ग्रेटर नोएडा: मेडिकल सेक्टर में अपने नए इनोवेशन के लिए प्रसिद्ध शारदा हॉस्पिटल ने देश में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मल्टी सिस्टम रोबोटिक वर्कशॉप सफलतापूर्वक आयोजित की. ये आयोजन स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च और शारदा केयर- द हेल्थसिटी, ग्रेटर नोएडा के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन सम्मानित अंतरराष्ट्रीय ट्रेनर्स, सर्जनों द्वारा किया गया। यह कार्यक्रम भारत में चिकित्सा शिक्षा और सर्जिकल प्रशिक्षण को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इस कार्यक्रम के तहत देश में पहली बार किसी वर्कशॉप में अत्याधुनिक मल्टीपल रोबोटिक तकनीक का उपयोग किया गया है। कई रोबोटिक स्टेशन उपलब्ध होने के साथ, यह लैब अमेरिका और ब्रिटेन सहित विश्व स्तर पर प्रशंसित प्रशिक्षकों की सलाह के तहत रोबोटिक सर्जरी की जटिलताओं को समझने के लिए चिकित्सा पेशेवरों, छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए विशेष अवसर प्रदान करती है।
मल्टीपल रोबोटिक लैब की शुरुआत करने पर गर्व
इस अवसर पर शारदा विश्वविद्यालय, शारदा हॉस्पिटल और शारदा केयर - द हेल्थसिटी के अध्यक्ष पी.के. गुप्ता ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय फैकल्टी को पारंपरिक-संस्कृति शैली में शॉल के साथ सम्मानित किया और इस पहल के लिए अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा "कि हमें भारत की पहली मल्टीपल रोबोटिक लैब की शुरुआत करने पर गर्व है, जो चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान को आगे बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह पहल अत्याधुनिक प्रशिक्षण अवसर प्रदान करने और भारत में स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार देने के लिए शारदा हॉस्पिटल के समर्पण को रेखांकित करती है।
अंतर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स लैब अपने आप में विशेष
शारदा विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च की डीन डॉ. निरुपमा गुप्ता ने कहा कि “यह अंतर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स लैब अपने आप में विशेष है। यह पहली बार है कि भारत में किसी लैब में इतने व्यापक रूप से अत्याधुनिक रोबोटिक तकनीक पेश की जा रही है।” वहीं शारदा हॉस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राम मूर्ति शर्मा ने कहा “कि यह अपनी तरह की एक मल्टीपल रोबोटिक सिस्टम लैब है, जो शारदा हॉस्पिटल की स्वास्थ्य देखभाल में नवाचार और शिक्षा में अग्रणी स्थिति को और मजबूत करती है। अपनी अत्याधुनिक सुविधाओं और सहयोगात्मक दृष्टिकोण के साथ, शारदा हॉस्पिटल चिकित्सा शिक्षा और रोगी देखभाल के क्षेत्र में उत्कृष्टता के नए मानक स्थापित कर रहा है।”
कई गणमान्य रहे मौजूद
इस अवसर पर उपस्थित लोगों को विभिन्न गतिविधियों में शामिल होने का अवसर मिला, जिसमें रोबोटिक प्रक्रियाओं का प्रदर्शन, इंटरैक्टिव ट्रेनिंग सेशन और क्षेत्र के विशेषज्ञों के नेतृत्व में पैनल चर्चाएं शामिल थीं। इसके अलावा, इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य सेवा में नवाचार और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में शारदा हॉस्पिटल, एसएमएस एंड आर और शारदा केयर-द हेल्थसिटी के सहयोगात्मक प्रयासों को भी प्रदर्शित किया गया। साथ ही उद्घाटन समारोह में चिकित्सा और शैक्षणिक क्षेत्र की प्रसिद्ध हस्तियों ने भाग लिया और स्वास्थ्य सेवाओं में प्रौद्योगिकी और शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के तरीकों पर चर्चा की।
देशभर के कई राज्यों में अभी भी गर्मी के कारण लोगों का हाल बेहाल है। गर्म हवा के थपेड़ों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है और भीषण गर्मी के कारण एसी-कूलर भी फेल हो गए। शहर के कई इलाकों में पारा 45 डिग्री तक पहुंच गया है। भीषण गर्मी के कारण अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या में इजाफा हो गया है। वहीं ग्रेनो नॉलेज पार्क के शारदा अस्पताल में हीट स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। कुछ मरीजों को एडमिट करना पड़ रहा है।
