Digital Arrest: ये खबर पढ़कर दिमाग सन्न हो जाएगा
सबसे हाईटेक महाठगी, 8 घंटे की गिरफ्तारी और 11 लाख की वसूली
Noida: इंटरनेट और एआई की दुनिया में आए दिन नए-नए तरीके के फ्रॉड को भी जन्म दे रहे हैं। जैसे-जैसे नया तरीका पुराना होने लगता है, लोगों के जेब में डांका डालने के लिए साइबर अपराधी किसी नए तरीके का इजात कर ही लेते हैं। ये सिलसिला ऐसा है जो थमने का नाम नहीं ले रहा है। इन दिनों नए तरीके का साइबर फ्रॉड सामने आया है। जिसे साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्टिंग का नाम दिया है। दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्सों से हाल में ऐसी खबरें आईं कि लोग डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो गए और लुट गए। ऐसे में कई लोगों के दिमाग में ये सवाल आता है कि ये डिजिटल अरेस्ट क्या है। जिसमें लोग अपने पैसे गंवा बैठते हैं।
क्या है डिजिटल अरेस्ट का मामला
गुरुग्राम के बाद दिल्ली एनसीआर में डिजिटल अरेस्ट का पहला मामला नोएडा में आया है। नोएडा सेक्टर-34 में रहने वाली महिला जो कि प्रोफेशन से आईटी इंजीनियर है, उसके साथ डिजिटली अरेस्ट की घटना घटी है। बताया जा रहा है साइबर अपराधियों ने खुद को पुलिस और सीबीआई टीम बताकर बात करनी शुरू की। प्लानिंग साथ पीड़ित को ये बताया गया कि उसके खिलाफ शिकायत आई है कि उसके अकाउंट में कमिशन के तौर पर 20 लाख रुपये का ट्रांसफर हुआ है। जो साइबर अपराधी इस घटना को अंजाम दे रहे थे, उन्होंने बकायदे पीड़िता को वीडियो कॉलिंग पर बुलाकर 9 घंटे के लिए डिजिटल अरेस्ट करने की बात बताई। पीड़िता ने बताया साइबर अपराधी बकायदे वर्दी में दिखे। साथ ही बैकग्राउंड पर बकायदे पुलिस ऑफिस का माहौल बनाया था। अपराधियों ने धमकी देकर पीड़िता से 11 लाख रुपए ऐंठ लिये। अब युवती मामले से बाहर आई तो पुलिस को शिकायत दी। इस मामले को सुनकर पुलिस भी हैरान हैं। ये उत्तर प्रदेश का पहला डिजिटल अरेस्टिंग का मामला बताया जा रहा है।
इस तरह के साइबर अपराध होने पर ये करें
अगर कोई आपको पुलिस या फिर सीबीआई अधिकारी बनकर डिजिटल तौर पर गिरफ्तार करने की धमकी देता है, तो सबसे पहले आपको अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को सूचित करना चाहिए। तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर इसकी शिकायत करानी चाहिए। इस बात से नहीं डरना चाहिए कि पुलिस आपके खिलाफ कोई एक्शन लेगी।
Noida: फिल्म जामताड़ा की तर्ज पर नोएडा में साइबर ठगों का जाल इतना फैल चुका है कि आए दिन कोई न कोई इनका शिकार बन रहे हैं। अब तो केस में फंसाने और फर्जी अधिकारी बनकर भी ठगी करने लगे हैं। ऐसा ही एक मामला नोएडा में सामने आया है। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर महिला को साइबर ठगों ने 7 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर लाखों रुपये ठग लिए। पीड़ित महिला की शिकायत पर सेक्टर 39 पुलिस केस दर्ज जांच कर रही है।
कोरियर में ड्रग्स बताकर जेल भेजने की दी धमकी
सेक्टर-45 स्थित आम्रपाली सफायर सोसाइटी निवासी चिराग ने पुलिस से शिकायत की है कि उनकी पत्नी सुकीर्ति वर्मा आईटी इंजीनियर हैं।पुलिस को चिराग ने बताया कि कुछ दिन पहले सुकीर्ति के मोबाइल पर अनजान नंबर से फोन आया था। फोन करने वाले ने खुद को फेडेक्स कोरियर सर्विस से बताया और कहा कि आपके नाम पर एक कोरियर मुंबई से ताइवान जा रहा था, जिसे कस्टम अधिकारियों ने मुंबई एयरपोर्ट पर रोक लिया है। इस कोरियर से ड्रग्स और चार पासपोर्ट के अलावा आपत्तिजनक सामान है। इसके बाद कॉल एक कथित पुलिस अधिकारी के पास ट्रांसफर कर दी।
