बागपत- पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह की कर्मभूमी रही छपरौली से लोगों का
हमेशा से ही एक अलग लगाव रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के निधन के बाद उनके बेटे चौधरी अजित सिंह को
छपरौली का कमान उनको सौंपा आपको बता दें कि अजित सिंह पूर्व केंद्रिय मंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन अजित सिंह की
निधन के बाद उनकी विरासत को बचाने के लिए उनके बेटे जयंत सिंह को चुना है. 12 फरवरी को जयंत सिंह छपरौली में
अजित सिंह की मूर्ति का अनावरण कर के रैली का संबोधन करेंगे और अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे.
छपरौली क्यों है खास?
छपरौली को यूं हीं नहीं चौधरी चरण सिंह का कर्म भूमि कहा जाता है. चौधरी चरण सिंह को छपरौली की जनता ने सबसे
उनको विधानसभा पहुंचाया था. छपरौली की जनता ने जब से चौधरी चरण सिंह का साथ निभाना शुरु किया तो कभी भी
उनका साथ नहीं छोड़ा और वो सिलसिला आज तक जारी है. वहां से चौधरी चरण सिंह के परिवार से कोइ भी सदस्य
खड़ा हुआ हो या उनकी पार्टी ने किसी भी प्रत्याशी को अपने तरफ से खड़ा किया हो वहां कि जनता ने हमेशा से हीं उनका
साथ दिया है, और उनको जीताकर हीं भेजा है. चौधरी चरण सिंह की निधन के बाद छपरौली की जनता ने उनके बेटे
अजित सिंह का हाथ थाम लिया.
विद्यामंदिर इंटर कॉलेज में होगा मूर्ति का अनावरण
रालोद के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रिय मंत्री चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद छपरौली के विद्यामंदिर इंटर कॉलेज में
सितंबर 2021 में उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक कार्यक्रम रखा गया था जहां काफी भारी भीड़ उमड़ी थी और
चौधरी जयंत सिंह को वहां कि विरासत की पगड़ी पहनाई गई थी. अब उसी कॉलेज में अजित सिंह जी की मूर्ति लगाई गई
है जिसका 12 फरवरी को अनावरण होगा और जयंत सिंह वहां से 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अपना चुनावी अभियान
की शुरुआत करेंगे.
पश्चमी यूपी के जिलों से आएंगे कार्यकर्त
छपरौली में 12 फरवरी को चौधरी अजित सिंह की मूर्ति अनावरण के कार्यक्रम में सिर्फ बागपत ही नहीं बल्कि पश्चिमी यूपीके
सभी जिलों मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर, गाजियाबाद, नोएडा, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा समेत आदि सभी
जिलों से भीड़ जुटाने के लिए ताकत लगा दी है।भीड़ के लिए जगह-जगह भंडारे भी लगाए जाएंगे।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को देश के प्रभावशाली किसान नेता में से एक माना जाता है. अपने प्रधानमंत्रित्व काल में चौधरी चरण सिंह ने किसान के हित में कई ऐसे फैसले लिए थे, जिन्हें आज भी याद किया जाता है. वैसे तो वह पूरे देश में लोकप्रिय थे, लेकिन पश्चिम उत्तर प्रदेश में उनका प्रभाव काफी ज्यादा था. भारत सरकार ने चौधरी चरण सिंह को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा ऐसे वक्त की गई है, उनके पोते जयंत चौधरी के NDA के साथ आने की चर्चाएं तेज हैं. बता दें कि इसी साल लोकसभा चुनाव भी होने हैं.