हीट स्ट्रोक के गंभीर लक्षण दिखें से डॉक्टर से लें सलाह
शारदा हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ. भूमेश त्यागी के मुताबिक हीट स्ट्रोक तब होता है जब शरीर अपने बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होता है और शरीर को ठंडा करने में मदद करने वाले पसीने का मैकेनिज्म भी फेल हो जाता है। हीट-स्ट्रोक के लक्षण अगर पहचान लिए जाएं तो उसके इलाज में समय रहते मदद मिल सकती है। इसलिए हीट-स्ट्रोक के सारे लक्षणों की पहचान होनी जरूरी है। सिर दर्द, तेज बुखार, होश खो देना, मानसिक स्थिति बिगड़ना, मतली और उल्टी, त्वचा का लाल होना, हार्ट रेट बढ़ना, त्वचा का नर्म होना, त्वचा का सूखना और डिमेंशिया इसके कॉमन लक्षण है। जैसे ही ये लक्षण दिखें तुरंत कहीं न कहीं किसी घर के अंदर पनाह लें। पानी पिएं और अगर संभव हो तो नमक-चीनी और पानी का घोल पिएं। बाहर निकलने से पहले कोशिश करें कि बैग में पानी और ओआरएस घोल रख लें।अगर गंभीर लक्षण है तो किसी न किसी अस्पताल जाएं।
हीट स्ट्रोक से बचने के लिए करें ये उपाय
इसके अलावा तेज गर्मी में हमेशा सूती और हल्के कपड़े पहनें यदि आप बाहर निकल रहे हैं तो लूज फिटिंग वाले कपड़े पहनें। यदि बहुत तेज धूप है तो टोपी पहनें और सनग्लास लगाएं। वहीं बहुत तेज धूप में निकल रहे हैं तो सूती कपड़े को पानी में भिगो दें और उसे सिर पर लपेट लें। गर्मी के दिनों में बहुत कठिन मेहनत वाली एक्सरसाइज न करें या तो बहुत सुबह एक्सरसाइज कर लें या देर शाम में एक्सरसाइज करें। गर्मी के दिनों में एक साथ ज्यादा भोजन न करें। कम-कम भोजन करें लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दिन में दो बार ही खाएं। कम-कम भोजन करें लेकिन जल्दी-जल्दी करें। गर्मी के दिनों में रेशेदार हरी सब्जियों का इस्तेमाल ज्यादा करें।
ग्रेनो के नॉलेज पार्क के शारदा अस्पताल में कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले को लेकर डॉक्टरों में आक्रोश है। मामले को लेकर डॉक्टरों ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की अगुवाई में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन एमबीबीएस के इंटर्नशिप डॉक्टरों और छात्रों के साथ मिलकर शांतिपूर्वक पैदल मार्च निकाला। इस दौरान लगभग 300 डॉक्टर समेत छात्र मौजूद रहे।
घटना हमारे समाज के लिए निराशाजनक- डॉ. विश्वानी
शारदा अस्पताल के आरडीए रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ. विश्वानी ने कहा कि पैदल मार्च कर विरोध जताने का हमारा उद्देश्य पीड़ित को जल्द से जल्द न्याय दिलाना है। साथ ही भारत में डॉक्टरों के लिए सख्त सुरक्षा नियम और नीतियों को तत्काल कार्यान्वयन की मांग करना है। यह घटना हमारे समाज के लिए निराशाजनक बात है। जहां डॉक्टरों को भगवान माना जाता है और उसके साथ ऐसी घटना हो जाती है। यह मानवता के खिलाफ किया गया अपराध है। यह काम करने वाली जगहों पर महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे से जुड़ा है। डॉक्टर और नर्स इस बात से चिंतित हैं कि वो अस्पताल में सुरक्षित नहीं हैं, उनके परिवार के लोग भी चिंतित हैं।
"महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय पर सबको आवाज उठानी होगी"
शारदा अस्पताल के (आरडीए) रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की उपाध्यक्ष ने बताया कि पैदल मार्च के दौरान ओपीडी सेवा बंद रही। अस्पताल में मरीजों को कोई परेशानी न हो इसके लिए इमरजेंसी और रेडियोलॉजी सेवाएं संचालित रही। इसके लिए हमने अलग से डॉक्टरों की टीम बनाई है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ जो अन्याय हो रहा है हम सबको एक साथ होकर आवाज उठानी होगी। देश भर के सभी अस्पतालों को हवाई अड्डों की तरह सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए, ताकि डॉक्टर बिना किसी डर के काम कर सकें।
