उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। ये झटका इसलिए ज्यादा अहम माना जा रहा है क्योंकि कोर्ट ने ये झटका मुख्तार अंसारी को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले दिया है। दरअसल वाराणसी के विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) अवनीश गौतम की कोर्ट ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को फर्जी ढंग से शस्त्र लाइसेंस लेने का मामले में आजीवन कारावास और 2.20 लाख की सजा सुनाई है।
कोर्ट से की गई थी राहत देने की अपीलः अधिवक्ता
वहीं मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि जब यह मामला दर्ज हुआ उस समय मुख्तार अंसारी की उम्र 20 से 22 साल थी। इसके अलावा उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था और ना ही कोई राजनीतिक बैकग्राउंड था। ऐसे में अपने क्लाइंट मुख्तार अंसारी को राहत देने की कोर्ट से अपील की गई थी।
36 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में हुई सजा
36 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में मुख्तार अंसारी को वाराणसी की MP/MLA कोर्ट द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाए जाने पर उत्तर प्रदेश DGP प्रशांत कुमार ने कहा "कि उत्तर प्रदेश पुलिस का सभी माफियाओं के ख़िलाफ़ अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक कि इन सबके साम्राज्य को ध्वस्त न कर दिया जाए। पुलिस विभाग राज्य में निवेश हेतु अनुकूल माहौल तैयार करने के लिए संकल्पित है।"
उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की अचानक तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उनको देर रात बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। वहीं माफिया मुख्तार अंसारी की तबियत बिगड़ने पर उनके भाई अफजाल अंसारी ने एक बड़ा बयान दिया है। अफजाल अंसारी ने अपने भाई को लेकर चौंकाने वाला दावा किया है।
खाने में जहरीला पदार्थ मिलाकर दिया गया- अफजाल
माफिया मुख्तार के भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी ने अपने भाई के स्वास्थ्य को लेकर कहा 'कि मैं उनसे 5 मिनट के लिए मिला। वह होश में हैं। उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें खाने में कुछ जहरीला पदार्थ मिलाकर दिया गया था। ऐसा दूसरी बार हुआ है। वहां एक सर्जन और उनके दो सहकर्मी हैं, और वे उनकी देखभाल कर रहे हैं।'
जिला और जेल प्रशासन ने मुख्तार की हालत की जानकारी नहीं दी
मुख्तार की सेहत को लेकर अफजाल ने आगे कहा 'कि अगर वे उन्हें सही इलाज देने में असमर्थ हैं, तो उन्हें अभी भी समय रहते उन्हें रेफर करना चाहिए। मैंने उनसे इस बारे में अनुरोध किया है और मुझे लगता है कि अगर डॉक्टर इलाज करने में स्वतंत्र है, तो वह अपने कर्तव्य का पालन करें।' वहीं गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी ने यह भी दावा किया कि जिला प्रशासन और जेल प्रशासन ने मुख्तार की हालत की जानकारी नहीं दी। इसके साथ अफजाल ने यह भी बताया 'कि उन्होंने मुख्तार के इलाज को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में भी फोन किया था।'
बांदा जेल में बंद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है। मुख्तार को जेल में हार्ट अटैक आने ने बाद मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। हालत गंभीर होने के बाद उसे पहले आईसीयू में फिर सीसीयू में भर्ती कराया गया था। वहीं मुख्तार अंसारी की मौत से जुड़ी खबर आने के बाद मऊ और गाज़ीपुर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। आपको बता दें कि जेल में बेहोश होने के बाद मुख्तार अंसारी को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 9 डॉक्टरों की टीम लगातार उसकी सेहत पर नजर बनाए हुई थी लेकिन उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा था।
मुख्तार अंसारी को रात करीब नौ बजे दिल का दौरा पड़ा
मुख्तार अंसारी को रात करीब नौ बजे दिल का दौरा पड़ा था और वो बेहोश हो गया था. इसके बाद उसे आनन-फानन में तुरंत मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. ये खबर आने के बाद मुख्तार का परिवार गाजीपुर से बांदा के लिए निकल गया है. मामले की गंभीरता को देखते बांदा जेल की भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है. मुख्तार अंसारी के वकील रणधीर सिंह ने दावा किया है कि मुख्तार अंसारी से किसी को भी मिलने नहीं दिया जा रहा था.
