हाथरस हादसे के मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर को पुलिस ने शनिवार को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। देवप्रकाश मधुकर को बीते दिन दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। मधुकर पर पुलिस ने एक लाख का इनाम रखा हुआ था। भगदड़ हादसे में अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। वहीं, साकार विश्व हरि के वकील एपी सिंह ने दावा किया था कि मधुकर ने पुलिस के सामने सरेंडर किया है। वह खराब स्वास्थ्य के चलते दिल्ली के अस्पताल में भर्ती था। हालांकि, हाथरस पुलिस ने सरेंडर की दावे का खंडन करते हुए इसे गिरफ्तारी बताया। न्यायिक जांच आयोग की टीम भी शनिवार और रविवार को घटना स्थल का मौका मुआना करने के साथ ही अधिकारियों से बातचीत की।
राजनीतिक दल से जुड़ी एक बात ने सबको चौंकाया
एसपी निपुण अग्रवाल ने बताया कि 2 जुलाई को भोले बाबा के सत्संग उपरान्त भगदड़ मचने से 121 लोगों की मृत्यु हुई। मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर को हाथरस की एसओजी ने 5 जुलाई को देर शाम दिल्ली के नजफगढ़ से गिरफ्तार किया। थाना सिकन्द्राराऊ पुलिस ने आज 6 जुलाई को अभियुक्त राम प्रकाश शाक्य को कैलोरा चौराहा से तथा अभियुक्त संजू यादव को गोपालपुर कचौरी, सिकन्द्राराऊ से गिरफ्तार किया। एसपी ने बताया कि अभियुक्त देवप्रकाश मधुकर से पूछताछ में यह भी पता चला है कि इनसे कुछ समय पूर्व कुछ राजनीतिक पार्टियों ने संपर्क किया था। फण्ड इकट्ठा करने के सम्बन्ध में गहराई से जांच की जा रही है कि कहीं इस तरह के कार्यक्रम तथा अन्य संसाधनों को किसी राजनीतिक पार्टी से पोषित तो नहीं है । अब तक की पूछताछ से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कोई राजनीतिक दल अपने राजनीतिक व निजी स्वार्थ्य के लिये इनसे जुड़े है । अभियुक्त देव प्रकाश मधुकर से जुडे हुये सभी बैंक खाते, चल-अचल सम्पत्ति, मनी ट्रेल इत्यादि की जांच की जा रही है।
मनरेगा में जूनियर इंजीनियर के पद पर संविदा पर कार्यरत मधुकर
एसपी ने बताया कि पूछताछ में देव प्रकाश मधुकर ने बताया कि वह एटा में वर्ष 2010 से मनरेगा में जूनियर इंजीनियर के पद पर संविदा पर कार्यरत है । वह इस संगठन से वर्षों से जुड़ा है। संगठन के कार्यक्रम आयोजित कराना तथा संगठन के लिये फण्ड इकट्ठा करने का काम करता है। वह ग्राम फुलरई में आयोजित सत्संग के कार्यक्रम का मुख्य आयोजक था तथा इस कार्यक्रम की अनुमति भी उसी ने ली थी।
व्यवस्था को सही तरीके से नहीं किया
एसपी ने बताया कि देव प्रकार मधुकर तथा इसके निर्देशन में कार्य कर रहे सेवादारों और समिति के सदस्यों की सत्संग के पंडाल के आसपास बैरिकेडिंग, प्रवेश द्वार, निकास द्वार, बैठने की व्यवस्था, पार्किंग व अन्य सुविधाओं की पूरी जिम्मेदारी थी। देव प्रकाश एवं अन्य सेवादारों ने पुलिस प्रशासन को कार्यक्रम स्थल के अन्दर किसी भी तरह के हस्तक्षेप से रोका । वहां पर इनके सेवादार तरह-तरह की वेशभूषा में कमांडो के रुप में सारी व्यवस्था देख रहे थे । वहां पर किसी भी व्यक्ति को वीडियोग्राफी अथवा फोटोग्राफी करन से रोका जाता था। व्यवस्था को सही तरीके से नहीं किया गया एवं प्रशासन की अनुमति पत्र की अनेक शर्तों का उल्लंघन करते हुये यातायात व्यवस्था आदि को प्रभावित किया।
जानबूझकर बाबा की गाड़ी को भीड़ के बीच से निकाला गया
पूछताछ से यह भी स्पष्ट हुआ कि इनके द्वारा भीड़ को संभालने का कोई प्रयास नहीं किया गया। सभी मौके से फरार हो गये । पूछताछ में यह भी पता चला कि इनके और इनके सेवादारों द्वारा प्रवचनकर्ता की गाड़ी को भीड़ के बीच से निकाला गया, जबकि इनको इस तथ्य की जानकारी थी कि भीड़ से निकालने के समय चरणरज के लिये भगदड़ मचने से भयानक दुर्घटना हो सकती थी ।
