हाथरस हादसे में मौत की वजह को लेकर साकार हरि उर्फ भोले बाबा के वकील एपी सिंह ने नया दावा पेश किया है। उन्होंने डिब्बों से निकली जहरीली गैस को मौत की असली वजह बताया है। एपी सिंह ने रविवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हाथरस में सत्संग के बाद हादसा बाबा की बढ़ती लोकप्रियता के खिलाफ एक साजिश है। हादसे के गवाहों ने उनसे संपर्क किया। गवाहों को कहना है कि 15-16 लोग जहरीली गैस के डिब्बे ले जा रहे थे, जिन्हें उन्होंने भीड़ में खोल दिया था। इसके बाद वहां भगदड़ मच गई।
हमारे पास गवाह और सबूत
वकील एपी सिंह ने कहा कि मैंने मारे गए लोगों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देखी है। जिससे इससे पता चला है कि सभी लोगों की मौत दम घुटने से हुई है। उन्होंने कहा कि जहरीली गैस को छोड़ने वालों को भागने में मदद करने के लिए घटनास्थल पर वाहन खड़े थे। जिसके हमारे पास सबूत हैं और हम इसे पुलिस और कोर्ट को देंगे। एपी सिंह ने कहा कि जो गवाह उनके पास पहुंचे हैं, उन्होंने नाम न छापने का अनुरोध किया है। हम उनके लिए सुरक्षा की मांग करेंगे।
भक्तों के लिए भोले बाबा ही हैं साकार ईश्वर, बंद घर के आगे दिन भर टेक रहे माथा
वहीं, अब भोले बाबा के अनुयायी सामने आ रहे हैं और बाबा को ईश्वर की दर्जा दे रहे हैं। प्रेमदेवी का कहना है कि लंबे समय से वह बीमार थीं, साकार हरि के शरण में आईं तो उनकी शारीरिक पीड़ा मिट गई। इसी तरह अजय ने कहा कि घर धीरे-धीरे स्थितियां सुधरती गईं। आज उसके घर में किसी चीज की कमी नहीं है। प्रेमदेवी और अजय जैसे कई लोग हैं जो कह रहे हैं कि साकार विश्व हरि (भोले बाबा) के अंदर ईश्वरीय शक्ति है, तभी तो उनकी शरण में आए व्यक्ति की पीड़ा समाप्त हो जाती है। यही वजह है कि हाथरस हादसे में 121 लोगों की मौत के बाद भी भोले बाबा के केदार नगर शाहगंज में बंद पड़े मकान पर पूरे दिन श्रद्धालुओं की आवाजाही लगी है। मंडलीय मनौवैज्ञानिक मानते हैं कि पीड़ित व्यक्ति की पीड़ा जब कम होती है या दूर हो जाती है तो उसे ऐसा करने वाले बाबाओं के चमत्कार पर विश्वास हो जाता है, उनका यह विश्वास आस्था में बदलते ही ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है।
Lucknow: हाथरस के सिकन्दराराऊ में 2 जुलाई को सत्संग के दौरान घटित हादसे के तत्काल बाद गठित एडीजी जोन आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ की एसआईटी ने 02, 03 और 05 जुलाई को घटना स्थल का निरीक्षण किया था। जांच के दौरान कुल 125 लोगों का बयान लिया गया, जिसमें प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के साथ आम जनता एवं प्रत्यक्षदर्शियों का बयान भी लिया गया। इसके अलावा, घटना के संबंध में प्रकाशित समाचार की प्रतियां, स्थलीय विडियोग्राफी, फोटो, विडियो क्लिपिंग की जांच की गई। दो सदस्यी जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है।
6 अधिकारियों को किया गया सस्पेंड
जिसमें कहा गया है कि स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया और वरिष्ठ अधिकारियों को समुचित जानकारी नहीं दी। जांच समिति के रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम, सीओ व तहसीलदार सहित 06 निलंबित कर दिया गया है। आयोजकों ने बिना पुलिस वेरिफिकेशन जिन लोगों को अपने साथ जोड़ा, जिसकी वजह से अव्यवस्था फैली और लोगों की जान गई।
● एसआईटी ने प्रारंभिक जांच में चश्मदीद गवाहों व अन्य साक्ष्यों के आधार पर हादसे के लिए कार्यक्रम आयोजकों को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना है।
● जांच समिति ने अब तक हुई जांच व कार्यवाही के आधार पर हादसे के पीछे किसी बड़ी साजिश से भी इंकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत बताई है।
● जांच समिति ने कार्यक्रम आयोजक तथा तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी दोषी पाया है। स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन करने में लापरवाही के जिम्मेदार हैं।
● उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ द्वारा बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किये आयोजन की अनुमति प्रदान कर दी गई और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया।
● उक्त अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया गया और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया गया। एसआईटी ने संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की है। तदक्रम में, उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ, पुलिस क्षेत्राधिकारी सिकन्दराराऊ, थानाध्यक्ष सिकन्दराराऊ, तहसीलदार सिकन्दराराऊ, चौकी इन्चार्ज कचौरा एवं चौकी इन्चार्ज पोरा को शासन द्वारा निलंबित कर दिया गया है।
● आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति ली। अनुमति के लिए लागू शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया। आयोजकों द्वारा अप्रत्याशित भीड़ को आमंत्रित कर पर्याप्त एवं सुचारु व्यवस्था नहीं की गई। न ही कार्यक्रम के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा दी गई अनुमति की शर्तों का पालन किया गया।
● आयोजक मंडल से जुड़े लोग अव्यवस्था फैलाने के दोषी पाए गए हैं। इनके द्वारा जिन लोगों को बिना विधिवत पुलिस वेरिफिकेशन के जोड़ा गया, उनसे अव्यवस्था फैली।
● आयोजक मंडल द्वारा पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया गया। स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण से रोकने का प्रयास किया गया।
● सत्संगकर्ता और भीड़ को बिना सुरक्षा प्रबंध के आपस में मिलने की छूट दी गई। भारी भीड़ के दृष्टिगत यहां किसी प्रकार की बैरीकेटिंग अथवा पैसेज की व्यवस्था नहीं बनाई गई थी और हादसा घटित होने पर आयोजक मंडल के सदस्य घटना स्थल से भाग गए।
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