कोर्ट में जहर देने को लेकर दिया जा चुका प्रार्थना पत्र
इससे पहले मंगलवार को रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. उसे स्टूल सिस्टम की परेशानी हो थी. रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में उसे 14 घंटे तक आईसीयू में रखकर इलाज किया गया था. बता दें कि मुख्तार ने कुछ दिन पहले ही कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया था कि उसे धीमा जहर दिया जा रहा है.
मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए ले जाया गया. यहां इलाज के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. मुख्तार अंसारी की मौत के बाद प्रदेश भर में पुलिस अलर्ट मोड में आ गई है. गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के खिलाफ करीब 65 केस दर्ज हैं.
ताजी मछलियां खाने के लिए जेल में ही तालाब खुदवा दिया
यूपी की जेलों में मुख्तार के रुआब का एक नमूना गाजीपुर जेल का किस्सा है। 2005 में मऊ में हिंसा भड़कने के बाद मुख्तार अंसारी ने सरेंडर किया था। उसे गाजीपुर जेल में रखा गया। मुख्तार तब विधायक था। उसने ताजी मछलियां खाने के लिए जेल में ही तालाब खुदवा दिया था। राज्यसभा सांसद और पूर्व डीजीपी बृजलाल ने भी इस बात को माना था। मुख्तार तब गाजीपुर जेल में डीएम समेत बड़े अधिकारियों के साथ बैडमिंटन खेला करता था।
Lucknow: माफिया मुख्तार अंसारी की बांदा में हार्ट अटैक से मौत के बाद रात में ही यूपी में अलर्ट जारी हो गया था। वहीं देर रात मुख्तार का परिवार बांदा पहुंचा। जिनकी देखरेख में सुबह पोस्टमार्टम हुआ। वहीं, मुख्तार अंसारी की मौत पर छोटे बेटे उमर अंसारी ने कई सवाल खड़े किए हैं. मीडिया से बातचीत में उमर ने कहा कि आईसीयू के बाद पिता को सीधे तन्हाई बैरक में डाल दिया था। पिता ने उन्हें फोन पर अपनी खराब हालत के बारे में बताया था।
प्रशासन ने नहीं दी मौत की जानकारी
उमर अंसारी ने कहा कि प्रशासन से आधिकारिक रूप से पिता की मौत की जानकारी नहीं दी गई। हकीकत पूरा देश जान चुका है। मैं दो दिन पहले पिता को देखने आया था लेकिन मुझे रोक दिया गया। 19 मार्च को खाने में उन्हें जहर दिया गया था। जिसकी उन्होंने न्यायालय में इसकी शिकायत भी की थी।
हॉस्पिटल से सीधा तन्हाई बैरक में डाल दिया
उमर अंसारी ने कहा कि वे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करेंगे। न्याय पालिका पर पूरा विश्वास है. जो व्यक्ति अपनी मुट्ठी भी बंद न कर पाता हो, जो शख्स इतना कमजोर हो कि उसे जेल प्रशासन खुद लेकर आईसीयू आता हो, उसको फिट बताकर दोबारा जेल भेज दिया जाए, यह कैसे उचित है? उमर ने कहा कि पिता को आईसीयू से आने के 14 घंटे बाद सीधे तन्हाई बैरक में भेज दिया दिया। दो दिन कैसे रात बिताई होगी ये मैं सोच सकता हूं. उन्होंने मुझे 3 बजे फोन कर बताया कि वह चलने लायक भी नहीं हैं।
Mukhtar Ansari Death News: बांदा जेल में बंद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की कार्डियक अरेस्ट के चलते गुरुवार को मौत हो गई. इसी बीच अब मुख्तार और उनके छोटे बेटे उमर अंसारी की आखिरी बातचीत का ऑडियो सामने आया है. जिसमें उन्होंने बेटे से स्वास्थ्य को लेकर शिकायत की है. मुख्तार अंसारी काफी कमजोर होने के कारफ उनकी आवाज ठीक से सुनाई नहीं दे रही हैं. लेकिन हां ऑडियो में जहर दिए जाने की बात हो रही है, जिसपर उनका बेटे उन्हें दिलासा दे रहा है और कहा रहा है कि रमजान के महीना है अल्लाह सब ठीक करेगा.
