साल बाद भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का ऑस्ट्रिया दौरा कितना अहम?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस दौरे के बाद बुधवार को ऑस्ट्रिया की ऐतिहासिक यात्रा पर पहुंचे। कई मायनों में पीएम मोदी का यह दौरा बेहद अहम है। 41 साल बाद यह किस भारतीय पीएम ऑस्ट्रिया के दौरे पर पहुंचे हैं। ऑस्ट्रिया पहुंचते ही पीएम मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बराबरी में आ गए हैं।

1983 में इंदिरा गांधी गई थीं आस्ट्रेलिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले 1983 में भारतीय पीएम के तौर पर इंदिरा गांधी ने ऑस्ट्रिया का दौरा किया था। खास बात यह है कि पीएम मोदी ऐसे समय में वहां वियना हैं, जब भारत और ऑस्ट्रिया अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत हुआ।

आपसी संबंधों के 75 साल पूरे
इसके बाद पीएम मोदी ने आभार प्रकट करते हुए कहा, ''मुझे खुशी है कि मेरे तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही मुझे ऑस्ट्रिया आने का अवसर मिला। मेरा यहां आना ऐतिहासिक भी है और विशेष भी। 41 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रिया का दौरान किया है। इसे एक सुखद संयोग ही कहा जाएगा कि यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है, जब हमारे आपसी संबंधों के 75 साल पूरे हुए हैं।''

By Super Admin | July 11, 2024 | 0 Comments

इमरजेंसी के 50 सालः पीएम मोदी बोले- आपातकाल लगाने वालों को संविधान से प्रेम का दावा करने का कोई अधिकार नहीं

आज के ही दिन देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने के लिए आपातकाल लागू किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह औऱ यूपी के सीएम योगी आदित्नाथ ने कांग्रेस पर हमला बोला है। पीएम मोदी ने कहा कि आपातकाल लगाने वालों को संविधान से प्रेम का दिखावा करने का कोई अधिकार नहीं है।

कांग्रेस ने पूरे देश को ही जेल में बदल दिया था
पीएम मोदी ने एक्स' पर लिखा है कि 'आज का दिन उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया। आज का दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को खत्म किया और भारत के संविधान को रौंद दिया था, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है। सिर्फ सत्ता पर काबिज रहने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हर लोकतांत्रिक सिद्धांत को दरकिनार किया। पूरे देश को ही जेल में बदल दिया गया। कांग्रेस से असहमत हर व्यक्ति को प्रताड़ित और परेशान किया गया। सबसे कमजोर वर्गों को निशाना बनाया गया। इसके लिए सामाज के खिलाफ नीतियां लागू की गईं।'

संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया
प्रधानमंत्री ने आगे लिखा है 'आपातकाल लगाने वालों (कांग्रेस) को हमारे संविधान के प्रति अपने प्रेम का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है। ये वही लोग हैं, जिन्होंने न जानें कितने ही मौकों पर अनुच्छेद 356 लगाया। प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म करने वाला विधेयक पारित किया। संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया। जिस मानसिकता की वजह से आपातकाल लगाया गया, वह उसी पार्टी में बहुत ज्यादा हद तक जिंदा है। अपने दिखावे से संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को छिपाते हैं, लेकिन भारत की जनता उनकी हरकतों को देख चुकी है। इसीलिए उसने उन्हें बार-बार खारिज किया है।'

एक परिवार के सत्ता सुख के लिए लगाया था आपातकालः गृहमंत्री
वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने X पोस्ट पर लिखा है कि 'देश में लोकतंत्र की हत्या और उस पर बार-बार आघात करने का कांग्रेस का लंबा इतिहास रहा है। साल 1975 में आज के ही दिन कांग्रेस के द्वारा लगाया गया आपातकाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अहंकार में डूबी, निरंकुश कांग्रेस सरकार ने एक परिवार के सत्ता सुख के लिए 21 महीनों तक देश में सभी प्रकार के नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए थे। इस दौरान उन्होंने मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी थी, संविधान में बदलाव किए और न्यायालय तक के हाथ बाँध दिए थे। आपातकाल के खिलाफ संसद से सड़क तक आंदोलन करने वाले असंख्य सत्याग्रहियों, समाजसेवियों, श्रमिकों, किसानों, युवाओं व महिलाओं के संघर्ष को नमन करता हूँ।'


50 साल बाद भी कांग्रेस ने सिर्फ चेहरे बदले हैं, विचार नहीं: सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत के संसदीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय आज से 50 साल पहले हुआ था। कांग्रेस की तत्कालीन सरकसर ने भारत के संविधान का गला घोटते हुए , लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश रची थी । सीएम ने कहा कि रात के अंधेरे में कांग्रेस की सरकार ने इंदिरा ग़ांधी के नेतृत्व में लोकतंत्र को खत्म करने का काम किया था। विपक्ष के सभी नेताओं को बंद करके लोकतंत्र का गला घोंटने का काम किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस ने सिर्फ चेहरे बदले हैं विचार नहीं बदले हैं।

