उत्तर प्रदेश के हाथरस से सत्संग में भगदड़ और फिर 60 से ज्यादा लोगों की मौत की खबर ने सनसनी फैला था। ये सत्संग नारायण साकार विश्व हरि भोले बाबा का बताया जा रहा है। इस सत्संग में हजारों की तादाद में लोग जुटे थे। फिर अचानक सत्संग में हुई भगदड़ मच से चारों ओर चीख-पुकार मच गई और करीब 60 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इस संख्या के और बढ़ने की बात भी कही गई है। ये हादसा उत्तर प्रदेश में हाथरस जिले के सिकन्दराराऊ क्षेत्र में आयोजित सत्संग में हुआ है।
कौन हैं नारायण साकार विश्व हरि भोले बाबा?
नारायण साकार विश्व हरि भोले बाबा को साकार हरि को पटियाली वाले बाबा नारायण साकार हरि के नाम से भी जाना जाता है। इनके सत्संग में हमेशा ही हजारों की तादाद में लोग आते हैं। कोराना काल में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में मई, 2022 में इनके सत्संग का आयोजन किया गया। जिला प्रशासन ने सत्संग में केवल 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी गई थी, लेकिन कानून की धज्जियां उड़ाते हुए 50,000 से अधिक लोग सत्संग में शामिल हुए थे। यहां उमड़ी भीड़ के चलते शहर की यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई। उस समय भी जिला प्रशासन ने आयोजकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी।
इस कारण हुआ हादसा?
हाथरस में फुलरई मुगलगढ़ी के एक खेत में साकार हरि बाबा का एक दिवसीय सत्संग चल रहा था। वहां पर बच्चों के साथ महिलाएं और पुरुष बाबा का प्रवचन सुन रहे थे। लगभग पौने दो बजे सत्संग खत्म हुआ, बाबा के अनुयायी बाहर सड़क की ओर जाने लगे। बताया जा रहा है कि लगभग 50 हजार की संख्या में अनुयायियों को सेवादारों ने जहां थे, वहीं रोक लिया। सेवादारों ने साकार हरि बाबा के काफिले को वहां से निकाला। उतनी देर तक वहां अनुयायी गर्मी और उमस में खड़े रहे। बाबा के काफिले के जाने के बाद जैसे ही सेवादारों ने अनुयायियों को जाने के लिए कहा, वहां भगदड़ की स्थिति बन गई। लोग गर्मी की वजह से भीड़ में बेहोश होकर गिरने लगे।
पत्नी के साथ देते हैं बैठकर करते हैं सत्संग
जानकारी के अनुसार, नारायण साकार हरि एटा जिले बहादुर नगरी गांव के रहने वाले हैं। अध्यात्म की दुनिया में आने से पहले वह गुप्तचर विभाग में थे। नारायण साकार अपनी पत्नी के साथ सत्संग करते हैं। इनके सत्संग को ‘मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम’ कहा जाता है। यहां नारायण साकार विश्व हरि भोले बाबा अपनी पत्नी संग मंच पर बैठकर सत्संग करते हैं। इस बार यह सत्संग 2 जुलाई, मंगलवार को हाथरस जिले की सिकंदराराऊ तहसील के ग्राम फूलरई मुगलगढ़ी, नेशनल हाईवे में आयोजित किया गया।
हाथरसः सिंकदरामऊ के रतिभानपुर मुगल गढ़ी जिसके सत्संग में हादसे का जिम्मेदार भोले बाबा गजब की शान शौकत में रहता है। कभी पुलिस विभाग में नौकरी करने वाला सूरजपाल आज का नाम साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा है। बाबा मूल रूप से कासगंज जिले की पटियाली के बहादुरनगर के रहने वाला है। बाबा बनने से पहले वह पुलिस के गुप्तचर विभाग में नौकरी करता था। बाद में नौकरी छोड़ दी और कथावाचक बनकर भक्तों की सेवा का काम शुरू किया। सूरजपाल अपनी पत्नी के साथ सत्संग करते हैं और पटियाली वाले साकार विश्व हरि बाबा के नाम से जाने जाते हैं. इसके सत्संग में हजारों की संख्या में लोग आते हैं।
कोरोना काल से चर्चा में आए बाबा
कोरोना के समय भी भोले बाबा का सत्संग कार्यक्रम विवादों में आया था. तब उन्होंने अपने सत्संग के लिए सिर्फ 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति मांगी थी. लेकिन, बाद में 50 हजार से ज्यादा लोग उनके सत्संग में आए थे। भारी भीड़ के चलते प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई थी। इस बार भी कहा जा रहा है कि कार्यक्रम के लिए जितने लोगों के शामिल होने की बात प्रशासन को बताई गई थी, उससे ज्यादा लोग जुट गए थे।
