Greater Noida: ग्रेटर नोएडा स्थित एक्सपोर्ट मार्ट में यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो 2023 का आगाज हो चुका है जो 25 सितंबर तक चलेगा। ट्रेड शो का विधिवत उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोपहर बाद करेंगे। मिली जानकारी के मुताबिक योगी आदित्यनाथ दोपहर 12:30 बजे लखनऊ से रवाना होंगे। सीएम योगी करीब 2:05 बजे यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में पहुंचेंगे। वहीं राष्ट्रपति करीब 3:45 पर ट्रेड शो में आयेंगी, जिनका स्वागत सीएम योगी करेंगे।
4 बजे ट्रेड शो का होगा उद्घाटन
सीएम योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करीब 4:00 बजे यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद सीएम योगी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जनता को संबोधित करेंगे। करीब 5:00 बजे राष्ट्रपति दिल्ली रवाना होगी। इसके बाद सीएम योगी लखनऊ जाएंगे।
60 देशों से आएंगे बायर्स
बता दे कि ट्रेड शो में 200 से ज्यादा स्टाल लगे हुए हैं। यहां करीब 60 देश के 400 ज्यादा इंटरनेशनल बायर्स आएंगे। इस ट्रेड शो में उत्तर प्रदेश केेेे 75 जनपदों का प्रोडक्ट और व्यंजन भी मिलेंगे।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति के आगमन को लेकर शहर में ट्रैफिक व्यवस्था में बदलाव किया गया है। ट्रेड शो
Noida: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसान नेता युद्धवीर सिंह को हिरासत में लेने सहित अन्य मांगों को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम अपर जिलाधिकारी नितिन मदान को ज्ञापन दिया। ज्ञापन के माध्यम से बताया कि हाल ही में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के कॉरपोरेट समर्थक कृषि अधिनियमों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 13 महीने लंबा धरना दिया गया था। दिल्ली पुलिस सहित केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों द्वारा कई किसान नेताओं को फंसाने के लिए केस दर्ज कर जानबूझकर किए गए अनुचित कार्यों की ओर खींचना चाहते हैं।
9 दिसंबर को हुआ था समझौता, फिर भी उत्पीड़न जारी
ज्ञापन में आगे लिखा है ' केंद्र सरकार ने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल द्वारा हस्ताक्षरित 9 दिसंबर 2021 के लिखित पत्र के आधार पर एसकेएम के साथ एक समझौता किया था। जिसके आधार पर किसान संघर्ष को स्थगित कर दिया गया था। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया था (पैरा : 2 ए और बी) कि उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा की राज्य सरकारें किसान संघर्ष से संबंधित सभी मामलों को तुरंत वापस लेने के लिए पूरी तरह सहमत हैं। साथ ही, पत्र में केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों में उसकी एजेंसियों और प्रशासन ने किसानों के संघर्ष से संबंधित सभी मामलों को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की थी। अन्य सभी राज्य सरकारों से भी किसानों के संघर्ष के खिलाफ ऐसे सभी मामलों को वापस लेने का अनुरोध करने की बात कही थी।
गृह मंत्रालय ने किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने का दिया था प्रस्ताव
राज्यसभा में प्रश्न संख्या 1158, दिनांक 19.12.2022 के जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया था, ''गृह मंत्रालय में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, किसानों के खिलाफ 86 मामले वापस लेने का प्रस्ताव आया है और गृह मंत्रालय ने ऐसा करने की अनुमति दे दी है। इसके अलावा, रेल मंत्रालय ने रेलवे सुरक्षा बलों द्वारा किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए सभी मामलों को वापस लेने का निर्देश दिया है।"
किसान नेताओं को किया जा रहा है गिरफ्तार
