प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के गैंग को लेकर बेहद तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि मुख्तार अंसारी गिरोह देश का सबसे खूंखार अपराधी गिरोह है। हाईकोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ ही मुख्तार के गुर्गे रामू मल्लाह की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। आपको बता दें रामू मल्लाह ने हत्या के एक मुकदमे में जमानत अर्जी दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये बात कही है।
कौन है रामू मल्लाह?
रामू मल्लाह मुख्तार अंसारी गैंग का सदस्य है। उसके खिलाफ हत्या, आर्म्स एक्ट सहित गंभीर धाराओं में गाजीपुर कोतवाली में छह और मऊ के दक्षिण टोला थाने में एफ आई आर दर्ज है। रामू मल्लाह ने मऊ के दक्षिण टोला थाने में दर्ज हत्या के मुकदमे में ही जमानत अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने मुख्तार अंसारी गैंग का सदस्य होने और क्रिमिनल हिस्ट्री के आधार पर रामू मल्लाह की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है।
लखनऊ: संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या मुख्तार गैंग के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इससे पहले मुन्ना बजरंगी की हत्या हो चुकी है। बुधवार को जीवा की लखनऊ कोर्ट परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड को गिरोह के लिए तगड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। इसी तर्ज पर मुन्ना बजरंगी की भी बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
मुजफ्फरनगर का रहने वाला था जीवा
जीवा मुजफ्फरनगर जिले का निवासी था। उसने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय और उत्तर प्रदेश में बीजेपी के मंत्री ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या की थी। दावा है कि मुख्तार गिरोह के लिए टेंडर और वसूली को हथियाने का काम जीवा ही देखता था। अभी पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वांचल तक मुख्तार के गिरोह का जीवा अहम सदस्य माना जाता था। दावा किया जा रहा है कि मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद गिरोह पहले से दशहत में था।
इन सदस्यों की भी हो चुकी है हत्या
मुन्ना बजरंगी के साले और मुख्तार गिरोह के सदस्य पुष्पजीत सिंह की भी हत्या हो चुकी है। उसकी हत्या 2016 में विकासनगर में गोली मारकर की गई थी। इसी घटना में उसका दोस्त संजय मिश्रा भी मारा गया था। सूत्रों का दावा है कि जब पुष्पजीत सिंह की तेरहवीं थी तो विकासनगर वाले उसके घर पर मुन्ना बजरंगी से मिलने के लिए कई शूटर्स आए हुए थे। पुष्पजीत सिंह के बाद गिरोह की कमान संभाल रहे मो. तारिक की हत्या कर दी गई थी।
GREATER NOIDA: निर्भया के दोषियों का केस लड़ने वाले वरिष्ठ वकील एपी सिंह सीमा हैदर का केस लड़ने जा रहे हैं। एपी सिंह सोमवार को सीमा और सचिन से मिलने उनके घर पहुंचे। जहां पर सीमा और सचिन के गांव वालों ने उनका स्वागत किया। सीमा के घर पहुंचकर एपी सिंह ने उनका हाल-चाल जाना।
सीमा हैदर (SEEMA HAIDAR) से मिलने ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा पहुंचे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एपी सिंह pic.twitter.com/hiZuvMQcKg
— Now Noida (@NowNoida) July 24, 2023
'जांच एजेंसी पर पूरा भरोसा'
सीमा और सचिन से मिलने के बाद एडवोकेट एपी सिंह ने कहा कि सीमा की तबीयत ठीक नहीं है। मीडिया से बात करते हुए एपी सिंह बोले की सीमा को भारत के कानून पर पूरा भरोसा है। उनको भारत की जांच एजेंसियों पर भरोसा है। एपी सिंह के मुताबिक वो सीमा और सचिन का हाल चाल जानने यहां आए थे।
'सीमा पूछताछ के लिए है तैयार'
एपी सिंह ने कहा कि देश में और भी लोग हैं, जो अवैध तरीके से रह रहे हैं। उनके मुताबिक सीमा को जांच एजेंसियों पर पूरा भरोसा है। वो किसी भी तरह की पूछताछ के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि सीमा के केस में सिर्फ सच का सहारा लिया जाएगा और जांच एजेंसियों के साथ देश को जो कुछ बताया जाएगा वो सच ही बताया जाएगा।
कौन हैं एडवोकेट AP सिंह?