हाथरस हादसे में मौत की वजह को लेकर साकार हरि उर्फ भोले बाबा के वकील एपी सिंह ने नया दावा पेश किया है। उन्होंने डिब्बों से निकली जहरीली गैस को मौत की असली वजह बताया है। एपी सिंह ने रविवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हाथरस में सत्संग के बाद हादसा बाबा की बढ़ती लोकप्रियता के खिलाफ एक साजिश है। हादसे के गवाहों ने उनसे संपर्क किया। गवाहों को कहना है कि 15-16 लोग जहरीली गैस के डिब्बे ले जा रहे थे, जिन्हें उन्होंने भीड़ में खोल दिया था। इसके बाद वहां भगदड़ मच गई।
हमारे पास गवाह और सबूत
वकील एपी सिंह ने कहा कि मैंने मारे गए लोगों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देखी है। जिससे इससे पता चला है कि सभी लोगों की मौत दम घुटने से हुई है। उन्होंने कहा कि जहरीली गैस को छोड़ने वालों को भागने में मदद करने के लिए घटनास्थल पर वाहन खड़े थे। जिसके हमारे पास सबूत हैं और हम इसे पुलिस और कोर्ट को देंगे। एपी सिंह ने कहा कि जो गवाह उनके पास पहुंचे हैं, उन्होंने नाम न छापने का अनुरोध किया है। हम उनके लिए सुरक्षा की मांग करेंगे।
भक्तों के लिए भोले बाबा ही हैं साकार ईश्वर, बंद घर के आगे दिन भर टेक रहे माथा
वहीं, अब भोले बाबा के अनुयायी सामने आ रहे हैं और बाबा को ईश्वर की दर्जा दे रहे हैं। प्रेमदेवी का कहना है कि लंबे समय से वह बीमार थीं, साकार हरि के शरण में आईं तो उनकी शारीरिक पीड़ा मिट गई। इसी तरह अजय ने कहा कि घर धीरे-धीरे स्थितियां सुधरती गईं। आज उसके घर में किसी चीज की कमी नहीं है। प्रेमदेवी और अजय जैसे कई लोग हैं जो कह रहे हैं कि साकार विश्व हरि (भोले बाबा) के अंदर ईश्वरीय शक्ति है, तभी तो उनकी शरण में आए व्यक्ति की पीड़ा समाप्त हो जाती है। यही वजह है कि हाथरस हादसे में 121 लोगों की मौत के बाद भी भोले बाबा के केदार नगर शाहगंज में बंद पड़े मकान पर पूरे दिन श्रद्धालुओं की आवाजाही लगी है। मंडलीय मनौवैज्ञानिक मानते हैं कि पीड़ित व्यक्ति की पीड़ा जब कम होती है या दूर हो जाती है तो उसे ऐसा करने वाले बाबाओं के चमत्कार पर विश्वास हो जाता है, उनका यह विश्वास आस्था में बदलते ही ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है।
Lucknow: हाथरस के सिकन्दराराऊ में 2 जुलाई को सत्संग के दौरान घटित हादसे के तत्काल बाद गठित एडीजी जोन आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ की एसआईटी ने 02, 03 और 05 जुलाई को घटना स्थल का निरीक्षण किया था। जांच के दौरान कुल 125 लोगों का बयान लिया गया, जिसमें प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के साथ आम जनता एवं प्रत्यक्षदर्शियों का बयान भी लिया गया। इसके अलावा, घटना के संबंध में प्रकाशित समाचार की प्रतियां, स्थलीय विडियोग्राफी, फोटो, विडियो क्लिपिंग की जांच की गई। दो सदस्यी जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है।
6 अधिकारियों को किया गया सस्पेंड
जिसमें कहा गया है कि स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया और वरिष्ठ अधिकारियों को समुचित जानकारी नहीं दी। जांच समिति के रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम, सीओ व तहसीलदार सहित 06 निलंबित कर दिया गया है। आयोजकों ने बिना पुलिस वेरिफिकेशन जिन लोगों को अपने साथ जोड़ा, जिसकी वजह से अव्यवस्था फैली और लोगों की जान गई।
● एसआईटी ने प्रारंभिक जांच में चश्मदीद गवाहों व अन्य साक्ष्यों के आधार पर हादसे के लिए कार्यक्रम आयोजकों को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना है।
● जांच समिति ने अब तक हुई जांच व कार्यवाही के आधार पर हादसे के पीछे किसी बड़ी साजिश से भी इंकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत बताई है।
● जांच समिति ने कार्यक्रम आयोजक तथा तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी दोषी पाया है। स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन करने में लापरवाही के जिम्मेदार हैं।
● उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ द्वारा बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किये आयोजन की अनुमति प्रदान कर दी गई और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया।
● उक्त अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया गया और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया गया। एसआईटी ने संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की है। तदक्रम में, उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ, पुलिस क्षेत्राधिकारी सिकन्दराराऊ, थानाध्यक्ष सिकन्दराराऊ, तहसीलदार सिकन्दराराऊ, चौकी इन्चार्ज कचौरा एवं चौकी इन्चार्ज पोरा को शासन द्वारा निलंबित कर दिया गया है।
● आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति ली। अनुमति के लिए लागू शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया। आयोजकों द्वारा अप्रत्याशित भीड़ को आमंत्रित कर पर्याप्त एवं सुचारु व्यवस्था नहीं की गई। न ही कार्यक्रम के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा दी गई अनुमति की शर्तों का पालन किया गया।
● आयोजक मंडल से जुड़े लोग अव्यवस्था फैलाने के दोषी पाए गए हैं। इनके द्वारा जिन लोगों को बिना विधिवत पुलिस वेरिफिकेशन के जोड़ा गया, उनसे अव्यवस्था फैली।
● आयोजक मंडल द्वारा पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया गया। स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण से रोकने का प्रयास किया गया।
● सत्संगकर्ता और भीड़ को बिना सुरक्षा प्रबंध के आपस में मिलने की छूट दी गई। भारी भीड़ के दृष्टिगत यहां किसी प्रकार की बैरीकेटिंग अथवा पैसेज की व्यवस्था नहीं बनाई गई थी और हादसा घटित होने पर आयोजक मंडल के सदस्य घटना स्थल से भाग गए।
हाथरस सत्संग हादसे का जिम्मेदार सूरजपाल उर्फ साकार हरि उर्फ भोले बाबा की पैठ बड़े-बड़े नेताओं से रहे हैं। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी भोले बाबा के दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं। यहीं नहीं बसपा सरकार में भोले बाबा लाल बत्ती की गाड़ी में सत्संग स्थल तक पहुंचता था। कार के आगे आगे पुलिस एस्कॉर्ट करते हुए चलती थी। बसपा सरकार में तत्कालीन जनप्रतिनिधि सत्संग में शामिल पहुंचते थे। सत्संग स्थल पर पुलिस की जगह उनके स्वयंसेवक ही कमान संभालते हैं।
अखिलेश ने सोशल मीडिया पर शेयर की थी तस्वीरें
अखिलेश यादव पिछले साल जब सूरज पाल उर्फ बाबा साकार हरि के कार्यक्रम में पहुंचे थे, तो सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी फोटो के एक पोस्ट शेयर की थी। इसमें अखिलेश यादव ने कहा था कि नारायण साकार हरि की सम्पूर्ण ब्रह्मांड में सदा-सदा के लिए जय जयकार हो।
20 हजार की परमिशन पर जुटे थे 50 हजार
सिंकदरामऊ के रतिभानपुर मुगल गढ़ी में भोले बाबा के सत्संग के दौरान हुए हादसे को लेकर पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी यह तो स्वीकार कर रहे हैं कि कार्यक्रम आयोजित करने के लिए एसडीएम की परमिशन थी और वहां सुरक्षा के इंतजाम भी थे. हाथरस के जिलाधिकारी आशीष कुमार तथा आगरा जोन की एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ दोनों ने लगभग यही बात कही है. हादसे के संबंध में दोनों ही अधिकारियों ने यह माना है कि हादसे की वजह प्रथमदृष्टया भगदड़ है। सत्संग के लिए जो लिए परमिशन ली गई थी, उसमें 20 हजार लोगों के आने की बात कही थी। लेकिन सत्संग में 50 हजार से अधिक लोग पहुंचे थे।
सत्संग में बांटा जाता है पानी