लगभग दो वर्षों के बाद, युद्धवीर सिंह, जो एसकेएम के राष्ट्रीय परिषद सदस्य और भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के महासचिव हैं, को 29 नवंबर 2023 को सुबह 2 बजे इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यह दावा करते हुए कि वे गिरफ्तार कर लिया गया कि वह 2020-21 के दिल्ली में ऐतिहासिक किसान संघर्ष से संबंधित मामले में आरोपी हैं। इस कार्रवाई के कारण अंतर्राष्ट्रीय किसान सम्मेलन में भाग लेने के लिए कोलंबिया जाने वाली उनकी उड़ान छूट गई। हालांकि, बाद में किसान आंदोलन के कड़े विरोध के कारण दिल्ली पुलिस को उन्हें रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
किसान नेताओं को कोर्ट के लगाने पड़ रहे चक्कर
राष्ट्रपति के नाम सौंपे गए ज्ञापन में आगे लिखा है कि ' हरियाणा के रोहतक के बीकेयू नेता वीरेंद्र सिंह हुड्डा को दिल्ली पुलिस के सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन से 22 नवंबर 2023 को एक नोटिस मिला था। जिसमें उन्हें एक मामले में पेश होने का निर्देश दिया गया था। किसान आंदोलन के विरोध के मद्देनजर दिल्ली पुलिस को नोटिस वापस लेने की सार्वजनिक रूप से घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसी तरह 7 दिसंबर 2022 को बीकेयू के प्रभारी अधिकारी अर्जुन बलियान को नई दिल्ली हवाई अड्डे पर नेपाल जाने से रोक दिया गया। पंजाब के एसकेएम नेता सतनाम सिंह बेहरू और हरिंदर सिंह लोकोवाल दिल्ली किसान संघर्ष से संबंधित मामलों में दिल्ली के तीस हजारी और पटियाला हाउस अदालतों में अदालती प्रक्रियाओं का सामना कर रहे हैं।
किसान नेता युद्धवीर सिंह को हिरासत में लिया गया
हाल ही में युद्धवीर सिंह को हिरासत में ले लिया गया है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिल्ली संघर्ष से संबंधित मामलों में एसकेएम नेताओं के खिलाफ लुक-आउट नोटिस जारी किया है। एसकेएम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मांग की है कि उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि क्या गृह मंत्रालय के पास ऐसी कोई जानकारी है। यदि हां, तो लोकतंत्र में पारदर्शिता बरतते हुए सभी लुक आउट नोटिसों को सार्वजनिक करें।
केंद्र और राज्य सरकार समझौते का कर रही उल्लंघन
एसकेएम किसान नेताओं को आपराधिक मामलों में फंसाने के किसी भी कदम को नरेंद्र मोदी सरकार और एसकेएम के बीच हुए समझौते का खुला उल्लंघन मानती है। इस प्रकार यह केंद्र सरकार और उसके लोगों द्वारा विश्वास का उल्लंघन है। किसानों का यह संघर्ष घरेलू और विदेशी कॉर्पोरेट पूंजी के तहत कृषि के कॉर्पोरेटीकरण को लागू करने के खिलाफ किसानों और खेत मजदूरों और ग्रामीण गरीबों के हितों की रक्षा के लिए एक जन विद्रोह था। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ स्वतंत्रता के संघर्ष की तरह एक देशभक्तिपूर्ण आंदोलन था और केंद्र सरकार को तीन कॉर्पोरेट समर्थक कृषि अधिनियमों को वापस लेने के लिए मजबूर करने में सफल रहा।
कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों का विरोध करते रहेंगे
दो साल के ऐतिहासिक संघर्ष के बाद, केंद्र सरकार ने कॉर्पोरेट ताकतों की सेवा करने के उद्देश्य से, हाल ही में 'न्यूज़क्लिक पर दर्ज एफआईआर' में किसानों के संघर्ष के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए हैं। किसानों के संघर्ष को राष्ट्र-विरोधी, विदेशी और आतंकवादी ताकतों द्वारा वित्त पोषित बताया गया है। एसकेएम ऐसे निराधार आरोपों का पुरजोर खंडन करता है और इसे भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर और मीडिया पर हमला मानता है। हम दृढ़तापूर्वक यह आरोप लगाते हैं कि केंद्र सरकार की कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ किसी भी प्रकार के जन प्रतिरोध को कमजोर करने के लिए उच्च स्तरीय साजिश की जा रही है।
नौकरशाहों पर की जाए कड़ी कार्रवाई
हम केंद्र सरकार को प्रतिशोध की किसी भी कार्रवाई से दूर रहने और एसकेएम के साथ लिखित आश्वासनों का उल्लंघन न करने का निर्देश देने के लिए भारत के राष्ट्रपति से हस्तक्षेप का अनुरोध करते हैं। हम आपसे केंद्र सरकार को उन नौकरशाहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश देने का आग्रह करते हैं, जिन्होंने प्रतिशोध की भावना से काम किया है और किसान कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामलों में हेरफेर करने की साजिश रची है।