पुलिस की वर्दी पहनकर किया वीडियो कॉल
कथित पुलिस अधिकारी ने पत्नी सुकीर्ति को जेल भेजने का भय दिखाकर उनसे अकाउंट और अन्य जानकारी ले ली। इसके बाद कोरियर में ड्रग्स व आपत्तिजनक सामान होने का हवाला देकर जेल जाने की धमकी दी। इसके बाद स्काइप से वीडियो कॉल की, जिसमें जालसाजों ने पुलिस की वर्दी पहन रखी थी।
7 घंटे तक वीडियो कॉल पर जोड़े रखा
इसके बाद पत्नी ने डरकर फर्जी पुलिस अधिकारी के कहने पर बताए गए अकाउंट में 3,75,278 रुपए ट्रांसफर कर दिए। पत्नी किसी से अपनी समस्या बता न सके इसके लिए कथित पुलिस और कस्टम अधिकारियों ने सात घंटे तक वीडियो कॉल पर उसे जोड़े रखा। कॉल कटते ही महिला की तुरंत गिरफ्तारी होने की बात कही थी। कहा अगर कॉल बिना पैसे ट्रांसफर किए काटती है तो उनके साथ परिवार के लोगों को भी जेल जाना पड़ेगा। जब और पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाया जाने लगा तब ठगी का अहसास हुआ।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट में मोबाइल लैपटॉप से स्काइप पर वीडियो कॉलिंग या अन्य एप के जरिए किसी पर नजर रखी जाती है। उसे डरा धमका कर वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं होने दिया जाता है। यानी वीडियो कॉल के जरिए एक तरह से आरोपी को उसके घर में कैद कर दिया जाता है। इस दौरान न तो वह किसी से बात कर सकता है और न कहीं जा सकता है। उसे इतना डरा दिया जाता है कि डिमांड की गई रकम को वह ट्रांजेक्शन कर देता है।
नोएडा से एक बार फिर से डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया है। जहां पर रेलवे के रिटायर जीएम को 24 घंटो तक डिजिटल अरेस्ट करके, उससे 52 लाख रुपए की ठगी की गई है। रिटायर जीएम से दाऊद के साथ कनेक्शन और मनी लांड्रिंग केस में फसाने के नाम पर ये ठगी की गई है।
वीडियो कॉल पर दिखे साइबर ठग पुलिस वर्दी मे थे
नोएडा से एक बार फिर से डिजिटल अरेस्ट करके लाखों उड़ाने का मामला सामने आया है। रेलवे से रिटायर प्रमोद कुमार, जोकि सेक्टर 76 के रहने वाले हैं। उन्होंने साइबर क्राइम थाने मे FIR दर्ज कराई है। दायर एफआईआर में बताया गया है कि उनकी इन ठगों से वीडियो कॉल के जरिए बात हुई थी, वीडियो कॉल के दौरान साइबर ठग पुलिस की वर्दी मे मौजूद थे।
साइबर जलसाजो ने रेलवे जीएम को सोने तक नहीं दिया गया
इस बार के मामले में दायर एफआई के मुताबकि, इन डिजिटल ठगों ने ताईबान भेजे जाने वाले कोरियर मे ड्रग्स, 4 पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड और कुछ कपड़े होने और दाऊद इब्राहिम से संबंध होने और मनी लांड्रिंग केस में फसाने की धमकी देकर ठगी की है।
लगातार आ रहे डिटिटल अरेस्ट के मामले
इन दिनों लगातार डिजिटल अरेस्ट करने के मामले सामने आ रहे हैं। हाल ही में महज दो दिन पहले रिटायर मेजर जनरल से 37 लाख रुपए ठगे थे। उस केस में भी कोरियर में ड्रग्स की बात की थी। तब पुलिस ने बताया था कि इन दिनों नाइजीरियन ग्रुप एक्टिव हो गए हैं। जिसके बाद से लगातार ये मामले सामने आ रहे है। इसमें ये डिजिटल ठग रिटायर अधिकारियों, डाक्टरों और इंजीनियरों को निशाना बना रहे है।
इस साल आ चुके 6 मामले सामने
जानकारी के मुताबिक, इस साल 6 डिजिटल ठगी के मामले सामने आ चुके हैं, जिनसे करोड़ 70 लाख रुपए ठगे गए हैं। ये लोग खुद को पुलिस और इनकम टेक्स अधिकारी बता कर आरोपी को अपने अंडर लेते हैं। इसके बाद ड्रग्स से लेकर दाऊद कनेक्शन की बात कहते हैं। अब आपको इस साल के 6 मामलों के बारे में बताते हैं...