प्रदर्शन में मौजूद रहे डॉक्टर्स
इस दौरान अस्पताल के एमएस राममूर्ति शर्मा, हेड इंटरनल मेडिसिन एके गड़पायले, स्त्री रोग विभाग डॉ. समता गुप्ता, डॉ. अर्चना मेहता,डॉ. रुचि श्रीवास्तव , नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. जेएल गोयल, रेडियोलॉजी विभाग के हेड डॉ. विशाल गुप्ता, सर्जरी विभाग के डॉ. विक्रम चौहान, डॉ. भूमेश त्यागी, डॉ. श्रेय श्रीवास्तव , समेत अन्य विभागों के एचओडी मौजूद रहे।
ग्रेनो के नॉलेज पार्क स्थित शारदा हॉस्पिटल व स्कूल ऑफ नर्सिंग साइंस एंड रिसर्च ने साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पोस्टर प्रतियोगिता एवं प्रदर्शनी, स्तनपान व हाथ की स्वच्छता जागरूकता और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता समेत विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर नर्सों को शपथ भी दिलाई गई।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल की याद में मनाया जाता है ये दिन
विश्वविद्यालय के चांसलर पीके गुप्ता ने कहा कि बदलते दौर के साथ नर्सिंग पेशा स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। पहले बेड के अनुपात में नर्सिंग स्टाफ होता था। लेकिन अब यह संतुलन बिगड़ गया है। कई बार वार्ड में विपरीत परिस्थितियां होती हैं। लेकिन एक नर्स की सबसे बड़ी ताकत धैर्य है। हर विपरीत परिस्थिति में एक नर्स ही है, जो धैर्य रखकर मरीजों की सेवा में समर्पित रहती है। यह परंपरा नर्सिंग की नायिका फ्लोरेंस नाइटिंगेल की याद दिलाती है, जिन्हें क्रीमिया युद्ध के घायल सैनिकों की देखभाल करते हुए अंधेरी गलियों में दीपक के साथ इलाज किया।
स्कूल ऑफ नर्सिंग साइंस एंड रिसर्च के एसोसिएट डीन आर श्री राजा ने कहा कि नर्स अपने मरीजों के लिए और पीड़ित लोगों के लिए आशा और आराम का प्रतीक बन जाती है। इस दीपक को प्रतिबद्धता के रूप में जलाते हैं और नर्सों की सेवा की प्रतिज्ञा का पाठ करते हैं। वे हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की रीढ़ हैं, जो जरूरत के समय रोगियों को दयालु देखभाल और विशेषज्ञता प्रदान करते हैं।
12 मई को दुनियाभर में मनाया जाता है ये दिन
आपको बता दें, इंटरनेशनल नर्स दिवस हर साल 12 मई को दुनियाभर में, नर्सों द्वारा समाज में किए जाने वाले नर्सों के योगदान को याद करने, इस प्रोफेशन को बढ़ावा देने और नर्सों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।
ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क के शारदा अस्पताल में विश्व रक्तदाता दिवस पर की गई पहल। अस्पताल में इन-हाउस स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान लगभग 31 स्टॉफ मेंबर्स और छात्रों ने रक्तदान किया। रक्तदान करने वाले लोगों को ब्लड बैंक की तरफ से डोनेशन कार्ड और सर्टिफिकेट भी दिए गए।
"रक्तदान करने से शरीर में कोई कमजोरी नहीं आती"
अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. राममूर्ति शर्मा ने बताया कि 18-65 वर्ष की आयु, वजन कम से कम 45 किलोग्राम और एचबी कम से कम 12.5 ग्राम के स्वस्थ स्वयंसेवक रक्तदान कर सकते हैं। स्वस्थ पुरुष तीन महीने में एक बार और महिलाएं चार महीने में एक बार रक्तदान कर सकती हैं। रक्तदान करने से शरीर में कोई कमजोरी नहीं आती ।
"रक्तदान कर जीवन बचाने में हर व्यक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका"
शारदा अस्पताल के ब्लड बैंक की इंचार्ज डॉ. सुपर्णा दुबे कहा कि विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को स्वैच्छिक रक्तदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और रक्तदाताओं को उनके जीवन-रक्षक योगदान के लिए धन्यवाद देने के लिए मनाया जाने वाला एक वैश्विक कार्यक्रम है। रक्तदान करके जीवन बचाने में हर व्यक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है।
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