इन लोगों ने मिलकर सौंपा ज्ञापन
राजे प्रधान पवन खटाना, रॉबिन नागर, बेली भाटी, सुनील प्रधान, अनित कसाना, अमित डेढा, भगत सिंह, तुगलपुर, जरीफ, शरीफ, इंद्रीश तुगलपुर, विनोद पंडित, श्रीचंद तवर, अजीत गैराठी, पवन नागर, अजीपाल नंबरदार, योगेश, संदीप खटाना, शमशाद सैफी, पिनटु खली, रामनिवास, अवधेश, प्रेमपाल, बोबी, महेश चपराना, अमन संदीप चपराना, राजू चौहान, ललित चौहान, सोनू मंगरौली, भूषण छपरौली, बिननू भाटी, धर्मपाल सवामी, लाला यादव, सुभाष सिलारपुर आदि सैकड़ो किसानों की मौजूदगी में ज्ञापन सौंपा गया।
देश में आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह से बदलने जा रही है। जिसकी औपचारिक घोषणा केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके कर दी है। अब देश में IPC की जगह अधिसूचित किए गए तीन नए कानून - भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू होंगे। तीनों कानूनों को पिछले साल 21 दिसंबर 2023 को संसद की मंजूरी मिल गई थी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी 25 दिसंबर 2023 को अपनी सहमति दे दी थी।
नए कानूनों के प्रावधान एक जुलाई से होंगे लागू
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी तीन अधिसूचनाओं के अनुसार, नए कानूनों के प्रावधान एक जुलाई से लागू होंगे। ये कानून औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। तीनों कानूनों का उद्देश्य विभिन्न अपराधों को परिभाषित कर उनके लिए सजा तय कर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है। भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 1860 के भारतीय दंड संहिता (IPC), 1973 के दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEC) का स्थान नए कानून लेंगे।
नए कानून से आपराधिक कानूनों के प्रमुख पहलुओं में सुधार होगा
आईपीसी की जगह लेने के लिए तैयार बीएनएस ने बदलते समय को देखते हुए आपराधिक कानूनों के प्रमुख पहलुओं में सुधार किया है। जिसमें छोटी चोरी के लिए सजा के रूप में 'सामुदायिक सेवा' और लिंग की परिभाषा में ट्रांसजेंडर को शामिल करना शामिल है। साथ ही न्याय संहिता में संगठित अपराध, आतंकवादी कृत्य, मॉब लिंचिंग, हिट-एंड-रन, धोखे से किसी महिला का यौन शोषण, छीनना, भारत के बाहर उकसाना, भारत की संप्रभुता, अखंडता और एकता को खतरे में डालने वाले कृत्य और झूठी या फर्जी खबरों का प्रकाशन जैसे 20 नए अपराध भी शामिल हैं।
आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर जहां सियासी माहौल गरमाया हुआ है तो वहीं एक और खबर से इस माहौल में हलचल मच गई है। जी हां लोकसभा चुनावों से पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वहीं अरुण गोयल के इस्तीफे को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंजूर कर लिया है। अरुण गोयल के इस्तीफे को कानून और न्याय मंत्रालय ने नोटिस जारी किया है। आपको बता दें कि आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है।
2022 में गोयल की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर मचा था बवाल
1985 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी रहे अरुण गोयल ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और इसके अगले ही दिन उनको चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया था। इस नियुक्ति को लेकर विवाद हुआ और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि आखिरकार इस बात की इतनी जल्दी क्यों थी कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के अगले ही दिन उनको चुनाव आयुक्त बना दिया गया? मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया तय करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने गोयल की नियुक्ति को रद्द तो नहीं किया, लेकिन कहा था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक पैनल करेगा, जिसमें प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सीजेआई होंगे। आपको बता दें कि अरुण गोयल चुनाव आयोग में दूसरे शीर्ष अधिकारी थे और उनका कार्यकाल 2027 तक था। तीन सदस्यीय चुनाव आयोग में एक पद पहले से रिक्त है। गोयल के इस्तीफे के बाद आयोग में अब सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार बचे हैं।