आखिरी कॉल का पूरा ब्योरा
उमर अंसारी: पापा, आप ठीक हैं?
मुख्तार अंसारी: हां बाबू, हम ठीक हैं.
उमर अंसारी: बस अल्लाह ने बचा लिया.. रमजान का पाक महीना चल रहा है.
मुख्तार अंसारी: बेहोशी टाइप हो जा रहे हैं. कमजोरी लग रही है.
उमर अंसारी: मैंने देखा न्यूज में आप कमजोर हो गए हैं. हम कोर्ट में हैं. मुलाकात की परमिशन करवा रहे हैं. दरोगा अंकल भी करवारहे हैं. अगर परमिशन मिली तो मिलने आएंगे.
मुख्तार अंसारी: हम बैठ नहीं पा रहे हैं. हम उठ नहीं पा रहे हैं.
उमर अंसारी: जहर का असर दिख रहा है. सब जहर का असर है. हिम्मत कर पापा फोन कर लिया कीजिए. आपकी आवाज सुनकर अच्छा लगा.
मुख्तार अंसारी: हां बाबू, बॉडी चली जाती है… रूह रह जाती है.
उमर अंसारी: हिम्मत रखिए… अभी हज करना है… कोई और रहता तो मर गया होता अब तक.
मुख्तार अंसारी: हम खड़े नहीं हो पा रहे हैं. व्हीलचेयर के सहारे हूं.
उमर अंसारी: जल्द आप सेहतमंद होंगे.
मुख्तार अंसारी: आज आए थे तो बेहोश हो गए थे.
उमर अंसारी: वॉशरूम जा रहे हैं या नहीं आप?
मुख्तार अंसारी: दस दिन से वॉशरूम नहीं हो पा रहा है.
उमर अंसारी: मैं आपके लिए जमजम लेकर आऊंगा.. खजूर लेकर आऊंगा… फल लेकर आऊंगा.
उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की बीती रात मौत हो गई है। माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी को गुरुवार की रात तबीयत बिगड़ने के बाद जिला जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। यहां दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई। मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उत्तर प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। सीएम योगी ने भी पुलिस प्रशासन को निर्देश दिया है कि प्रदेश का माहौल खराब न होने पाए। फिलहाल मुख्तार अंसारी का शव गाजीपुर के लिए रवाना हो गया है। देर रात तक मुख्तार का शव गाजीपुर पहुंचेगा।
मुख्तार के शव के काफिले में पुलिस की 24 गाड़ियां
मुख्तार अंसारी के शव को लेकर जा रहे काफिले में मुख्तार के वकील नसीम हैदर भी हैं. उन्होंने बताया था कि मुख्तार अंसारी का शव उसके छोटे बेटे उमर अंसारी, बहू निकहत अंसारी और दो चचेरे भाइयों के सुपुर्द किया गया. उन्होंने कहा कि शव के साथ एंबुलेंस में उमर अंसारी, निकहत अंसारी और दोनों चचेरे भाई बैठे हैं. सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस अधिकारियों की 24 गाड़ियां काफिले में हैं और दो गाड़ियां अंसारी के परिवार की हैं.
