युवाओं को नशे के चंगुल में फंसाने वालों को नोएडा पुलिस ने दबोचा, करोड़ों की ई-सिगरेट बरामद, क्या है ये 'बला' ?

देश हर क्षेत्र में लगातार तरक्की कर रहा है। तो वहीं ड्रग्स और नशे के क्षेत्र में तरक्की हो रही है। पहले लोग सिगरेट, पान मसाला, बीड़ी का ही नशा करते थे। फिर कोकीन, चरस, गांजा और भी मादक पदार्थ आ गये। मगर ये खुलेआम बेचना या रखना प्रतिबंधित है। देखा जाए तो लोगों की तरक्की के साथ ही नशे का कारोबार भी फल-फूल रहा है। अब मार्केट में ई-सिगरेट आ गई है जो कि प्रतिबंधित है। वहीं इसी कड़ी में नोएडा पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। नोएडा सेक्टर-20 कोतवाली पुलिस ने अंतर्राज्यीय नशा तस्कर गिरोह का पर्दाफाश किया है। 3 तस्करों को गिरफ्तार करके उनकी निशानदेही पर करोड़ों की प्रतिबंधित ई-सिगरेट भी बरामद की गई हैं। पुलिस ने एक करोड़ रुपये की 2500 प्रतिबंधित ई-सिगरेट बरामद की हैं, जो नेपाल से भारत आईं और अलग-अलग इलाकों में डिलीवर की जानी थीं, लेकिन सप्लाई जाने से पहले पुलिस को हाथ लग गईं। वहीं अब पुलिस को गिरोह के सरगना की तलाश है। मामले में पहले से गिरफ्तार 2 तस्करों की निशानदेही पर एक्शन लिया गया, जिन्हें नोएडा सेक्टर-39 की कोतवाली पुलिस ने दबोचा था। इन्हें मुखबिर की सूचना पर सेक्टर 41-42 के चौक से दबोचा गया था। यह दोनों ई-सिगरेट की खेप लेकर रोहिणी दिल्ली जा रहे थे, लेकिन पुलिस के हाथ लग गए।

दिल्ली-NCR में 6 से 8 हजार रुपये में बिकती है ई-सिगरेट
नोएडा जोन के DCP विद्यासागर मिश्र ने मामले की पुष्टि की और बताया कि प्रतिबंधित ई-सिगरेट नेपाल से भारत पहुंचाई गई है। गिरोह का सरगना रिंकू नेपाल में रहता है और वहां से ई-सिगरेट भारत में सप्लाई करता है। नशा तस्कर कभी वाया रोड तो कभी फ्लाइट के जरिए ई-सिगरेट लेकर नेपाल से भारत आते हैं। ई-सिगरेट पहले चीन से नेपाल मंगवाई जाती है और वहां से भारत में सप्लाई की जाती है। फिर ई-सिगरेट को नाइट बार, क्लब, कॉलेज-यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स तक पहुंचाया जाता है। पुलिस की जांच के अनुसार, ई-सिगरेट 4 से 8 हजार रुपये में मिल जाती है। नशा तस्कर इसे नेपाल से ढाई से 4 हजार रुपये में खरीदकर लाते हैं। दिल्ली-NCR में इसे 6 से 8 हजार रुपये में बेचा जाता है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत और खटीमा के रास्ते ई-सिगरेट दिल्ली-NCR में लाई जाती है।

क्या है ई-सिगरेट?
ई-सिगरेट इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। इसे इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलिवरी सिस्टम डिवाइस कहते हैं। इसे बैटरी से चलाया जाता है और इसके जरिए शरीर को निकोटिन मिलता है। इसमें सामान्य सिगरेट की तरह तंबाकू नहीं होता और न ही इसे माचिस-लाइटर से जलाया जाता है, लेकिन इसे पीने पर धुंआ निकलता है। हर ई-सिगरेट से धुंआ नहीं निकलता। ई-सिगरेट में कार्टेज होती है, जिसमें लिक्विड निकोटिन भरते हैं। खाली होने पर इसे दोबारा फिल किया जा सकता है। ई-सिगरेट में एक LED बल्ब होता है। कश लगाने पर यह बल्ब जलता है और लिक्विड निकोटिन गर्म होकर भाप बनता है। इसी भाप को कश लगाने वाला धुंए की तरह खींचता है।

By Super Admin | June 14, 2024 | 0 Comments

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