ग्रेटर नोएडा आज आएंगे आरएसएस प्रमुख मोहन भावगत, इस कार्यक्रम में होंगे शामिल

Greater Noida: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख आज (रविवार) ग्रेटर नोएडा आ रहे हैं। मोहन भागवत दो दिन तक ग्रेटर नोएडा में विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। जिला प्रशासन के अधिकारी कर्मचारी सुरक्षा व्यवस्था में जुटे हुए हैं। दौरे को लेकर चप्पे-चप्पे पर भारी पुलिस बल तैनात रहेगा। भागवत का एक महीने में यह दूसरा दौरा है। आरएसएस चीफ जिले के एक हजार प्रबुद्धजनों से मुलाकात करेंगे।

प्रबुद्ध नागरिकों के साथ करेंगे संवाद


जानकारी के मुताबिक मोहन भागवत ग्रेटर नोएडा में स्थित शारदा यूनिवर्सिटी में रुकेंगे। शारदा यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरिम में प्रबुद्ध नागरिकों के साथ संवाद भी करेंगे। आरएसएस के सरसंघ संचालक लगातार अलग-अलग जिलों में प्रवास करते हैं। इसी के तहत इस बार गौतमबुद्ध नगर जिले का चयन किया है। इसकेतहत दो दिन और एक रात ग्रेटर नोएडा में रुकेंगे। इस दौरान मोहन भागवत कई लोगों से मुलाकात करेंगे और कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। यह कार्यक्रम "स्व आधारित भारत" पर किया जा रहा है।

By Super Admin | November 26, 2023 | 0 Comments

आस्था कभी अंधी नहीं होती, अंग्रेजों ने किया इसे खत्म करने का सुनियोजित प्रयास; मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शनिवार को दावा किया कि 1857 के बाद अंग्रेजों ने देशवासियों की अपनी परंपराओं और पूर्वजों में आस्था को कम करने के लिए व्यवस्थित तरीके से प्रयास किए। उन्होंने कहा कि कुछ प्रथाएं और रीति-रिवाज जो चले आ रहे हैं, वे विश्वास हैं। कुछ अंधविश्वास भी होता है, लेकिन आस्था कभी अंधी नहीं होती। कुछ गलत हो सकता है, तो उसे बदलने की जरूरत है।

भारत में मूर्तियों के चेहरे पर भावनाएं होती हैं अंकित
संघ प्रमुख ने कहा कि अंग्रेजों ने 1857 के बाद जब औपचारिक रूप से भारत पर शासन करना शुरू किया तो हमारे मन से आस्था को खत्म करने के लिए सुनियोजित प्रयास किए। हमारी अपनी परंपराओं और पूर्वजों में जो आस्था थी, उसे खत्म कर दिया। भागवत ने यह बात मुंबई में लेखक जी.बी. देगलुरकर की पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर कही। मोहन भागवत ने कहा कि भारत में मूर्ति पूजा होती है, जो आकार से परे जाकर निराकार से जुड़ती है। हर किसी के लिए निराकार तक पहुंचना संभव नहीं है। इसलिए मूर्तियों के रूप में एक आकार बनाया जाता है। मूर्तियों के पीछे भी एक विज्ञान है। उन्होंने कहा कि भारत में मूर्तियों के चेहरे पर भावनाएँ अंकित होती हैं, जो दुनिया में और कहीं नहीं मिलतीं।

By Super Admin | July 21, 2024 | 0 Comments