फ़रवरी मे युवती को डिजिटल अरेस्ट कर 11 लाख की ठगी..
मार्च मे महिला इंजीनियर को 8 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर 3.75 लाख ठगे
अप्रैल मे बहुराष्ट्रीय कंपनी के सीनियर अधिकारी को मनी लोडिंग केस में फसाने के नाम पर 22 लाख की ठगी
10 मई मे महिला डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर 45 लाख की ठगी
14 मई को सेवानिवृत मेजर जनरल को डिजिटल अरेस्ट पर 37 लाख ठगे
15 मई को सेवानिवृत रेलवे जीएम को 24 घंटो तक डिजिटल अरेस्ट कर 52 लाख ठगे
'डिजिटल अरेस्ट' के आए दिन नए मामले सामने आ रहे हैं। एक और 'डिजिटल अरेस्ट' का मामला सामने आया है। जहां साइबर जालसाजों ने पोर्न वीडियो स्कैम में शामिल होने का डर दिखाकर महिला चिकित्सक से 59 लाख रुपये की ठगी कर ली। जालसाजों ने वारंट जारी होने की बात कहकर महिला चिकित्सक को करीब 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा। बदमाशों ने मनी लॉन्ड्रिंग में जेल जाने की बात कहकर डॉक्टर से कई बार में रकम ट्रांसफर करा ली। पीड़ित सेक्टर-77 निवासी डॉ. पूजा गोयल की शिकायत पर साइबर क्राइम थाने में केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
13 जुलाई को हुई डॉक्टर के साथ ठगी
डॉ. पूजा दिल्ली के एक अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं। पुलिस को दी शिकायत में डॉ. पूजा गोयल ने कहा कि 13 जुलाई को उनके पास एक नंबर से कॉल आई। कॉलर ने खुद को टेलीफोन रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया का कर्मचारी बताया और तुरंत कॉल कथित तौर पर मुंबई के तिलक नगर पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दी। वहां से महिला चिकित्सक को बताया गया कि उनके मोबाइल नंबर से पोर्न वीडियो भेजे जा रहे हैं। महिला पर पोर्न वीडियो स्कैम में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उनके नाम से अरेस्ट वारंट जारी होने की जानकारी दी गई। इसके अलावा महिला का नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में नरेश गोयल के साथ सामने आने की बात भी बताई गई। जालसाजों ने कहा कि उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत केस दर्ज हो रहा है।
लाखों रुपये ट्रांसफर करने के बाद हुई ठगी की आशंका
इस दौरान जालसाजों द्वारा महिला चिकित्सक की बेटी का अपहरण करने और जीवन बर्बाद करने की धमकी भी दी गई। इससे बाद स्काइप कॉल पर रखकर डराकर करीब 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया। इससे डरकर डॉ. पूजा ने 15 जुलाई को 59.54 लाख रुपये जालसाजों के बताये खातों में ट्रांसफर कर दिए। जब जालसाजों ने महिला पर और पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाना शुरू किया तब उन्हें ठगी की आशंका हुई। इसके बाद महिला चिकित्सक ने मामले की शिकायत साइबर क्राइम थाने में की।
इन दिनों देश के अलग-अलग हिस्सों से लगातार डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ रहे हैं. इसी बीच नोएडा में साइबर ठगों ने एक महिला को अपने झांसे में फंसा लिया. इस दौरान ठगों ने पीड़िता से पूरे 30 लाख की ठगी की घटना को अंजाम दिया. वहीं अपराधियों ने पीड़ित महिला को 12 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट किया. साइबर अपराध थाने के प्रभारी निरीक्षक विजय कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि सेक्टर 77 की प्रियंका बंसल के साथ साइबर ठगों ने ठगी की वारदात को अंजाम दिया है.