पिता के मौत की खबर मिलने पर फूट-फूट कर रोया अब्बास
वहीं जब मुख्तार अंसारी की मौत की जानकारी कासगंज जेल में बंद बेटे अब्बास अंसारी को दी गई तो अब्बास अंसारी फूट-फूट कर रोने लगा। आपको बता दें कि 14 फरवरी 2023 को अब्बास अंसारी को चित्रकूट जेल से कासगंज शिफ्ट किया गया था।
अंसारी परिवार को इलाहाबाद HC से नहीं मिली राहत
मुख्तार अंसारी के परिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली. अंसारी परिवार जेल में बंद विधायक बेटे अब्बास अंसारी को मुख्तार अंसारी के जनाजे में शामिल कराना चाहता था. इसके लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अर्जी मेंशन की जानी थी. मुख्तार अंसारी के परिवार की अर्जी एमपी-एमएलए से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली जस्टिस संजय कुमार सिंह की बेंच में मेंशन होनी थी. यह बेंच आज नहीं बैठी और इसके मुकदमे जस्टिस समित गोपाल की बेंच में ट्रांसफर कर दिए गए.जस्टिस समित गोपाल की बेंच ने दूसरी बेंच से आए किसी भी मुकदमे को सुनने से इनकार कर दिया. इस वजह से मुख्तार अंसारी के परिवार की अर्जी हाईकोर्ट में मेंशन नहीं हो सकी है. अंसारी परिवार अब सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करने की तैयारी में जुट गया है. वहीं वकील इस कोशिश में भी जुटे हैं कि मामला चीफ जस्टिस के यहां मेंशन हो जाए और चीफ जस्टिस किसी बेंच को सुनवाई के लिए नॉमिनेट कर दे. हालांकि मुख्तार के अंतिम संस्कार में अब्बास अंसारी के शामिल होने की उम्मीद बेहद कम है।
सुरक्षा के मद्देनजर मुख्तार अंसारी के घर के आगे की गई बैरिकेटिंग
गाजीपुर के मुहम्मदाबाद में मुख्तार अंसारी के घर के आगे बैरिकेटिंग कर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. बांदा से शव यहां लाया जा रहा है लेकिन 8-9 घंटे लगेंगे. 400 किलोमीटर की दूरी है. भारी संख्या में मुख्तार के समर्थक यहां खड़े हैं. मुख्तार को गरीबों का मसीहा बता रहे हैं. उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं यह कहते हुए की उनको जहर देकर मारा गया.
काली बाग कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक होगा मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी के शव को गाजीपुर जिले के मोहम्दाबाद यूसुफपुर स्थित उसके पैतृक निवास ले जाया जा रहा है. पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि अंसारी के शव को काली बाग कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा जो अंसारी परिवार के आवास से करीब आधा किलोमीटर दूर स्थित है. सूत्रों के अनुसार इसी कब्रिस्तान में मुख्तार के मां-पिता की भी कब्र हैं.
जनाजे में शामिल होंगे परिवार के सदस्य और करीबी रिश्तेदार
मुख्तार अंसारी के जनाजे में परिवार के सदस्यों और करीबी रिश्तेदारों को शामिल होने की अनुमति है. जिनकी संख्या 100 के आसपास होगी उन्हीं को शामिल होने की अनुमति रहेगी. वहीं पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी के जनाजे में शामिल होने को लेकर अभी तक कोई जानकारी नहीं है.
