यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को पश्चिम त्रिपुरा के बराकथल में सिद्धेश्वरी मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए. इस दौरान सीएम योगी ने विशाल जनसभा को संबोधित भी किया. इस दौरान सीएम योगी ने कांग्रेस के साथ ही पाकिस्तान पर भी निशाना साधा.
केवल मुरली से काम नहीं चलेगा, सुदर्शन चक्र भी जरूरी- सीएम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 'जब भगवान श्रीकृष्ण की स्मृति हमारे सामने आती है तो भगवान श्रीकृष्ण के एक हाथ में मुरली है तो दूसरे हाथ में सुदर्शन भी तो है. केवल मुरली से काम नहीं चलेगा बल्कि सुरक्षा के लिए सुदर्शन भी आवश्यक है.' उन्होंने कहा 'सुदर्शन जब आपके सामने होगा तो फिर किसी श्री श्री शांतिकाली महाराज को अपना बलिदान नहीं देना होगा.'
'पाकिस्तान जब तक धरती पर है ये मानवता के लिए कैंसर'
सीएम योगी ने आगे कहा कि '1947 से पहले वो कौन लोग थे जो भारत के विभाजन का पक्षधर बनकर मुस्लिम लीग की मंशा और कांग्रेस की सत्ता लोलुपता के चक्कर में पड़कर भारत के दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन के लिए जिम्मेदार बने. ऐसे लोगों के बारे में सही जानकारी देने की आवश्यकता है. अगर उस समय का कांग्रेस नेतृत्व और जोगिंदर नाथ मंडल मिलकर मुस्लिम लीग की मंशा पर पानी फेर देते तो कभी भी ये पाकिस्तान जैसा नासूर नहीं बनता.' योगी ने आगे कहा कि 'पाकिस्तान एक नासूर है जब तक इसका ऑपरेशन नहीं होगा तब तक इस कैंसर की समस्या का समाधान नहीं होने वाला है. आज पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान से अलग होकर भारत में मिलने की मांग शुरू हो गई है. बलूचिस्तान में पाकिस्तान से अलग होने की मांग खड़ी हो गई है. पाकिस्तान जब तक इस धरती पर है ये मानवता के लिए कैंसर बना रहेगा. इसका इलाज समय रहते दुनिया की ताकतों को मिलकर करना होगा और सबसे ज्यादा सतर्क भारत के लोगों को रहना होगा.'
लोकसभा चुनाव खत्म हो गए हैं। पीएम ने पद और गोपनीयता की शपथ भी ले ली है। तो वहीं विपक्षी गठबंधन अभी तक इस बात के पचा नहीं पा रहा है कि एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी सत्ता पर काबिज हो गए हैं। जिसके बाद अब इंडिया ब्लॉक अभी से आगे की रणनीति बनाने में लग गया है खासतौर पर बीजेपी का सूफड़ा साफ करने की रणनीति। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन ने सीटों के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में दम दिखाया। सपा कांग्रेस गठबंधन को सूबे की 80 में से 43 सीटों पर जीत मिली और पिछले चुनाव में 62 सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी महज 33 सीटें ही जीत सकी। जबकि बीजेपी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बात करें तो उसे कुल 36 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। वहीं अब इंडिया ब्लॉक को और मजबूत करने के लिए कांग्रेस की नजर मायावती की अगुवाई वाली बसपा को साथ लाने पर टिकी हुई हैं। जिसको लेकर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने बसपा को विपक्षी गठबंधन में आने का न्योता दिया है।
"बसपा अगर साथ होती तो नतीजे कुछ और होते"
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा है कि अगर बसपा प्रमुख मायावती महागठबंधन के साथ रही होतीं तो यूपी का रिजल्ट कुछ और होता। उन्होंने दावा किया कि बसपा साथ होती तो इंडिया ब्लॉक 80 की 80 सीटें जीत लेता। प्रमोद तिवारी ने कहा कि महागठबंधन ने अपनी ओर से बहुत कोशिश की थी कि मायावती की पार्टी भी साथ आ जाए लेकिन मायावती ने अकेले ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि हम हाथ पर गिन कर बता सकते हैं कि बसपा अगर हमारे साथ होती तो 16 सीटों पर नतीजे बदल जाते। जिन सीटों पर हम हारे हैं, उन सीटों पर बसपा के उम्मीदवार इतना वोट पा गए जितने मिल जाने पर हम जीत सकते थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने आगे कहा कि मायावती को हमारी यही सलाह है कि अगर बीजेपी को हराना चाहती हैं तो महागठबंधन के साथ आ जाएं। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले भी कांग्रेस के नेता लगातार यह कहते रहे कि हमारे दरवाजे बसपा के लिए अंतिम समय तक खुले रहेंगे, लेकिन मायावती ने एकला चलो का नारा दे दिया था।
बसपा के अस्तित्व पर उठ रहे सवाल
मायावती ने चुनाव से पहले दो टूक कह दिया था कि हम अकेले चुनाव लड़ेंगे, बसपा किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं होगी। बसपा ने अकेले चुनाव लड़ा भी। अब चुनाव संपन्न होने के बाद कांग्रेस को बसपा के गठबंधन में आने की आस है तो यह भी आधारहीन नहीं है। तब से अब तक परिस्थितियां बहुत बदल चुकी हैं। लोकसभा चुनाव में 10 सांसदों के साथ बीजेपी के बाद यूपी में दूसरे नंबर की पार्टी के रूप में उतरी बसपा इस बार खाली हाथ रह गई है। उसका वोट शेयर भी इस बार कांग्रेस से भी कम रहा है। यूपी विधानसभा में पहले से ही एक सीट है। अब लोकसभा में सूपड़ा साफ होने के बाद बसपा के अस्तित्व पर सवाल उठने लगे हैं। लोकसभा चुनाव 2014 में भी बसपा शून्य पर सिमट गई थी। तब भी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। 2019 के चुनाव में बसपा और सपा साथ आए। बसपा गठबंधन में 10 सीटें जीत गई और सपा पांच की पांच पर ही रह गई। चुनाव नतीजों के ऐलान के बाद मायावती ने यह कहते हुए गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया था कि सपा के वोट बसपा को ट्रांसफर नहीं हुए। बसपा 10 साल बाद फिर से उसी तरह की सिचुएशन में है।
कांग्रेस क्यों चाहती है बसपा का साथ?
