Navratri Special: देवी मां का ऐसा सच्चा दरबार, जहां बनते हैं सारे बिगड़े काम, अंबानी फैमिली ही नहीं क्रिकेटर भी करते हैं झुककर प्रणाम

नवरात्रि का पावन महीना चल रहा है इस बीच देश में कई ऐसे मंदिर है. जहां की मान्यता अलग-अलग है लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है जहां पहुंचते ही आपके मन की हर मनोकामना तो पूरी होगी ही, साथ ही एक झटके में सारी समस्याओं का मां ऐसा निदान करेगी जिसके बारे में आपने सपने में भी नहीं सोचा होगा, जिस मंदिर में अंबानी से लेकर नेता-अभिनेता भी पहुंचकर करते हैं बारंबार प्रणाम है. उस सच्चे दरबार के बारे में जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान. ये मंदिर कोई दूर नहीं बल्कि यूपी से सटे एमपी में है जहां अंबानी परिवार भी दर्शन के लिए पहुंचता है. मोदी हो योगी हो या फिर दिग्गज क्रिकेटर हर कोई माता के इस दरबार में पहुंचता है दावा किया जाता है कि इंडिया चीन का जब वॉर छिड़ा था तब इसी मंदिर में यज्ञ किया गया था, जिसके बारे में आगे सब बताएंगे लेकिन उससे पहले आपको बता दें इस मंदिर में राज सत्ता की देवी विराजमान है. जहां मां का आशीर्वाद लेने के लिए बड़े-बड़े राजनेता आते हैं. देवी मां के आशीर्वाद से भक्तों की किस्मत चमक उठती है. मां के दरबार में आम से लेकर खास श्रद्धालु आकर अपना शीश झुकाते हैं.

एमपी के दतिया में है मां पीतांबरा का दरबार
देवी मां का ये खास दरबार एमपी के दतिया में है. जिसे पीतांबरा धाम के नाम से भी जाना जाता है. यहां तंत्र साधना की देवी मां पीतांबरा विराजमान हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो मंदिर की अपनी खास विशेषता भी है. मंदिर परिसर में कई ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर बने हुए हैं. बता दें देवी मां का ये पवित्र धाम दतिया रेलवे स्टेशन से 3 किलोमीटर की दूरी पर है. वहीं पवित्र पीतांबरा धाम झांसी से महज 29 किलोमीटर की दूरी पर है. देश के सबसे अमीर परिवार के सदस्य अनंत अंबानी भी देवी मां के भक्त हैं और वो भी यहां आ चुके हैं.

1935 में हुई थी मां पीतांबरा के विग्रह की स्थापना
बताया जाता है कि दतिया शहर में बना विश्व प्रसिद्ध देवी तांत्रिक शक्तिपीठ मां पीतांबरा के मंदिर की स्थापना 1935 में की गई थी. कहा जाता है कि जिस स्थान पर मंदिर बनाया गया, कभी यहां श्मशान हुआ करता था. साल 1929 में दतिया में एक सिद्ध संत आए. उन्हें लोग श्री स्वामी जी महाराज कहते थे. वो बचपन से ही संयासी थे लेकिन वो कहां से आए और उनका नाम क्या था इसके बारे में किसी को पता नहीं था. 1935 में श्री स्वामी जी महाराज ने दतिया के राजा शत्रुजीत सिंह बुंदेला के सहयोग से देवी मां पीतांबरा के विग्रह की स्थापना कराई थी. देवी मां के आशीर्वाद से यहां आने वाले भक्तों को लाभ मिलता है. देवी मां के स्वरूप को रक्षात्मक माना जाता है. इसके साथ एक ऐतिहासिक सच भी जुड़ा हुआ है.

पीतांबरा पीठ का तंत्र साधना में काफी खास महत्व
खबरों की मानें तो साल 1962 में जब चीन ने भारत पर हमला किया उस दौरान मंदिर के पीठाधीश्वर श्री स्वामी जी महाराज ने राष्ट्र रक्षा के लिए एक बड़ा यज्ञ यहां आयोजित किया था. माना जाता है पीतांबरा धाम पर राष्ट्रहित में एक 51 कुंडीय महायज्ञ किया गया था. सिद्ध पंडितों और तांत्रिकों ने यज्ञ प्रारंभ किया. यज्ञ के नौंवे दिन ही चीन की सेना देश से वापस चली गई थी. मंदिर प्रांगण में आज भी वो यज्ञशाला बनी हुई है. 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी यहां गुप्त रूप से साधानाएं की गईं. इतना ही नहीं मान्यता तो ये भी है कि पीतांबरा पीठ का तंत्र साधना में काफी खास महत्व है. मां पीतांबरा को कई नाम से जाना जाता है. इन्हें स्थम्भन की देवी, शत्रुहनता, राज सत्ता की देवी और स्वरूप रक्षात्मक माना जाता है.

अनंत अंबानी से लेकर गौतम गंभीर तक नवाते हैं मां के आगे शीश
मां पीतांबरा के दरबार में बड़ी संख्या में राजनेता पूजा अर्चना करने आते हैं. देश के बड़े उद्योगपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी शादी से पहले पीतांबरा मंदिर पर दर्शन के लिए आए थे. देवी मां पीतांबरा मंदिर का देश में प्रमुख स्थान है. आपको बता दें हाल ही में टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर ने भी इस मां के मंदिर में पूजा की थी, उन्होंने इस दौरान पीला कुर्ता पहन रखा था. इसके साथ ही उन्होंने भगवान वनखंडेश्वर महादेव का जलाभिषेक भी किया. आपको बता दें यहां मां के दर्शन के लिए कोई दरबार नहीं सजाया जाता बल्कि एक छोटी सी खिड़की है, जिससे मां के दर्शन का सौभाग्‍य भक्तों को मिलता है.

By Super Admin | October 04, 2024 | 0 Comments

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