पीड़िता को धनशोधन मामले में करोड़ों की हेराफेरी का दिखाया डर
वहीं इस मामले में बीती रात प्रियंका वंसल ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. प्रियंका ने पुलिस को बताया कि दो सितंबर को एक नंबर से उनके पास कॉल आई और फोन करने वाले ने खुद को ट्राई का कर्मचारी बताया. फोन की दूसरी ओर से शख्स ने प्रियंका से कहा कि उनके आधार कार्ड से एक सिम कार्ड खरीदा गया है. जिसके जरिए धनशोधन किए जाने का मामला सामने आया है. शख्स ने फोन पर महिला को धमकाते हुए कहा कि इससे करोड़ों रुपयों की हेरा-फेरी भी की जा चुकी है.
फर्जी पुलिस अधिकारी ने वीडियो कॉल पर पीड़िता से की बात
थाना प्रभारी के जानकारी देते हुए बताया कि इसके बाद उन झूठे ट्राई कर्मचारी ने वीडियो कॉल किया. फोन कॉल लखनऊ के एक थाने से जोड़ी गई. ये थाना भी फर्जी था, लेकिन महिला इस बात को समझ ना सकी और काफी डर गई. वीडियो में दूसरी तरफ पुलिस की वर्दी में एक व्यक्ति बैठा दिखाई दिया. जिसने पीड़िता से कहा कि आपके मामले की जांच सीबीआई की तरफ से की जाएगी. वर्दी में वीडियो कॉल करने वाले फर्जी पुलिस अधिकारी की ये बात सुनते ही पीड़िता सकपका गई और डर के चलते लुटेरों के जाल में फंस गई.
14 सितंबर को पीड़िता से 30 लाख रुपये कराए गए ट्रांसफर
इसके बाद पीड़िता को फर्जी पुलिस अधिकारी ने धमकी देते हुए कहा कि अगर किसी को इस बारे में बताया, तो नोएडा पुलिस के माध्यम से आपके बेटे और अन्य को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. जिसके बाद साइबर ठगों ने 2 सितंबर से 14 सितंबर तक लगातार महिला से संपर्क बनाए रखा. 12 दिनों बाद 14 सितंबर को ठगों ने आरटीजीएस के माध्यम से 30 लाख रुपए अलग-अलग खातों में महिला से ट्रांसफर कराए. वहीं रुपये ठगों के खाते में ट्रांसफर करने के बाद पीड़ित को अपने साथ ठगी का एहसास हुआ. मामले को लेकर थाना प्रभारी ने बताया कि घटना की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
Noida: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रहने वाले लोग साइबर अपराधियों के सॉफ्ट टारगेट बन गए हैं। हाईटेक इस शहर में रहने वाले लोग आए दिन साइबर ठगी के शिकार हो रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट के मामले भी नोएडा तेजी से बढ़ रहे हैं। अब एक बुजुर्ग महिला को डिजिटल अरेस्ट कर जालसाजों ने 19 लाख रुपये ठग लिए। पीड़ित महिला ने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
चार दिन तक वीडियो कॉल पर जोड़े रखा
सेक्टर 36 साइबर क्राइम थाना पुलिस को दी शिकायत में बुजुर्ग महिला ने बताया कि डीएचएल कंपनी का अधिकारी बनकर एक व्यक्ति ने फोन किया था। फोन करने वाले व्यक्ति ने बताया कि चीन जा रहे आपके पार्सल में ड्रग्स है। इसके बाद कार्रवाई करने और जेल भेजने की बात कही। वहीं, कार्रवाई नहीं करने के नाम पर उच्च अधिकारियों से बात कराने के लिए वीडियो कॉल पर जोड़ा। इसके बाद अलग-अलग अधिकारियों से वीडियो कॉल पर बात कराई। ये सिलसिल करीब चार दिन तक चला। इस दौरान साइबर ठगों ने अलग-अलग खातों में महिला से 19 लाख रुपये ट्रांसफर कर लिए। इसके बाद भी आरोपी और पैसे मांगे तो महिला को ठगी का शक हुआ। बुजुर्ग महिला की शिकायत पर साइबर क्राइम थाना पुलिस ने दो बैंक अकाउंट को फ्रीज कराया है।
