एमपी गजब है, ये तो अक्सर आपने सुना होगा. लेकिन आज एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सबको हैरान कर दिया. मध्य प्रदेश के सतना जिले में एक शख्स बीमार मरीज को लेकर सीधा अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड पहुंच गया. जिसे देखकर हर कोई हक्का-बक्का रह गया. अस्पताल के सिक्योरिटी गार्ड ने रोकने की कोशिश भी की लेकिन युवक ने एक बार भी उसकी बात को नहीं सुनी. अस्पताल स्टाफ पर धौंस दिखाते हुए जैसे ही इमरजेंसी में पहुंचा वहां मौके पर मौजूद मरीज भाग खड़े हुए.
बाइक पर दादा को बैठाकर लाया अस्पताल
बता दें एक शख्स के दादाजी की तबियत अचानक बिगड़ गई. जिसके बाद कथित नीरज गुप्ता नाम के युवक ने उन्हें बाइक पर बिठाया और जिला अस्पताल पहुँच गया और अस्पताल पहुँचने के बाद बाइक पार्किंग में खड़ी करने की जगह सीधा अस्पताल के अंदर बाइक सहित पहुँच गया और नीरज ने इमरजेन्सी वार्ड में पहुँचकर अपने दादा जी को बाइक से उतारा और बाइक पार्किंग में खड़ी की जाकर. वहीं अस्पताल के अंदर बाइक दौड़ती हुई देखकर मरीज और अस्पताल कर्मचारि हक्के-बक्के रह गए. इस बीच अस्पताल में अफरा तफरी का माहौल बना रहा. बता दें कि नीरज सरदार वल्लभ भाई पटेल जिला अस्पताल में ही संविदा कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर तैनात हैं .
नियम उल्लंघन पर युवक को लगी फटकार
नीरज गुप्ता को अस्पताल के नियमों का उल्लंघन करके भवन के अंदर बाइक ले जाते समय गेट पर खड़े गार्ड ने रोकने की कोशिश की लेकिन वह नहीं रुका. वहीं जब यह बात जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के डॉक्टर को पता चली तो उन्होंने नीरज गुप्ता को जमकर फटकार लगाई साथ ही उसको भविष्य में ऐसा नहीं करने की चेतावनी भी दी है.
New delhi: इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम (CERT-In) ने देश के सभी मोबाइल यूजर्स के लिए बड़ी चेतावनी जारी की है। CERT-In ने एंड्रॉयड और आईओएस दोनों के लिए अलर्ट जारी किया है। CERT-In की ओर से कहा गया है कि iOS, iPadOS, macOS, visionOS के पुराने वर्जन में खामियां हैं। जिसका फायदा हैकर्स उठा सकते हैं।CERT-In की ओर से कहा गया है कि iPhone (8 और बाद के), iPad (5th जेन और नए), Mac laptop/desktop में बग मौजूद हैं। इसके अलावा iPhones के पुराने मॉडल जैसे 8/X भी बग से प्रभावित हैं। साथ ही iOS/iPadOS 16.7.7 तक के यूजर्स इस बग के कारण शिकार हो सकते हैं। Apple ने इन खामियों को दूर करने के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट जारी कर दिया है, जिसे आप सेटिंग में जाकर अपडेट कर सकते हैं।
लंबे इंतजार को खत्म करते हुए कंगना रनौत की मस्ट अवेटेड फिल्म 'इमरजेंसी' का ट्रेलर मुंबई में रिलीज किया गया। जैसा कि हम जानते हैं कि इस फिल्म में कंगना रनौत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका में नजर आएंगी। साथ ही वो इस फिल्म निर्देशन भी संभाल रही हैं। लेकिन 'इमरजेंसी' ट्रेलर लॉन्च में कंगना ने सलमान खान, आमिर खान और शाहरुख खान के साथ काम करने की इच्छा जाहिर करके सभी को चौंका दिया।
तीनों खान संग काम करना चाहती हैं कंगना
ट्रेलर लॉन्च पर जब कंगना से पूछा गया कि क्या वो तीनों खानों (शाहरुख, सलमान और आमिर) को एक फिल्म में डायरेक्ट करना चाहती हैं तो कंगना काफी तेजी से हंस पड़ीं। फिर उन्होंने कहा,
"मैं तीनों खानों के साथ एक फिल्म का निर्माण और निर्देशन करना पसंद करूंगी। मैं फिल्म के सेट पर सलमान, आमिर और शाहरुख का अंदाज देखना चाहती हूं। वे बहुत प्रतिभाशाली हैं। मैं हमेशा उन तीनों की आभारी हूं। वे बड़े पैमाने पर दर्शकों से जुड़ रहे हैं।"
......कंगना रनौत
कंगना ने लिया यूं टर्न, पहले किया था इंकार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंगना रनौत ने शाहरुख, सलमान और आमिर तीनों के साथ काम करने को लेकर इंकार किया था। जिसके बाद कंगना रनौत की इस बात पर इंडस्ट्री के कई लोगों ने रिएक्ट किया था। लेकिन अब कंगना रनौत यू टर्न लेती नजर आ रही हैं। आपको बता दें, कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' में अनुपम खेर, श्रेयस तलपड़े, महिमा चौधरी, मिलिंद सोमन और इस दुनिया को अलविदा कह चुके सतीश कौशिक जैसे सितारे भी मुख्य भूमिका में नजर आएंगे। फिल्म 6 सितंबर, 2024 को रिलीज होगी।