श्री चरण सिंह के संघर्ष की कहानी
श्री चरण सिंह का जन्म साल 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने 1923 में विज्ञान से स्नातक की एवं 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। कानून में प्रशिक्षित श्री सिंह ने गाजियाबाद से अपने पेशे की शुरुआत की। वे 1929 में मेरठ आ गये और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।
राजनीतिक सफर
वे सबसे पहले 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए एवं 1946, 1952, 1962 एवं 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वे 1946 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व, चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना इत्यादि विभिन्न विभागों में कार्य किया। जून 1951 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया एवं न्याय तथा सूचना विभागों का प्रभार दिया गया। बाद में 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने। अप्रैल 1959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया, उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था।
श्री सी.बी. गुप्ता के मंत्रालय में वे गृह एवं कृषि मंत्री (1960) थे। श्रीमती सुचेता कृपलानी के मंत्रालय में वे कृषि एवं वन मंत्री (1962-63) रहे। उन्होंने 1965 में कृषि विभाग छोड़ दिया एवं 1966 में स्थानीय स्वशासन विभाग का प्रभार संभाल लिया।
जब पहली बार यूपी के बने सीएम
कांग्रेस विभाजन के बाद फरवरी 1970 में दूसरी बार वे कांग्रेस पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालांकि राज्य में 2 अक्टूबर 1970 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। श्री चरण सिंह ने विभिन्न पदों पर रहते हुए उत्तर प्रदेश की सेवा की एवं उनकी ख्याति एक ऐसे कड़क नेता के रूप में हो गई थी जो प्रशासन में अक्षमता, भाई – भतीजावाद एवं भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते थे। प्रतिभाशाली सांसद एवं व्यवहारवादी श्री चरण सिंह अपने वाक्पटुता एवं दृढ़ विश्वास के लिए जाने जाते हैं।
भूमि सुधार में चौधरी चरण सिंह को श्रेय
उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार का पूरा श्रेय उन्हें जाता है। ग्रामीण देनदारों को राहत प्रदान करने वाला विभागीय ऋणमुक्ति विधेयक, 1939 को तैयार करने एवं इसे अंतिम रूप देने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। उनके द्वारा की गई पहल का ही परिणाम था कि उत्तर प्रदेश में मंत्रियों के वेतन एवं उन्हें मिलने वाले अन्य लाभों को काफी कम कर दिया गया था। मुख्यमंत्री के रूप में जोत अधिनियम, 1960 को लाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। यह अधिनियम जमीन रखने की अधिकतम सीमा को कम करने के उद्देश्य से लाया गया था ताकि राज्य भर में इसे एक समान बनाया जा सके।
सरल स्वाभाव के चलते हुए लोकप्रिय
देश में कुछ-ही राजनेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने लोगों के बीच रहकर सरलता से कार्य करते हुए इतनी लोकप्रियता हासिल की हो। एक समर्पित लोक कार्यकर्ता एवं सामाजिक न्याय में दृढ़ विश्वास रखने वाले श्री चरण सिंह को लाखों किसानों के बीच रहकर प्राप्त आत्मविश्वास से काफी बल मिला। श्री चौधरी चरण सिंह ने अत्यंत साधारण जीवन व्यतीत किया और अपने खाली समय में वे पढ़ने और लिखने का काम करते थे। उन्होंने कई किताबें एवं रूचार-पुस्तिकाएं लिखी जिसमें ‘ज़मींदारी उन्मूलन’, ‘भारत की गरीबी और उसका समाधान’, ‘किसानों की भूसंपत्ति या किसानों के लिए भूमि, ‘प्रिवेंशन ऑफ़ डिवीज़न ऑफ़ होल्डिंग्स बिलो ए सर्टेन मिनिमम’, ‘को-ऑपरेटिव फार्मिंग एक्स-रयेद्’ आदि प्रमुख हैं।
MSP को लेकर किसानों का आंदोलन दिन पर दिन उग्र होता जा रहा है. किसानों ने आर-पार की लड़ाई को लेकर जमकर कमर कस ली है. जिसके चलते हरियाणा और पंजाब के किसान संगठनों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने समेत अन्य मांगों को लेकर 13 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान किया है. जहां एक ओर किसानों के इस ऐलान के बाद सरकार और प्रशासन हाथ पांव फूलने लगे हैं और प्रशासन ने किसानों को रोकने के लिए प्लान भी तैयार कर लिया है. जिसके चलते हरियाणा पुलिस ने ट्रैफिक एडवाइजरी जारी कर दी है और जनता से अपील की है कि लोग 13 फरवरी को राज्य के मुख्य मार्ग का उपयोग अति आवश्यक स्थिति में ही करें और अति आवश्यक होने पर ही पंजाब की यात्रा करें. साथ ही प्रशासन द्वारा हरियाणा से पंजाब की ओर जाने वाले सभी मुख्य मार्गों पर यातायात बाधित होने की भी संभावना जताई जा रही है .
पुलिस ने बताया कहां से मिलेगी जानकारी
हरियाणा की एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) ममता सिंह ने बताया कि ट्रैफिक की वर्तमान स्थिति जानने के लिए हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म- @police_haryana, @DGPHaryana और Haryana Police फेसबुक पेज को फॉलो करें. दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे पर यातायात बाधित होने की स्थिति में चंडीगढ़ से दिल्ली जाने वाले यात्रियों को डेराबस्सी, बरवाला/रामगढ़, साहा, शाहबाद, कुरूक्षेत्र के रास्ते अथवा पंचकूला, एनएच-344 यमुनानगर इंद्री/पिपली, करनाल होते हुए दिल्ली जाने की सलाह दी गई है. इसी प्रकार, दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाले यात्री करनाल, इंद्री/पिपली, यमुनानगर, पंचकूला होते हुए या फिर कुरूक्षेत्र, शाहबाद, साहा, बरवाला, रामगढ़ होते हुए अपने गन्तव्य पर पहुंच सकते हैं.