जहां एक ओर कांग्रेस की ओर से बसपा को गठबंधन का न्योता दे दिया गया है। तो सबकी नजरें इस पर भी टिकी हुईं है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव का रुख इस पर क्या होने वाला है। इसके साथ ही एक सबसे बड़ा सवाल ये है कि विपक्षी गठबंधन 43 सीटें जीतकर सबसे बड़ा गठबंधन बनकर उभरा है। फिर कांग्रेस क्यों चाहती है कि बसपा भी उसके साथ आ जाए? दरअसल, इसका जवाब हाल ही में आए लोकसभा चुनाव के नतीजों में छिपा है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने एक सीट पर एक उम्मीदवार का फॉर्मूला दिया था। यूपी में बसपा के गठबंधन से दूर रहने की वजह से यह फॉर्मूला लागू नहीं हो पाया फिर भी इंडिया ब्लॉक 43 सीटें जीतने में सफल रहा। एनडीए उतनी सीटें भी नहीं जीत सका जितनी अकेले सपा ने जीती हैं। अब कांग्रेस नेताओं को शायद ये लग रहा है कि सपा के साथ अगर बसपा भी इंडिया ब्लॉक में आ जाए तो सूबे में बीजेपी को और कम सीटों पर रोका जा सकता है।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व धाकड़ ऑलराउंडर यूसुफ पठान ने राजनीति की पिच पर भी गर्दा उड़ा दिया है। टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान ने राजनीति के मैदान में भी बाजी मार ली है। पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान ने पश्चिम बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट पर अपनी जीत का परचम फहराया है। यूसुफ पठान इस लोकसभा चुनाव में टीएमएसी के टिकट पर मैदान में थे। यूसुफ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी अधीर रंजन चौधरी को 85022 मतों से करारी हार दी है। कांग्रेस के उम्मीदवार अधीर रंजन साल 1999 से लगातार पांच बार इस सीट पर जीत दर्ज कर चुके थे। यूसुफ पठान को 524516, जबकि अधीर रंजन चौधरी को 439494 वोट हासिल हुए। आपको बता दें कि 41 साल के यूसुफ पठान पहली बार चुनाव लड़ रहे थे। यूसुफ पठान ने फरवरी 2021 में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से रिटायमेंट ले लिया था। पठान टी20 वर्ल्ड कप (2007) और 2011 में 50 ओवर वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं।
'ये सिर्फ मेरी जीत नहीं बल्कि सभी कार्यकर्ताओं की जीत'
यूसुफ पठान ने जीत के बाद कहा कि 'मैं आप सभी को बधाई देता हूं, जो मेरे साथ रहे हैं। मैं खुश हूं। यह सिर्फ मेरी जीत नहीं है, बल्कि सभी कार्यकर्ताओं की जीत है। रिकॉर्ड टूटने के लिए ही बनते हैं। मैं अधीर रंजन जी का सम्मान करता हूं और मैं ऐसा करना जारी रखूंगा। मैं सबसे पहले एक स्पोर्ट्स अकादमी बनाऊंगा ताकि युवा अपना करियर बना सकें। मैं उद्योगों के लिए भी काम करूंगा। मैं यहां रहूंगा और लोगों के लिए काम करूंगा। मैं गुजरात में भी रहूंगा क्योंकि मेरा परिवार वहीं है। बहरामपुर में मुझे एक नया परिवार मिला है। मैंने दीदी (ममता बनर्जी) से बात की वो खुश हैं।' वहीं यूसुफ की इस बड़ी जीत पर उनके भाई इरफान पठान के खुशी का ठिकाना नहीं रहा है। इरफान ने अपने भाई के लिए सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरे शेयर कर उन्हें चुनावी खेल में जीत की बधाई दी।
पांच बार जीत चुके अधीर रंजन को मिली मात
अधीर रंजन चौधरी ने पिछले लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के अपूर्वा सरकार को 80,696 मतों के अंतर से हराया था। 2014 में चौधरी ने टीएमसी के इंद्रनील सेन को 1,56,567 मतों के बड़े अंतर से हराया था। जबकि 2009 के आम चुनाव में अधीर रंजन चौधरी ने रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP) के प्रमोद मुखर्जी को हराकर सीट जीती थी। कुल मिलाकर चौधरी इस सीट पर लगातार पांच बार चुनाव जीत चुके हैं। पहली बार उन्होंने 1999 में चुनाव लड़ा था।
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