आज के ही दिन देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने के लिए आपातकाल लागू किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह औऱ यूपी के सीएम योगी आदित्नाथ ने कांग्रेस पर हमला बोला है। पीएम मोदी ने कहा कि आपातकाल लगाने वालों को संविधान से प्रेम का दिखावा करने का कोई अधिकार नहीं है।
कांग्रेस ने पूरे देश को ही जेल में बदल दिया था
पीएम मोदी ने एक्स' पर लिखा है कि 'आज का दिन उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया। आज का दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को खत्म किया और भारत के संविधान को रौंद दिया था, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है। सिर्फ सत्ता पर काबिज रहने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हर लोकतांत्रिक सिद्धांत को दरकिनार किया। पूरे देश को ही जेल में बदल दिया गया। कांग्रेस से असहमत हर व्यक्ति को प्रताड़ित और परेशान किया गया। सबसे कमजोर वर्गों को निशाना बनाया गया। इसके लिए सामाज के खिलाफ नीतियां लागू की गईं।'
संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया
प्रधानमंत्री ने आगे लिखा है 'आपातकाल लगाने वालों (कांग्रेस) को हमारे संविधान के प्रति अपने प्रेम का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है। ये वही लोग हैं, जिन्होंने न जानें कितने ही मौकों पर अनुच्छेद 356 लगाया। प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म करने वाला विधेयक पारित किया। संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया। जिस मानसिकता की वजह से आपातकाल लगाया गया, वह उसी पार्टी में बहुत ज्यादा हद तक जिंदा है। अपने दिखावे से संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को छिपाते हैं, लेकिन भारत की जनता उनकी हरकतों को देख चुकी है। इसीलिए उसने उन्हें बार-बार खारिज किया है।'
एक परिवार के सत्ता सुख के लिए लगाया था आपातकालः गृहमंत्री
वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने X पोस्ट पर लिखा है कि 'देश में लोकतंत्र की हत्या और उस पर बार-बार आघात करने का कांग्रेस का लंबा इतिहास रहा है। साल 1975 में आज के ही दिन कांग्रेस के द्वारा लगाया गया आपातकाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अहंकार में डूबी, निरंकुश कांग्रेस सरकार ने एक परिवार के सत्ता सुख के लिए 21 महीनों तक देश में सभी प्रकार के नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए थे। इस दौरान उन्होंने मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी थी, संविधान में बदलाव किए और न्यायालय तक के हाथ बाँध दिए थे। आपातकाल के खिलाफ संसद से सड़क तक आंदोलन करने वाले असंख्य सत्याग्रहियों, समाजसेवियों, श्रमिकों, किसानों, युवाओं व महिलाओं के संघर्ष को नमन करता हूँ।'
50 साल बाद भी कांग्रेस ने सिर्फ चेहरे बदले हैं, विचार नहीं: सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत के संसदीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय आज से 50 साल पहले हुआ था। कांग्रेस की तत्कालीन सरकसर ने भारत के संविधान का गला घोटते हुए , लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश रची थी । सीएम ने कहा कि रात के अंधेरे में कांग्रेस की सरकार ने इंदिरा ग़ांधी के नेतृत्व में लोकतंत्र को खत्म करने का काम किया था। विपक्ष के सभी नेताओं को बंद करके लोकतंत्र का गला घोंटने का काम किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस ने सिर्फ चेहरे बदले हैं विचार नहीं बदले हैं।
25 जून 1975, वो तारीख जिसे इतिहास में काला दिन कहा जाता है। इमरजेंसी ने विपक्ष में जेल में ठूंस दिया, तो नागरिकों के मूल अधिकार छिन गए। लेकिन इस आंतरिक आपातकाल की नींव एक मुकदमा था, जो कांग्रेस की परम्परागत सीट से जुड़ा हुआ था। क्या थे वो संयोग और वो मुकदमा, जिसकी सजा पूरे देश ने काटी...