Ghazipur: पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी का शव मुहम्मदाबाद स्थित उसके पैतृक निवास पर हजारों लोगों की मौजूदगी में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। मुख्तार के शव को पैतृक कब्रिस्तान काली बाग में दफनाया गया। मुख्तार के अंसारी के जनाजे में पांच हजार से अधिक लोग शामिल होने का अनुमान है। मुख्तार अंसारी की मौत गुरुवार देर रात बांदा मेडिकल कॉलेज में हार्ट अटैक के बाद हुई थी। इसके बाद शुक्रवार को 4 :43 बजे पोस्टमार्टम के बाद शव का काफिला बांदा से निकला जो 1:15 बजे गाजीपुर के मुहम्मदाबाद में मुख्तार के आवास पर पहुंचा।
मुख्तार के समर्थकों ने मीडिया कर्मियों पर किया हमले का प्रयास
मुख्तार अंसारी के आवास पर सुबह से समर्थक लगातार आक्रोशित होते नजर आए। मुख्तार अंसारी के समर्थकों ने मीडिया के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की और मीडिया पर हमले का प्रयास किया। आनफानन में मीडिया कर्मियों ने भाग कर अपनी जान बचाई। इस दौरान पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया। माना जा रहा है कि मुख्तार अंसारी के समर्थक आक्रोशित है और लगातार गाजीपुर में माहौल बिगड़ रहा है। हालांकि मुख्तार के आवास से लेकर कब्रिस्तान और पूरे में पुलिस अलर्ट है, जगह-जगह सिपाही तैनात किए गए हैं।
गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को 28 मार्च को तबीयत बिगड़ने पर कड़ी सुरक्षा के बीच जेल से बांदा मेडिकल कॉलेज भर्ती कराया गया था, जहां दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई थी. जिसके बाद बांदा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स ने कल उसके शव का पोस्टमार्टम किया. उसके बाद मुख्तार के शव को गाजीपुर लाया गया और आज मुख्तार को उनके पैतृक निवास युसूफपुर मोहम्मदाबाद में कालीबाग कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया है. जनाजे से पहले एक तस्वीर वायरल हो रही है. इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी अपने पिता के मूछों पर अंतिम बार ताव दे रहा है.
बेटे ने दिया पिता की मूछों को आखिरी बार ताव
मुख्तार अंसारी की मौत के साथ ही एक युग और राजनीति के साथ उसके गठजोड़ के एक अध्याय का भी अंत हो गया है. अंसारी के खिलाफ हत्या से लेकर जबरन वसूली तक के 65 मामले दर्ज थे, फिर भी वह विभिन्न राजनीतिक दलों के टिकट पर मऊ सदर से लगातार पांच बार विधायक चुना गया था. साल 1993 में एक प्रभावशाली परिवार में जन्में अंसारी ने राज्य में पनप रहे सरकारी ठेका माफियाओं में खुद को और अपने गिरोह को स्थापित करने के लिए अपराध की दुनिया में प्रवेश किया था और अब उसका अंत हो चुका है. वह शुरू से ही मूछ रखता था और चुनावी भाषण के दौरान अपने मूछों पर ताव दिया करता था. आज अंतिम बार उसके बेटे उमर अंसारी ने उसके मूछों पर ताव दिया और उसको सुपुर्द-ए-खाक किया.
मुख्तार अंसारी के परिवार में कौन-कौन
मुख्तार अंसारी के पिता का नाम सुब्हानउल्लाह अंसारी थी जबकि मां का नाम बेगम राबिया. सुब्हानउल्लाह को तीन बेटे, बड़ा बेटा सिबकतुल्लाह अंसारी, बीच वाले अफजाल अंसारी और सबसे छोटा मुख्तार अंसारी था. मतलब मुख्तार अपने पिता का सबसे छोटा बेटा था. मुख्तार के बड़े भाई सिबकतुल्लाह अंसारी की शादी जौहर फातमा से हुई जिनसे तीन बेटे हुए. पहला बेटा सुहेब अंसारी, दूसरा सलमान अंसारी और तीसरा बेटा सहर अंसारी है. दूसरी ओर मुख्तार के दूसरे अफजाल अंसारी की शादी फरहात अंसारी से हुई और इनको तीन बेटियां मारिया अंसारी, नुसरत अंसारी और नुरिया अंसारी हैं.मुख्तार अंसारी की शादी अफशां अंसारी से हुई थी. मुख्तार के दो बेटे हैं. बड़े बेटे का नाम अब्बास अंसारी जबकि छोटे का नाम उमर अंसारी है. मुख्तार की पत्नी से लेकर बेटों तक पर गंभीर आरोप लगे हुए हैं. मुख्तार के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. इसके अलावा वो 1926-1927 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और फिर मुस्लिम लीग अध्यक्ष भी रहे. कहा जाता है कि मुख्तार अंसारी के दादा महात्मा गांधी के काफी करीबी थे और गांधीवादी विचारधारा से भी जुड़े हुए थे. बंटवारे के वक्त उनके परिवार के कुछ सदस्य पाकिस्तान चले गए, लेकिन उन्होंने भारत में रहना ठीक समझा.