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एपी सिंह ने निर्भया के दोषियों का केस लड़ा था। जिनका एपी सिंह बचाव कर रहे थे। हालांकि सभी दोषियों को मार्च साल 2020 में फांसी की सजा दे दी गई थी। एपी सिंह साल 1997 से केस लड़ रहे हैं। निर्भया के दोषियों का केस लड़ने पर देश भर में उनकी आलोचना की गई थी। हालांकि इस मामले में एपी सिंह कहता हैं कि ये उनके प्रोफेशन का हिस्सा है।
Noida: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चर्चित निठारी कांड में दोषी करार दिए गए सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को तमाम मामलों में बरी कर दिया है। कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को 12 और मनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में मिली फांसी की सजा को रद्द कर दिया है. गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है।
14 अर्जियों पर हाईकोर्ट कर रहा था सुनवाई
गौरतलब है कि सुरेंद्र कोली ने 12 मामलों में मिली फांसी की सजा के खिलाफ और मनिंदर सिंह पंढेर ने दो मामलों में मिली सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। इनकी अर्जियों पर हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के 15 सितंबर को जजमेंट रिजर्व कर लिया था। अब जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एस एच ए रिजवी की डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुनाया है। बता दें कि 2006 में निठारी कांड का खुलासा हुआ था।
इस आधार पर हाईकोर्ट ने किया बरी
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सीधे तौर पर कोई सबूत और गवाह नहीं होने के आधार पर दोषियों को बरी किया है। हालांकि रिंपा हलदर मर्डर केस में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने ही सुरेंद्र कोहली की फांसी की सजा को बरकरार रखा था। इन्हीं सबूतों के आधार पर रिंपा हलदर मर्डर केस में दोनों को फांसी की सजा मिली थी।
कोठी के पीछे नाले में मिले थे 19 कंकाल
गौरतलब है कि 7 मई 2006 को नोएडा के निठारी गांव की एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था। इसके बाद युवती वापस घर नहीं लौटी तो के पिता ने सेक्टर 20 थाने में गुमशुदगी का केस दर्ज कराया था। 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे। पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था। बाद में निठारी कांड से संबंधित सभी मामले सीबीआई को स्थानांतरित कर दिए गए थे।
Pryagraj: लिव इन रिलेशनशिप को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लिव इन रिलेशनशिप सिर्फ टाइम पास है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर धार्मिक (अलग-अलग धर्म) प्रेमी युगल की ओर से लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के कारण पुलिस से सुरक्षा की मांग करने वाली याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसे रिश्ते बिना किसी ईमानदारी के विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण के कारण होते हैं और वे अक्सर टाइमपास में परिणत होते हैं. हालांकि कोर्ट ने यह स्वीकार किया कि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में लिव-इन रिलेशनशिप को वैध ठहराया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी एवं न्यायमूर्ति मोहम्मद अज़हर हुसैन इदरीसी की पीठ ने दिया है.
लिव इन रिलेशनशिप में स्थिरता ज्यादा
जजों ने कहा कि दो महीने में न्यायालय यह उम्मीद नहीं कर सकता है कि युगल इस प्रकार के अस्थायी रिश्ते पर गंभीरता से विचार कर पाएंगे. स्थिरता और ईमानदारी की तुलना में मोह अधिक हाईकोर्ट ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप में स्थिरता और ईमानदारी की तुलना में मोह अधिक है। जब तक युगल शादी करने का फैसला नहीं करते हैं या वे एक-दूसरे के प्रति ईमानदार नहीं होते हैं, तब तक न्यायालय इस प्रकार के रिश्ते में कोई राय नहीं व्यक्त कर सकता है। कोर्ट ने ये टिप्पणियां एक हिंदू लड़की और एक मुस्लिम लड़के द्वारा संयुक्त रूप से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।
कोर्ट ने प्रेमी जोड़े को सुरक्षा देने से किया इंकार
याचिका में लड़की की चाची द्वारा लड़के के खिलाफ आईपीसी की धारा 366 के तहत दर्ज कराई गई एफआईआर को चुनौती दी गई थी. याचिका में उन्होंने पुलिस से सुरक्षा की भी मांग की क्योंकि युगल ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला किया है। वहीं, कोर्ट के समक्ष लड़की के वकील ने दलील दी कि लड़की की 20 वर्ष से अधिक है, इसलिए उसे अपना भविष्य तय करने का पूरा अधिकार है। वह लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहती है। जबकि दूसरी ओर लड़की की चाची के वकील ने कहा कि लड़के के खिलाफ यूपी गैंगस्टर एक्ट की धारा 2/3 के तहत एफआईआर है और वह रोड रोमियो और आवारा है। उसका कोई भविष्य नहीं है और निश्चित तौर पर वह लड़की की जिंदगी बर्बाद कर देगा। मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने अपने आदेश में इस तरह के रिश्ते पर आपत्ति जताई और सुरक्षा देने से इनकार कर दिया।