हरियाणा के करीब 12 जिलों में लगी धारा 144
एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) ममता सिंह ने लोगों से किसी भी आपात परिस्थिति में डायल-112 पर संपर्क करने की अपील करते हुए कहा कि लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने, किसी भी तरह की हिंसा को रोकने और ट्रैफिक सुगम बनाने के लिए पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है. इस संबंध में सभी रेंज एडीजीपी/आईजीपी, पुलिस आयुक्त और जिलों के एसपी को दिशा-निर्देश जारी कर दिये गए हैं. प्रभावित जिलों खासकर अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, फतेहाबाद, सिरसा में ट्रैफिक डायवर्जन की व्यवस्था की गई है. वहीं राज्य के अंदर अन्य सभी मार्गों पर ट्रैफिक की स्थिति सामान्य रहेगी. हरियाणा के कम से कम 12 जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है और चंडीगढ़ से सटे पंचकूला में भी धारा 144 लागू है। जिसका आदेश पंचकूला के डीसीपी सुमेर सिंह प्रताप ने जारी किए हैं. साथ ही सार्वजनिक स्थान पर एकसाथ पांच या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध रहेगा.
13 फरवरी तक इंटरनेट सेवाएं बाधित
हरियाणा के गृह विभाग ने एक आदेश जारी कर जानकारी दी है कि अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा और पुलिस जिला डबवाली में 11 फरवरी सुबह 6 बजे से लेकर 13 फरवरी रात 12 बजे तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं, बल्क एसएमएस और डोंगल सर्विस ठप रहेंगी. पर्सनल एसएमएस, बैकिंग एसएमएस, ब्रॉडबैंड व लीज लाइंस पहले की तरह चलती रहेंगी और पैदल या ट्रैक्टर-ट्रालियों व अन्य वाहनों के साथ जलूस निकालने, प्रदर्शन करने, मार्च करने, लाठी, डंडा या हथियार लेकर चलने पर प्रतिबंध रहेगा. वहीं हरियाणा और पंजाब के करीब 23 किसान संगठनों का कहना है कि सरकार जब तक उनकी मांगों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक उनका आंदोलन नहीं रुकेगा.
12 फरवरी को दूसरे दौर की बैठक
किसान संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल 12 फरवरी को चंडीगढ़ सेक्टर 26 स्थित महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में केंद्र सरकार के साथ दूसरे दौर की वार्ता करेगा. किसानों और सरकार के बीच पहले दौर की वार्ता 8 फरवरी को यहीं पर हुई थी. दूसरे दौर की बैठक में सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय मौजूद रहेंगे.
किसान सभा ने ईस्टर्न पेरीफेरल वे को किसानों के लिए टोल फ्री करने के लिए 27 मई के आंदोलन के क्रम में प्रशासनिक अधिकारियों के हस्तक्षेप के लिए वार्ता का प्रस्ताव रखा था। जिसके क्रम में आज टोल मैनेजर कमल नागर नशअखिल भारतीय किसान सभा के दफ्तर पर उपस्थित हुए। उनके साथ बातचीत हुई। किसान सभा ने किसानों के टोल फ्री के संबंध में अपना ज्ञापन उन्हें दे दिया है, जिस पर टोल मैनेजमेंट ने आज शाम तक का वक्त मांगा है। फैसले के अनुसार किसान सभा आगे कार्रवाई करेगी। आज इसी सिलसिले में किसान सभा के ऑफिस पर पूर्व प्रधानमंत्री किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि मनाई गई। सभी उपस्थित साथियों ने उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की चौधरी चरण सिंह के लिए नारे लगाए गए।
'भारत सरकार ने स्वीकारा चौधरी चरण सिंह के योगदान को'
किसान सभा के जिला अध्यक्ष डॉ रुपेश वर्मा ने उपस्थित साथियों को संबोधित करते हुए कहा कि चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में जमींदारी उन्मूलन कानून बना था, जिसके कारण किसानों को जमीने मिली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित पूरे उत्तर प्रदेश में किसानों के बीच संपन्नता आई। भारत में किसानों की राजनीति को खड़ी करने वाले चौधरी चरण सिंह ही थे। भारत सरकार ने देर से ही सही उनके योगदान को स्वीकार किया है और उन्हें भारत रत्न दिया है। चौधरी चरण सिंह हमेशा किसानों के लिए प्रेरणा रहे हैं और आगे भी रहेंगे। किसान सभा उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है।
आज की वार्ता और प्रोग्राम में अजय पाल भाटी, निशांत रावल, प्रशांत भाटी, जगबीर नंबरदार, सुधीर रावल, गवरी मुखिया, रूपचंद भाटी, पप्पू ठेकेदार, सुरेंद्र भाटी, अमित भाटी, गुरदीप एडवोकेट, अमित नागर, मोहित नागर, मोहित भाटी, देशराज राणा, वीर सिंह नागर, नितिन चौहान, सुशील सुनपुरा, संदीप भाटी, सतीश यादव, यतेंद्र एवं बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। भवदीय, डॉक्टर रुपेश वर्मा, अध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान सभा, गौतम बुद्ध नगर
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