Noida: नोएडा पुलिस और साइबर थाना पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है। साइबर थाना पुलिस ने महिला डॉक्टर से 45 लाख की हुई साइबर फ्राड मामले में कार्रवाई तेज कर दी है। इसी कड़ी में साइबर ठगों को बैंक खाता मुहैया करने वाले तीन आरोपियों को साइबर थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इसी वर्ष मई में साइबर ठगों के एक गिरोह ने सेक्टर 49 में रहने वाली महिला डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर 45 लाख रुपए की ठगी की थी। ठगों ने जिन खातों में महिला डॉक्टर से रकम ट्रांसफर कराई थी। इसके लिए तीन आरोपियों ने अपने खाते उप्लब्ध कराये थे।
9 को महिला डॉक्टर को किया था डिजिटल अरेस्ट
साइबर थाना पुलिस ने नितेश कुमार उर्फ टाडा, गूगन राम और संजय सिंह को गिरफ्तार किया है। इन्होंने साइबर ठगों को उप्लब्ध कराया था। जिसमें महिला डॉक्टर से ठगी की रकम ट्रांसफर कराई थी। साइबर क्राइम थाने के प्रभारी विजय कुमार गौतम ने बताया कि 9 मई को डॉक्टर आरती सुरभित चौधरी ने डिजिटल अरेस्ट कर लाखों रुपये ऐंठे जाने की शिकायत दर्ज कराई थी। मामले की जांच में जुटी नोएडा पुलिस को पता चला कि जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई, वह सभी खाते राजस्थान के हैं। इसी दौरान डिजिटल अरेस्ट गिरोह के तीन मददगारों को गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली।
मोटी रकम लेकर खाता उपलब्ध करवाया था
साइबर क्राइम थाना प्रभारी ने बाताया कि पूछताछ के दौरान तीनों ने बताया कि अलवर के मोहित और जयपुर के साहिल उनसे बैंक खाते लेते हैं। इसके एवज में मोटी रकम देते हैं। नोएडा पुलिस ने नितेश, गूगन और संजय को पड़यंत्र में शामिल होने का आरोपी बनाया और शुक्रवार को अलग-अलग स्थानों से दबोच लिया। पुलिस ने तीनों आरोपियों के मोबाइल को कब्जे में ले लिया है। इन्हें जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। आशंका है कि मोबाइल में ठगी संबंधी कई अहम जानकारियां हैं।
ऐसे साइबर ठग बनाते हैं शिकार
बता दें कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आए दिन डिजिटल अरेस्ट कर साइबर ठग लाखों से लेकर करोड़ों रुपये ठग रहे हैं। साइबर ठग एसे लोगों को निशाना बना रहे हैं, जिनके खाते में पैसे अधिक जमा हैं और वह बुजुर्ग हैं। ऐसे लोगों को पुलिस, सीबीआई और एसबीआई का डर दिखाकर अपने जाल में साइबर ठग फंसाते हैं।
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गौतमबुद्ध नगर की थाना साइबर क्राइम पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस ने 'डिजिटल अरेस्ट' के मामले में एक अभियुक्त को धर दबोचा है. दरअसल 26 जून को सेक्टर-45 नोएडा द्वारा थाना साइबर क्राइम में पीड़ित ने लिखित शिकायत दर्ज कराई. पीड़िता की शिकायत के अनुसार 23 जून को उनके मोबाइल पर एक अज्ञात व्यक्ति का फोन आया. आरोपी ने खुद को फेडेक्स कोरियर कंपनी का कर्मचारी बताया साथ ही कहा कि आधार कार्ड व क्रेडिट कार्ड की आईडी से विदेश भेजे जाने वाले पार्सल में अवैध MDMA मादक पदार्थ, फर्जी पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड मिले हैं. जिसका प्रयोग मनी लान्ड्रिग के केस में हो रहा था और इस मामले की जांच मुम्बई क्राईम ब्रान्च व CBI अधिकारी द्वारा किये जाने का भय दिखाकर जांच के नाम पर पीड़िता को 23 जून से लेकर 25 जून तक 'डिजिटल अरेस्ट' कर उसके बैंक खाते से 84,16,979 रूपये कई खातों में ट्रांसफर करा लिए.