भोले बाबा के सत्संग में जो भी भक्त जाता है, उसे प्रसाद के रूप में पानी बांटा जाता है. बाबा के अनुयायी ऐसा मानते हैं कि इस पानी को पीने से उनकी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। बाबा का पटियाली तहसील के बहादुर नगर गांव में स्थित आश्रम में भी दरबार लगता है। यहां आश्रम के बाहर एक हैंडपंप का पानी पीने के लिए भी लंबी लाइन लगती है।
हाथरस के फुलराई गांव में गांव में मंगलवार को साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा के सत्संग के बाद मची भगदड़ में 124 लोगों की जान जा चुकी है। हाथरस हादसे का जिम्मेदार भोले बाबा का अतीत भी काले कारनामों से भरा है। भोले बाबा बनने से सूरजपाल जाटव पुलिस में सिपाही था। लंबे समय तक एलआईयू में तैनाती थी। इसी दौरान यौन शोषण का आरोप लगा था और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। इसी बीच नौकरी भी चली गई थी। लेकिन भोले बाबा खुद को स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेने की बात कहता है। जेल में रहने के दौरान पता नहीं कौन सा गुरु मंत्र मिला कि बाहर आकर सूरजपाल सत्संग करने लगा। इसके भजन, प्रवचन की शुरुआत घर से ही हुई थी। इसके बाद देखते ही देखते इसके चाहने वालों की भीड़ बढ़ने लगी और तब घर से निकल कर सत्संग का सिलसिला अड़ोस-पड़ोस में, फिर खुली जगहों में, पंडालों में और अलग-अलग राज्यों में शुरू हो गया।
बेटी को जिंदा करने की कोशिश की थी
नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा की कोई संतान नहीं है। इसलिए इसने 24 साल पहले अपने साले की बेटी स्नेहलता को गोद लिया था। जिसकी गंभीर बीमारी की वजह से मौत हो गई थी। लेकिन इसके अनुयायी को विश्वास था कि वो जिंदा कर देगा। इसलिए शव को दो दिन तक जिंदा करने की कोशिश की थी। हालांकि हंगामा होने के बाद पुलिस ने भोले बाबा समेत 7 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके अलावा इस पर 5 मुकदमे दर्ज हैं।
हाथरस में बाबा की 'रंगोली' के बुरादे ने ले लीं सवा सौ जानें
हाथरस में हुई घटना के पीछे बड़ी जानकारी सामने आई है। स्थानीय पुलिस की खुफिया यूनिट को मिली जानकारी के मुताबिक बाबा की रंगोली के बुरादे को लेने के चक्कर में इतनी मौतें हो गईं। हाथरस में हुई सोमवार की घटना के पीछे अहम और बड़ा खुलासा हुआ है। घटना के 24 घंटे के भीतर खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जानकारी के मुताबिक, भगदड़ मचने से हुई सवा सौ मौतों के पीछे सत्संग स्थल पर बनाई गई वह 'रंगोली' है, जिस पर चलकर आरोपित बाबा को निकलना था।
दरअसल, पंडाल से निकलने के बाद बाबा के भक्तों का हुजूम उस रंगोली को बाबा का आशीर्वाद मानकर दंडवत प्रणाम कर रंगोली के बुरादे को अपने साथ ले जाता है। इस दौरान एक साथ हजारों हजार लोग रंगोली लेने के लिए दंडवत हुए और फिर संभलने का मौका नहीं मिला। जानकारी के मुताबिक, सवा दो टन बुरादे से रंगोली तैयार हुई थी। इस प्रयोजन की जानकारी स्थानीय पुलिस को भी आयोजकों ने नहीं दी थी। फिलहाल इस पूरी जानकारी को उत्तर प्रदेश शासन के अधिकारियों से साझा किया जा चुका है। हाथरस में हुई घटना के पीछे बड़ी जानकारी सामने आई है।
स्थानीय पुलिस की खुफिया यूनिट को मिली जानकारी के मुताबिक बाबा की रंगोली के बुरादे को लेने के चक्कर में इतनी मौतें हो गईं। जानकारी के मुताबिक, हर सत्संग कार्यक्रम में नारायण साकार उर्फ भोले बाबा के रास्ते में तकरीबन 200 मीटर की रंगोली बनाई जाती है। जानकारों का कहना है कि यह रंगोली सत्संग के बाद नारायण साकार उर्फ भोले बाबा के जाने का रास्ता होता है। नारायण साकार के भक्तों में मान्यता है कि जब वह इस रंगोली से चलकर निकल जाते हैं तो यह रंगोली बेहद पुण्य हो जाती है। नारायण साकार के कार्यक्रम में शामिल हाथरस में मिले देवतादीन कहते हैं कि इस रंगोली के बुरादे को लोग दंडवत कर प्रणाम करते हैं और उसका थोड़ा हिस्सा अपने घर ले जाते हैं। वह कहते हैं कि मान्यता है कि इस बुरादे से घर में बीमारियां भी दूर होती हैं और भूत प्रेत का डर नहीं सताता है।