By Super Admin | June 25, 2024 | 0 Comments

रायबरेली का वो मुकदमा, जिसकी सजा पूरे देश ने झेली और 21 महीने का आपातकाल लगा

25 जून 1975, वो तारीख जिसे इतिहास में काला दिन कहा जाता है। इमरजेंसी ने विपक्ष में जेल में ठूंस दिया, तो नागरिकों के मूल अधिकार छिन गए। लेकिन इस आंतरिक आपातकाल की नींव एक मुकदमा था, जो कांग्रेस की परम्परागत सीट से जुड़ा हुआ था। क्या थे वो संयोग और वो मुकदमा, जिसकी सजा पूरे देश ने काटी...

वो मुकदमा, जिसकी सजा पूरे देश को मिली

ये मुकदमा था राज नारायण बनाम इंदिरा नेहरू गांधी। साल 1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा की अगुवाई में कांग्रेस (आर) ने 352 सीटें हासिल करके जबरदस्त जीत दर्ज की थीं। अपनी परम्परागत रायबरेली सीट से खुद इंदिरा बड़े अंतर से जीतीं थीं। उनके प्रतिद्वंदी थे विपक्षी महागठबंधन के प्रत्याशी दिग्गज समाजवादी नेता राज नारायण। 7 मार्च 1971 को मतदान हुआ और 9 मार्च से मतगणना शुरू हुई। फिर 10 मार्च को घोषित नतीजे के अनुसार इंदिरा गांधी को 1,83,309 और राजनारायण को 71,499 वोट मिले, लेकिन राजनारायण ने इसे स्वीकार नहीं किया और इलाहाबाद हाईकोर्ट में इंदिरा गांधी का निर्वाचन रद्द करने के लिए नियत अवधि की आखिरी तारीख 24 अप्रैल 1971 को चुनाव याचिका प्रस्तुत की।

जब फैसला आया इंदिरा गांधी के खिलाफ

12 जून 1975 को जस्टिस सिन्हा सुबह 9.55 पर अदालत में पहुंचे, चैंबर खचाखच भरा था। 258 पेज के फैसले में इंदिरा का रायबरेली से निर्वाचन दो बिंदुओं पर अवैध और शून्य घोषित किया गया। सरकारी सेवा में रहते हुए चुनाव में यशपाल कपूर की सेवाओं को प्राप्त करने का आरोप सही पाया गया। मंच- माइक्रोफोन-शामियाने आदि की सरकारी खर्च से व्यवस्था के कारण भी उन्हें लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (7) के अधीन चुनावी कदाचरण का दोषी पाया गया। अगले छह साल के लिए किसी संवैधानिक पद के लिए उन्हें अयोग्य करार दिया गया।

और फिर लगा आंतरिक आपातकाल

उस समय ब्रेकिंग न्यूज का जमाना नहीं था, पत्रकार और खुफिया विभाग के लोग टेलीफोन की ओर भागे और राजनारायण के वकील जश्न के माहौल में समर्थकों से घिरे थे। हाईकोर्ट में इंदिरा के वकील जस्टिस सिन्हा के रिटायरिंग रूम में सुप्रीम कोर्ट में अपील तक फैसले पर स्टे की गुजारिश कर रहे थे। जस्टिस सिन्हा ने कहा कि इसके लिए उन्हें दूसरे पक्ष को सुनने का अवसर देना होगा। राजनारायण के वकीलों के पहुंचने तक जस्टिस सिन्हा अपने फैसले का क्रियान्वयन 20 दिन के लिए स्थगित कर चुके थे। इलाहाबाद की अदालत के इस फैसले की गूंज अब देश के कोने-कोने में थी।

24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी.कृष्णा अय्यर की अवकाशकालीन एकलपीठ ने हाईकोर्ट के 12 जून के आदेश के क्रियान्वयन पर सशर्त रोक लगा दी। इस आदेश के तहत इंदिरा गांधी का प्रधानमंत्री पद सुरक्षित हुआ। वह संसद में बैठ सकती थीं लेकिन उन्हें सांसद के तौर पर सदन में वोट देने का अधिकार नहीं था। अगले ही दिन 25 जून को इंदिरा गांधी ने आंतरिक आपातकाल की घोषणा कर दी। विपक्षियों की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियों के साथ ही नागरिकों को उनके मूल अधिकारों से वंचित कर दिया गया।

By Super Admin | June 25, 2024 | 0 Comments

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