कोर्ट के आदेश पर बना था नया कानून
इस आदेश के बाद सरकार एक कानून लेकर आई। इस कानून के तहत नियुक्ति पैनल से सीजेआई को बाहर कर दिया गया। नए कानून के मुताबिक, पैनल में प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष के अलावा प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक मंत्री को शामिल किया गया है।
देश में एक बार फिर एनडीए की सरकार सत्ता में बैठने वाली है। जिसको लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इसी के तहत शुक्रवार को नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति भवन पहुंचे। जहां उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया। पीएम मोदी ने राष्ट्रपति को एनडीए सांसदों के समर्थन वाला पत्र सौंपा। इसके बाद मुर्मू ने उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नरेंद्र मोदी को दही-चीनी खिलाई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मोदी को ‘दही-चीनी’ इसलिए खिलाई क्योंकि उन्होंने मोदी को केंद्र में सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। इसके साथ ही मुर्मू ने शपथ ग्रहण समारोह से पहले मोदी को अपनी शुभकामनाएं भी दीं। वहीं इसकी तस्वीरें जैसे ही बाहर आईं, सोशल मीडिया में वायरल हो गईं। तमाम लोग इसे परंपराओं से जोड़ने लगे, तो कुछ ने कहा-पहली बार इस तरह की तस्वीर राष्ट्रपति भवन से सामने आई है। आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी 9 जून यानी रविवार को शाम 6 बजे तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।
हिंदू धर्मशास्त्रों में दही-चीनी का महत्व
हिंदू धर्मशास्त्रों में दही-चीनी का महत्व विस्तार से बताया गया है लेकिन इसका साइंटिफिक महत्व भी है। विज्ञान की मानें तो दही में कई सारे गुण भी होते हैं। इसमें अगर थोड़ी सी चीनी मिल जाए तो उसके गुण दोगुने हो जाते हैं। दही में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है, इससे हड्डियां मजबूत होती हैं। इसके अलावा दही और चीनी का सेवन करने से हमारे शरीर को तुरंत ग्लूकोज मिलता है और पूरे दिन शरीर ऊर्जावान रहता है। दही और चीनी खाने से मानसिक शांति का अनुभव भी होता है। धर्माचार्य कहते हैं कि दही चंद्रमा का स्वरूप होता है। दही खाकर घर से बाहर जाने वाले लोगों की जो उद्देश्य या मनोकामना होती है, वह सीधे चंद्रमा तक पहुंचती है। उसमें काफी हद तक सफलता मिलने की संभावना बन जाती है।
9 जून को होगा शपथ ग्रहण समारोह
राष्ट्रपति भवन से निकलने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि आज सुबह एनडीए की बैठक हुई। जिसमें गठबंधन के मित्रों ने मुझे इस जिम्मेदारी के लिए चुना है। एनडीए के सभी सहयोगियों ने राष्ट्रपति को इस बारे में सूचित किया और राष्ट्रपति ने मुझे फोन करके प्रधानमंत्री पद के लिए मनोनीत किया। उन्होंने मुझे शपथ ग्रहण समारोह और कैबिनेट मंत्रियों की सूची के बारे में बताया। मैंने उन्हें बताया है कि 9 जून की शाम हमारे लिए उपयुक्त होगी।
लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को इस्तीफा दे दिया है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में आज केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद नरेंद्र मोदी ने इस्तीफा दिया है। प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया ने एक्स पर तस्वीर शेयर करके इसकी जानकारी दी। राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और साथ ही उन्हें कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहने को कहा है।
एक्स पर दी जानकारी