दोनों बेटों में एक जेल में तो दूसरा जेल के बाहर
मुख्तार अंसारी का बड़ा बेटा अब्बास अंसारी निशानेबाजी में तीन बार का राष्ट्रीय चैंपियन है और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए मऊ से 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भी जीत चुका है. अब्बास अंसारी के खिलाफ आर्म्स लाइसेंस को लेकर केस दर्ज है. इसके साथ-साथ यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का भी आरोप है. अब्बास अभी भी जेल में बंद है. वहीं मुख्तार अंसारी का छोटा बेटा उमर अंसारी पर भी हेट स्पीच को लेकर मुकदमा दर्ज है. पिता और भाई के जेल में जाने के बाद उमर अंसारी ही अंसारी विरासत को आगे बढ़ाने में जुटा हुआ है.
कौन होगा पिता की विरासत का असली वारिस
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में जिसकी कभी तूती बोलती थी वो मुख्ताक अंसारी जिसका जिस रास्ते से काफिला निकलता था तो लोग खुद-ब-खुद सड़क खाली कर देते थे। जिसे लोग अपना मसीहा मानते थे। ऐसे रुतबे और रूआब वाले मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अब एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि अब मुख्तार अंसारी की विरासत को आगे कौन बढ़ाएगा? चू्किं बडा बेटा होने के नाते ये जिम्मेवारी तो अब्बास को मिलनी चाहिए थी लेकिन अब्बास अंसारी तो अभी जेल में हैं, तो क्या अब उमर अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाएंगे या फिर मुख्तार के द्वारा खड़ी की गई ये जुर्म की दुनिया भी उसके साथ ही दफन हो जाएगी।
चुनावों का दौर चल रहा है तो वहीं जहां कभी यूपी की सियासत में बाहुबली नेताओं का अस्सी के दशक में दबदबा रहा है और नब्बे के दशक में जिनकी तूती बोलती थी। वो बाहुबली नेता अब उत्तर प्रदेश की सियासी पिच से नदारद नजर आ रहे हैं। पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वांचल तक जहां एक समय बाहुबलियों की सियासी रुतबा था, लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में उनका तिलिस्म टूटता नजर आ रहा है। कुछ बाहुबली नेताओं का निधन हो चुका है तो कुछ जेल की सलाखों के पीछे हैं। राजनीतिक दल भी इन नेताओं से कन्नी काट रहे हैं। जिससे इनकी राजनीतिक विरासत भी खत्म होती दिखाई दे रही है। वहीं जौनपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे बाहुबली धनंजय सिंह को मिली सजा ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। सपा ने बाबू सिंह कुशवाहा को जौनपुर से प्रत्याशी बनाकर धनंजय की पत्नी के चुनाव लड़ने की उम्मीदों का झटका दे दिया है।
मुख्तार और अतीक का सियासी साम्राज्य खत्म होने की कगार पर
मुख्तार अंसारी आज किसी पहचान का मोहताज नहीं, जिसकी पूर्वांचल में तूती बोलती थी, खासकर गाजीपुर, मऊ, बलिया और आजमगढ़ क्षेत्र में। आज मुख्तार अंसारी का निधन हो चुका है तो वहीं मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर लोकसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं। तो वहीं उनके करीबी अतुल राय घोसी से चुनाव जीते थे। अतुल राय आज जेल में बंद हैं और घोसी सीट से उन्हें किसी भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया है, जिसके चलते चुनावी मैदान से पूरी तरह बाहर हो गए हैं। तो वहीं एक और बाहुबली नेता अतीक अहमद