NEW DELHI: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान जारी है। सुबह 9 बजे तक 9.53 फीसदी मतदान हो चुका है। जींद में सबसे अधिक 12.71 फीसदी मतदान हुआ है। प्रदेश की 90 विधानसभा क्षेत्रों में 2.03 करोड़ मतदाता हैं, अपने वोटिंग कर रहे हैं। जिसमें कुल 1031 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। हरियाणा के नतीजे जम्मू कश्मीर के साथ 8 अक्तूबर को आएंगे। बता दें कि हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में मतदान हो रहा है। जिसके लिए अधिसूचना 5 सितंबर को जारी हुई है। नामांकन की आखिरी तारीख 12 सितंबर थी और 16 तक उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस लिया।
हरियाणा में 5.24 लाख युवा मतदाता
बता दें कि हरियाणा 2.03 करोड़ मतदाताओं में से 1.07 करोड़ से अधिक पुरुष हैं, 95 लाख से अधिक महिलाएं हैं और 467 थर्ड जेंडर हैं। 5.24 लाख युवा मतदाता हैं । जबकि कुल 1.49 लाख दिव्यांग मतदाता हैं, जिनमें से 93.5 हजार पुरुष, 55.5 हजार महिलाएं और छह थर्ड जेंडर हैं। 85 वर्ष से अधिक आयु के 2.31 लाख मतदाता हैं, जिनमें 89.9 हजार पुरुष और 1.41 लाख महिलाएं हैं। इसके अलावा, 100 वर्ष से अधिक आयु के 8,821 मतदाता हैं, जिनमें 3,283 पुरुष और 5,538 महिलाएं हैं। सेवा मतदाताओं की कुल संख्या 1.09 लाख है, जिनमें 1.04 लाख पुरुष और 4,791 महिलाएं हैं।
कितने अमीर हैं उम्मीदवार
एडीआर रिपोर्ट के मुताबिक, 1031 उम्मीदवारों में से 101 यानी की 10 फीसदी महिला हैं। इस बार 1028 प्रत्याशियों में से 538 (52%) प्रत्याशी करोड़पति हैं। इससे पहले 2019 में चुनाव लड़ने वाले कुल 1138 प्रत्याशियों में से 481 (42%) प्रत्याशी करोड़पति थे। 277 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनकी संपत्ति पांच करोड़ या इससे ज्यादा है। 136 उम्मीदवारों की दौलत दो से पांच करोड़ के बीच है। 50 लाख से दो करोड़ की संपत्ति वाले 228 उम्मीदवार हैं। 10 लाख से 50 लाख संपत्ति वाले 191 उम्मीदवार हैं। जबकि 196 प्रत्याशियों की संपत्ति 10 लाख से कम की है।
कांग्रेस के उम्मीदवार सबसे अधिक करोड़पति
इस बार कांग्रेस के प्रत्याशियों के औसत संपत्ति 24.40 करोड़ रुपये है। दूसरे नंबर पर भाजपा के उम्मीदवारों के औसत संपत्ति 24.27 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, इनेलो के प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 9.64 करोड़, जजपा की 9.36 करोड़, आप की 5.57 करोड़ और बसपा के उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 3.46 करोड़ है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में एक बार फिर कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। जबकि एग्जिट पोल और राजनीतिक पंडितों ने कांग्रेस को हरियाणा में अच्छे संकेत दिए थे। अभी तक आए रुझाने के अनुसार सत्ता विरोधी लहर के बाद भी कांग्रेस की सत्ता में वापसी नहीं दिख रही है। जबकि भाजपा के सिर ताज सजता नजर आ रहा है। बता दें कि सुबह 11 बजे तक हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) 47 सीटों पर आगे चल रही थी। जबकि कांग्रेस 36 सीटों पर आगे चल रही थी. कांग्रेस का वोट शेयर 40.57 प्रतिशत था, जबकि भाजपा का 38.80 फीसदी था। बता दें कि राज्य में बहुमत का आंकड़ा 46 सीटों का है। 90 सीटों पर 25 प्रतिशत वोटों की गिनती हो चुकी है।
बीजेपी ने गैर-जाट वोटरों को किया एकजुट
ऐसा लगता है कि कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर बहुत निर्भर थी। यह निर्भरता उसके लिए कारगर साबित नहीं हुई। कांग्रेस का मानना था कि जाट, दलित और मुस्लिम वोट मिलकर राज्य में जीत सुनिश्चित करेंगे, लेकिन ऐसा लगता है कि बीजेपी ने गैर-जाट और गैर-मुस्लिम वोटों के बीच अपने वोट को बेहतर तरीके से एकजुट कर लिया है। इसके अलावा, गैर-जाट अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटों को एकजुट करने की योजना भाजपा के लिए कारगर साबित हुई। बीजेपी ने पूर्वी और दक्षिणी हरियाणा के गैर-जाट इलाकों में अपना गढ़ बरकरार रखा है। जाट-बहुल पश्चिमी हरियाणा में उल्लेखनीय रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है। गैर-जाट वोट बड़ी संख्या में बीजेपी के पक्ष में मतदान किया है।
भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा में अंदरूनी कलह ने डुबाई नैया
बीजेपी के खिलाफ कथित सत्ता विरोधी लहर के बावजूद कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच अंदरूनी कलह को रोकने में सफल नहीं रही। दोनों के तनाव ने भी पार्टी की संभावनाओं पर पानी फेर दिया। जमीनी स्तर पर कांग्रेस ने बीजेपी की तरह एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ा। जिसकी वजह से कई बागी निर्दलीय चुनाव लड़े। हालांकि कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया था, लेकिन यह भी पक्ष में नहीं गया. हरियाणा में गैर-जाट वोटों के बीच 2004 से 2014 के बीच हुड्डा सरकार को भ्रष्ट माना जाता था और शासन के मापदंडों पर उसका प्रदर्शन खराब था। हुड्डा के शासन के दौरान, राज्य में कानून और व्यवस्था भी खराब बताई गई थी।
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