राष्ट्रपति के आधिकारिक एक्स हैंडल से ट्वीट कर कहा गया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद के साथ अपना इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया और प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिपरिषद से नई सरकार बनने तक पद पर बने रहने का अनुरोध किया।"
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद सौंपा त्यागपत्र
आपको बता दें, पीएम मोदी की अध्यक्षता में आज केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक की शुरुआत सुबह 11.30 बजे हुई, जिसमें चुनावी नतीजों की समीक्षा करने के साथ ही सरकार गठन की संभावित रूपरेखा पर विचार विमर्श किया गया। समाचार एजेंसी पीटीआई के सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिमंडल ने मौजूदा लोकसभा को भंग करने की सिफारिश की। इस पर गहन चर्चा के बाद ही पीएम मोदी राष्ट्रपति भवन पहुंचे और त्यागपत्र दिया
बहुमत ने मिलने से बिगड़ी बात
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को 294 सीटों के साथ बहुमत मिला है। ऐसे में एनडीए की सरकार बनने की प्रबल संभावना है। लेकिन बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है। सबसे ज्यादा चर्चा बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू चीफ नीतीश कुमार और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को लेकर हो रही है।
आज दिल्ली में है अहम बैठक
आपको बता दें, दिल्ली में बुधवार को एनडीए की बैठक है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए इसके सभी सहयोगी दलों के प्रमुख नेता पहुंच रहे हैं। नीतीश कुमार भी दिल्ली पहुंच चुके हैं और चंद्रबाबू नायडू भी पहुंचने वाले हैं। इस बैठक में सरकार बनाने और आगे की रणनीति की बैठक पर चर्चा होने वाली है। हालांकि दो बार की विजेता बीजेपी पूरी तरह से आश्वस्त है कि सरकार बनने वाली है। इस वजह से ही 7 जून को संसद भवन में एनडीए के सभी सांसदों की बैठक बुलाई गई है।
लोकसभा चुनावों के छठे चरण की वोटिंग आज शाम 6 बजे खत्म हो गई है। इस चरण में 7 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश की 58 सीटों पर वोटिंग हुई। उत्तर प्रदेश में छठे चरण की 14 लोकसभा सीटों के लिए 162 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे। छठे चरण में यूपी की सुलतानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संत कबीर नगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर व भदोही सीट पर मतदान हुआ। चुनाव आयोग के मुताबिक 58 सीटों पर शाम 7 बजे तक 58.82 फीसदी वोटिंग हुई है। सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में 78.19 फीसदी और सबसे कम जम्मू-कश्मीर में 51.41 प्रतिशत मतदान हुआ। अब 1 जून को आखिरी 56 सीटों पर वोटिंग होगी।
छठे चरण में कुल 58.82 प्रतिशत वोटिंग
इस चरण में कुल 58.82 प्रतिशत वोटिंग हुई। जिसमें से हरियाणा में 58.24 प्रतिशत, बिहार में 52.81 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 51.97 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 54.02 प्रतिशत, झारखंड में 62.39 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 78.19 प्रतिशत, ओडिशा में 59.92 प्रतिशत और दिल्ली में 54.37 मतदान हुआ। जिसमें सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में 78.19% और सबसे कम जम्मू-कश्मीर में 51.41% मतदान हुआ।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी किया मताधिकार का प्रयोग