की दबंगई का आलम यह था कि प्रयागराज के इलाके में उनके मर्जी के बिना परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। फूलपुर सीट से अतीक सांसद रहे, लेकिन पिछले साल प्रयागराज में उनकी और उनके भाई अशरफ की हत्या कर दी गई थी। अतीक के दो बेटे अभी भी जेल में बंद हैं और उनकी पत्नी फरार हैं। इसके चलते अतीक के परिवार से कोई भी सदस्य इस बार के चुनावी मैदान में नजर नहीं आ रहा है। अतीक का भी सियासी साम्राज्य खत्म होता नजर आ रहा है।
डीपी यादव और गुड्डू पंडित चुनावी पिच से बाहर
जहां एक समय पश्चिमी यूपी में डीपी यादव का सियासी दबदबा था। नोएडा के रहने वाले पूर्व मंत्री डीपी यादव बदायूं से चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन बसपा और सपा ने किनारा किया तो उनकी सियासी जमीन खिसक गई। डीपी यादव इस बार अपने बेटे के लिए टिकट चाहते थे, लेकिन सपा और बीजेपी दोनों ने ही उन्हें टिकट नहीं दिया। इसी तरह गुड्डू पंडित बुलंदशहर के रहने वाले हैं, लेकिन अलीगढ़ से लेकर फतेहपुरी सीकरी तक से चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार उन्हें किसी भी पार्टी ने प्रत्याशी नहीं बनाया है। डीपी यादव और गुड्डू पंडित दोनों ने ही पश्चिमी यूपी के बड़े बाहुबली नेताओं के रूप में पहचान बनाई थी, लेकिन इस बार चुनावी पिच से बाहर हैं.
धनंजय को टिकट की जगह मिली जेल और अमनमणि को मिला धोखा
अपहरण, रंगदारी के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह को सात साल की सजा होने के चलते सियासी पिच से बाहर हो गए हैं। धनंजय सिंह जौनपुर सीट से चुनावी मैदान में उतरना चाहते थे, लेकिन उन्हें सजा हो गई। इसके बाद अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाने की जुगत में थे। माना जा रहा था कि सपा धनंजय की पत्नी को जौनपुर सीट से टिकट दे सकती है, लेकिन रविवार को बाबू सिंह कुशवाहा को प्रत्याशी बना दिया गया। इसके चलते धनंजय सिंह इस बार लोकसभा चुनाव मैदान में नहीं नजर आएंगे। वहीं कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजा काट रहे बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी ने जेल में रहते हुए अपने भाई अजीतमणि त्रिपाठी को लोकसभा का चुनाव लड़ाया था। बेटे अमनमणि को विधायक बनवाया था, लेकिन इस बार उनके साथ खेला हो गया। अमनमणि त्रिपाठी ने कांग्रेस का दामन थामा और महाराजगंज सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने उनकी जगह चौधरी बीरेंद्र को प्रत्याशी बना दिया। इसके चलते अमरमणि के परिवार से कोई भी चुनावी रण में नहीं हैं।
उमाकांत और रमाकांत खा रहे जेल की हवा
वहीं तीन बार विधायक और एक बार सांसद रहे उमाकांत यादव भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। दरअसल जौनपुर जिले के शाहगंज रेलवे स्टेशन स्थित जीआरपी थाने के 1985 के सिपाही हत्याकांड मामले में बसपा के पूर्व सांसद उमाकांत यादव अब आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। उमाकांत ही नहीं उनके भाई रमाकांत यादव जेल में बंद हैं. चार बार के सांसद और पांच बार के विधायक बाहुबली नेता रमाकांत यादव फतेहगढ़ जेल में बंद हैं और आजमगढ़ सीट से धर्मेंद्र यादव चुनाव लड़ रहे हैं। नब्बे के बाद से पहली बार रमाकांत का परिवार चुनावी मैदान से नदारद है.