श्मशान बन गया सत्संग स्थल
यूपी के हाथरस में सत्संग में मची भगदड़ में 124 लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। सत्संग का आयोजन 'भोले बाबा' उर्फ बाबा नारायण हरि के संगठन ने किया था। मरने वालों में सात बच्चे और 100 से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं। दर्दनाक हादसे के बाद सत्संग स्थल श्मशान घाट जैसा बन गया। यहां लाशों का ढेर लगा था। सड़क किनारे खेत में पानी भरा था। कीचड़ हो रही थी भागने के चक्कर में श्रद्धालु पानी और कीचड़ में फंसकर गिर गए। इसके भीड़ में दबते चले गए। महिलाओं-बच्चों के मुंह-नाक में कीचड़ भर गया था। भीड़ में कुचलने और दम घुटने से अधिक लोगों की मौतें हुईं हैं। खेतों में लोगों के पैरों के निशान भयावह मंजर बयां कर रहे हैं। महिलाओं और बच्चों के चप्पल-सैंडल, पर्स और मोबाइल बिखरे पड़े थे। सड़क किनारे लगे चप्पल-सैंडल के ढेर को लोग देखते हुए दिखाई दिए।
क्या खुफिया तंत्र ने रिपोर्ट दी थी
मंगलवार को आयोजित सत्संग में हुई इस घटना के बाद बड़ा सवाल यह कि आखिर इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है? हालांकि सूत्र खुफिया तंत्र की ओर से किसी दुर्घटना के अंदेशे की रिपोर्ट देने का दावा कर रहे हैं। मगर यह बात हजम नहीं हो रही और इस पूरी घटना में खुफिया तंत्र फेल नजर आया है। सूत्रों का दावा है कि खुफिया तंत्र ने सवा लाख तक लोगों के जमा होने का अंदेशा जताया। अगर यह रिपोर्ट दी गई थी तो फिर उसके अनुसार इंतजाम क्यों नहीं किए गए। सूत्र बताते हैं कि एलआईयू व अन्य खुफिया जांच एजेंसियों द्वारा अपने उच्चाधिकारियों को सत्संग भवन को लेकर भेजी गई रिपोर्ट में कहा था कि सत्संग कार्यक्रम में सवा लाख से अधिक भीड़ जुटने की संभावना है। हादसे के बाद बड़ा सवाल है उठता है कि आखिर एलआईयू और अन्य जांच एजेंसियों द्वारा पहले ही अपनी रिपोर्ट में हादसे को लेकर पहले ही सतर्क किया गया था, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदारी अधिकारियों ने इसे लेकर कोई ध्यान नहीं दिया गया, आखिर इतने बड़े हादसे के लिए कौन जिम्मेदार होगा?
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
हाथरस भगदड़ मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर मांग की गई है कि मामले की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति नियुक्त की जाए।
17 दिन से हो रहीं थी तैयारियां, पांच दिन पहले आ गईं थी MP-राजस्थान से सैकड़ों बसें
बाबा के सत्संग की 17 दिनों से तैयारी चल रही थी। 2 जुलाई को होने वाले कार्यक्रम में 26 जून से ही मध्य प्रदेश राजस्थान और आसपास के राज्यों की तकरीबन 500 बसें पहले ही पहुंच चुकी थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि सिकंदराराव से गुजरने वाली जीटी रोड पर जिस तरीके का मजमा लगना शुरू हुआ था उससे अंदाजा था कि यहां पर कार्यक्रम बहुत बड़ा होने वाला है। बावजूद इसके पुलिस प्रशासन ने ना इसकी गंभीरता समझी और ना ही इस दिशा में कोई बेहतर प्रबंध किया। घटनास्थल पर मौजूद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्यों ने सरकार और जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।सिकंदराराव के रहने वाले ओमवीर सिंह कहते हैं कि जब उनके शहर में पहले से ही इतनी बड़ी तैयारी के साथ कार्यक्रम आयोजन की भूमिका बनाई जा रही थी। तो प्रशासन को इस बात का अंदाजा क्यों नहीं हुआ कि कहीं कोई बड़ी दुर्घटना ना हो जाए।
पैसे बचाने के तरीके: चाहकर भी नहीं कर पाते हैं धन की बचत, तो ये टिप्स आपके काम की हैं
December 17, 2022ठंड से ठिठुरा उत्तर भारत, पहाड़ों पर बर्फबारी ने बढ़ाई मुश्किलें, UP में रेड अलर्ट
January 04, 2023