वो मुकदमा, जिसकी सजा पूरे देश को मिली
ये मुकदमा था राज नारायण बनाम इंदिरा नेहरू गांधी। साल 1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा की अगुवाई में कांग्रेस (आर) ने 352 सीटें हासिल करके जबरदस्त जीत दर्ज की थीं। अपनी परम्परागत रायबरेली सीट से खुद इंदिरा बड़े अंतर से जीतीं थीं। उनके प्रतिद्वंदी थे विपक्षी महागठबंधन के प्रत्याशी दिग्गज समाजवादी नेता राज नारायण। 7 मार्च 1971 को मतदान हुआ और 9 मार्च से मतगणना शुरू हुई। फिर 10 मार्च को घोषित नतीजे के अनुसार इंदिरा गांधी को 1,83,309 और राजनारायण को 71,499 वोट मिले, लेकिन राजनारायण ने इसे स्वीकार नहीं किया और इलाहाबाद हाईकोर्ट में इंदिरा गांधी का निर्वाचन रद्द करने के लिए नियत अवधि की आखिरी तारीख 24 अप्रैल 1971 को चुनाव याचिका प्रस्तुत की।
जब फैसला आया इंदिरा गांधी के खिलाफ
12 जून 1975 को जस्टिस सिन्हा सुबह 9.55 पर अदालत में पहुंचे, चैंबर खचाखच भरा था। 258 पेज के फैसले में इंदिरा का रायबरेली से निर्वाचन दो बिंदुओं पर अवैध और शून्य घोषित किया गया। सरकारी सेवा में रहते हुए चुनाव में यशपाल कपूर की सेवाओं को प्राप्त करने का आरोप सही पाया गया। मंच- माइक्रोफोन-शामियाने आदि की सरकारी खर्च से व्यवस्था के कारण भी उन्हें लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (7) के अधीन चुनावी कदाचरण का दोषी पाया गया। अगले छह साल के लिए किसी संवैधानिक पद के लिए उन्हें अयोग्य करार दिया गया।
और फिर लगा आंतरिक आपातकाल
उस समय ब्रेकिंग न्यूज का जमाना नहीं था, पत्रकार और खुफिया विभाग के लोग टेलीफोन की ओर भागे और राजनारायण के वकील जश्न के माहौल में समर्थकों से घिरे थे। हाईकोर्ट में इंदिरा के वकील जस्टिस सिन्हा के रिटायरिंग रूम में सुप्रीम कोर्ट में अपील तक फैसले पर स्टे की गुजारिश कर रहे थे। जस्टिस सिन्हा ने कहा कि इसके लिए उन्हें दूसरे पक्ष को सुनने का अवसर देना होगा। राजनारायण के वकीलों के पहुंचने तक जस्टिस सिन्हा अपने फैसले का क्रियान्वयन 20 दिन के लिए स्थगित कर चुके थे। इलाहाबाद की अदालत के इस फैसले की गूंज अब देश के कोने-कोने में थी।
24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी.कृष्णा अय्यर की अवकाशकालीन एकलपीठ ने हाईकोर्ट के 12 जून के आदेश के क्रियान्वयन पर सशर्त रोक लगा दी। इस आदेश के तहत इंदिरा गांधी का प्रधानमंत्री पद सुरक्षित हुआ। वह संसद में बैठ सकती थीं लेकिन उन्हें सांसद के तौर पर सदन में वोट देने का अधिकार नहीं था। अगले ही दिन 25 जून को इंदिरा गांधी ने आंतरिक आपातकाल की घोषणा कर दी। विपक्षियों की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियों के साथ ही नागरिकों को उनके मूल अधिकारों से वंचित कर दिया गया।
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