चंडीगढ़: कुत्तों के काटने की घटना इस बीच तेजी से बढ़ा है। हालांकि कुत्ता पालने वालों के लिए सख्त नियम जरूर बनाए गये हैं। लेकिन आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या बड़ी समस्या बनी हुई है। नगर निगमों की ओर से इन आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाने की कोशिश के तहत जो प्रयास किए जा रहे हैं वो नाकाफी साबित हो रहे हैं। इस बीच पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी कर डॉग बाइट के पीड़ितों को मुआवजा देने का निर्देश जारी किया है।
HC ने जताई चिंता
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि पंजाब, चंडीगढ़ और हरियाणा को अब डॉग बाइट पर पीड़ितों को मुआवजा देना होगा। जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज की बेंच ने डॉग बाइट से जुड़ी याचिकाओं का निपटारा करते ये आदेश जारी किया। पंजाब हाईकोर्ट ने पशुओं के कारण सड़क पर होने वाले हादसों पर भी चिंता जताई है।
डॉग बाइट पर मिलेगा मुआवजा
हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक कुत्ते के काटने से संबंधित मामलों में पीड़ितों को हर दांत के निशान पर 10,000 रुपए न्यूनतम मुआवजा दिया जाएगा। हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा राज्यों के अलावा चंडीगढ़ को इस तरह के मुआवजे का निर्धारण करने के लिए समितियां बनाने के लिए कहा है। ये समितियां संबंधित जिलों के डिप्टी कमिश्नरों की अध्यक्षता में गठित की जाएंगी।
Pryagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर में कॉरीडोर निर्माण की योजना को हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने मथुरा वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन को सुलभ बनाने के लिए सरकार को प्रस्तावित योजना अमल में लाने की अनुमति दे दी है। हालांकि इस कार्य के लिए मंदिर के खाते में जमा 262 करोड़ रुपए की धनराशि का उपयोग करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सरकार इस कार्य के लिए अपने पास से पैसा खर्च करने का निर्देश दिया है।
अनंत शर्मा की जनहित याचिका पर दिया आदेश
इसके साथ ही कोर्ट ने कॉरिडोर निर्माण के लिए राज्य सरकार को हर वह कदम उठाने की छूट दी है। साथ ही अतिक्रमण हटाने के लिए भी पूरी छूट दी है । मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह आदेश अनंत शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। अनंत शर्मा ने कोर्ट के समक्ष बांके बिहारी मंदिर में भारी संख्या में आने वाले दर्शनार्थियों से हो रही असुविधा का मुद्दा उठाया था। बताया गया कि छुट्टियां और विशेष पर्वों पर बांके बिहारी में डेढ़ से ढाई लाख श्रद्धालु आते हैं. जबकि मंदिर में जाने वाले रास्ते बेहद सकरे हैं। साथ ही यात्रा मार्ग में बहुत प्रसाद आदि की दुकानें हैं, जिससे बड़ी समस्या पैदा होती है । भीड़ में दबकर लोगों के घायल होने व मौत के होने की घटनाएं भी वहां होती है।
भीड़ का प्रबंधन सरकार की जिम्मेदारी
वहीं, राज्य सरकार की ओर से विस्तृत प्रस्ताव देकर योजनाएं प्रस्तुत की गई। जिससे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। लेकिन सरकार का प्रस्ताव था कि इस कार्य में आने वाला खर्च मंदिर के खाते में जमा धनराशि से किया जाएगा। मंदिर के सेवायत गोस्वामी समाज ने सरकार के इस प्रस्ताव पर घोर आपत्ति की । गोस्वामी समाज का कहना था कि मंदिर के फंड में हस्तक्षेप कर सरकार मंदिर का प्रबंध अपने हाथ में लेना चाहती है। यदि सरकार अपने पास से पैसा खर्च करके प्रबंध करना चाहती है तो गोस्वामी समाज को इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी। कोर्ट का कहना था कि मंदिर भले ही प्राइवेट प्रॉपर्टी है मगर यदि वहा इतनी बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आते है तो भीड़ का प्रबंधन करना और जन सुविधाओं को ध्यान रख कर व्यवस्था करना सरकार का दायित्व है।
Greater Noida: रुद्र बिल्डवेल बिल्डर मामले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को डबल झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिल्डर रुद्र बिल्डवेल की दो आवासीय परियोजनाओं के लिए शून्यकाल का लाभ देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण आवंटित जमीन का बड़ा हिस्से पर कब्जा देने में विफल रहा है। ये प्राधिकरण की गलती है ना की बिल्डर की कोई लापरवाही। इसलिए कोर्ट ने आवंटन की तारीख से अप्रैल 2023 तक शून्यकाल का लाभ, लीज रेंट और उस पर ब्याज नहीं लेने का आदेश दिया है।
