लोकसभा गठन के बाद अब लोकसभा स्पीकर के चुनने को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। 24 और 25 जून को नव निर्वाचित सांसदों के शपथ ग्रहण के अगले दिन यानी 26 जून को नए लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है। तीसरे कार्यकाल में भाजपा के अकेले बहुमत से दूर रहने की स्थिति में लोकसभा अध्यक्ष पद को काफी अहम माना जा रहा है। इस बार माना जा रहा है कि विपक्ष इंडिया गठबंधन भी अपना उम्मीदवार उतार सकता है। अगर ऐसा होता है तो इतिहास में पहली बार इस तरह होगा। अब तक लोकसभा स्पीकर बिना चुनाव के सर्वसम्मति से चुने गए हैं। किसी दूसरे दल से भाजपा में आए नेता को लोकसभा अध्यक्ष बनाए जाने की स्थिति में विपक्ष का रूख नरम हो सकता है।
संविधान के अनुच्छेद 93 तहत होता है चुनाव
गौरतलब है कि भारतीय संसद का निचला सदन लोकसभा देश की विधायिका की धुरी है। इसका संचालन सुचारू रूप से हो सके, इसके लिए एक सक्षम और निष्पक्ष अध्यक्ष की आवश्यकता होती है, जिसे लोकसभा स्पीकर कहते हैं। स्पीकर का चुनाव एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो लोकसभा के सदस्यों के बीच होती है। यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 93 और लोकसभा के नियमों द्वारा निर्देशित होती है।
स्पीकर का कार्य और जिम्मेदारी
लोकसभा स्पीकर सदन के कार्यों का संचालन करते हैं और विधायी प्रक्रियाओं की निगरानी करते हैं। वे निष्पक्षता से सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी सदस्यों को अपनी बात कहने का समान अवसर मिले। सदन की मर्यादा और अनुशासन बनाए रखना, विधेयकों और प्रस्तावों को सदन में प्रस्तुत करना, मतदान के समय निर्णायक मत का प्रयोग, संसदीय समितियों का गठन और उनका निर्देशन भी स्पीकर करते हैं। स्पीकर का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है, इसलिए उनका पद अत्यंत सम्माननीय और महत्वपूर्ण माना जाता है।
लोकसभा स्पीकर चुनाव प्रक्रिया
नवनिर्वाचित लोकसभा के गठन के बाद, राष्ट्रपति एक अधिसूचना जारी करते हैं, जिसमें स्पीकर के चुनाव की तिथि निर्धारित की जाती है। यह तिथि आमतौर पर लोकसभा के पहले सत्र के दौरान होती है। स्पीकर पद के उम्मीदवारों को निर्धारित तिथि तक अपना नामांकन दाखिल करना होता है। नामांकन पत्र में उम्मीदवार का नाम प्रस्तावित और समर्थित होना चाहिए। इसके लिए कम से कम 10 सदस्यों (प्रस्तावक और समर्थक सहित) का समर्थन आवश्यक होता है। चुनाव की तिथि तय होने पर लोकसभा के सभी सदस्य एकत्र होते हैं और चुनाव प्रक्रिया शुरू होती है। चुनाव प्रक्रिया की अध्यक्षता प्रो-टेम स्पीकर या सबसे वरिष्ठ सदस्य करते हैं। यदि केवल एक उम्मीदवार नामांकित होता है, तो उसे सर्वसम्मति से चुना जाता है। यदि एक से अधिक उम्मीदवार होते हैं, तो चुनाव गुप्त मतदान के माध्यम से होता है। सदस्य अपने मतपत्र में अपने पसंदीदा उम्मीदवार का चयन करते हैं।
परिणाम की घोषणा
मतदान के बाद, मतगणना होती है और जो उम्मीदवार सबसे अधिक मत प्राप्त करता है, उसे स्पीकर चुना जाता है। परिणाम की घोषणा प्रो-टेम स्पीकर द्वारा की जाती है। चुने गए स्पीकर को लोकसभा के सभी सदस्यों के सामने शपथ दिलाई जाती है। शपथ ग्रहण के बाद, स्पीकर अपने पद और कार्यभार को संभालते हैं।
पैसे बचाने के तरीके: चाहकर भी नहीं कर पाते हैं धन की बचत, तो ये टिप्स आपके काम की हैं
December 17, 2022