कौन बनेगा सुल्तानपुर का 'सुल्तान', दिलचस्प हुई इस बार सियासी जंग, जानें क्या है जातीय समीकरण

लोकसभा चुनाव के पांच चरण संपन्न हो चुके हैं। अब बारी है छठे चरण की जिसको लेकर राजनीतिक दलों में घमासान जारी है। इस चरण के मतदान 25 मई को होने वाले हैं। वहीं यूपी की हाई प्रोफाइल सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। इस सीट से बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और यहां से मौजूदा सांसद मेनका गांधी को फिर से मैदान में उतारा है। जबकि समाजवादी पार्टी ने राम भुआल निषाद को तो बपसा ने उदय राज वर्मा को टिकट दिया है। वहीं इस बीच एक बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला है। दरअसल सुल्तानपुर जिले की इसौली विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक चंद्र भद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह मंगलवार को सपा में शामिल हो गए। आपको बता दें कि पूर्व विधायक चंद्र भद्र सिंह की गिनती बाहुबली नेताओं में होती है।

सुल्तानपुर के रण में सपा के लिए काफी अहम चंद्र भद्र
चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने चंद्र भद्र सिंह को अपने पाले में ले लिया है। सपा के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी गई है। साथ ही एक फोटो भी पोस्ट की गई है जिसमें सपा के मुखिया अखिलेश यादव को चंद्र भद्र बुके देते हुए नजर आए हैं। सपा के लिए चंद्र भद्र कितनी अहमियत रखते हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अखिलेश यादव खुद पूर्व विधायक का पार्टी में स्वागत करते हुए नजर आए हैं। सुल्तानपुर में चंद्र भद्र की गिनती बाहुबली नेताओं में होती है। चंद्र भद्र 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। तब उन्होंने मेनका गांधी को कड़ी टक्कर दी थी। सीट पर इतना करीबी मुकाबला हो गया था कि मेनका गांधी ने मात्र 14,526 वोटों से जीत हासिल की थीं। मेनका गांधी को 459,196 वोट मिले थे जबकि चंद्र भद्र 4,44,670 वोट के साथ सीट पर दूसरे नंबर पर थे। चुनाव में बीजेपी और सपा के वोट प्रतिशत की बात करें तो 1 फीसदी से कुछ ज्यादा का अंतर था।

पहली बार सपा से ही विधायक निर्वाचित हुए थे चंद्र भद्र
चंद्र भद्र पहली बार सपा से ही विधायक निर्वाचित हुए थे। बाद में उन्होंने बसपा ज्वाइन कर ली, लेकिन जब यूपी में योगी आदित्यनाथ की दूसरी बार सरकार बनने से पहले उन्होंने सभी पार्टियों से इस्तीफा दे दिया था। तब से अभी तक चंद्र भद्र निर्दलीय राजनीति करते आ रहे थे। एक दिन पहले वो किसी पार्टी का हिस्सा नहीं थे, लेकिन कुछ घंटे में सियासी खेल बदला और चंद्र भद्र ने सपा का दामन थाम लिया। वहीं चंद्र भद्र सिंह ठाकुर जाति से आते हैं। सुल्तानपुर में ठाकुर मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। चंद्र भद्र तीन बार के पूर्व विधायक हैं, ऐसे में उनके पास समर्थकों की भी अच्छी खासी संख्या है। खासकर ठाकुरों में उनकी अच्छी पकड़ भी मानी जाती है। इसके अलावा सुल्तानपुर में उनकी गिनती बाहुबली नेताओं के रूप में होती है। ऐसे में ठाकुर के अलावा अन्य समुदाय के वोटरों में भी चंद्र भद्र अच्छी पैठ रखते हैं। पिछली बार के चुनाव में चंद्रभद्र सिंह सुल्तानपुर में अपनी सियासी बाहुबल का प्रदर्शन भी कर चुके हैं।

सुल्तानपुर का जातीय समीकरण
बात करें सुल्तानपुर के जातीय समीकरण की तो इस सीट पर कुल वोटरों की संख्या 18 लाख 34 हजार 355 है। इसमें 80 फीसदी हिंदू और 20 फीसदी के आसपास मुस्लिम वोटर हैं। इस सीट पर सबसे ज्यादा करीब 22 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है। इसके अलावा ठाकुर, ब्राह्मण के साथ-साथ ओबीसी की बड़ी आबादी भी इस क्षेत्र में निवास करती है। चंद्र भद्र सिंह को लेकर कहा जाता है कि अनुसूचित और ओबीसी वोटरों के बीच में भी उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसलिए 25 मई को वोटिंग से ठीक 2 दिन पहले चंद्र भद्र सिंह का सपा में शामिल होना बीजेपी उम्मीदवार मेनका गांधी के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकता है। अब देखना होगा कि इस मुकाबले की कांटे की टक्कर में मेनका गांधी बीजेपी के इस गढ़ को बचाए रखने में कामयाब हो पाती हैं या फिर चंद्र भद्र की सपा में एंट्री पार्टी के लिए संजीवनी का काम करती है।

By Super Admin | May 22, 2024 | 0 Comments

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