अतीक को चुनौती देने वाले करवरिया बंधु भी मैदान से नदारद
आगरा जेल में बंद ज्ञानपुर के पूर्व विधायक विजय मिश्र की सियासी तूती बोलती थी। हत्या, लूट, अपहरण, दुष्कर्म, एके-47 की बरामदगी जैसे अपराधों से नाता रहा है। चार बार विधायक रहे विजय मिश्र को वाराणसी की एक गायिका के साथ दुष्कर्म के मामले में 15 साल की सजा हो गई। इस बार के चुनावी मैदान से विजय मिश्रा बाहर हो गए हैं। इसी तरह इलाहाबाद में अतीक अहमद को सियासी चुनौती देने वाले करवरिया बंधु भी इस बार के चुनावी मैदान से नदारद हैं। अतीक के सामने कोई चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होता था तब करवरिया बंधु ही मैदान में उतरे थे। फूलपुर के पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया व उनके छोटे भाई पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की गिनती भी बाहुबली नेताओं में होती रही है, लेकिन इस बार कोई बड़ा नाम प्रभावी नहीं दिख रहा है।
हरिशंकर तिवारी के बेटे भीम शंकर को मिला चुनावी में उतरने का मौका
पूर्वांचल में एक समय बाहुबली नेता के तौर पर उभरे हरिशंकर तिवारी का दबदबा था। इस बार के चुनाव में हरिशंकर तिवारी के बेटे भीम शंकर तिवारी को डुमरियागंज सीट से सपा ने प्रत्याशी बनाया है। इसके अलावा पूर्वांचल में कोई दूसरा बाहुबली नेता के परिवार से कोई नजर नहीं आ रहा है। बुंदेलखंड में डकैत ददुआ उर्फ शिव कुमार पटेल की सियासी तूती बोलती थी। मिर्जापुर से उनके भाई बाल कुमार पटेल सांसद रह चुके हैं। इसके बाद बांदा सीट से भी चुनाव लड़े, लेकिन इस बार चुनावी मैदान में नहीं नजर आ रहे हैं। वहीं हमीरपुर के कुरारा गांव के रहने वाले अशोक चंदेल बाहुबल के दम पर चार बार विधायक और एक बार सांसद रहे। अशोक चंदेल इस समय एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या के मामले में आगरा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं, जिसके चलते चुनावी मैदान में नहीं हैं। ऐसे ही फर्रुखाबाद के इंस्पेक्टर हत्याकांड मामले में मथुरा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे माफिया अनुपम दुबे भी चुनावी रण से दूर हैं। बीजेपी के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में पूर्व विधायक विजय सिंह छह वर्षों से जेल में बंद हैं। विजय सिंह का दमखम कमजोर पड़ चुका है।
बृजेश सिंह के परिवार से भी किसी को टिकट नहीं
उन्नाव के बाहुबली कुलदीप सेंगर जेल में बंद हैं जबकि एक समय उनकी तूती बोलती थी। इसी तरह प्रतापगढ़ जिले में रघुराज प्रताप सिंह का तूती बोला करती थी, उनके रिश्ते में भाई अक्षय प्रताप सिंह सांसद रह चुके हैं। इस बार चुनावी मैदान में नहीं उतरे। इसी तरह बृजभूषण शरण का अपना गोंडा, कैसरगंज में दबदबा है, लेकिन बीजेपी ने अभी तक उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया है। इसी क्षेत्र में बाहुबली और तीन बार के सांसद रिजवान जहीर जेल में बंद हैं, जिसके चलते चुनावी मैदान से बाहर हैं। माफिया बृजेश सिंह का पूर्वांचल में अपना दबदबा है, लेकिन इस बार उनके परिवार के किसी को टिकट नहीं मिला है। ऐसे में चुनावी मैदान से पूरी तरह बाहर हैं।
क्या बाहुबली नेताओं का टूट गया तिलिस्म
देखा जाए तो एक तरह से सभी पार्टियों ने एक समय अपना रुतबा रखने वाले बाहुबलियों से कन्नी काट ली है। अब देखना होगा कि एक समय अपना दबदबा कायम करने वाले बाहुबली क्या फिर से एक बार उठ खड़े होते हैं या फिर जैसी हवा बह रही है उसी ओर चल पड़ेंगे। क्या कभी कायम रहा गुंडाराज अब अपना दम तोड़ देगा। ये तो समय आने पर पता ही चल जाएगा कि कौन कितने पानी में है।
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December 17, 2022