पीड़िता के खाते से 5 लाख रुपये आरोपी को हुए ट्रांसफर
साइबर क्राइम पुलिस ने जब मामले की जांच की तो पता चला कि पीड़िता के बैंक खातों से 84 लाख रुपये कई अन्य बैंक खातों में ट्रान्सफर कराए गए हैं. इसी क्रम में एक बैंक खाता (सिटी यूनियन बैंक) जिसका खाताधारक अभियुक्त उमेश महाजन है. जो दिल्ली के राजौरी गार्डन मे रहता है उसके सिटी यूनियन बैंक खाते में पीड़िता के बैंक खाते से 5 लाख 110 रुपए ट्रांसफर हुए हैं. जिसके बाद आरोपी उमेश महाजन के बारे में जानकारी जुटाई गई. जिसके बाद आरोपी को 31 जुलाई को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया है. अभियुक्त के कब्जे से घटना में प्रयुक्त 1 मोबाइल फोन भी बरामद किया गया है.
बैंक खाते की जानकारी देने पर मिलते थे 30 हजार रुपये
वहीं पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि उसने सोशल मीडिया में सर्फिंग के दौरान फेसबुक पर एक विज्ञापन देखा. जिसमें पार्ट टाईम जॉब कर पैसा कमाने के बारे में बताया गया था. जिस पर अभियुक्त ने फेसबुक पर उपलब्ध विवरण के आधार पर सियान नाम के व्यक्ति से व्हाट्सएप पर संपर्क किया. जो एक बैंक खाता उपलब्ध कराने पर अभियुक्त को 30,000 रूपये प्रदान करता था, उस व्यक्ति को अभियुक्त उमेश महाजन ने अपना बैंक खाता जिस पर रजिस्टर्ड मो0न0 को हटाकर उसके स्थान पर एक फर्जी सिम लेकर उस एकाउण्ट में रजिस्टर्ड करा दिया गया और उस खाते को बाद में सियान नाम के व्यक्ति को उपलब्ध करा दिया. इस प्रकार उसके द्वारा अपने अन्य साथियों के भी एकाउण्ट खुलावा कर उन पर फर्जी नाम पते से लिये गये. सिम नम्बरों को रजिस्टर्ड कर ओटीपी शेयर कर साइबर अपराधियों को उपलब्ध कराया गया. जिसके एवज में इसको अलग से पैसा मिलता रहा. इस प्रकार अभियुक्त फर्जी खाते तैयार कर उनका एक्सेस अपने साथियों को देता था और धोखाधड़ी से अर्जित की गयी धनराशि में अपना कमीशन लेता था.
Noida: नोएडा में डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने का मामला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे लगता है कि साइबर ठगों की पैनी नजर नोएडा में रहने वालों पर रहती है। इसिलए आए दिन नोएडा में किसी न किसी को साइबर ठग अपना निशाना बनाते हैं। अब एक बुजुर्ग महिला को साइबर ठगों ने 5 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 1.30 करोड़ रुपये ठग लिए। आरोपियों ने पार्सल में ड्रग्स होने का डर दिखाकर 9 बार में रकम ट्रांसफर कराई थी। सेक्टर-49 निवासी शुचि अग्रवाल (73) की शिकायत पर साइबर क्राइम थाना पुलिस ने केस दर्ज कर जांच कर रही है।
पार्सल में एलसीडी ड्रग्स बताकर जेल जाने की धमकी
पुलिस को दी शिकायत में शुचि अग्रवाल ने बताया कि 13 जून को उनके मोबाइल पर फोन आया। फोन करने वाले ने बताया कि वह फेडएक्स की अंधेरी शाखा से बात कर रहा है और आपका पार्सल पकड़ा गया है। आपके नाम से भेजे गए पार्सल एलसीडी ड्रग्स, एक्सपायर पासपोर्ट और पांच किलो कपड़े समेत अन्य सामान हैं।
फर्जी अधिकारियों से वीडियो कॉल पर कराई बात
इसके बाद जालसाजों ने शुचि को मुंबई आने या ऑनलाइन नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों से बात करने की सलाह दी। इसके बाद शुचि को स्काइप कॉल पर जोड़कर कथित अधिकारियों से बातचीत कराई। इसके साथ आरोपियों ने बताया कि उनके आधार कार्ड पर छह अकाउंट चल रहे हैं और इनसे मनी लॉन्ड्रिंग की जा रही है। जेल जाने के डर से बताए गए खातों में 1.30 करोड़ की रकम ट्रांसफर कर दी। खाता खाली होने तक पैसे ट्रांसफर कराए । बाद में ठगों ने संपर्क तोड़ दिया।
