इंग्लैंड के खिलाफ चल रहे तीसरे टेस्ट मैच में डेब्यू खिलाड़ी ध्रुव जरेल ने शानदार पारी खेली. ध्रुव ने मार्क वुड को सचिन के अंदाज में छक्का लगाकर बताया कि उनके अंदर क्या काबिलियत है. बता दें ध्रुव जुरेल ने रेहान अहमद की बॉल पर दो छक्के लगाए, वो हॉफ सेंचुरी की ओर बढ़ ही रहे थे कि 124वें ओवर में लेट कट खेलने के चक्कर में विकेट के पीछे कैच थमा बैठे. इस तरह से ध्रुव की पारी तो खत्म हुई, लेकिन 104 गेंदों पर 46 रन ठोककर उन्होंने खुद को मैदान में साबित कर दिया. इसके साथ ही ध्रुव जुरेल की कहानी भी बहुत संघर्षों वाली है वो भी आपको बताते है.
बेटे को आर्मी में देखने की थी पिता की ख्वाहिश
आगरा के 23 साल क्रिकेटर ध्रुव जुरेल के पिता नेम सिंह भारतीय सेना में रहे और हवलदार पद से रिटायर हुए. नेम सिंह जी चाहते थे कि ध्रुव नेशनल डिफेंस अकादमी (एनडीए) में शामिल हों और देश की सेवा करें, लेकिन क्रिकेट के प्रति ध्रुव का जुनून उन्हें एक अलग दिशा में ले गया। हालांकि ध्रुव के परिवार में पहले कोई भी क्रिकेट नहीं खेलता था, लेकिन ध्रुव की प्रतिभा को जल्दी ही पहचान लिया गया और उनके पिता ने उनके कौशल को विकसित करने के लिए कोच परवेंद्र यादव की मदद मांगी। वहीं अपने बेटे की सफलता से नेम सिंह जी बहुत ही रोमांचित हैं। वह इसे एक सपने के सच होने के रूप में मानते हैं और ध्रुव का समर्थन करने वाले सभी लोगों के आभारी हैं।
बेटे के संघर्ष में मां का है अहम योगदान
घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के बाद भी ध्रुव के माता-पिता ने किसी भी मुश्किल को ध्रुव की कामयाबी के आड़े नहीं आने दिया। ध्रुव के लिए पहला क्रिकेट किट खरीदने के लिए उनकी मां ने अपनी एकमात्र सोने की चेन भी गिरवी रख दी थी लेकिन ध्रुव दृढ़ निश्चयी रहे और कड़ी मेहनत करते रहे। ध्रुव की इसी लगन और मेहनत का नतीजा आज पूरी दुनिया के सामने है।
ध्रुव जुरेल ने अब तक खेले कुल 15 मैच
ध्रुव जुरेल के पास ज्यादा मैचों का अनुभव नहीं है। उन्होंने केवल 15 मैच खेले हैं। जिनमें ध्रुव ने 790 रन बनाए हैं, जिसमें 1 शतक और 5 अर्धशतक शामिल हैं। इस दौरान विकेट के पीछे उन्होंने 2 स्टंप किए हैं। जबकि 34 कैच पकड़े हैं।
क्रिकेट मैच हो और चौके, छक्कों की बात ना हो ऐसा हो सकता है भला। वहीं अगर मैदान पर भारतीय टीम उतरी हो तो समझो धो डाला। जी हां हम बात कर रहे हैं राजकोट में भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज की। राजकोट में चल रही टेस्ट सीरीज में भारत के सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल का एक नया रूप ही देखने को मिल रहा है जहां विशाखापत्तनम में दोहरा शतक जड़ने वाले यशस्वी ने राजकोट में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में सिर्फ 122 गेंदों में शतक ठोंक दिया। इस दौरान 9 चौके और 5 छक्के भी उड़ाए। यशस्वी जायसवाल और रोहित शर्मा जब पारी का आगाज करने उतरे तो उस समय पहली पारी के आधार पर भारत के पास 126 रनों की बढ़त थी। जबकि इंग्लैंड ने भारत के 445 रनों के जवाब में 319 रनों पर आउट हो गया था।
DRS ने दिया यशस्वी को जीवनदान
यशस्वी जायसवाल की शुरुआत कुछ खास अच्छी नहीं रही। वह पिच पर पैर जमाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ा उन्होंने लय पकड़ ली। 9वें ओवर में उनके खिलाफ टॉम हार्टले की गेंद पर LBW की जोरदार अपील हुई लेकिन इंग्लैंड ने DRS ले लिया, जिससे वह बच गए। इसके बाद पहला चौका जो रूट को लगाया तो टॉम हार्टले का हिसाब बराबर किया और 80 गेंदों में हाफ सेंचुरी पूरी की।
700 विकेट लेने वाले जेम्स के उड़ाए छक्के
युवा बल्लेबाज ने असल आक्रामक रुख 27वें ओवर में दिखाया। यशस्वी ने करीब 700 विकेट लेने वाले अनुभवी तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन को पहले छक्का, फिर दो लगातार चौके उड़ाते हुए हाथ खोले। 28वें ओवर में टॉम हार्टले की गेंद पर दो छक्के जड़कर शतक के करीब पहुंच गए। इसके बाद जो रूट को चौका-छक्के और रेहान को भी एक छक्का लगाया।
वीरेंद्र सहवाग के रिकॉर्ड की बराबरी
यशस्वी ने 39वें ओवर की आखिरी गेंद पर मार्क वुड को चौका लगाते हुए हाफ सेंचुरी पूरी की। कवर पॉइंट पर इस चौके के साथ ही उन्होंने वीरेंद्र सहवाग और संजय मांजरेकर के सबसे तेज 3 टेस्ट शतक बनाने का भारतीय रिकॉर्ड बराबर किया। वीरेंद्र सहवाग और संजय मांजरेकर ने 13 टेस्ट पारियों में 3 टेस्ट शतक ठोके थे। हालांकि सहवाग का इस दौरान औसत 53.31 का था, जबकि यशस्वी का औसत 62.25 का है।
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October 05, 2024