इस चरण में सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की कुल 58 सीटों पर मतदान हुए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, सांसद गौतम गंभीर, नई दिल्ली सीट से भाजपा उम्मीदवार बांसुरी स्वराज समेत कई दिग्गजों ने सुबह-सुबह मतदान किया। रॉबर्ट वाड्रा और प्रियंका गांधी के बच्चों मिराया वाड्रा और बेटे रेहान वाड्रा ने भी मतदान किया। छठे फेज में मनोज तिवारी, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, महबूबा मुफ्ती, मनोहर लाल खट्टर, कन्हैया कुमार और बांसुरी स्वराज की साख दांव पर है। इस चरण में दिल्ली की सभी सात सीटें, बिहार की आठ, झारखंड की चार, ओडिशा की छह, हरियाणा की सभी 10 सीटें, उत्तर प्रदेश की 14 और पश्चिम बंगाल की 8 सीटों पर वोटिंग हुई। जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी सीट पर तीसरे फेज में चुनाव स्थगित कर दिया गया था, इस सीट पर भी आज मतदान हुआ। दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रही है, जहां सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
New Delhi: एनडीए की तीसरी बार सरकार बनने के बाद पहले सत्र की शुरुआत हो गई है। यह सत्र 3 जुलाई तक चलेगी। पहले दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब ने 18वीं लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर की शपथ दिलाई।
जनता ने सरकार की नियत पर मुहर लगाई
वहीं, 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज का दिन गौरवमयी है। पहली बार नए संसद भवन में शपथग्रहण होगा। उन्होंने कहा कि इतिहास में ऐसा दूसरी बार है कि जनता ने किसी सरकार को लगातार तीसरी बार शासन करने का अवसर दिया है। ये मौका 60 साल बाद आया है। अगर जनता ने ऐसा फैसला किया है तो उसने सरकार नियत पर मुहर लगाई है। उसकी नीतियों पर मुहर लगाई है। सरकार चलाने के लिए बहुमत जरूरी है, लेकिन देश चलाने के लिए आम सहमति जरूरी है।'
नई गति को प्राप्त करने का अवसर
पीएम मोदी ने कहा कि 18वीं लोकसभा नए संकल्पों के साथ काम करेगी. यह नई उमंग, नए उत्साह और नई गति को प्राप्त करने का अवसर है. विश्व का सबसे बड़ा चुनाव बहुत ही शानदार और गौरवमय तरीके से संपन्न हुआ है. यह 140 करोड़ भारतवासियों के लिए गर्व की बात है।'
28 जून को राष्ट्रपति का होगा अभिभाषण
बता दें कि राष्ट्रपति मुर्मू बृहस्पतिवार 27 जून को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी। इस दौरान वह नई सरकार की पांच साल की योजनाओं और प्राथमिकताओं को सामने रखेंगी। 28 जून और 1 जुलाई को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा होगी। 2 जुलाई को लोकसभा और 3 जुलाई को राज्यसभा में प्रधानमंत्री चर्चा का जवाब देंगे। इसके 22 जुलाई से फिर सत्र आरंभ होगा, जिसमें केंद्रीय बजट पेश किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ अपना नया झंडा और प्रतीक मिल गया है। सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने समापन सत्र के दौरान न्यायालय के नए ध्वज और प्रतीक चिन्ह का अनावरण किया। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण समय पर पेश किया गया नया प्रतीक चिन्ह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के न्यायिक प्रहरी के रूप में स्थायी विरासत का प्रतीक है।
इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने भारतीय न्यायशास्त्र को आकार देने में सर्वोच्च न्यायालय की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। राष्ट्रपति मुर्मू ने नए आपराधिक न्याय कानूनों की परिवर्तनकारी क्षमता के बारे में आशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ये सुधार न्याय के एक नए युग की शुरुआत करेंगे। देश के लोकतांत्रिक ढांचे में न्यायपालिका की भूमिका मजबूत होगी।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में न्यायपालिका की सराहना करते हुए कहा कि जनता अक्सर न्यायाधीशों को ईश्वरीय न्याय के रूप में मानती है। जिन्हें धर्म, सत्य और निष्पक्षता को बनाए रखने का काम सौंपा गया है। उन्होंने प्रत्येक न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारी की महत्वपूर्ण नैतिक जिम्मेदारी पर जोर दिया। राष्ट्रपति मुर्मू ने उन्होंने न्याय को अधिक सुलभ बनाने के लिए अभिनव दृष्टिकोणों का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषाओं और संदर्भों में न्यायिक कार्यवाही न्याय को लोगों के करीब लाएगी।
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