सोने के लिए सिर्फ दी छूट
पीड़िता ने बताया कि पहले दिन आरोपियों ने करीब दस घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा। बुजुर्ग होने के चलते उसे सोने के समय स्काइप कॉल से दूर रहने की अनुमति दी। हालांकि इस दौरान कोई होशियारी करने पर जेल जाने की बात कही।
एक महीने में 5 लोगों से ठगी
बता दें कि 25 मई को युवक को 25 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर 35 लाख ठगे थे। इसी तरह 10 जून को तीन घंटे डिजिटल अरेस्ट कर इंजीनियर से 9.95 लाख की ठगी, 12 जून को इंजीनियर को 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर 20 लाख ठगी और 19 जून को बिजनेसमैन को डिजिटल अरेस्ट करके पांच लाख रुपये की जालसाजों ने ठगी की।
नोएडा के एक रिटायर्ड मेजर जनरल से करीब 37 लाख रुपए की डिजिटल ठगी का मामला सामने आया है। जिसमें अपराधियों ने रिटायर्ड मेजर जनरल को करीब 37 मिनट तक डिजिटल अरेस्ट किए रखा और उनसे 37 लाख 68 हजार रुपए ठग लिए। इस मामले में पीड़ित मेजर जनरल की शिकायत दर्ज कराने पर, पुलिस ने नोएडा साइबर क्राइम थाने में अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया है।
पहले किया डिजिटल अरेस्ट, फिर वसूलें लाखों रुपए
सहायक पुलिस आयुक्त साइबर श्री विवेक रंजन राय ने इस मामले में मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने जानकारी जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें 11 मई को शाम साढ़े चार बजे के करीब पीड़ित के मोबाइल फोन पर अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने कहा कि वह मुंबई साइबर क्राइम से बोल रहा है और उनके नाम पर चार मई को एक कुरियर आया है, जिसमें आपत्तिजनक सामान है। आरोपी ने कहा कि कुरियर भेजने के लिए पीड़ित की आधार आइडी का प्रयोग किया गया है। उसने आधार से जुड़ा मोबाइल नंबर भी बताया। जिसके बाद पीड़ित को विश्वास हो गया। पीड़ित ने कॉलर से कहा कि उनका इस कुरियर से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद उसने कॉल को साइबर क्राइम सेल में स्थानांतरित कर दी। मामला ड्रग्स तस्करी और मनी लांड्रिंग एक्ट का बताकर पीड़ित को डरा दिया।
जांच के नाम पर वसूली
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर ठगों ने एक राजनेता के बारे में पीड़ित को बताया कि वह मनी लांड्रिंग के मामले में जेल में हैं। उन्होंने एक फर्जी FIR भी दिखाई। ठगों ने जांच करने के लिए उन्हें मुंबई बुलाया। जिसके बाद पीड़ित ने दबाव में आकर दो बार में कुल 37,68,510 रुपये की रकम ट्रांसफर कर दिए। जानकारी के मुताबिक, ये कॉल 37 मिनट 45 सेकेंड तक जारी रही। जालसाजों ने जब पीड़ित पर और पैसे भेजने का दबाव बनाया, तो उन्हें ठगी की आशंका हुई। पैसे वापस मांगने पर जालसाजों ने पीड़ित से संपर्क तोड़ दिया।
एक्टिव हुए सुस्त पड़े नाइजीपियन गिरोह
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों से सुस्त पड़े नाइजीरियन गिरोह एक्टिव हो गए हैं। बीते दिनों एक बुजुर्ग महिला डॉक्टर से भी डिजिटल अरेस्ट कर 45 लाख रुपये की ठगी का मामला संज्ञान में आया था।
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट में साइबर ठग द्वारा पीड़ित को फोन कर बताया जाता है कि उनका नाम का कोई पार्सल कस्टम विभाग को मिला है, जो विदेश से आया है और उसमें आपत्तिनजक सामान है। यह भी बताया जाता है कि आपके खिलाफ शिकायत मिली है या फिर मामला दर्ज किया जा रहा है।
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December 17, 2022