यहां पढ़ें पूरा मामला
दरअसल, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने रुद्र बिल्डवेल को सेक्टर-1 और सेक्टर-16 में जमीन आवंटित की थी। प्राधिकरण ने 18 अगस्त 2010 को शुभकामना बिल्डटेक के नेतृत्व वाले एक कंसोर्टियम को 81,800 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की थी। इसमें रुद्र बिल्डवेल भी शामिल था। मार्च 2011 में भूमि का उप-विभाजन किया गया। इसमें याचिकाकर्ता रुद्र बिल्डवेल कंपनी को 33,538 वर्गमीटर जमीन आवंटित की गई। कंपनी ने 39 करोड़ रुपए की कुल प्रीमियम राशि का 10 प्रतिशत भुगतान कर लीज करा ली।
दोबारा नक्शा पास करने के आदेश
जानकारी के मुताबिक कंपनी को आवंटित भूखंड के 13,500 वर्ग मीटर में अतिक्रमण था। जबकि प्राधिकरण ने 6,900 वर्ग मीटर पर अतिक्रमण बताया था। बिल्डर ने 6900 वर्ग मीटर पर अतिक्रमण बताया था। बिल्डर ने 6900 वर्गमीटर की सीमा तक शून्यकाल के लिए याचिका दायर की थी। अब कोर्ट ने प्राधिकरण को कानून के अनुसार मानचित्र को फिर से मान्य करने का आदेश दिया।
Greater Noida: इलाहाबाद हाईकोर्ट से लॉजिक्स इंफ्रा बिल्ड ग्रुप को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने यमुना अथॉरिटी को लॉजिक्स इंफ्रा बिल्ड ग्रुप को जब्त की गई राशि का 60 करोड़ रुपये ब्याज समेत देने के आदेश दिए हैं। यमुना अथॉरिटी ने बिल्डर की ओर से एक प्लॉट वापस किए जाने पर उसकी 25 प्रतिशत राशि जब्त कर ली थी।
200 एकड़ जमीन को लेकर चल रहा था विवाद
बता दें कि लॉजिक्स इंफ्रा बिल्ड बिल्डर ने 2011 में यीडा सिटी के सेक्टर 22 डी में 200 एकड़ जमीन टाउनशिप विकसित करने के लिए ली थी। बिल्डर ने अथॉरिटी से इस जमीन को 308.41 करोड़ रुपये में ली थी। इस राशि का 10 प्रतिशत बिल्डर ने 30 दिनों के अंदर भुगतान भी कर दिया था। एक साल बाद बिल्डर ने 200 एकड़ जमीन दो भागों में रजिस्ट्री करने का अनुरोध किया था। इसके बाद 2012 तक बिल्डर ने प्रीमियम की शेष राशि 70 फीसद दूसरी किश्त का भी भुगतान कर दिया था।
यमुना प्राधिकरण ने 25 प्रतिशत राशि को कर लिया था जब्त
जबकि अथॉरिटी के पास उस समय कुल 70 एकड़ जमीन ही थी और 200 एकड़ की रजिस्ट्री बिल्डर को करा दी। समय पर जमीन नहीं मिलने पर बिल्डर और यमुना अथॉरिटी में विवाद हो गया था। इस पर बिल्डर ने अथॉरिटी को जमीन वापस कर दी। इस पर यमुना अथॉरिटी ने जमा राशि का कुल 25 प्रतिशत राशि जब्त कर ली थी। इसके बाद बिल्डर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिल्डर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए यमुना अथॉरिटी को बिल्डर को ब्याज सहित 60 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया है।
Pryagraj: वैवाहिक बलात्कार या मैरिटल रेप से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी है। अदालत ने कहा कि यदि पत्नी की उम्र 18 वर्ष से अधिक है तो वैवाहिक बलात्कार को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत अपराध नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने एक पति को अपनी पत्नी के खिलाफ 'अप्राकृतिक अपराध' करने के आरोप से बरी करते हुए यह टिप्पणी की।
धारा 377 के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता आरोपी
कोर्ट ने माना है कि इस मामले में आरोपी को IPC की धारा 377 के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने कहा कि इस देश में अभी तक वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना गया है। वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की मांग करने वाली याचिकाएं अभी भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं। जब तक शीर्ष अदालत मामले का फैसला नहीं कर देती, जब तक पत्नी 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की नहीं हो जाती, तब तक वैवाहिक बलात्कार के लिए कोई आपराधिक दंड नहीं है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की टिप्पणी का समर्थन
हाईकोर्ट ने ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की पिछली टिप्पणी का समर्थन करते हुए यह भी कहा कि वैवाहिक रिश्ते में किसी भी 'अप्राकृतिक अपराध' (आईपीसी धारा 377 के अनुसार) के लिए कोई जगह नहीं है। शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि उनका विवाह एक अपमानजनक रिश्ता था और पति ने कथित तौर पर उसके साथ मौखिक और शारीरिक दुर्व्यवहार और जबरदस्ती की, जिसमें अप्राकृतिक यौनाचार भी शामिल था।
पैसे बचाने के तरीके: चाहकर भी नहीं कर पाते हैं धन की बचत, तो ये टिप्स आपके काम की हैं
December 17, 2022