अन्य राज्यों में प्रभाव
भोले बाबा ने अपना वर्चस्व एटा, आगरा, मैनपुरी, शाहजहांपुर, हाथरस समेत कई जिलों में ही नहीं इसके अलावा पश्चिमी यूपी से सटे मध्य प्रदेश और राजस्थान, हरियाणा के कई जिलों में इनके समागम लगते हैं. भोले बाबा के ज्यादातर भक्त गरीब तबके हैं, जो लाखों की संख्या में सत्संग सुनने पहुंचते हैं. साकार विश्व हरि भले ही खुद को भगवान का सेवक कहते हैं, लेकिन उनके भक्त बाबा को भगवान का अवतार बताते हैं।
सूट-बूट में रहता है बाबा
बाबा पुलिस के तौर-तरीकों से परिचत है। वर्दी धारी स्वयंसेकों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी करने में यह काफी मददगार साबित हुआ। बाबा आम साधु-संतों की तरह गेरुआ वस्त्र नहीं पहनता। बहुधा वह महंगे गॉगल, सफेद पैंटशर्ट पहनकर किसी फिल्मी हीरो की तरह रहता है। अपने प्रवचनों में बाबा पाखंड का विरोध भी करता है। चूंकि बाबा के शिष्यों में बड़ी संख्या में समाज के हाशिए वाले, गरीब, दलित, दबे-कुचले लोग शामिल हैं। उन्हें बाबा का पहरावा और यह रूप बड़ा लुभाता है। महिला भक्तों में बाबा का खासा क्रेज दिखाई देता है। अनुयायी कहते हैं कि बाबा साक्षात हरि अर्थात विष्णु के अवतार हैं। कई शिष्यों का मानना है कि बाबा के पास दैविक शक्तियां हैं। वह कुछ भी कर सकते हैं।
बाबा की अपनी फौज संभालती है ट्रैफिक का मोर्चा
साकार हरि की अपनी फौज है। हल्के गुलाबी रंग के पैंट-शर्ट, पुलिस बेल्ट, हाथ में लाठी और सीटी लेकर हजारों की संख्या में इनके स्वयंसेवक कार्यक्रम स्थल और सड़कों पर चप्पे-चप्पे पर तैनात रहते हैं। एक नजर में देखने पर यह होमगार्ड जैसा कोई अनुशासित बल दिखाई देता है। बड़ी संख्या में महिला स्वयंसेवक भी तैनात रहती हैं। इनकी भी वर्दी होती है। बाबा की यह लंबी-चौड़ी फौज ट्रैफिक व्यवस्था से लेकर, पानी और दूसरे इंतजाम देखती है। कार्यक्रम स्थलों पर बाबा की फौज का यह गणवेश आप कई काउंटरों से बिकते देख सकते हैं। कहा जाता है, इसे खरीदने की अनुमति उन्हीं लोगों की होती है जिसे बाबा चाहते हैं। कई बार यह स्वयंसेवक आम आदमी को कार्यक्रम स्थल के पास से गुजरने से रोक भी देते हैं। प्रशासन भी इन स्वयंसेवकों के भरोसे शायद उतना ध्यान नहीं देता जितना उसे देना चाहिए। शायद प्रशासन की उपेक्षा और बाबा के स्वयंसेवकों पर जरूरत से ज्यादा भरोसे ने हाथरस जैसे बड़े हादसे को जन्म दिया है। हादसे से हाथरस से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है।
साकार हरि: 30 बीघे में भोले बाबा का आश्रम
बहादुरनगर में 30 बीघे में भोले बाबा का आश्रम तो पांच बीघे में अनुयायी विश्राम गृह बना है। बाबा के पास खुद के सेवादारों की आर्मी भी है। जिले में कोई दूसरा ऐसा पूर्ण निर्माण का आश्रम नहीं है। आश्रम पर अनुयायियों के रुकने के लिए 5 बीघा जमीन में विश्राम घर बना हुआ है। प्रतिदिन ही बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं और पर्वों के दिन में तो लोगों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। सत्संग हो या न हो कोई कार्यक्रम हो या न हो लेकिन भक्तों पर इसका कोई असर नहीं। वे आते हैं और माथ टेकते हैं।आश्रम और आश्रम के आस पास माहौल भक्ति का रहता है। वैसे तो तमाम गांव के लोग घर के बाहर चापराई पर ही अस्थायी रूप से खाने पीने के सामान की दुकान लगा लेते हैं, लेकिन मंगलवार को पानी व खाद्य पदार्थ की दुकानें गांव के लोग सजाते हैं। जिससे बाबा के आश्रम में आने वाले अनुयायियों के द्वारा की जाने वाली खरीद से ग्रामीणों की आमदनी हो जाती है।
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